Dec 26, 2009

झारखण्ड से के.एन.पंडित गिरफ़्तार

विस्थापन विरोधी जनविकास आन्दोलन के केन्द्रीय संयोजक के.एन.पंडित को रांची पूलिस ने 23 दिसम्बर गिरफ्तार कर लिया है. उन्हें दमनकारी कानून 'गैरकानूनी गतिविधी निरोधक कानून' के तहत हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया है.



झारखण्ड में चुनाव मतपेटियां खुलते ही लोकतन्त्रिक पर्व की समाप्ति हो गई। चुनावी खेल में राजनैतिक दलों को पैसा मुहैया कराने वाले धन कुबेरों और बड़े पूजिपतियों को खुश करने की कार्रवाई शुरू हो गई है। जल-जंगल-जमीन बचाने के चुनावी वायदों को रद्धी की टोकरी में फेंक जनपक्षीय लोगों और सामाजिक कार्यकत्ताओं को चुपचाप रहने की चेतावनी देते हुए सरकारी मशीनरी ने झारखण्ड़ के वरिष्ट जुझारू ट्रेड़ यूनियन नेता पंडित को गिरफतार कर लिया ताकि जनता के हक हकूक के लिए खासतौर पर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों और बड़े पूजिपतियों द्वारा किये जा रहे जमीन अधिग्रहण के खिलाफ लड़ाई को दमन द्वारा मौन किया जा सके।

यह गिरफतारी केन्द्र सरकार द्वारा जनता पर छेड़े गए युद्ध का ही हिस्सा है जिसके तहत सरकार भारत की प्राकृतिक सम्पदा को साम्राज्यवादी हाथों में सौंपने के लिए जंगल-जंगलात में बसने वाली जनता, खासतौर पर आदिवासियों को सैन्य हमले कर उजाड़ने की साजिष कर रही है। झारखण्ड में चुनावों के दौरान प्रतिनियुक्त की गई अर्ध सैन्य बलों की 225 कंपनियों को झारखण्ड में ही तैनात कर जनता की खिलाफ सैन्य अभियान शुरू करने का फैसला केन्द्र सरकार ने कर लिया है। झारखण्ड के तमाम जनवादी सोच वाले लोगों ने सैन्य मुहिम की खिलाफत की है। सैन्य अभियान का मुखर विरोध करने वालों में के.एन.पंडित अग्रणी भूमिका में थे। उन्होंने 4 दिसम्बर को दिल्ली में आयोजित जनता पर युद्ध के खिलाफ गोष्ठी में कड़े शब्दों में सरकार की निंदा की थी और युद्ध के खिलाफ लड़ने का आह्वान किया था।

पूर्व में भी झारखण्ड़ में बाबुलाल मरांडी सरकार द्वारा 3200 लोगों खासतौर आदिवासियों पर पोटा लगाए जाने के विरोध में बने पोटा विरोधी मोर्चा में उन्होने हिस्सेदारी की थी। विस्थापन के विरूद्ध लड़ाई हो या राजनैतिक बंदियों को रिहाई का मसला वे हमेशा जनता के हक में खड़े होकर अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे हैं।

विस्थापन विरोधी जन विकास आन्दोलन तमाम जनवाद पसन्द जनता और बुद्धिजीवियों को आह्वान करता है कि के.एन. पंडित की रिहाई के लिए आवाज बुलन्द करें और जनता पर चलाए जाने वाले युद्ध का पूरजोर विरोध करें.

साथ ही बहुराष्ट्रीय और बड़े उद्योगपतियों के साथ किये गए तमाम एम ओ यू रद्द किए जाए और जनता पर चलाए जाने वाले सैन्य अभियान को तुरन्त रोका जाए और सभी अर्ध सैन्य बलों को वापिस बुलाया जाए।


प्रेस विज्ञप्ति

विस्थापन विरोधी जन विकास आन्दोलन