Sep 17, 2016

देश का पहला आदमी जो मां के आशीर्वाद से पहले कैमरा खोजता है

सवा सौ करोड़ के भारत में सबके पास मां होगी पर शायद ही कोई आदमी होगा जो मां का आशीर्वाद लेने से पहले दरवाजे पर कैमरा लगवाता होगा। पर हमारे प्रधानमंत्री का जन्मदिन हो या मां से मिलने का कोई और मौका हमेशा वे  कैमरे के सामने ही मां से मिलते हैं और मां का पैर छूते हुए तस्वीर जरूर जारी करते हैं।

मां से मिलने के बाद बाद वह बकायदा खुद ही फोटो प्रसारित करते हैं। मानो की देश के दूसरे लोगों से कुछ अलग अंदाज में वह मां का पैर छूते हों या फिर कोई दूसरा पैर छूता ही न हो और वह इतिहास में पहली बार पैर छू रहे हों।  आज भी प्रधानमंत्री ने अपने जन्मदिन पर वही किया।

मां को कितनी असहजता महसूस होती होगी। मोदी जी की मां की दृष्टि से देखा जाए तो वह हर मां की तरह अपने बेटे से सहज और स्वाभाविक तरीके से मिलना चाहती होंगी। पर यहां तो मां का आशीर्वाद लेने से पहले कैमरा टीम को बकायदा इत्तला किया जाता होगा कि कैसे क्या करना है। संभव है यह भी हिदायत दी जाती हो कि इस तस्वीर को प्रधानमंत्री के अलावा कोई जारी नहीं करेगा।

तभी तो हर मौके पर खुद ही जारी करते हैं। अन्यथा जब वह मां से मिलते होंगे तो परिवार के कई सदस्य मौजूद रहते होंगे और वह भी फोटो अपनी वाल पर लगा या ट्विट कर सकता है। पर ऐसा होता कभी दिखता नहीं। हर बार मोदी जी मां से मिलने की एक्सक्लूसिव तस्वीर खुद के हाथों से ही जारी करते हैं। मानो मां से मिलना भी कोई राजनीतिक काम



आतंक के कुख्यात आरोपी के साथ अपने प्रधानमंत्री

जब तस्वीरों की राजनीति शुरू हो ही गयी है और उसी से तय होने लगा है कि कौन गलत है और कौन सही फिर इस बहस को मुकाम मिलना ही चाहिए। उसी मुकाम की ओर बढ़ते हुए जनज्वार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस तस्वीर को खोज लाया है जो आज के दिन बेहद प्रासंगिक है।

समझौता एक्सप्रेस, हैदाराबाद ब्लॉस्ट, मालेगांव व अजमेर दरगाह बम धमाकों के मुख्य आरोपी असीमानंद को कल एनआइए की विशेष अदालत ने जमानत दे दी है। ऐसे ही कुख्यात आतंकवादी के साथ प्रधानमंत्री मोदी की एक पुरानी तस्वीर है जिससे पता चलता है कि वह राजनीतिक जीवन में एक—दूसरे को जानते रहे होंगे। हालांकि असीमानंद की गिरफ्तारी के बाद आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी मनमोहन वैद्य ने प्रेस विज्ञप्ती जारी कर कहा था कि असीमानंद का उनके संगठन का कोई रिश्ता नहीं है।

पर अंग्रेजी पत्रिका कारवां में लीना रघुनाथ ने असीमानंद का जो साक्षात्कार किया था उसमें असीमानंद ने बताया था कि वह आरएसएस से लंबे समय से जुड़े हुए हैं और धमाकों की अनुमति संघ प्रमुख मोहन भागवत ने ही दी थी।

एनआइए अदालत द्वारा असीमानंद की जमानत मिलने के बाद सोशल मीडिया पर सवाल उठने लगे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि 67 लोगों के हत्या के आरोपी असीमानंद की रिहाई पर मीडिया कोई खबर क्यों नहीं ले रहा, क्या मीडिया के लिए यह खबर महत्वपूर्ण नहीं है।

समझौता बम धमाकों के तत्कालीन मुख्य जांचकर्ता रहे वीएन राय अपने फेसबुुक पर लिखते हैं क्या असीमानंद को जमानत देने वाली अदालत ने इस तथ्य पर गौर किया कि उसकी समझौता ब्लास्ट में वही भूमिका रही थी जो फांसी पर लटकाये गये याकूब मेमन की मुम्बई धमाकों में और अफजल गुरु की संसद हमले में ?

इनपुट — TRUTH OF GUJRAT -  फोटो - लाल घेरे में प्रधानमंत्री मोदी और आतंक का आरोपी असीमानंद