तो एक आदिवासी महिला देश की राष्ट्रपति बनेंगी, खबरें तो इसी तरफ इशारा करती हैं। अगर प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से सच में द्रौपदी मूर्मू के नाम पर मोहर लग चुकी है तो वह वह देश की राष्ट्रपति बनने वाली पहली आदिवासी बन जाएंगी.....
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 25 जुलाई, 2017 को पूरा हो रहा है। इसी महीने नये राष्ट्रपति का चुनाव होगा और वह अपना पदभार ग्रहण करेंगे। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम ने भाजपा को बहुमत के करीब ला दिया है। अपनी पसंद का राष्ट्रपति बनाने के लिए भाजपा को 10,98,882 मतों में से 5.49 लाख वोट चाहिए। भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पास 4.57 लाख वोट हैं। अगर तीसरा मोर्चा एकजुट हो जाये, तो भी भाजपा के बराबर वोट नहीं ला पायेगा। इसलिए तय है कि भाजपा अपनी पसंद का अगला राष्ट्रपति बनायेगी।
राष्ट्रपति पद की दौड़ में भाजपा की तरफ से पहले कई नाम शामिल थे, जिनमें भाजपा के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और यहां तक कि रजनीकांत का नाम भी शामिल था। ऐसे में वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर द्रौपदी मूर्मू के नाम पर नरेंद्र मोदी का मोहर लगाना थोड़ा आश्चर्यचकित भी करता है। एक कारण यह भी रहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी पर फिर से केस चलाये जाने की सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बाद आडवाणी और जोशी के बाद वो लोग राष्ट्रपति पद की रेस से बाहर हो गए थे।
महिला और स्वच्छ छवि के चलते विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी दौड़ में रहींं, लेकिन उनकी सेहत ठीक नहीं होने की वजह से उनकी दावेदारी कमजोर पड़ गयी। दक्षिण के पिछड़ी जाति के नेता और केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू को भी दौड़ में शामिल माना जा रहा है, लेकिन उनके नाम पर विपक्ष सहमत होगा, इस पर भाजपा को संदेह है। इन परिस्थितियों में द्रौपदी मुर्मू की दावेदारी अधिक मजबूत और तार्किक बतायी जा रही है।
द्रौपदी मूर्मू वर्तमान में झारखंड की राज्यपाल हैं और पिछले दो दशकों से वह राजनीति में सक्रिय हैं। विपक्ष के लिए भी उनकी उम्मीदवारी को खारिज करना मुश्किल होगा। द्रौपदी मूर्मू राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार होंगी। द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी से झारखंड की मुख्य विपक्षी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का भी समर्थन भाजपा को हासिल हो सकता है। झारखंड विधानसभा में झामुमो मुख्य विपक्षी पार्टी है।
इसे भी संयोग ही कहा जाएगा कि द्रौपदी झारखंड और देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल हैं। द्रौपदी को प्रत्याशी बनाकर भाजपा और सरकार देश को अलग संदेश दे सकती है।
ओड़िशा के आदिवासी परिवार में 20 जून, 1958 को ओड़िशा के एक आदिवासी परिवार में जन्मी द्रौपदी मूर्मू रामा देवी वीमेंस कॉलेज से बीए की डिग्री लेने के बाद ओड़िशा के राज्य सचिवालय में नौकरी करने लगीं। 1997 में नगर पंचायत का चुनाव जीतकर राजनीति में कदम रखा। पहली बार स्थानीय पार्षद (लोकल काउंसिलर) बनीं.
पार्षद से राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने तक का उनका सफर देश की सभी आदिवासी महिलाओं के लिए एक आदर्श होगा। वह ऐसे राज्य से ताल्लुक रखती हैं, जहां 2014 के मोदी लहर में भी भाजपा का सिर्फ खाता ही खुला था। राज्य में लोकसभा की 21 सीटें हैं, 20 सीटें बीजद ने जीती थीं।
साफ-सुथरी राजनीतिक छवि के कारण द्रौपदी को भाजपा आलाकमान ने हमेशा तरजीह दी। वह भाजपा के सामाजिक जनजाति (सोशल ट्राइब) मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के तौर पर काम करती रहीं और वर्ष 2015 में उनको झारखंड का राज्यपाल बना दिया गया।
द्रौपदी मूर्मू 18 मई, 2015 से झारखंड की राज्यपाल हैं -2000 से 2004 तक ओड़िशा विधानसभा में रायरंगपुर से विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रहीं। वह पहली ओड़िया नेता हैं, जिन्हें राज्यपाल बनाया गया -छह मार्च, 2000 से छह अगस्त, 2002 तक वह भाजपा और बीजू जनता दल की गठबंधन सरकार में वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार मंत्री रहीं। छह अगस्त, 2002 से 16 मई, 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री रहीं।
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