Apr 3, 2017

पहले अपनी सरकार को रोमियो मुक्त करो योगी जी

आरएसएस के मंच से जैन स्वामी तरुण सागर ने जब यह कृष्ण का यह चरित्र चित्रण किया था तब संघ वाले कहां थे
अखिलेन्द्र प्रताप सिंह
स्वराज अभियान, सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी 

छेड़खानी से लेकर औरतों पर गंभीर अपराध के कई मुकदमें योगी के मंत्रियों और विधायकों पर दर्ज हैं, क्या एक्शन में रहने वाले योगी उनके खिलाफ भी कोई कार्यवाही करेंगे...

रोमियों स्क्वायड पर दिए गए प्रशांत भूषण के बयान पर तूफान खड़ा करना और उनके खिलाफ ढ़ेर सारे एफआईआर दर्ज कराना चितांजनक है। प्रशांत भूषण सरकार और कारपोरेट के भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर रहे है और उन्होंने राफेल हेलीकाफ्टर सौदा, सहारा-बिरला डायरी, अरूणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कालिखों पुल की आत्महत्या की जांच की बात बराबर उठाते रहे हैं।

ऐसे में उनके खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की राजनीति को समझना बेहद जरूरी है।

एंटी रोमियों स्क्वांड कार्यवाही उप्र में और सूबे के बाहर भी चर्चा में है। भाजपा के लोग बढ़-चढ़ कर बोल रहे हैं कि प्रदेश की कानून व्यवस्था पटरी पर आ गयी है। महिलाएं सुरक्षित महसूस कर रही हैं, चौतरफा अमन-चैन है। योगी की सरकार बने पन्द्रह दिन हो रहे हैं और इन पंद्रह दिनों में कुछ ताजातरीन घटनाएं भी अखबारों के माध्यम से लोगों के सामने आयी है।

2 अप्रैल के अमर उजाला और जनसत्ता में छपी खबर के अनुसार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायक ने अपनी भांजी के साथ दुष्कर्म की कोशिश की। प्रदेश में एक पुलिस इंस्पेक्टर ने लड़की के साथ अश्लील हरकतें की। 24 मार्च के अखबारों में छपी खबर के अनुसार इलाहाबाद से लखनऊ आने वाली भीड़-भाड़ भरी गंगा गोमती एक्सप्रेस में 23 मार्च को सुबह गैंगरेप व एसिड अटैक पीड़िता को जबरन तेजाब पिलाने की घटना हुई और देर रात तक पीड़िता पर हमला करने वालों पर मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। अमर उजाला में छपी खबर के अनुसार 26 मार्च को आजमगढ़ में बीए की छात्रा का सिगरेट से चेहरा जला दिया गया।

तब जरूर सोचना होगा कि एंटी रोमियों स्क्वांड का गठन महिलाओं में कितनी सुरक्षा का भाव पैदा कर पा रहा है। दरअसल आम आदमी और महिलाओं की सुरक्षा का सवाल महज पुलिस की कार्यवाही चाहे वह एंटी रोमियों स्क्वायड के नाम से ही क्यों न हो, हल नहीं किया जा सकता। सुरक्षा के सवाल का हल और गहराई से जांच पड़ताल की मांग करता है।

उत्तर प्रदेश में जो लोग शासन कर रहे है उनके सामाजिक और राजनीतिक जीवन को भी समझने की जरूरत है। चुनावों में दिए शपथ पत्र के आधार पर तैयार एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म की रिपोर्ट कहती है कि भाजपा के जीते 312 विधायकों में 114 का आपराधिक इतिहास है जिसमें से 83 विधायक गम्भीर अपराधों में लिप्त हैं, जिसमें महिलाओं पर अत्याचार व छेड़खानी के भी मुकदमें है।

योगी सरकार के 20 मंत्रियों पर आपराधिक मुकदमें दर्ज है जिसमें मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री भी आते है। यदि इन्हें राजनीतिक विद्वेषवश लगाए मुकदमें कहकर भाजपा पिण्ड़ छुड़ाना चाहे तो गायत्री प्रजापति से उसका मामला भिन्न कैसे हो जाता है। सामंती, लम्पट, माफिया तत्व जिन्होंने चुनाव जीतने की कूबत हासिल कर ली है। उन्हें चुनाव जीतने की काबिलियत के आधार पर भाजपा ने टिकट अन्य दलों की तरह दिया है तो वह सूबे को अपराधमुक्त कैसे कर सकती है।

ऐसे लोंगो का चरित्र ही अय्याशी, गुडंई और अन्य लोंगो पर दमन का होता है। इन लोगों के बल पर कानून का राज कायम करना महज एक छलावा है। समाज और राजनीति का जनतंत्रीकरण ही समाज में अमन चैन और कानून के राज की स्थापना कर सकता है।

जाहिर है प्रशांत भूषण से खौफ खाने वाले कृष्ण प्रकरण के बहाने उन्हें बदनाम कर रहे हैं। उन्हें खुशफहमी है कि प्रशांत भूषण को पसंद करने वाले और उनके साहस व सच के साथ खड़े होने वाले इस षडयंत्र से भ्रम में पड़ जाएंगे। पर ध्यान रखना चाहिए कि कई सरकारें इस मुगालते में निपट गयीं।

टाटा मोटर्स ने 6000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला


जनज्वार। देश का पर्यावरण दुरुस्त हो और लोगों को साफ हवा मिले इसकी भरपाई उन हजारों मजदूरों अपना पेट काटकर करनी पड़ रही है जिनकी कंपनियां सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बंद हो गयी हैं।

भारत स्टेज (बीएस 3)  मानकों वाले दो और चार पहिया वाहनों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बंद किए जाने के दिए गए आदेश के बाद टाटा मोटर्स की सिर्फ जमशेदपुर युनिट ने करीब अस्थायी 6 हजार मजदूरों को नौकरी से निकाल दिया है। कंपनी का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद से वाहन उत्पादन का काम बंद हो चुका है। हर साल यहां 80 हजार गाड़ियां तैयार होती हैं।

29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा कि 1 अप्रैल से बीएस 3 वाहनों का उत्पादन और बिक्री बंद हो कर दी जाये। पर्यावरणविदों और प्रदुषण नियंत्रक संस्थाओं ने कोर्ट को बताया था कि प्रदुषण का एक बड़ा कारन बीएस ३ वाहनों से निकलने वाला वायु प्रदुषण है. कोर्ट ने आदेश देते हुए टिप्पणी की थी कि कंपनियों के आर्थिक फायदे से ज्यादा जरूरी है लोगों का स्वास्थ्य। गौरतलब है कि बीएस 3 मानकों वाली बाइक और चार पहिया वाहनों में अधिक प्रदुषण निकलता है।

कोर्ट के इस फैसले के बाद बीए 3 मानकों वाली बाइक और चार पहिया बनाने वाली कंपनियों में अफरा—तफरी मच गयी। शो रूम मालिकों के यहां सस्ती गाड़ियां खरीदने वालों की भरमार हो गयी क्योंकि  31 मार्च के बाद बीएस 3 मानकों वाले गाड़ियों को बेचना संभव नहीं था।

इस अफरा—तफरी में शो रूम मालिकों ने रातों—रात करोड़ों का धंधा कर लिया जो वे एक साल में भी नहीं कर पाते। पर इस फैसले की सबसे बड़ी मार मजदूरों पर पड़ी जिसकी कहीं कोई चर्चा नहीं है।

अकेले टाटा मोटर्स की जमशेदपुर युनिट ने अपने यहां काम करने वाले 6 हजार कैजुअल और ठेका मजदूरों को एक झटके में निकाल दिया।

इसके अलावा टाटा का यह निर्णय आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एआईएडीए) में करीब 800 सहायक इकाइयों के भाग्य पर बहुत खराब असल डालेगा और वहां भी छंटनी होगी। ये इकाइयां बड़े पैमाने पर टाटा मोटर्स पर निर्भर हैं।

इतनी बड़ी छंटनी के खिलाफ मजदूर एकजुट न हो जाएं इसको ध्यान में रखते हुए टाटा माटर्स ने परमानेंट कर्मचारियों को 30 मार्च से 3 अप्रैल तक 4 दिन की छुट्टी पर भेज दिया। प्रबंधन ने नोटिस जारी कर कहा कि स्थायी कर्मचारी 4 अप्रैल को ड्यूटी पर आएं।