Oct 30, 2009

सैनिकों ने किया तीन महिलाओं का बलात्कार, एक की मौत

अजय प्रकाश


कंधमाल जिले के हाथीमंुडा पंचायत का सरपंच प्रदीप मल्लिक जब दारिंगबाड़ी पुलिस स्टेषन पहुंचा तो थानाध्यक्ष ने तहरीर हवा में उछाल दी। सरपंच ने तहरीर में लिखा था कि सीआरपीएफ,स्पेषल आपरेशन ग्रुप और ग्रेहाउंड के गष्ती दल ने कांबिंग आपरेशन के दौरान सोनपुर पंचायत के सड़ाकिया गांव की तीन महिलाओं का 17-18 अक्टूबर को गैंग रेप किया। जिनमें से एक की मौत हो चुकी है। अन्य दो घायलावस्था में स्थानीय डाक्टरों से ईलाज करवा रहीं हैं। यह जानकर थानाध्यक्ष बजाय की कोई कार्यवाही करता उल्टे उसने प्रदीप को इनकाउंटर में मार देने की धमकी दे डाली। मिली जानकारी के मुताबिक एक महीने से अधिक का समय बीत जाने पर भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है। प्रगति यह है कि पीड़ित परिवारों के जो लोग थोड़ा बोलने के लिए कुनमुना रहे थे वह प्रषासनिक असर में चुप्पी साधे हुए हैं।

सलवा जुडूम भाग दो यानी ‘आपरेशन ग्रीन हंट’ में जुटी सरकार, नवंबर से और व्यापक स्तर पर क्या करेगी, का अंदाजा इन घटनाओं से लगाया जा सकता है।  सामाजिक संगठनों और राजनीतिक पार्टियों के उन संदेहों की भी अब पुश्ट होने लगी है कि इस बहाने सरकार बड़े स्तर पर आदिवासियों का नरसंहार कर विस्थापित करने की तैयारी में है। ओडिसा फारेस्ट मजदूर यूनियन के महासचिव दंड पाणी ने बताया कि माओवाद प्रभावित इलाकों में कांबिंग आपरेशन के दौरान पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवान हत्या, बलात्कार और आगजनी को अपनी कार्यषैली के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं।

बातचीत के दौरान कंधमाल जिले के सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र मोहंती ने बताया कि ओडिषा की राजधानी भुनेष्वर में 20 अक्टूबर को किसान मजदूर आदिवासी संघ, ओडिषा फारेस्ट मजदूर यूनियन, प्राकृतिक संपदा सुरक्षा समिति-काषीपुर, नीरामगीरी सुरक्षा समिति, मलकानगीरी जिला आदिवासी संघ और अन्य दस जनवादी संगठनों की तरफ से एक प्रदर्षन का आयोजन हुआ था। प्रदर्षन माओवादियों के नाम पर आदिवासियों और दलित-पिछड़ी जातियों का दमन बंद करने, भूमि सुधार अधिनियम बी-2 को लागू करने और आदिवासियों की जमीनों पर उनका कब्जा सुनिष्चित करने के लिए हुआ था। इसके अलावा देषी-विदेषी कंपनियों से किये गये ओएमयू को तत्काल रद्द करने तथा फाॅरेस्ट मजदूर खाद्य सुरक्षा सुनिष्चित करने की मांग रखी गयी थी। लेकिन सरकार मांगों पर गौर करने के मुकाबले प्रदर्षनकारियों को भुनेष्वर न पहुंचने देने में ही जोर लगायी रही।


मलकानगीरी, कोरापोट, रायगढ़ा, गजपति, गंजाम, डेंटानाल, अनगुल, संुदरगढ़, मयूरभंज, केन्दुझार जिलों से पहुंचने वाले तीन हजार लोगों को सुरक्षाबलों ने या तो उनकों गांव में ही नजरबंद कर दिया, नहीं तो वाहनों को सीज कर लिया। फिर भी लगभग दस हजार प्रदर्षनकारी भूनेष्वर पहुंच गये थे। मजदूर नेता दंड पाणी बताते हैं, हमें लगा जैसे तमाम वाहनों को सीज कर लिया गया उसी तरह सड़ाकिया गये ट्रक को भी प्रषासन ने सीज कर लिया होगा। लेकिन हम जब 21 को लौट कर क्षेत्र में पहुंचे तो पता चला कि सीआरपीएफ, ग्रेहाउंड और स्पेषल आपरेषन ग्रुप के संयुक्त खोजी दष्ते ने तांडव मचाया है। इसी जिले के गदापुर पंचायत के दादरावाड़ी गांव के पांणामणिक का सुरक्षाबलों ने हाथ-पांव तोड़ दिया तो टेक्टांगिया गांव की सात महिलाओं को उठा ले गये। इतना ही नहीं रैली में षामिल होने आ रहे 7 लोगों को रामनागुढ़ा तथा रायगढ़ा स्टेषन से उठाया और हार्डकोर माओवादी बताकर बंद कर दिया।

अपनी मांगों के साथ भुनेष्वर पहुंचने वालों में सड़ाकिया गांव की वह तीन महिलाएं भी षामिल थीं जिनका भारतीय सेना ने बलात्कार किया। राजधानी भुनेष्वर से साढे़ तीन सौ किलोमीटर दूर कंधमाल जिले का यह गांव फिलहाल दहषत में है और कोई ग्रामीण किसी तरह की बातचीत करने से कतरा रहा है। सुरक्षाबलों के तांडव से त्रस्त गांवों का दौरे पर जाने वाली जांच टीम भी इलाके में इसी वजह से नहीं जा पायी है कि ग्रामीण प्रषासनिक दबाव और सुरक्षा बलों तांडव के बाद बेहद सहमें हुए हैं।

लेकिन सुरक्षाबलों से खौफजदा ग्रामीणों का यह दर्द कहीं से भी सरकारों को समझ में नहीं आ रहा है।  आने वाले महीनों में  कांबिंग आपरेषनों से त्रस्त आदिवासियों  और विस्थापन का दंष झेल रहे स्थानीय नागरिकों का वास्ता अब दरिंदगी के लिए ख्यात राट्रीय राइफल्स के जवानों से होने वाला है जो सीधे तौर पर भारतीय सेना की देखरेख में काम करते हैं।