प्रधानमंत्री आवास के सामने नंगा प्रदर्शन कर चुके तमिलनाडू के सूखाग्रस्त किसानों का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण लडेंगे। दिल्ली के जंतर—मंतर पर 38 दिनों से धरना दे रहे किसानों से मुलाकात के बाद उन्होंने यह फैसला किया।
स्वराज अभियान के अध्यक्ष प्रशांत भूषण पहले से देश के सूखाग्रस्त किसानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किए हुए हैं। उनकी याचिका पर सर्वोच्च अदालत में लगातार सुनवाई चल रही है। अदालत कई दफा राज्यों को नोटिस कर चुकी है। किसानों को लेकर अदालत का रूख सकारात्मक है।
प्रशांत भूषण किसानों को यह मुकदमा बिना फीस लिए लड़ेंगे जैसा कि वह जनहित के कई मसलों पर करते आए हैं।
तमिलनाडू के किसान सदी के सबसे भयंकर सूखे के दौर से गुजर रहे हैं। सूखे की मार और कर्ज़ के बोझ के तले दबे करीब 100 किसान जंतर—मंतर पर 38 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे मरे हुए किसानों और उनके परिजनों की खोपड़ियां लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
पर किसानों की मांग पर मोदी सरकार कोई कान नहीं दे रही है। किसानों के मसले पर बहरापन का नाटक कर रही सरकार को सुनाने के लिए इन किसानों जमीन पर खाना खाया और प्रधानमंत्री आवास के सामने नंगा होकर भी प्रदर्शन किया पर उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है।
किसानों के मुताबिक उनपर 50 हज़ार से पांच लाख तक का कर्ज़ है. उनका कहना है, 'दिखावे के लिए सरकार ने छोटे किसानों की मदद की लेकिन ज़्यादातर किसानों को कोई मदद नहीं मिली. हमारी मांग है कर्ज़ माफ़ हों और नए कर्ज़ दिए जाएं कि वो किसानी कर सकें।'
प्रशांत भूषण के अनुसार, 'सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद सरकार की इतनी हिम्मत नहीं कि वह करोड़पति कर्जदारों का नाम सार्वजनिक कर सके पर किसान नंगा होकर सरकार के दरवाजे पर प्रदर्शन करते हैं, प्रधानमंत्री उनका कोई जिक्र तक नहीं करते हैं।'
वह आगे कहते हैं, 'मैं तमिलनाडू के किसानों के मसले पर 20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुका हूं। जहां देश में सभी सरकारें किसानों से आंख चुरा रहीं हैं, वहीं स्वराज इंडिया किसानों की हर लड़ाई में साथ है।'