जिनको लग रहा है कि भाजपा का छात्र संगठन एबीवीपी 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे जेएनयू में क्यों लगाएगा और क्यों वह अपनी ही सरकार को मुश्किलों में डालेगा? यह खबर सिर्फ उनके लिए है! वे ये जानें की संघ की वैचारिकता और रणनीति कायरता के भ्रूण में पलती और बड़ी होती रही है...
जनज्वार। संघ समर्थित संगठनों की परंपरा रही है कि वे अपने राजनीतिक विरोधियों और मुस्लिम समुदाय के प्रति नफरत और हिंसा फैलाने के लिए हर स्तर का फरेब रचें और उसी फरेब को सच की तरह दिखाने की कोशिश करें। इनमें सबसे चर्चित मामला 2012 का है जब पाकिस्तानी झंडा फहराने के मामले में संघ, भाजपा और श्रीराम सेना का चेहरा कर्नाटक में बेनकाब हुआ था।
2012 का वह पहला दिन था। देश नए साल के स्वागत की खुशियों में व्यस्त था और संघ के लोग मुसलमानों को लहूलुहान करने की तैयारी में। लेकिन जब श्रीराम सेना के लोग इस मामले में पकड़े गए तो उन्होंने वीडियो जारी कर दिखाया कि पाकिस्तानी झंडा फहराने वाले संघ के सदस्य हैं, हिंदू सेना के नहीं। बाद में पुलिस ने भाजपा के एक नेता को गिरफ्तार किया था।
1 जनवरी 2012 को कर्नाटक के बीजापुर की सिंडगी तहसील के तहसीलदार आॅफिस के सामने पाकिस्तानी झंडा फहराया गया। फहराने का काम सुबह में लोगों के उठने से पहले कर किया गया। सुबह होते ही संघ के लोग शहर भर में फसाद करने लगे कि मुसलमानों ने तसहसीलदार आॅफिस पर कब्जा कर पाकिस्तान का झंडा फहरा दिया है।
पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद पाकिस्तानी झंडा फहराने के मामले में आधा दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया, जो श्रीराम सेना के सदस्य थे। इस मामले में पुलिस की बढ़ती कड़ाई के कारण श्रीराम सेना को अपनी असलियत उजागर करनी पड़ी। श्रीराम सेना ने वीडियो जारी कर दिखाया कि तहसीलदार आॅफिस में झंडा फहराने वाले लोग संघ के सक्रिय सदस्य हैं, न कि हमारे।
बाद में पुलिस ने भाजपा के पदाधिकारी को गिरफ्तार किया था, जिसने संघ के साथ मिलकर मुसलमानों को बदनाम करने और देश में हिंसा फैलाने की यह साजिश रची थी।