Dec 10, 2010

उसकी लाल आँखें

फरीद खान

1

उसकी आँखें लाल नहीं हैं।
न ही वह ग़ुस्से में है।
उसके सामने जो जंगल जल गये,
उसके बिम्ब अंकित हैं उनमें।


धनुष सी देह और तीर सी निगाह लिए जबकि वह चुपचाप खड़ा है।
पर लोग नज़र बचा के कन्खी से ऐसे देख रहे हैं
मानो कुछ हुआ ही न हो।
हालांकि ऐसी कोई ख़बर भी नहीं कि कुछ हुआ है।


अभी तो बस वह शहर में आया ही है,
और लोगों को हो रहा है किसी प्रलय का आभास,
जबकि वह पिंजड़े में बंद है।
और कल से शुरु हो जायेगी उसकी नुमाईश।

2

वह अकेला ऐसा है,
जो बता सकता है क, ख, ग, घ के अलग अलग माने।
और उन्हें जोड़ कर बना सकता है शब्द।
बता सकता है वाक्य विन्यास।


वह पहचान सकता है परिन्दों को रंग और रूप से।
बोल सकता है उनकी बोली,
समझता है उनकी वाणी।
उसके कंठ में अभी सूखा नहीं है कुँए का पानी।


वह अकेला ऐसा है जो,
बता सकता है बच्चों को पेड़ों के नाम।


चिड़ियाघर में एक नये प्राणी के आगमन का,
शहर में लगा है विज्ञापन।





पटना विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में एम.ए.। पटना इप्टा में 12 साल सक्रिय रहे। नाट्यकला में भारतेन्दु नाट्य अकादमी, लखनऊ से दो साल का प्रशिक्षण। अभी मुम्बई में व्यवसायिक लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हैं, उनसे kfaridbaba@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.

कौन कराये बालश्रमिकों की परीक्षा


बुन्देलखंड के जिले में  चालीस  बालश्रम विद्यालय हैं, लेकिन आठ सौ  बालश्रमिकों की परीक्षा नहीं ली गयी। वहां तैनात अनुदेशक और अध्यापकों ने बालश्रमिकों की परीक्षा कराने से इनकार कर दिया...

जनज्वार ब्यूरो.  बुन्देलखण्ड के चार जनपद बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर में बीते ढाई दशकों से प्राकृतिक संपदाओं  की बेइतहां लूट जारी है। लूट के दुष्परिणामों   का असर किसानों, मजदूरों और अन्य श्रमजीवियों पर पड़ रहा है। घटता जलस्तर, भू-प्रदूषण,कम होती वर्षा,विस्थापित होते हुए किसान-मजदूर और साल दर साल बदहाल होती खेती इसके बड़ी सामान्य उदाहरण हैं।

इसी की एक बानगी है कि पिछले छः वर्षों से इन जनपदों में अकाल,आत्महत्या, कर्ज, सूखा एवं पलायन की समस्या सिर चढ़ कर बोल रही है। वर्ष 2005-07 सैकड़ों  किसानों-खेतीहर मजदूरों ने आत्हत्याएं की हैं। पिछले एक माह से और विगत एक वर्ष से जनसूचना अधिकार के तहत उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर पर्यावरण बचाने की मुहिम में प्रयासरत प्रवास सोसाइटी ने 01 अक्टूबर  2010 से ही लोगों को लामबन्द करते हुए प्रकृति के अवैध खनन रोके जाने की गुहार की थी।

संगठन ने तीन दिसंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दाखिल की थी जिसकी अगली सुनवाई 22दिसम्बर होनी है। इस जनहित याचिका में उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव माइन्स एवं मिनिरल्स उत्तर प्रदेश, प्रमुख सचिव वन एवं सामाजिक वानकी, डिवीजनल फारेस्ट ऑफिसर महोबा एवं बांदा, केंद्रीय प्रदुषण नियत्रंण बोर्ड लखनऊ, राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के निदेशक और जनरल माइन्स के निदेशक को नामित किया गया है।



बांदा का एक खदान: शिक्षा और रोटी इन पत्थरों की मुहताज

गौरतलब है कि हाल ही में बांदा के जिला श्रम अधिकारी ने जो सूचनायें दी हैं,उसके मुताबिक नौ से चौदह वर्ष के 1646 लड़के और 425 लड़कियां, बाल श्रमिेक के तौर पर खतरनाक कामों में लगे हुए हैं। वहीं वर्ष 2009के पॉयलट सर्वेक्षण के तहत 179 बालश्रमिक चिन्हित किये गये थे। 


 कानून में अधिनियम 1986 (बालश्रम प्रतिषेध एवं विनियमन) के तहत चौदह वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए 13 व्यवसायों को और 57प्रक्रियाओं   के तहत काम कराने को खतरनाक माना जाता है और इसका उल्लंघन करने वाले को एक हजार रूपये से बीस हजार रूपये तक का जुर्माना एवं एक वर्ष की सजा का भी प्रावधान है।


दूसरी तरफ जिले में कार्यरत बालश्रमिकों के उन्मूलन की परियोजना के अन्तर्गत केन्द्र सरकार से बांदा जनपद को डेढ़ करोड़ रूपये प्राप्त हुये हैं जिसमें से 85लाख रूपये खर्च हो चुके हैं। इसमें  राज्य सरकार की कोई धनराशि सम्मिलित नहीं है। एक प्रमुख तथ्य यह है कि जनपद में  कुल चालिस बालश्रम विद्यालय कार्यरत हैं।


जिनमें पढ़ने वाले लगभग 800 बालश्रमिकों को कक्षा-5 और 8वीं की परीक्षा इसलिये नहीं दिलायी गयी क्योंकि वहां तैनात अनुदेशक और अध्यापकों को बालश्रम समिति द्वारा मानदेय ही नहीं दिया गया। जिसकी वजह से 800 बालश्रमिक एक मरतबा फिर भिन्न-2व्यवसायों को रोजी-रोटी का जरिया बनाकर बालश्रम में लगे रहने को मजबूद हुए हैं।


 हमीरपुर में  2180,महोबा में 1200 और बचपन बचाओ संघर्ष समिति के अनुसार बांदा में कुल 4000बालश्रमिक हैं। जिन्हें  बुन्देलखण्ड के खतरनाक व्यवसायों जैसे अवैध खनन, बालू खदान, होटल, भिक्षावृत्ति, मजदूरी के साथ-साथ यौन उत्पीड़न में भी प्रताड़ित किया जाता है।


इसलिए प्रवास ने आगामी सोमवार से बुन्देलखण्ड में खत्म हो रहे पहाड़, जंगल-जल एवं वन्य जीवों के पुनर्वास हेतु साझा पहल और हस्ताक्षर अभियान चलाने का संकल्प लिया है। इस अभियान में जनसहयोग,जन समर्थन की अगुवाई कर आमलोगों से बुन्देलखण्ड बचाने के लिये प्रेरित करने का भी संकल्प लिया गया है।