जनज्वार टीम. मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकता केजी कन्नाबिरन की कल शाम साढे़ छह बजे हैदराबाद स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। पेशे से वकील रहे 81 वर्षीय कन्नाबिरन के परिवार में उनकी पत्नी बसंता, दो बेटियां कल्पना, चित्रा और बेटा अरविंद हैं।
मानवाधिकार के राष्ट्रीय दूत कहे जाने वाले कन्नाबिरन पिछले पांच दशकों से नागरिक अधिकारों के लिए संघर्षरत थे। हमारे बीच से कन्नाविरन का चले जाना एक ऐसे दीपक का बुझना है जो हमेशा लोगों के हक के लिए जलता रहा। हमने एक महान युगद्रष्टा,शिक्षक और सलाहकार को खो दिया है। वे आंध्र प्रदेश सिविल लिबर्टिज कमिटी (एपसीएलसी)के पंद्रह वर्ष और पीयूसीएल के दस वर्ष तक अध्यक्ष रहे।
दलितों, मुसलमानों, आदिवासियों और नक्सवादियों के खिलाफ राज्य प्रायोजित अत्याचार और हिंसा के खिलाफ वह आजीवन संघर्षरत रहे। आंध्र प्रदेश में उन्हें मानवाधिकारों का पर्याय माना जाता रहा है। आंध्र प्रदेश में माओवादियों के नाम पर की जाने वाली फर्जी मुठभेड़ों को उन्होंने हमेशा ही तीखे ढंग से उठाया और कई मामलों में उन्होंने मानवाधिकारों की एक नयी परंपरा बहाल की।