Apr 10, 2011

जंतर-मंतर पर धरना है


मृत्युंजय  


भ्रष्टाचारी कांग्रेस की लीला की बलिहारी

लोकपाल, दिक्पालों के बस, जनता है बेचारी

नेता-अफसर सब लीलाधर, सत्ता मद में चूर

मिस्टर राहुल कुछ फरमाओ बोलो तनिक हुजूर



अन्ना बैठा है अनशन पर चश्मा हिन्दुस्तानी

संग साथ हैं जन गण मन, सो बेकल हो गयी रानी

कांग्रेस की बिल्ली को है याद आ रही नानी

एक आँख से दुनिया देखे साधो यह बौरानी



भाजपाईयों की नौटंकी, दसटंकी है चालू

कहाँ नहीं है भ्रष्टाचारी कौन नहीं घोटालू

यह ढांके तो वह खुल जाए वह ढांके तो पोल

राजनीति की चतुर चिकटई, यह दुनिया है गोल



नक्शा झाड़ रहे मंत्रीगण स्विस बैंक के बूते

टाटा, बाटा, अम्बानी के चाटो भईया जूते

धूर-मलाई चाभो, चाभो जनता के अरमान

सौ करोड़ की करो तस्करी, ऊंची भरो उड़ान



पान चबाओ, भीतर डालो मजदूरों का रक्त

नए नए बाबाओं के तुम नए नवेले भक्त

नाजायज पैसे के मारे जब अफराए पेट

चूरन फांक दलाली का फिर नया खोल दो रेट



अन्ना बाबा याद नहीं क्या यहीं कहीं सुखराम

हर्षद मेहता, तेलगी साहब सब करते विश्राम

यहीं यहीं पर शीबू सोरेन, यहीं प्रमोद महाज़न

राजा, कलमाडी, मधु कोड़ा, रामलिंगम सत्यम



लालू की यह चारागाह, यह माटी है बोफोर्स की

शशि थरूर की, मोदी की और तिकड़म-ताले-सोर्स की

अभिनन्दन हो औ वंदन हो, आरती करो शैतान की

इस माटी का तिलक लगाओ धरती यह बलिदान की



मन मोहा खूंखार सिंह ने माँगी मांगे तीन

अन्ना बाबा समझे रहना ये हैं चतुर प्रवीन

जान न देना और समझना इनकी मेहीं चाल

जन गण के संग राग जोड़ना अठहत्तरवें साल



गांधी बाबा की समाधि पर आयोजित हो यज्ञ

समिधा नाजायज पैसा हो, होता जन सर्वज्ञ

लपटें निकलें संघर्षों की, यज्ञ धूम आन्दोलन

शुद्ध होय यह भूमि हमारी मुदित होएं जन गण मन



लोकपाल बिल से निकलेगी, होगी बहुत लड़ाई

दम लेकर औ जोड़ के कान्धा भिड़ने की रुत आई

दुश्मन है खूंखार चतुर्दिक पसरी है परछाई

आगे बढ़, तैयारी कर, है लम्बी बहुत चढ़ाई


 

जन संस्कृति मंच के सदस्य और कवि. उनसे  mrityubodh@gmail.com संपर्क किया जा  सकता है. यह कविता समकालीन जनमत से साभार प्रकाशित की जा रही है.