कल उत्तर प्रदेश के सबसे पिछड़े जिलों की 49 सीटों पर चुनाव है। उसमें से एक जिला मेरा भी है। और आपको जानकर खुशी होगी कि फाइट में देखा जा रहा कोई एक कैंडिडेट ऐसा नहीं है जो विकास आदि हवाई जुमलों पर चुनाव लड़ रहा हो। वह हिंदू—मुस्लिम और जाति के मूलाधार पर खड़ा होकर पैसे से वोटर खरीदने की ठोस रणनीति पर चुनाव मैदान में है...
आज चुनाव पर्व की पूर्व संध्या पर कई इलाकों में पैसे बंट रहे हैं। सुनने में आ रहा है कि इसमें बरहज विधानसभा क्षेत्र नंबर वन है। यहां पैसा बांटने में कंपटीशन है कि कौन ज्यादा देता है। यह वही बरहज है जहां कभी देवराहा बाबा पाए जाते थे और उनसे आशीर्वाद लेने इंदिरा गांधी पहुंचा करती थीं।
इन दिनों इस विधानसभा से प्रधानमंत्री मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा आते हैं। उनके गांव कसीली मिश्र में लोग बड़े फक्र से बताते भी हैं कि उनके गांव ने सांसद, जज और बड़े—बड़े लोग दिए हैं। पर इसी फक्र से वह लोग यह भी बताते हैं कि गांव के कुल 560 वोट में से 400 वोट सिर्फ एक ही कैंडिडेट को बिक चुके हैं।
यह एक कैंडिडेट पिछले छह महीनों से विधानसभा में काम कर रहे हैं। काम का स्वरूप वोटरों को तरह—तरह से खरीदना और लाभ पहुंचाना है। किसी का इन्होंने नाद बनवा दिया है तो किसी की बेटी शादी में कुछ पैसे पकड़ा दिए हैं तो कहीं—कहीं सोलर लाइट लगवा दी है। या फिर दवा दिला दी। यानी यह पिछले छह महीनों से गरीबों की सेवा कर रहे हैं।
जहां यह सब वह नहीं कर पाए वहां सीधे कैश की व्यवस्था है।
जानकारी के मुताबिक छह महीने पहले ही इनके होटल में एक बैठक हुई और वहां से करीब 150 स्मार्ट फोन उन लोगों को दिए गए जो इलाके में घूम—घूम कर भैया के पक्ष में माहौल बनाएंगे। इस सुविधा का विकास हुआ और उन्होंने चुनाव नजदीक आने पर कार्यालय पहुंचने वाले हर व्यक्ति को सफारी सूट की सुविधा उपलब्ध करा दी।
कार्यकर्ताओं के लिए नारा है — पहले इटिंग फिर सेटिंग। मतलब कार्यालय आने वाला व्यक्ति को पहले खिलाया—पिलाया जाता है फिर उसे उपहार में सफारी सूट दिया जाता है, जिससे वह सेट होकर प्रचार में लगे।
आखिर में,
भक्त खुश हो सकते हैं क्योंकि 49 में से ज्यादातर सीटों पर भाजपा सीेधे टक्कर में है।