यह सफाई गोरखपुर के उन संगठनों-बुद्धिजीवियों को भेजी गयी है जो दिशा की गुंडई के खिलाफ गोरखपुर में लामबंद हुए हैं...
तपीश, दिशा छात्र संगठन
पांच जनवरी की दुखद एवं क्षोभपूर्ण घटना के संबंध में आप द्वारा हस्ताक्षरित पत्र 7जनवरी को दोपहर बाद साथी विकास के हाथों प्राप्त हुआ। सबसे पहले हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि दिशा छात्र संगठन किसी भी रूप में साथी चक्रपाणि के साथ घटी घटना को समर्थन नहीं करता है।
पांच जनवरी को दिशा के चार कार्यकर्ता साथी चक्रपाणि से अपनी आपत्ति दर्ज कराने गये थे। बातचीत के दौरान चक्रपाणि का रवैया उकसावे भरा था जिससे तल्खी पैदा हुई और दिशा के एक नये कार्यकर्ता से उनकी झड़प हो गयी। हमें इस घटना का बेहद अफसोस है। हम समझते हैं कि गोरखपुर के बौद्धिक, सामाजिक, राजनीतिक हल्कों से संबंधित व्यक्तियों तथा संगठनों को घटना का केवल एक पक्ष ही बताया गया है। अतः हम आपकी सेवा में कुछ तथ्य प्रस्तुत करना चाहते हैं।
भेजी सफाई की फोटो प्रति |
1. चक्रपाणि ने जिस कार्यवाही की शुरूआत दिशा के पर्चे पर मुहर लगा पछास का बताकर वितरित करने से किया वह आगे बढ़ते हुए दिशा की दीवार पत्रिकाकाओं के उपर पछास के पोस्टर चिपका देने से होते हुए दिशा द्वारा किये गये दीवार लेखन के इर्द-गिर्द पछास का नाम लिखने और फिर दिशा का नाम मिटाकर अपने संगठन का नाम लिखने तक जाती है।
2. कम ही लोग जानते हैं कि साथी चक्रपाणि पर्चे पर मुहर लगाने की अपनी गलती को पूर्व में स्वीकार कर चुके हैं।
3. दीवार लेखन को लीपने-पोतने संबंधी जानकारी उनके एक करीबी मित्र और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता श्री स्वदेश कुमार को भी थी, हालांकि हमलोग पछास को आधिकारिक तौर पर भी इन घटनाओं की शिकायत करने की तैयारी भी कर रहे थे लेकिन इससे पहले कि यह हो पाता 5जनवरी को दुर्भाग्यपूर्ण घटना घट गयी।
हमें इतना ही कहना है कि इस पूरे घटनाक्रम में दिशा का पक्ष सुने बिना कुछ ऐसे फैसले लिये गये जो हम सभी के व्यापक लक्ष्य को नुकसान पहुंचाने वाले हैं। बुर्जुआ न्यायालय तक दूसरा पक्ष सुने बिना फैसला नहीं लेते लेकिन गोरखपुर के वाम दायरे में 5जनवरी की घटना पर जिस तरह इकतरफा सुनवाई हुई वह क्षोभ पैदा करने वाली है। उक्त तथ्यों को फोटो सहित आपके समक्ष प्रस्तुत करने का यह अर्थ कदापि नहीं है कि दिशा छात्र संगठन कार्यवाही का समर्थन करती है। आगे का फैसला हम आपके विवेक पर छोड़ते हैं।
नोट- इसके साथ चार तस्वीरें भेजी गयीं थीं जिसमें यह दिखाने की कोशिश है कि पछास कार्यकर्त्ता दिशा के प्रचार-प्रसार के साथ अतिक्रमण करते थे.