राजपूतों के दबाव में की जा रही हरियाणा के दलितों की बेजा गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे छात्र—नौजवान, 24 अप्रैल की दोपहर में सीएम खट्टर से अंबाला में मिले थे युवक और शाम को देशद्रोह समेत कई अन्य धाराओं में उनपर कर दिया गया था मुकदमा दर्ज।
कैथल से राजेश कापरो की रिपोर्ट
जी हां। यह सही समाचार है। हरियाणा के करनाल जिले के सिविल लाईन पुलिस थाना में 24 अप्रैल को यह मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मुकदमा के अनुसार इन 15 नामजद दलित छात्रों—नौजवानों ने देशद्रोह का अपराध किया है । इन 15 आरोपियों में मोनिका नाम की एक दलित छात्रा का नाम भी है जो कुरूक्षेत्र युनीवर्सिटी में पढ़ती है।
मैंने इस मुकदमे की एफआईआर की कॉपी के साथ पूरी जानकारी 5 जून को अपने फेसबुक शेयर कर दी थी। प्रदर्शनकारियों पर क्या मुकदमा दर्ज हुआ है यह पता करने में ही दसियों दिन लग गए। फिर थाने से कॉपी लेने में समय मुझे समय लगा और मैंने 5 जून को एक पोस्ट जरिए खुलासा किया कि 15 दलित छात्रों—नौजवानों पर हरियाणा पुलिस ने देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया है। छात्रों—नौजवानों समेत सैकड़ों की संख्या में दलित अंबाला जिला के गांव पतरेहड़ी के दलितों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ राज्य के कई जिलों में प्रदर्शन कर रहे थे।
कुछ लोगों ने खबर को शेयर भी किया पर देश ने आज तब संज्ञान में लिया, जब अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने मेरे प्रयासों के बाद छाप दिया। हिंदी अखबारों, संपादकों और बुद्धिजीवियों ने तो कोई संज्ञान ही नहीं लिया। शायद हिंदी वालों को हिंदी में लिखने वालों की दी सूचनाओं पर भरोसा नहीं होता या फिर वह अंग्रेजी को ज्यादा भरोसेमंद मानते हैं।
खैर, जो भी हो। दिलचस्प यह है कि 24 अप्रैल को दर्ज हुए इस मुकदमें में पुलिस ने अबतक एक भी गिरफ्तारी नहीं की है। पुलिस से जब पीड़ितों के परिजनों ने जानकारी चाही तो उनका कहना था कि अभी गिरफ्तार नहीं करेंगे लेकिन जब यह दूसरी बार प्रदर्शन या किसी आंदोलन में शामिल होंगे तब इन्हें भीतर करेंगे।
पुलिस के बयान से सवाल यह उठता है कि हरियाणा की पुलिस ने छात्रों—नौजवानों पर देशद्रोह जैसा मुकदमा सिर्फ धमकाने और तफरी लेने के लिए दर्ज कर लिया है या ऐसे गंभीर और रेयर मुकदमें दर्ज कर पुलिस कुछ और संदेश देना चाहती है। एक वकील होने के नाते मैं जानता हूं कि देशद्रोह का मुकदमें में गिरफ्तारी और जमानत ज्यादा बेहतर होती है, बजाय कि आप आरोपियों को यूं ही छोड़ दें। इसका एक ही मकसद हो सकता है कि पुलिस ऐसे आरोपियों को 'न जीने देगी और न मरने देगी' वाली हालत में बनाकर रखना चाहती है।
और यही वजह है कि देशद्रोह के मुकदमें से खौफ में हैं सभी दलित छात्र—नौजवान, बयान तक देने से डर रहे हैं कि पुलिस कहीं उन्हें गिरफ्तार न कर ले।
ऐसे हुई आंदोलन की शुरुआत
अंबाला जिला के गांव पतरेहड़ी के दलितों ने विभिन्न दलित संगठनों के नेतृत्व में अप्रैल 19 से 26 तक कर्ण पार्क करनाल में धरना किया था। प्रदर्शनकारी दलितों की मांग थी कि अंबाला पुलिस दलित नौजवानों को हत्या के एक फर्जी मुकदमे में फंसा रही है उस पर रोक लगाई जाए। सीएम मनोहर लाल खट्टर को अपना दर्द बताने दलित अंबाला से यहां आए थे। मुख्यमंत्री से मिल के जाने के बाद ही पुलिस ने देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया। जाहिर है पुलिस अमले का यह रवैया बगैर मुख्यमंत्री के इशारे के संभव नहीं रहा होगा।
हरियाणा के इतिहास में शायद यह पहला मामला है जहां पर इतनी बडी संख्या में दलित समाज के लोगों को नामजद किया गया है। हालांकि इससे पहले भी दलित समाज के अधिकारों की आवाज बुलंद करने वालों पर देशद्रोह के मुकदमे दर्ज किये गए थे।
देशद्रोह का यह मुकदमा दलित नेता अशोक कुमार, कृष्ण कुटेल, मलखान नंबरदार, राकेश, रवि कुमार इंद्री, अमर मुनक, अमर सगा, मोनिका, मुलखराज, राजकुमार पतरेहड़ी, धर्मसिहं व रविंद्र कुरूक्षेत्र अनिल, संजू ,नरेश पतरेहड़ी पर दर्ज किया गया है।
जिनपर दर्ज हुए मुकदमें |
बावेला यहाँ से खड़ा हुआ
अंबाला पुलिस के लापरवाही भरे रवैए के कारण मार्च में दलित समुदाय और राजपूतों के बीच तनाव चल रहा था । राजपूत जाति के कुछ बदमाश बार बार दलित समाज के लोगों पर हमला कर रहे थे । पुलिस ने शिकायत के बावजूद दबंग जाति के बदमाशों पर कारवाई नहीं की । दलितों को दबंगों का मूहतोड़ जवाब देने के लिए मजबूर किया गया और दलित अपनी जानमाल की सुरक्षा करने के लिए एकजुट हुए । इस प्रकार से झगड़े की इस घटना में दोनों पक्षों के लोग घायल हुए । पुलिस ने उसी समय दलितों पर 323 आईपीसी तथा दबंग जाति के बदमाशों के खिलाफ एससी एसटी एक्ट सहित 323 आईपीसी आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया।
मुश्किल बनी यह घटना
घटना के चार पांच दिन बाद दबंग जाति के एक घायल की मौत घाव में संक्रमण के कारण हो गई । पुलिस ने दलित समाज के नौजवानों को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया । छात्र जवानों को जेलों में ठूंस दिया । झगड़े की जड़ गांव के सरपंच जिस पर एससी एसटी में मुकदमा दर्ज है अभी तक नहीं पकड़ा गया है । पुलिस दलित छात्र नौजवानों को केवल इसी आधार पर उठा रही थी कि वह अंबेडकर संगठन के सदस्य है और दलित उत्पीड़न की घटनाओं का विरोध करता है । करनाल के कर्ण पार्क में पतरेहड़ी के दलित मुख्यमंत्री का ध्यान अंबाला पुलिस की इसी मनमर्जी की तरफ दिलाने आए थे।
इन धाराओं के तहत हुआ है मुकदमा
इस संबंध में एफआईआर संख्या 298 दिनांक 26/04/2017 धारा 124ए/147/149/186/283/332/341/353 आईपीसी पुलिस थाना सिविल लाईन में दर्ज की गई है।
कौन हैं जिन पर देशद्राह का मुकदमा हुआ है दर्ज
15 दलित छात्र नौजवानों पर यह मुकदमा दर्ज किया गया है वे सभी उस प्रतिनिधी मंडल का हिस्सा थे जो 24 अप्रैल के रोष प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री से मिले थे । यह प्रतिनिधी मंडल मुख्यमंत्री के आश्वासन से सहमत नहीं हुआ और कर्ण पार्क में अपना रोश प्रदर्शन जारी रखने की बात बोलकर वार्ता से उठकर आ गया । 26 अप्रैल को पुलिस ने आंदोलनकारी दलितों को कर्ण पार्क से जबरन खदेड़ दिया । सारा दिन सैंकड़ो दलितों को पुलिस बसों में भरकर घूमाती रही और बाद में अलग अलग स्थानों पर फेंक दिया । पार्क में पानी भर दिया गया । 26 तारीख को गिरफ्तार किए गए इन लोगों में ये सभी 15 लोग भी थे उनको भी बाकि पब्लिक के साथ छोड़ दिया । हालांकि इन सब के खिलाफ 26 अप्रैल को ही देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जा चुका था । यदि उसी समय पुलिस इनको गिरफ्तार कर लेती तो आंदोलन और ज्यादा भड़क उठता, इसलिए पुलिस ने गिरफ्तारी नहीं की ।
दलितों पर बढ़ रहे हैं हमले
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अत्याचारों के रूप में 2016 में दलितों पर हमलों के 47000 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए । इन आंकड़ो के अनुसार रोजाना 2 दलित मारे जाते हैं और पांच दलित औरतों के साथ बलात्कार की घटना होती है । एक अन्य अनुमान के अनुसार प्रत्येक 18वें मिनट में दलित के खिलाफ एक अपराध होता है हर सप्ताह 13 दलितों को मौत की नींद सूला दिया जाता है हर सप्ताह 6 दलितों का आपराधिक अपहरण किया जाता है हररोज दलित उत्पीड़न की 27 घटनाएं दर्ज होती है । उतर प्रदेश के सहारनपुर की घटनाओं में भाजपा की योगी सरकार ने जो रवैया अपनाया हुआ है हरियाणा की खट्टर सरकार भी उसी राह पर है । ऐसे में दलित समाज के सामने संघर्ष की राह पर अग्रसर होने के अलावा कोई चारा नहीं है ।
पहले भी हुए दलितों पर देशद्रोह के मुकदमें दर्ज
भगाना के दलितों पर कांग्रेस की हुड्डा सरकार ने देशद्रोह बनाया था। उससे पहले 2007 में हरियाणा सरकार ने प्राईवेट युनीवर्सिटी बिल का विरोध करने वाले जागरूक छात्र मोर्चा के छात्रों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया था। इनमें भी ज्यादातर छात्र दलित या पिछड़ी जातियों संबंधित थे। हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के ईस्मालईबाद इलाके में भी पुलिस ने आवासीय प्लाटों की मांग करने वाले दलितों पर देशद्रोह का केस दर्ज किया था।