Sep 30, 2016

साला मुझे नहीं बनना तेरी बीवी

मेघना पेठे
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साला मुझे नहीं बनना तेरी बीवी
तुम्हारी बीवी होने से तुम क्या चाहोगे
कपड़े उतारो, पंखा डलो, हो जा मेरी चीयर लीडर?
हट हट, झट से निकल पतली गली से फटाफट
चीयर लीडर बनें तेरे दोस्त, मैं क्यों बनूँ?
मै ही मारूंगी एक नहीं चार चौके, छ: सिक्सर..
तब तुझे स्टेडियम में एंट्री भी न मिलेगी
साल्ला मैं न बनूँगी तेरी घरवाली..

क्या बोला मैं तेरी सीढ़ी..
तेरे लिए जमीं पर पाँव गड़ाए खड़ी रहूंगी?
और तू क्या अकेले ऊपर चढ़ेगा..
तू आसमान से इद्रधनुष भर लेगा झोली में.
और मैं क्या नदी किनारे चमगादड़ गिनती बैठूं?
न बाबा ये अपुन को नहीं जमेगा बोल दिया..

क्या बोला, मैं तेरा रास्ता तकेगी?
मुन्ना भाई की मुन्नी?
छोड़ यार, आँखे खोल अपनी..
इस आसमान में सूरज कई, है पता?
माँ कसम, इस छोटी-सी जिन्दगानी में
तेरी बेरंग दुनिया मे सड़ती रहूंगी?
अरे, मैं खुद चांदनी बनके चमकेगी.
तेरी बिन्दनी, साल्ला नहीं बनूँगी.

क्या बोला..
तू खाना खायेगा और मै पंखा डलूंगी?
तू सोयेगा और मै तेरे सर की चम्पी करूँ?
क्या, क्या बोला..
तू हल चलाएगा और मैं रोटी सेकूँ?
तू लड़ाई लड़ेगा और मैं बर्तन चमकाऊँ?
तू टप टप घोड़े पर चढ़ के आएगा
मै सुन्दर रंगोली सजाऊँ
ताकि घोड़े के पाँवो तले उसे बेचिराख करे तू.
ये सब तेरे मुनाफे का धंधा
तुझे क्या लगा मैं मन ही मन में धुंधलाऊँ?
जा रे..
मुझे नहीं बनना तेरी बीवी फिवी..

मैंने देखे है न तेरे दादा दादी,
मेरे फूफा फुफ्फी, मासी मावसा,
काका काकी, मामा मामी..
दीदी जीजाजी,
परिवार का लुभावना रूप जिनका जिम्मा है
वो मैं पापा, तेरे और मेरे
जाने दे साले,
सबको चाहिए अपना एक गधा
मार खाने को
ये फँसने फँसाने का अफ़साना
भाग दौड़, छुपाछुपी का खेल-खेल खेलना
उस से अपुन अच्छा 'अपना काम' काम ही अच्छा.
मुझे नहीं बनना तेरी बीवी.

क्या बोलता रे..
बच्चे बहस करने से थोड़े होते हैं..
कभी तो माँ बनोगी न..
अरे, उसके लिए तेरी औलाद क्यों बढ़ाऊँ?
तेरे ही जैसी..
एक बता दे.. तेरे बाप की कसम..
किसी कुम्हार की या चमार की क्यों नहीं?
किसी भंगी-बामन की क्यों नहीं
पटेल-मोमिन की
पारसी-ख्रीस्ती की भी चलेगी न
जैन-बोरिकी क्यों नहीं

हाँ रे
बनूँगी क्यों नहीं माँ
गर मेरे बच्चों को अच्छा बाप मिलेगा
जरूर बनूँगी माँ
पर तय मैं करुँगी कौन भला कौन बुरा..
और सुन ले
माँ कसम
चाहे दुनिया भर की माँ बन जाऊँ
तेरी बीवी नहीं बनने का मेरे को.

अनुवाद : मीना त्रिवेदी। इस कविता को साहित्यकार  जन विजय ने फेसबुक पर शेयर किया है।

सही जानकारी का हक केवल अंग्रेजी वालों को ?

अक्सर हिंदी के पत्रकारों और पाठकों को अंग्रेजी के मुकाबले अपने दोयम होने का एहसास सालता रहता है। आज उनके लिए इस गुत्थी को समझने का सुनहरा मौका है। 

करना सिर्फ इतना है कि एक बार वे अपने हिंदी के अखबार देखें, फिर अंग्रेजी के। बात फिर भी न समझ में आए तो उदाहरण के तौर पर दैनिक हिंदुस्तान और हिंदुस्तान टाइम्स अगल—बगल रख के देख लें।

ये दोनों एक ही मालिक के अखबार हैं। पर भाषा, अभिव्यक्ति, पेशगी और तरीके का फर्क देखिएगा। मेरा भरोसा है आपको आज आत्मज्ञान हो के रहेगा और इतनी बात जरूर समझ में आ जाएगी कि अंग्रेजी में मालिक—संपादक खबरें परोसते हैं और हिंदी में हिस्टीरिया, सनकपन। 

तो आप बताइए हिंदी की गरीब, मेहनतकश और बेकारी की मार झेल रही जनता को अखबार का मालिक और संपादक सनकपन क्यों परोसता है, उसको दंगाई क्यों बनाना चाहता है और वह क्यों नहीं चाहता कि जैसी बातें वह अंग्रेजी के लोगों का परोस रहा है वह हिंदी वालों को भी दे। क्या वह सही और संतुलित बातें सिर्फ अंग्रेजी वालों के लिए सुरक्षित रखना चाहता है?

अगर हां तो क्यों? इसका जवाब भी आपको ही ढुंढना है। इस बारे में मैं बस इतना कह सकता हूं कि अंग्रेजी सिर्फ भाषा के रूप में हिंदी की मालिक नहीं है, बल्कि हम जिन दफ्तरों में काम करते है और जो उनके अधिकारी—मालिक हैं, उनकी भी भाषा अंग्रेजी है। यानी मालिक वो हैं जिनकी भाषा अंग्रेजी है, मालिक वो हैं जिनकी जानकारी सही और संतुलित है।

इसलिए दोस्तों हमारी भाषा कमजोर नहीं है और हम इस वजह से दोयम नहीं हैं, बल्कि हमें अपनी भाषा को सही और संतुलित जानकारी देने वाली भाषा बनानी है। हमें तथ्यहीन, पर्वूग्रहित और मनगढ़ंत खबरों की हिंदी पत्रकारिता से बाहर निकलने की तैयारी करनी है, हिंदी से नहीं। यही जिद हमें बराबरी का सम्मान दिलाएगी, अंग्रेजी वालों के राज का अंत करेगी।

Sep 28, 2016

कारगिल शहीद की बेटी का ​वीडियो हुआ वायरल

पाकिस्तान से युद्ध या गोलीबारी में मारे गए शहीदों को लेकर देश में जिस ढंग का माहौल बनाया जा रहा है, उसका जवाब है ​यह ​वीडियो। आप इस वीडियो को एक बार जरूर देखें और महसूस करें कि सही मायने में शहीदों के परिजन आपसे, देश से और मीडिया से क्या चाहते हैं। 4 मिनट 23 सेकेंड का यह वीडियो आपको कुछ नया सोचने पर मजबूर करेगा।


Sep 26, 2016

अब ये लोग करेंगे पाकिस्तान को नेस्तनाबूद

पाकिस्तान की ओर मार्च कर चुकी सेना की पहली टुकड़ी। माना जा रहा है कि देशभक्तों की पहली टुकड़ी ही पाकिस्तान के नक्शे को मटियामेट कर देगी।

फिर भी अगर उस नापाक देश का नामोनिशान बचा रह गया तो आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के नेृतत्व वाली नब्बे के उम्र वालों की जाबांज टोली रवाना होगी।

बताया जा रहा है कि बुजुर्गों ने यह कदम मोदी के 'मनमोहिनी' अवतार के बाद उठाया है। बुजुर्ग स्वंय सेवकों को कहना है कि हम वीर कूंवर सिंह की धरती पर माटी पुत्र हैं जो 90 वर्ष की उम्र में दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे।

जय श्रीराम नारे के साथ आकाश को गुंजायमान कर डंडा लेकर बॉर्डर की ओर बढ़ रहे संघ के स्वंयसेवकों से जब पत्रकारों ने पूछा कि डंडे से कैसे करेंगे जटिल हथियारों का मुकाबला तो उनका जवाब था, 'दुश्मनों को नेस्तनाबूद करने के लिए हथियार नहीं हौसला चाहिए होता है और वह हमारे में कूट—कूट के भरा है। हथियार तो कायरों को सुशोभित होता है।'

इस जवाब पर एक अन्य पत्रकार ने पूछा, 'तो डंडा किसलिए लिए जा रहे हो ताउ'

इस सवाल पर संघ का स्वंय सेवक तपाक से बोला, 'बेट्टा जी, हौसले से चढ़ाई तो नहीं होती। बाकि का क्या वह तो हो ही जाएगी।'  फोटो — डॉ योगेन्द्र 

Sep 24, 2016

जिनको हिंदुत्ववादियों ने कूटा अब वही संघ के सिपाही बनने को तैयार?

नरेन्द्र देव सिंह उना में दलितों के साथ सड़क पर हुयी बर्बरता के बाद गुजरात सहित पूरे देश में दलित आंदोलन का उभार हुआ था. गुजरात जो भाजपा का गढ़ है वहां भाजपा को सीएम पद पर नेतृत्व परिवर्तन तक करना पड़ा. लेकिन अब नाटकीय अंदाज में उन्हीं दलित पीडि़तों के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की एक रैली में शामिल होने की संभावना जतायी जा रही है. जबकि उक्त घटना के विरोध में जो प्रदर्शन हुये थे उसमें आरएसएस भी निशाने पर थी.

रणनीतिकार हालांकि इसे भाजपा की एक बड़ी जीत बता रहे हैं. भाजपा ने हाल के दिनों में पार्टी के हिंदुत्व दर्शन राजनीति के विरोधी तीन बड़े दलित नेता रामदास अठावले, रामबिलास पासवान और उदित राज को भाजपा के संग कर लिया था. इसके बाद संघ और भाजपा की तरफ से उना के दलित पीडि़तों को अपने खेमे में लाना पूरी तरह से यह दर्शाता है कि संघ और भाजपा दलित आंदोलन को दबाने के लिये राजनीतिक प्रलोभन और दबाव दोनों का ही सहारा ले रही है.


इसके बाद भी भाजपा की हिंदुत्व विचारधारा के लाखों काडर स्वयंसेवकों को गौरक्षा के नाम पर फिर से इस तरह के उत्पात मचाने की छूट तो मिल ही जायेगी, क्योंकि संघ-भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी इस तरह के घटनाओं का अपने हित में पटाक्षेप करने लगा है. टीओआई की एक खबर के मुताबिक दलित नेता जिग्नेश मेवानी भी इस खबर पर अपना दुख जता चुके हैं.

Sep 23, 2016

जो तस्वीर लाखों में शेयर हो रही है, जानिए उसके फोटोग्राफर का नाम

रांची के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में ​बगैर थाली जमीन पर खाना खा रही महिला की फोटो वायरल होने के बाद अब पहला सवाल सबके मन में यही है कि किसने खिंची यह फोटो।

सबको लग रहा होगा कि जरूर किसी पत्रकार या फोटोग्राफर ने फोटो खिंची होगी। पर इसका सच कुछ और है।

कल रांची से प्रकाशित दैनिक भास्कर, प्रभात खबर और हिदुस्तान में जमीन पर खाना खाती फोटो छपी। महिला बगैर थाली सीधे फर्श पर दाल, चावल और सब्जी रखकर खा रही थी। ​फोटो इतनी झकझोर देने वाली है कि देखते ही देखते लाखों लोग शेयर करने लगे।

शेयर करने वाले कई लोग यह भी कहने लगे कि सदी की त्रासदी दिखाने वाली तस्वीरों में इसे शुमार किया जाएगा और उस फोटोग्राफर को महान कहा जाएगा। पर उसका नाम कहीं दर्ज हो तब तो। लोगों ने ढूंढा भी तो मिला नहीं।

पता करने पर इस तस्वीर के सामने आने की कहानी पता चली और वह फोटोग्राफर भी जिसने यह फोटो खिंची।

रांची के रिम्स अस्पताल में भाजपा कार्यकर्ता रामवृक्ष ठाकुर का ​भाई भर्ती था। उसे ही देखने रांची भाजपा के महानगर मंत्री केके गुप्ता, जिलाध्यक्ष मनोज मिश्र  अपने कुछ परिचितों के साथ रिम्स पहुंचे।

वहीं सबने देखा कि एक महिला जमीन पर खा रही है। उसके बाद मंत्री केके गुप्ता ने अपनी मोबाइल से उसकी फोटो खिंची। उसके बाद केेके गुप्ता एक प्रेस विज्ञप्ती और फोटो के साथ अखबारों के दफ्तर पहुंचे, जिसके बाद यह फोटो दुनिया के सामने आ सकी।

रांची महानगर मंत्री और केके गुप्ता बताते हैं कि एक अखबार ने उनका नाम छापा है पर दूसरे अखबारों ने उनका नाम नहीं दिया। इसमें मैं क्या कर सकता हूं लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि मैंने ही वह फोटो खिंची है। महानगर भाजपा अध्यक्ष मनोज मिश्र कहते हैं, दोषियों पर कार्यवाही हो चुकी है पर हमलोंगों ने उसी समय 7—8 मरीजों को थाली खरीदकर दे दी, जिनके पास थालियां नहीं थीं।


गेस कीजिए ये लोग क्यों हंस रहे हैं

यह फोटो वरिष्ठ पत्रकार शरद गुप्ता के फेसबुक वाल से है। उन्होंने फोटो यह लिखते हुए शेयर की है कि गेस ​कीजिए तीन पूर्व प्रधानमंत्री क्यों हंस रहे होंगे?

जाहिर है प्रधानमंत्री हैं तो किसी​ छिछोरी बात पर तो नहीं ही ही हंस रहे होंगे। छिछोरी बातों पर तो सिर्फ जनता हंसती है। ये बड़े लोग हैं। गभीर बातों पर ही हंसते होंगे।

जैसे धर्म, राजनीति, कूटनीति या अर्थशास्त्र पर। यह लोग किसी सेक्स संबंधी चर्चा करके हंसते होंगे नहीं। नहीं आसपास की औरतों पर छिंटाकसी कर आनंद लेते होंगे।

फोटो में क्रमश: बाएं से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई, पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर हैं और नीचे बैठी हैं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी।

सोनिया गांधी भी आम महिलाओं की तरह छिंटाकसी वाली हंसी से दूरी बनाए रखने के लिए गंभीर मुद्रा में नहीं बैठी होंगी, बल्कि वह भी किसी गंभीर और जहीन मसले पर विचारमग्न होंगी।

ये सभी बातें संभावना की हैं ऐसे में आप भी संभावना से बता सकते हैं कि तीन प्रधानमंत्री किस बात पर हंस रहे हैं...


Sep 22, 2016

पाकिस्तान को नेस्तनाबूद कर देते मोदी पर कांग्रेसियों, वामपंथियों ने कहीं का न छोड़ा

मोदी की 10 मजबूरियां
इन वजहों से मोदी नहीं कर पा रहे पाकिस्तान पर चढ़ाई

समर्थकों ने बड़ा दीमाग लगा के मोदी के बचाव में ​लिखा पत्र, विस्तार से बताईं मोदी की मजबूरियां, कहा लड़ने के लिए देश के पास 7 दिन का भी नहीं है रसद। ईमोशनल अपील कर बोला, मोदी जी को कमजोर कहने से पहले पढ़ें पूरा पत्र, जाने कांग्रेस और वामपंथ का सच। पर देश उड़ा रहा मजाक, लोग पूछ रहे हैं 56 इंच के सीने में साहस भरा है या शिगुफा, बात बहादुर मोदी पाकिस्तान के सामने भी हुए टांय—टांय फिस्स।

समर्थकों की ओर प्रसाारित किए जा रहे पत्र को आप पढ़िए हू—ब—हू

दोस्तों,
पठानकोट और उरी के बाद भी धीरज ....की वजह...!!

मित्रों....आप को ये जानना चाहिए कि भारत पाकिस्तान से युद्ध करने से क्यों पीछे हट रहा है,क्यों टाल रहा हैै ...?? ध्यान से पूरा पढना..

यह पोस्ट लाइक्स के लिए नहीं लिखी है, पढ़कर कुछ सकारात्मक लगे, अंतरात्मा जागे तो शेयर अवश्य करें..

दरअसल प्रधानमंत्री मोदी की ये हालत कांग्रेस और वामपंथियों ने कर रखी है। उन्होंने  भारत के रक्षा तंत्र को कहाँ पंहुचा दिया है।

  • वामपंथी और कांग्रेसियों ने 10 साल में कितने आयल रिजर्व बनाये?? युद्ध सिर्फ बयान से नहीं लड़े जाते। आयल रिजर्व भारत के पास कितने दिनों का था जब मोदी ने सत्ता संभाली? सितम्बर 2015 से मोदी सरकार नए आयल रिजर्व बना रही है जिससे की सेना को हिम्मत मिले।
  • युद्ध के लिए कम से कम 40 दिन की सामग्री होनी चाहिए. इटली वाली बाई और मौनी बाबा की कृपा से सेना के पास 40 दिन तक चलने वाला सिर्फ 10 फीसदी गोला बारूद ही था.  
  • चीन के पास 60 से 80 दिन का रिजर्व है और भारत के पास?? कांग्रेस ने  सिर्फ 7 दिन का रिजर्व रख छोड़ा था..और बातें करेंगे कि मोदी क्यों युद्ध नहीं कर रहा। 
  • कांग्रेस के 10 साल में सेना को तबाह कर दिया गया। भारतीय सेना का जनरल चिट्टी लिखता रहा, चिल्लाता रहा कि भारत की सेना के पास लड़ने को हथियार नहीं है परंतु 10 साल तक भारत सरकार के लोग 2G, 3G, जीजा G ,कॉमनवेल्थ और कोयला घोटालों में ही मस्त रहे।
  • विमानों खरीद में इतनी घटिया दलाली की राजनीति चली कि दलाली न मिलने के कारण 10 साल में विमानों को खरीदने का आर्डर नहीं दे पाये। वो तो भला हो नरेंद्र मोदी का जिन्होंने "राफेल डील" को खुद ही फ़्रांस जा के फाइनल करके हताश हो रही एयरफोर्स को नयी हिम्मत दी। वरना कांग्रेस का बस चलता तो बूत बन चुके आउटडेटेड MIG में ही मरने देती वायुसेना के पायलटों को। अगर यही डील कांग्रेसियों ने पहले फाइनल कर दी होती तो आज तक ये विमान हमारे एयरफ़ोर्स के हैंगरों में पहुंच चुके होते। 
  • गलती से कांग्रेस ने हेलीकॉप्टर और सेना के ट्रक खरीद लिए तो उसे "ऑगस्टा वेस्टलैंड हेलीकाप्टर घोटाला" और "टाट्रा ट्रक घोटाला" नाम से ये देश जानता है।
  • अब आते हैं नौसेना की स्थिति पर। क्या हालात बना दी कांग्रेसियों ने। 2004 से 2014 तक हादसों की झड़ी लगा दी। नौसेना की शान INS सिंधुरक्षक का खड़े खड़े तबाह हो जाना और 18 नौसैनिकों का मरना वो जख्म है जिसे सिर्फ एक हादसा नहीं माना जा सकता था।
  • घोटाले और मुफ्तखोरी से तबाह देश का खजाना तुमने मोदी को दिया था जो कोई युद्ध नहीं झेल सकता था। यही कारण है की उस देश के खजाने को भरने के चक्कर में आज मोदी कभी सेस बढ़ाता है तो कभी पेट्रोल डीजल पर वैट बढ़ा के देश को मजबूत करता है और हमारी थोक के भाव गालियां भी सुनता है।
  • कुछ लोगो की नौटंकी तो चलती रहती है। फ्री के वाईफाई, फ्री के बिजली,फ्री के पानी पर। अगर युद्ध हुआ तो ऐसे लोगों को जीत—हार से मतलब नहीं होगा उन्हें मतलब होगा युद्ध के बाद निश्चित बढने वाली महंगाई से। महंगाई बढ़ गई जी..मोदी ने टैक्स लगा दिया जी...ऐंड सो आन ।
  • अब कुछ मानसिक रूप से अपरिपक्व बच्चे, ये कहेंगे की अब तो मोदी है जो करना है कर लो...तो भाई जहाजो के आर्डर मोदी खुद फ़्रांस में देकर आया है...जहाज का आर्डर दिया है न की पिज्जा का जो दो मीनट में बनकर आधे घंटे में आ जाये, कुछ साल लगेंगे बनाने और डिलिवरी में..सेना का आधुनिकीकरण जारी है.नए आयल रिजर्व अगस्त सितम्बर 2015 से बनने शुरू हो गए.
  • करोडो के हथियारों की खरीद को रक्षामंत्री मनोहर पारिकर ने अप्रूव कर दिया. कांग्रेस की चहेती हथियारों की दलाल लाबी को भगा दिया गया है.
  • एक एक सौदे पर PMO की नजर है...!!! आपलोग भी अपनी नजर बनाये रखें!!! धैर्य रखें अच्छे दिनो का आगाज हो चूका है।।
अगर आप आम जनमानस को समझा सकें तो ये आपका समस्त देशप्रेमियों पर अहसान होगा !

Sep 21, 2016

यलगार हो ! सिर कलम करने सरकार खुद निकल पड़े

मीडिया के प्रेशर और विपक्षियों के बढ़ते हमले से तंग आकर सरकार ने खुद ही तलवार उठा ली है। उनकी इस पहल को आप क्रमश: तस्वीरों में देख सकते हैं। सरकार की  पहल से उत्साहित सभी राष्ट्रवादी युवक—युवतियों ने तलवारें—बंदूकें थाम ली हैं और वह बॉर्डर की ओर बढ़ रहे हैं।

यलगार हो! देश के जाबांजों का आह्वान करते सरकार। खुद ही थामी सेनापति की कमान

 

अपने लिए खास हथियार चुनते सरकार, क्योंकि वह परंपरा के साथ रखते हैं तकनीकी का खास तालमेल

 

अध्यक्ष जी की निगाह सीधे तलवार की धार पर। ईरादा बस एक ही कि अगले टर्म में पाकिस्तान में हो भाजपा का शासन और नवाज शरीफ का नाम बदल कर दें नागेंद्र शर्मा 

 

भक्तों की पहली टुकड़ी पहुंची जम्मू। भयंकर है उत्साह। पाकिस्तान में मची हलचल

 

पहली टुकड़ी पुंछ से आगे। बढ़ सकती है कार​गिल की ओर। चेहरे पर देखिए रोष। एक ही लक्ष्य पहला राममंदिर रावलपिंडी में

मिला आरएसएस का भी साथ, भाईजी लोगों ने उठाई बंदूक और तलवारें। कल की शाखा लगेगी लाहौर में 

 

विजय माल्या का हुआ प्रत्यर्पण। पाकिस्तान में करेंगे ईमानदारी से धंधा। मुसलमानों को  दारू पिलाकर कराएँगे घरवापसी

 बहने नहीं रहीं पीछे, स्कूल छोड़ कूदी आंदोलन में। तलवारों से हटाएंगी बुरका, लिखा जाएगा स्त्री मुक्ति का राष्ट्रवादी इतिहास 



Sep 18, 2016

एक ब्रांडिंग मैटेरियल है 'माँ का आशीर्वाद'


प्रधानमंत्री मोदी के लिए माँ का आशीर्वाद भी एक ब्रांडिंग मैटेरियल है, इस बावत कल www.janjwar.com पर एक छोटी सी टिप्पणी छपी थी। उस छोटी सी टिप्पणी पर सैकड़ों बड़ी टिप्पणियां अबतक आ चुकी हैं।

उनमें से कइयों में गलियां हैं पर ज्यादातर लोगों ने इसे मोदी का प्रशंसनीय काम माना है और कहा है कि इससे नयी पीढ़ी को संस्कार मिलेगा और बुजुर्गों के प्रति उनके मन आदर बढ़ेगा।

गलियों का जवाब तो दे नहीं सकता पर संस्कारों और सम्मान को लेकर कुछ बातें आप हजारों लोगों से जरूर साझा करना चाहूंगा जिन्होंने जनज्वार पर छपी टिप्पणी पर गौर किया है।

* मोदी जी की ज़िन्दगी में कुल दो औपचारिक महिलाएं हैं, एक उनकी पत्नी और दूसरी उनकी मां।


  • पत्नी के प्रति उनके रवैये से दुनिया वाकिफ है इसलिए ज्यादा कुछ नहीं। पर इतना जरूर कहना है कि आप सबों में से ज्यादातर की मां या दादी की वह उम्र होगी जो मोदी की पत्नी की है। क्या आपके पिता या दादा आपकी मां या दादी के साथ ऐसा व्यवहार करते तो आप उनके प्रति वही क़द्र रखते जो मोदी के प्रति आप रख पाए रहे हैं।


  • आप कहेंगे वह एक बड़ी जिम्मेदारी पर हैं। पर क्या बड़ी जिम्मेदारियां किसी को इस कदर गैर जिम्मेदार बना सकती हैं कि पत्नी , पति के साथ रहना चाहे, उसके भले के लिए दुआ करे और पति उसे परित्यक्तता की हालत में छोड़ दे। क्या दुनिया के दूसरे जिम्मेदार लोग भी ऐसा करते हैं।


  • मैं इस पहलू पर जिक्र नहीं करता पर नीचे के पोस्ट में आयी ज्यादातर टिप्पणियों में आप दोस्तों ने कहा है कि मोदी जी द्वारा माँ के पैर छूने की वायरल हुई तस्वीर नयी पीढ़ी को संस्कार देगी। ऐसे में मेरा सवाल यह कि उन्होंने अपनी पत्नी के साथ जो बर्ताव किया है वह देश की नयी पीढ़ी को कैसा संस्कार देगी। क्या इसे औरतों पर की जाने वाली हिंसा की श्रेणी में नहीं रखेंगे।
  •  मोदी जी की मां उनके जीवन की दूसरी औरत हैं। और अगर मोदी जी को अपनी माँ के प्रति इतना ही लगाव है तो वह दिल्ली में अपने साथ रखें। वे रोज आशीर्वाद लें। क्या समस्या है। एक नार्मल आदमी ऐसा ही तो करता है। हम सब करते हैं और कर रहे हैं। आप भी सक्षम होंगे और सुविधा होगी तो अपनी मां के साथ ही रहते होंगे।

आखिरी बात। गाली देना, धमकाना और कोसना ज्यादा आसान होता है बजाय की बात करने। अगर आप बात करने की कोशिश करेंगे तो हमें भी आपसे सीखने को मिलेगा।

Sep 17, 2016

देश का पहला आदमी जो मां के आशीर्वाद से पहले कैमरा खोजता है

सवा सौ करोड़ के भारत में सबके पास मां होगी पर शायद ही कोई आदमी होगा जो मां का आशीर्वाद लेने से पहले दरवाजे पर कैमरा लगवाता होगा। पर हमारे प्रधानमंत्री का जन्मदिन हो या मां से मिलने का कोई और मौका हमेशा वे  कैमरे के सामने ही मां से मिलते हैं और मां का पैर छूते हुए तस्वीर जरूर जारी करते हैं।

मां से मिलने के बाद बाद वह बकायदा खुद ही फोटो प्रसारित करते हैं। मानो की देश के दूसरे लोगों से कुछ अलग अंदाज में वह मां का पैर छूते हों या फिर कोई दूसरा पैर छूता ही न हो और वह इतिहास में पहली बार पैर छू रहे हों।  आज भी प्रधानमंत्री ने अपने जन्मदिन पर वही किया।

मां को कितनी असहजता महसूस होती होगी। मोदी जी की मां की दृष्टि से देखा जाए तो वह हर मां की तरह अपने बेटे से सहज और स्वाभाविक तरीके से मिलना चाहती होंगी। पर यहां तो मां का आशीर्वाद लेने से पहले कैमरा टीम को बकायदा इत्तला किया जाता होगा कि कैसे क्या करना है। संभव है यह भी हिदायत दी जाती हो कि इस तस्वीर को प्रधानमंत्री के अलावा कोई जारी नहीं करेगा।

तभी तो हर मौके पर खुद ही जारी करते हैं। अन्यथा जब वह मां से मिलते होंगे तो परिवार के कई सदस्य मौजूद रहते होंगे और वह भी फोटो अपनी वाल पर लगा या ट्विट कर सकता है। पर ऐसा होता कभी दिखता नहीं। हर बार मोदी जी मां से मिलने की एक्सक्लूसिव तस्वीर खुद के हाथों से ही जारी करते हैं। मानो मां से मिलना भी कोई राजनीतिक काम



आतंक के कुख्यात आरोपी के साथ अपने प्रधानमंत्री

जब तस्वीरों की राजनीति शुरू हो ही गयी है और उसी से तय होने लगा है कि कौन गलत है और कौन सही फिर इस बहस को मुकाम मिलना ही चाहिए। उसी मुकाम की ओर बढ़ते हुए जनज्वार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस तस्वीर को खोज लाया है जो आज के दिन बेहद प्रासंगिक है।

समझौता एक्सप्रेस, हैदाराबाद ब्लॉस्ट, मालेगांव व अजमेर दरगाह बम धमाकों के मुख्य आरोपी असीमानंद को कल एनआइए की विशेष अदालत ने जमानत दे दी है। ऐसे ही कुख्यात आतंकवादी के साथ प्रधानमंत्री मोदी की एक पुरानी तस्वीर है जिससे पता चलता है कि वह राजनीतिक जीवन में एक—दूसरे को जानते रहे होंगे। हालांकि असीमानंद की गिरफ्तारी के बाद आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी मनमोहन वैद्य ने प्रेस विज्ञप्ती जारी कर कहा था कि असीमानंद का उनके संगठन का कोई रिश्ता नहीं है।

पर अंग्रेजी पत्रिका कारवां में लीना रघुनाथ ने असीमानंद का जो साक्षात्कार किया था उसमें असीमानंद ने बताया था कि वह आरएसएस से लंबे समय से जुड़े हुए हैं और धमाकों की अनुमति संघ प्रमुख मोहन भागवत ने ही दी थी।

एनआइए अदालत द्वारा असीमानंद की जमानत मिलने के बाद सोशल मीडिया पर सवाल उठने लगे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि 67 लोगों के हत्या के आरोपी असीमानंद की रिहाई पर मीडिया कोई खबर क्यों नहीं ले रहा, क्या मीडिया के लिए यह खबर महत्वपूर्ण नहीं है।

समझौता बम धमाकों के तत्कालीन मुख्य जांचकर्ता रहे वीएन राय अपने फेसबुुक पर लिखते हैं क्या असीमानंद को जमानत देने वाली अदालत ने इस तथ्य पर गौर किया कि उसकी समझौता ब्लास्ट में वही भूमिका रही थी जो फांसी पर लटकाये गये याकूब मेमन की मुम्बई धमाकों में और अफजल गुरु की संसद हमले में ?

इनपुट — TRUTH OF GUJRAT -  फोटो - लाल घेरे में प्रधानमंत्री मोदी और आतंक का आरोपी असीमानंद

Sep 16, 2016

पत्रकार की हत्या का आरोपी मोहम्मद कैफ क्या भाजपा नेता के साथ देशभक्ति कविताएं सुन रहा है?

यह तस्वीर मोहम्मद जाहिद के फेसबुक वाल से साभार है। उन्होंने अपने वाल पर कहा है कि केंद्रीय संसदीय राज्य मंत्री और भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी के साथ खड़ा यह वही शख्स है जिसके साथ खड़े होने पर पूर्व सांसद और कई जघन्य अपराधों में सजायाफ्ता शहाबुद्दीन को दुबारा जेल भेजने और बिहार सरकार के मंत्री और लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप सिंह यादव से इस्तीफा मांगा जा रहा है। गौरतलब है कि बंटी उर्फ मोहम्मद कैफ सीवान के पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या में आरोपी है।

सांप्रदायिकता के खिलाफ अपनी वॉल पर लगातार लिखने वाले मोहम्मद जाहिद ने मीडिया पर सवाल उठाते हुए कहा है, 'इसी व्यक्ति की अब केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के साथ चित्र प्रस्तुत है। मीडिया और भक्त क्या अब नकवी से इस्तीफा माँगेंगे।

इस सवाल के मद्देनजर देखें तो मोदी सरकार के चेहरे पर वही कालिख पुति नजर आ रही है जो अबतक लालू प्रसाद यादव के बेटे तेज प्रताप पर लगी नजर आ रही थी।

फिर मीडिया मुख्तार अब्बास का इस्तीफा क्यों नहीं मांग रही, क्यों नहीं उनको गुंडों की पार्टी का अगुआ कहा जा रहा है, प्रधानमंत्री मोदी को इस मसले पर क्यों नहीं घेरा जा रहा। या जब मोहम्मद कैफ तेज प्रताप के साथ खड़ा होता है तो शूटर दिखता है और भाजपा मंत्री के साथ खड़ा हो वह देशभक्ति कविताओं का वाचन करता है।

 दोनों ही तस्वीरों में मुख़्तार अब्बास नकवी के ठीक पीछे मोहम्मद कैफ उर्फ़ बंटी

इस तस्वीर से आगे की कहानी कौन कहेगा

पिछले तीन चार दिनों में हजारों पेज लिखे जा चुके हैं, दर्जनों घंटे टीवी वाले बर्बाद कर चुके हैं पर इस तस्वीर के आगे सब फीके और जड़ हैं। इस पूरे घटनाक्रम में इस तस्वीर से सटीक कुछ भी नहीं है। 

उत्तर प्रदेश की सियासत पर लंबी—लंबी हवाई फेहरिस्त लिखने वाले अबतक कहानी का एक पैरा भी इससे आगे नहीं बढ़ा सके हैं। उनके पास चचा—भतीजा, सपा के परिवार में गृहयुद्ध, बंटा परिवार जैसे चलताउ जुमले हैं पर किसी एक के पास कोई ऐसी तथ्यगत बात नहीं है जिससे कहानी इतनी आगे बढ़ती हो जितनी यह एक तस्वीर कह जाती है। 

अगर किसी ने बढ़ाई हो वह यहां मैदान में आए। सपा के अंतरकलह को लेकर स्टोरी के नाम पर ब्रेकिंग करने वाले चंपकों को फोटो खिंचने वाले इस इंडियन एक्सप्रेस के फोटोग्राफर की स्टोरी करनी चाहिए और उसी से फोटो की उस खास वक्त की अंतरकथा सुननी चाहिए।