उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में बिड़ला समूह की एल्युमिनियम उत्पादक कंपनी 'हिण्डालको'ठेका मजदूरों का कईवर्षों से शोषण कर रही है,जिसके खिलाफ संगठित हो आवाज उठाने वालों को कम्पनी प्रबंधन दबंगई के बूते
खामोश करानाचाहता है.आन्दोलन, मांगो और हो रहे उत्पीडन पर सोनभद्र से दिनकर कपूर की रिपोर्ट.
बिडला समूह की अल्युमिनियम उत्पादक कंपनी 'हिण्डालको'में ठेकेदारी के तहत काम करने वाले मजदूरों ने जिलाधिकारी के कहने पर ६ अक्टूबर को आन्दोलन स्थगित कर दिया था। जिलाधिकारी ने आन्दोलनरत मजदूरों के प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया था कि दो दिन के अन्दर उपश्रमायुक्त पिपरी के यहाँ वार्ता कर लंबित समस्याओं का समाधान कराया जायेगा और किसी भी मजदूर का उत्पीड़न और छंटनी नहीं की जायेगी। साथ ही मजदूरों पर लादे गये मुकदमों सहित 4अक्टूबर को हुयी घटना की जांच पुलिस से करायी जायेगी। जांच के बाद ही कोई कार्यवाही होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान समय में जारी पंचायत चुनाव को देखते हुए प्रशासनिक व्यवस्था, कानून व्यवस्था के कारण तात्कालिक रूप से हम लोग आन्दोलन को स्थगित करें। चुनाव के बाद इस पूरे औद्योगिक क्षेत्र के संविदा श्रमिकों की समस्याओं के निस्तारण के लिए वह स्वयं विभिन्न औद्योगिक इकाइयों के प्रबन्ध तंत्र और संविदा मजदूरों के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता की पहल करेंगे। जिलाधिकारी के इस आश्वासन के बाद राष्ट्रहित, प्रदेशहित और उद्योगहित को देखते हुए हमने अपने आन्दोलन को स्थगित किया।
मगर बड़े दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि आन्दोलन समाप्ति के बाद प्रबंध तंत्र ने संविदा मजदूरों का जबर्दस्त उत्पीड़न शुरु कर दिया है। लगभग 200से भी ज्यादा मजदूरों को काम से निकाल दिया गया है। संचार क्रांति के इस युग में संविदा मजदूरों के मोबाइल को फैक्टरी के अन्दर ले जाने पर रोक लगा दी गयी है। मजदूरों से हिण्डालको सुरक्षाकर्मियों द्वारा जबरन गेट पास छीना जा रहा है। मजदूर नेताओं और उनके प्रतिनिधियों की घेराबंदी शुरु कर दी गयी है।
चार अक्टूबर की हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना यानी पत्रकारों के साथ कथित दुव्यर्वहार की बात पर मजदूर नेताओं के खेद प्रकट करने के बाद भी हिण्डालको के इशारे पर पत्रकारों की तरफ से प्रशासन और पुलिस ने नेताओं पर मुकदमा कायम कराया। हमने इस स्थिति से बार-बार प्रशासन और प्रबन्ध तंत्र को अवगत कराया,लेकिन मजदूरों के उत्पीड़न को रोकने की दिशा में कोई कार्यवाही नहीं हुई। दरअसल,प्रशासन का यह रुख बेहद गैरजवाबदेह और लापरवाहीपूर्ण है। इससे मजदूरों में गहरा आक्रोश है। रेणुकूट में यह एक बहुत ही बड़े तनाव को जन्म दे रहा है। है। यह बातें रेनूकूट में आयोजित पत्रकार वार्ता में मजदूर नेताओं ने पे्रस से कही।
पत्रकार वार्ता में जन संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधि,श्रम संविदा संघर्ष समिति के अध्यक्ष और नगर पंचायत अध्यक्ष अनिल सिंह, प्रगतिशील मजदूर सभा के अध्यक्ष द्वारिका सिंह, मजदूर मोर्चा के संयोजक राजेश सचान, कांग्रेस पीसीसी सदस्य बिन्दू गिरि और ठेका मजदूर यूनियन के अध्यक्ष सुरेन्द्र पाल ने सम्बोधित किया।
मजदूर नेताओं ने कहा कि हिण्डालकों से लेकर अनपरा, ओबरा, रेनूसागर, लैकों, सीमेन्ट, कोयला और बिजली की औद्योगिक इकाइयों में हजारों की संख्या में काम कर रहे संविदा श्रमिक निर्मम शोषण के शिकार हैं। एक ही कार्यस्थल पर बीस-पचीस वर्षों से कार्यरत होने के बावजूद उन्हे नियमित नहीं किया जा रहा है. उन्हें न्यूनतम मजदूरी तक नहीं दी जाती। कानूनी प्रावधान होने के बाद भी हाजरी कार्ड, वेतन पर्ची, रोजगार कार्ड, बोनस, डबल ओवरटाइम और सार्वजनिक अवकाश नहीं दिया जाता है। यहां तक कि इपीएफ की कटौती के बावजूद उसकी कोई रसीद नहीं दी जाती है।
इतना ही नही यदि कोई मजदूर जायज मांग के लिए आवाज उठाता है तो उसे बिना किसी नियम-कानून की परवाह किए काम से ही निकाल दिया जाता है। जिन मांगों के बारे में हिण्डालको प्रबंधन कहता रहता है कि हम इन्हें दे रहे हैं, उन्हें मांगने पर भी मजदूरों के ऊपर बर्बर लाठीचार्ज किया गया, कई मजदूरों के लाठियों और राड से मारकर हाथ-पैर तोड़े गए। इन समस्याओं और इन्हें उठाने वाले लोकतांत्रिक आंदोलनों के प्रति शासन-प्रशासन एवं प्रबंध तंत्रों का रूख बेहद गैरजबाबदेह और लापरवाह बना रहता है। मजदूरों को हड़ताल जैसी कार्यवाहियों के लिए मजबूर किया जाता है। स्थिति इतनी बुरी है कि हड़तालों के बाद हुए समझौतों का पालन होता। इसीलिए जिला प्रशासन की वादाखिलाफी और गैरजवाबदेही के विरुद्ध अपनी समस्याओं के समाधान के लिए मजदूरों ने कभी भी हड़ताल पर जाने का नोटिस कल जिलाधिकारी और उप श्रमायुक्त को सौंपा है। आन्दोलन को पत्रकार मेहंदी हसन,अजीम खाँ, चन्दन, नसीम, प्रदीप, मारी (सभासदगण), नौशाद, राजेश कुमार राय, राम अभिलाख, सुमन झा, रामजी वर्मा, धर्मेन्द्र, महेन्द्र सिंह आदि ने समर्थन किया है.