Jun 19, 2011

मानवाधिकार उल्लंघन में सर्वोपरि होता पाकिस्तान

आतंकवादियों, कट्टरपंथी ताकतों, बाहुबलियों,पंचायतों द्वारा पाकिस्तान में सरेआम मानवाधिकारों का उल्लंघन किया ही जा रहा है,अब सुरक्षाकर्मियों,सैनिकों,आईएसआई व रेंजर्स द्वारा भी उसी मानवता विरोधी नक्शेकदम पर चलने का प्रयास, आखिरकार पाकिस्तान को किस मोड़ पर ले जाएगा...

तनवीर जाफरी

स्वतंत्र इस्लामी राज्य के गठन की अवधारणा को लेकर 14 अगस्त 1947 को संयुक्त भारत से विभाजित होकर अस्तित्व में आया पाकिस्तान आज मूल इस्लामी सिद्धांतों व शिक्षाओं की भी धज्जियां उड़ाता दिखाई दे रहा है। कुरान शरीफ द्वारा निर्देशित इस्लामी शिक्षा साफतौर पर मुसलमानों को यह हिदायत देती है कि ‘किसी बेगुनाह के साथ कोई ज़्यादती हरगिज़ मत करो। और यदि तुमने किसी एक बेगुनाह का कत्ल किया तो गोया तुमने पूरी इंसानियत का कत्ल कर डाला’। परंतु मानवाधिकारों की रक्षा की बात ही क्या करनी पाकिस्तान तो आज उस इस्लाम के सिद्धांतों से भी दूर होता जा रहा है जिसके नाम पर इस भू-भाग को भारतवर्ष से अलग कराया गया था।

पाकिस्तान में इन दिनों रोज़मर्रा के हालात तो यही बता रहे हैं कि वहां तकरीबन रोज़ाना एक-दो नहीं बल्कि कई-कई बेगुनाह मारे जा रहे हैं। कभी कट्टरपंथी तालिबानी आतंकवादियों के हाथों, कभी किसी आत्मघाती हमले के द्वारा, कभी सेना के जवानों की गोलियों से तो कभी पुलिस या पाक रेंजर्स के हाथों। और कई रहस्यमयी हत्याओं की खबरें तो ऐसी भी सामने आ रही हैं जिनमें सीधेतौर पर आईएसआई तथा सेना की भी साजि़श होने का इल्ज़ाम है।

अभी पाकिस्तान के एक 40 वर्षीय पत्रकार को अपनी पत्रकारिता के दायित्वों का पालन करते हुए अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। इसी वर्ष  31 मई को सैय्यद सलीम शहज़ाद नामक यह पत्रकार सिर्फ इसलिए कत्ल कर दिया गया था क्योंकि उसने पाकिस्तान की नवसेना तथा अलकायदा के मध्य सांठगांठ होने के नापाक नेटवर्क का पर्दाफाश किया था। गौरतलब है कि सलीम शहज़ाद की हत्या के पीछे आईएसआई की साजि़श बताई जा रही है।



अभी इस घटना को बीते मात्र एक सप्ताह ही बीता था कि  9 जून को पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन की एक और सनसनीखेज़ घटना सामने आई। सरफराज़ नामक एक 19वर्षीय युवक जो कि कराची के बोट बेसिन क्षेत्र में स्थित बेनज़ीर भुट्टो पार्क में सैर कर रहा था उसे पाक रेंजर्स ने दबोच लिया। उसके पश्चात उसे पार्क से बाहर लाकर चारों ओर से 6-7 सशस्त्र रेंजर्स ने घेर लिया और सभी रेंजर्स ने उस निहत्थे युवक सरफराज़ पर बंदूक व पिस्टल तान ली। दहशत का मारा वह युवक अपनी जान की भीख मांगता हुआ उन रेंजर्स के समक्ष हाथ जोडक़र गिड़गिड़ाता रहा। परंतु उसके जवाब में ज़ालिम रेंजर्स ‘गोली मार दो’ व ‘इसे मार डालो’ जैसी दहशतनाक आवाज़ें बुलंद करते रहे। इतना ही नहीं एक रेंजर ने तो युवक के बाल पकडक़र कैमरे के समक्ष उसका मुंह भी साफतौर पर दिखाने की कोशिश की। और उसके बाद  पाक रेंजर्स ने भरी दोपहर में सार्वजनिक स्थल पर ही बिल्कुल करीब से गोली मार कर निहत्थे सरफराज़ को कत्ल कर दिया।

इस पूरे घटनाक्रम की वीडियो भी एक पत्रकार द्वारा बनाई गई। घटना के तुरंत बाद यह दहशतनाक वीडियो पाकिस्तान सहित पूरी दुनिया के कई टीवी चैनल्स द्वारा प्रसारित कर दी गई। पूरी दुनिया ने मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ाने वाली पाकिस्तान रेंजर्स की इस वहशियाना कार्रवाई को बड़ी हैरत से देखा। पाक रेंजर्स को इस मामले पर अपनी फज़ीहत होते देख अच्छा नहीं लगा। इनके गुर्गों द्वारा अब उस पत्रकार को भी धमकी दी गई है जिसने दिन-दहाड़े रेंजर्स द्वारा सरफराज़ के कत्ल की वीडियोग्राफी की थी। यानी  अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने का फिर  घिनौना प्रयास।

हालाँकि पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी ने इस घटना पर स्वयं संज्ञान लेते हुए पाकिस्तान रेंजर्स के निदेशक मेजर जनरल एजाज़ चौधरी तथा पुलिस महानिरीक्षक फय्याज़ लघारी को न सिर्फ बर्खास्त कर दिया है बल्कि महालेखाकार कार्यालय को यह निर्देश भी दिया कि इन अधिकारियों को उस समय तक कोई वेतन न दिया जाए जब तक अदालत अपना अगला आदेश जारी न करे। दोषी  रेंजर्स को घटना के अगले ही दिन गिरफ्तार कर पुलिस के हवाले कर दिया गया था। इस कत्ल को लेकर पाक रेंजर्स द्वारा अपने बचाव में यह कहा जा रहा है कि सरफराज़ डकैती जैसे जुर्म में शामिल था। जबकि उसके परिजनों का कहना है कि उनका लडक़ा बेगुनाह था तथा पार्क में सैर करने की गरज़ से गया हुआ था। उच्चतम न्यायालय ने इस बात की जांच के आदेश दिए हैं कि युवक सरफराज़ का कोई आपराधिक रिकॉर्ड था भी या नहीं।

इस घटना पर पाकिस्तान के कई जि़म्मेदार नेताओं द्वारा गहरी चिंता व दु:ख व्यक्त किया गया है। पाकिस्तान में तमाम जि़म्मेदार लोग यह महसूस कर रहे हैं कि चूंकि पाक रेंजर्स पाकिस्तान के आंतरिक सुरक्षा केंद्र का एक अंग है तथा सीधे तौर पर यह गृह मंत्रालय के अधीन आते हैं,इसलिए इतनी जि़म्मेदार सुरक्षा एजेंसी द्वारा दिन-दहाड़े एक निहत्थे युवक के साथ कातिलों के रूप में पेश आना पाकिस्तान की शासन व्यवस्था तथा सुरक्षातंत्र की कार्यप्रणाली पर सीधे तौर पर प्रश्रचिन्ह लगाते हैं। हालांकि पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक ने इस घटना के फौरन बाद ही घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए थे। परंतु प्रधानमंत्री युसुफ रज़ा गिलानी को पाकिस्तान व दुनिया के अन्य हिस्सों में  इस घटना को लेकर पाक रेंजर्स की हो रही निंदा व आलोचना अच्छी नहीं लगी। गिलानी ने साफतौर पर सदन में पाक रेंजर्स का यह कहकर बचाव किया कि ‘किसी एक घटना से समूचे संस्थान को बदनाम नहीं किया जा सकता’।

मानवाधिकार उल्लंघन की इस प्रकार की कोई सिर्फ एक या दो घटनाएं ही नहीं बल्कि  इसी वर्ष मई माह में पांच चेचेन नागरिकों को  सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान के क्वेटा के खरोताबाद क्षेत्र में दिन-दहाड़े मार डाला गया। इनमें तीन पुरुष व दो महिलाएं शामिल थीं। मारी गई एक महिला सात माह की गर्भवती भी थी जिसके शरीर में सुरक्षाबलों ने 12 गोलियां उतार दीं। इन निहत्थे चेचेन नागरिकों की हत्या के बाद जब सुरक्षा बलों के विरुद्ध हंगामा हुआ उस समय अपने पक्ष में सुरक्षा बलों द्वारा फिर यही तर्क दिया गया कि इनमें से तीन युवक संदिग्ध आत्मघाती हमलावर थे। 18 से लेकर 25 वर्ष आयु वर्ग के यह सभी नवयुवक संदिग्ध आतंकी होने के कथित संदेह पर सरेआम मार दिए गए।

हालांकि उनके कब्ज़े से किसी प्रकार के कोई हथियार भी बरामद नहीं हुए। जबकि सुरक्षा कर्मियों पर आरोप यह लगाया गया कि पाक सुरक्षा कर्मी एक चेचेन महिला के साथ ज़ोर-ज़बरदस्ती कर उसे अपनी हवस का शिकार बनाना चाह रहे थे।  ऐसे में सवाल यह उठता है की   आत्मघाती हमलावरों,आतंकवादियों, कट्टरपंथी ताकतों, बाहुबलियों,पंचायतों द्वारा पाकिस्तान में सरेआम मानवाधिकारों का  उल्लंघन किया ही जा रहा है,अब सुरक्षाकर्मियों,सैनिकों,आईएसआई व रेंजर्स द्वारा भी उसी मानवता विरोधी नक्शेकदम पर चलने का प्रयास, आखिरकार पाकिस्तान को किस मोड़ पर ले जाएगा ।



लेखक हरियाणा साहित्य अकादमी के भूतपूर्व सदस्य और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मसलों के प्रखर टिप्पणीकार हैं.




गरीबों का आवास व्यापारियों - पत्रकारों के नाम



जनज्वार टीम. उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में कांशीराम शहरी गरीब आवासीय योजना के तहत निम्नीपार और हरदौली घाट मोहल्ला स्थित कुल 1500 आवास निरीह , असहाय और निराश्रित बी0पी0एल0 कार्ड धारको के लिये बनाये गये थे। कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग, जिला विकास अभिकरण ने बिल्डिंग निर्माण का काम झांसी की फर्म मेसर्स ओम शांति बिल्डर्स को दिया था तथा जिला विकास अभिकरण के सहायक अभियंता हरगोविन्द और अवर अभियंता अखिलेश कुमार ने पूरे निर्माण कार्य का मेजरमेंट विगत 14 मई 2009 को किया था।
बान्दा में बन रहा गरीबों का आवास : कब्ज़ा अमीरों का

गौरतलब है कि 23 फरवरी 2011 को मुख्यमंत्री उ0प्र0 मायावती जी द्वारा कांशीराम आवास योजना का लावलश्कर के साथ शिलान्यास यह कहते हुये किया गया कि बुंदेलखंड में अब कोई गरीब सड़को पर नही सोयेगा। बीते 26 मई को मुख्य सचिव अनूप मिश्रा ने भी कांशीराम आवास योजना का मौके पर जाकर मुआयना किया और नजर आयी खामियों को संम्बंधितअधिकारियों से दूर करने को कहा गया।

डूडा विभाग के एपीओ पवन शर्मा और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शारदा यादव ने अपने परिवारिक रिश्तेदारो के साथ साथ जनपद के दबंग, सरकारी कर्मचारी , व्यापारी और कुछ तथाकथित पत्रकारों के साथ लाईसेस बंदूकधारी व्यक्तियों केा भी बी0पी0एल लोगो के आवास आवंटित कर दिये। साथ ही जिन लोगो को बी.पी.एल कार्ड मे आवास दिये गये उनसे 30000 से 40000 तक की अवैध धन उगाही की गयी। इसके साथ ही इन आवासों  में चालीस प्रतिशत एक जाति विशेष को भी आवास आंवटित किये गये।

सामाजिक कार्यकर्ता एवं सूचनाधिकार एक्टिविस्ट आशीष सागर ने कई मर्तबा सम्बंधित अधिकारियों  से इस बात की लिखित और मौखिक शिकायते की लेकिन वह सब नक्कारखाने में तूती ही बनकर रह गयी। इधर बीते 16.06.2011 को हरदौली घाट के आवासों में एक मंजिला इमारत के बिना आंधी पानी  गिर जाने से कालीचरण 35 निवासी कोहारा बिसंडा और कंधी निवासी अमलाहट , अजयगढ़ अपने बच्चों समेत गंभीर रूप से घायल हो गये है साथ ही बीते दो दिनो से जनपद मे आवंटनो मे की गयी धांधली को लेकर कुछ  गरीबो  द्वारा आमरण अनशन शुरू कर दिया गया है।

अनशन में बैठे लच्छू रैदास, सावित्री, सुनीता रैकवार , रामप्यारी, रामरती, सरोज तिवारी, सुमन वर्मा , लखन रैकवार और तुलसी ने इस भ्रष्टाचार के खुलासे की मांग की है। वहीं भारतीय यग मैन के संपादक बाल कृष्ण पांडेय , चित्रकूट टाइम्स के संपादक राजेश पांडेय सहित दैनिक जागरण के पूर्व ब्यूरो चीफ और वरिष्ठ पत्रकार बिनोद मिश्रा तक के नाम 2 से 3 कालौनियां आवंटित की गयी है।

  • बीपीएल आवास  200 से 300 बीघा के कास्तकारों को बांटे गये गरीबों के आशियाने
  • बीस करोड़ की लागत वाले 1500 आवासों में 940 की खुलने लगी पोल
  • जिला शहरी विकास अधिकरण (डूडा) ने नही दी आरटीआई की सूचना

डूडा विभाग के शारदा यादव की पत्नी के नाम भी तीन कालौनियां आंवटित है यह तो भ्रष्टाचार में की गयी धांधली की एक नजीर बस है। जब कि एपीओ डूडा ने तीस दिवस बीत जाने के बाद भी जन सूचना अधिकार मे मांगी गयी जानकारी उपलब्ध नही करायी है जिसकी प्रथम अपील जिलाधिकारी बांदा को आशीष सागर ने की है। वैसे तो इस मुदद्े को लेकर तमाम राजनीतिक दलो में हलचल शुरू हो गयी है और हो भी क्यों नही आखिर प्रकरण बी0पी0एल0 वोट बैंक का है और बुन्देलखण्ड में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी का मिशन भी विधान सभा चुनाव 2012 को फतह करना है। भ्रष्टाचार के पाटे में तो पूरा देश ही जल रहा है लेकिन बुन्देलखण्ड की कमोवेश स्थिति और भी ज्यादा भी गम्भीर हो रही है। मसलन गरीब लोगो के आवास भी अब अमीरजादो की ऐशगाह बन गये है।



शिक्षा के व्यावसायीकरण पर गोष्ठी

लखनऊ . ‘शिक्षा के व्यावसायीकरण  के प्रभाव’ विषय पर बीते 14 जुलाई को लखनऊ के बली प्रेक्षागृह में रीगल मावन सृजन संस्थान की ओर से सेमिनार का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता शिक्षाविद अरुणेश मिश्र ने की तथा संचालन किया संस्थान की महासचिव मंजू शुक्ला ने।

इस मौके पर बोलते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के प्रोफेसर रमेश दीक्षित ने कहा कि शिक्षा का जिस तरह से बाजारीकरण हुआ है, उससे न सिर्फ शिक्षा की गुणवता प्रभावित हुई है बल्कि शिक्षित बेरोजगारों की बड़ी फौज खड़ी हो गई है। शिक्षा की सर्वग्राहिता ही समाप्त होती जा रही है। मौजूदा समय में शिक्षा एक खास वर्ग की जागीर बनती जा रही है। निजी स्कूलों की बाढ़ आ गई है, जहाँ न तो फीस का मानक तय है और न ही शिक्षण कार्य का। अच्छे स्कूल का मानक लम्बी फीस है। इसकी वजह से समाज का बड़ा हिस्सा शिक्षा से दूर होता जा रहा है। शिक्षा माफिया पैदा हो गये हैं जिनका मकसद मात्र धन उपार्जन है।

वरिष्ठ पत्रकार प्रभात रंजन दीन ने कहा कि आजादी के बाद से शिक्षा पर किसी ने घ्यान नहीं दिया। देश का निर्माण तभी संभव है जब सर्वग्राही स्कूलिंग की व्यवस्था की जाती और कारगर योजना बनाई जाती। 1952 में डॉ0 राममनोहर लोहिया ने इस ओर इशारा किया था और कहा था कि जो आजादी हमें मिली है, वह विखण्डित है। अब तो हर चीज के लिए हम अमरीका के मुखापेक्षी हो चुके हैं। मैकडोनल्ड की संस्कृति चारो तरफ फैल रही है, शिक्षा के क्षेत्र में भी इसने हाथ-पैर फैला दिये हैं।

कवि और जन संस्कृति मंच, लखनऊ के संयोजक कौशल किशोर ने कहा कि लोकतांत्रिक समाज में नागरिको को शिक्षा और चिकित्सा प्रदान करना राज्य की जिम्मेदारी है। आजादी के बाद हमारे यहाँ कल्याणकारी राज्य की घोषणा हुई और इस दिशा में कुछ कदम जरूर उठाये गये जो जरूरत को देखते हुए अपर्याप्त थे। पर आज तो वैश्वीकरण के इस दौर में उससे भी सरकार ने अपना हाथ खींच लिया है।

शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे मानव संस्कृति के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को अमीरों व धन्नासेठों के हवाले कर दिया गया है। तथ्य तो यह है कि हमारी सरकार का रक्षा बजट दिन.दिन बढ़ता जा रहा है, वहीं शिक्षा व स्वास्थ्य पर बजट घटता जा रहा है। इन क्षेत्रों का सेवा, ज्ञान व संस्कृति के संवर्द्धन की जगह व्यवसाय में बदल जाना सरकार की उन अमीर परस्त. साम्राज्यपरस्त नीतियों की देन है। इसीलिए शिक्षा के व्यवसायीकरण के विरोध का मतलब इन नीतियों के विरुद्ध संघर्ष है। इस संदर्भ में रीगल मानव सृजन संस्थान का संघर्ष महत्वपूर्ण है। ऐसे संघर्ष को आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

सेमिनार को एसके पाण्डेय, विश्वकांत मिश्रा, एससी यादव आदि शिक्षाविदों ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर रीगल मानव सृजन संस्थान के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया। यह संस्थान का चौथा वार्षिकोत्सव भी था। बच्चों ने ‘हम होंगे कामयाब’ पेश कर यह संदेश दिया कि संघर्ष और आशाएँ कभी खत्म नहीं होती हैं। मानव के अन्दर सृजन की अकूत संभावनाएँ हैं जिन्हें समझने और आगे बढ़ाने की जरूरत है। इस संदर्भ में संस्थान का चार साल का यह सफर मील के पत्थर की तरह है। विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजयी बच्चों को पुरस्कृत भी किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन सुधा राजपूत ने किया और अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन संस्थान की महासचिव मंजू शुक्ला ने दिया।