जब तस्वीरों की राजनीति शुरू हो ही गयी है और उसी से तय होने लगा है कि कौन गलत है और कौन सही फिर इस बहस को मुकाम मिलना ही चाहिए। उसी मुकाम की ओर बढ़ते हुए जनज्वार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस तस्वीर को खोज लाया है जो आज के दिन बेहद प्रासंगिक है।
समझौता एक्सप्रेस, हैदाराबाद ब्लॉस्ट, मालेगांव व अजमेर दरगाह बम धमाकों के मुख्य आरोपी असीमानंद को कल एनआइए की विशेष अदालत ने जमानत दे दी है। ऐसे ही कुख्यात आतंकवादी के साथ प्रधानमंत्री मोदी की एक पुरानी तस्वीर है जिससे पता चलता है कि वह राजनीतिक जीवन में एक—दूसरे को जानते रहे होंगे। हालांकि असीमानंद की गिरफ्तारी के बाद आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी मनमोहन वैद्य ने प्रेस विज्ञप्ती जारी कर कहा था कि असीमानंद का उनके संगठन का कोई रिश्ता नहीं है।
पर अंग्रेजी पत्रिका कारवां में लीना रघुनाथ ने असीमानंद का जो साक्षात्कार किया था उसमें असीमानंद ने बताया था कि वह आरएसएस से लंबे समय से जुड़े हुए हैं और धमाकों की अनुमति संघ प्रमुख मोहन भागवत ने ही दी थी।
एनआइए अदालत द्वारा असीमानंद की जमानत मिलने के बाद सोशल मीडिया पर सवाल उठने लगे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि 67 लोगों के हत्या के आरोपी असीमानंद की रिहाई पर मीडिया कोई खबर क्यों नहीं ले रहा, क्या मीडिया के लिए यह खबर महत्वपूर्ण नहीं है।
समझौता बम धमाकों के तत्कालीन मुख्य जांचकर्ता रहे वीएन राय अपने फेसबुुक पर लिखते हैं क्या असीमानंद को जमानत देने वाली अदालत ने इस तथ्य पर गौर किया कि उसकी समझौता ब्लास्ट में वही भूमिका रही थी जो फांसी पर लटकाये गये याकूब मेमन की मुम्बई धमाकों में और अफजल गुरु की संसद हमले में ?
इनपुट — TRUTH OF GUJRAT - फोटो - लाल घेरे में प्रधानमंत्री मोदी और आतंक का आरोपी असीमानंद
समझौता एक्सप्रेस, हैदाराबाद ब्लॉस्ट, मालेगांव व अजमेर दरगाह बम धमाकों के मुख्य आरोपी असीमानंद को कल एनआइए की विशेष अदालत ने जमानत दे दी है। ऐसे ही कुख्यात आतंकवादी के साथ प्रधानमंत्री मोदी की एक पुरानी तस्वीर है जिससे पता चलता है कि वह राजनीतिक जीवन में एक—दूसरे को जानते रहे होंगे। हालांकि असीमानंद की गिरफ्तारी के बाद आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी मनमोहन वैद्य ने प्रेस विज्ञप्ती जारी कर कहा था कि असीमानंद का उनके संगठन का कोई रिश्ता नहीं है।
पर अंग्रेजी पत्रिका कारवां में लीना रघुनाथ ने असीमानंद का जो साक्षात्कार किया था उसमें असीमानंद ने बताया था कि वह आरएसएस से लंबे समय से जुड़े हुए हैं और धमाकों की अनुमति संघ प्रमुख मोहन भागवत ने ही दी थी।
एनआइए अदालत द्वारा असीमानंद की जमानत मिलने के बाद सोशल मीडिया पर सवाल उठने लगे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि 67 लोगों के हत्या के आरोपी असीमानंद की रिहाई पर मीडिया कोई खबर क्यों नहीं ले रहा, क्या मीडिया के लिए यह खबर महत्वपूर्ण नहीं है।
समझौता बम धमाकों के तत्कालीन मुख्य जांचकर्ता रहे वीएन राय अपने फेसबुुक पर लिखते हैं क्या असीमानंद को जमानत देने वाली अदालत ने इस तथ्य पर गौर किया कि उसकी समझौता ब्लास्ट में वही भूमिका रही थी जो फांसी पर लटकाये गये याकूब मेमन की मुम्बई धमाकों में और अफजल गुरु की संसद हमले में ?
इनपुट — TRUTH OF GUJRAT - फोटो - लाल घेरे में प्रधानमंत्री मोदी और आतंक का आरोपी असीमानंद
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