उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद दलितों- पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के ऊपर लगातार उत्पीडन बढ़ रहा है. सत्ता में आने के बाद सहारनपुर से लेकर बलिया तक दलितों के उत्पीड़न का सिलसिला जारी है. भीम ऑर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद पर रासुका लगाया गया है. बलिया रसड़ा में गाय चोर के नाम दलित युवकों सरेबाज़ार अपमानित किया, सर मुड़वाकर गले मे गाय चोर की तख़्ती लगाकर मारते हुए पूरे बाजार में घुमाया गया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र में दलितों-पिछड़ों के लिए संघर्षरत नेताओं पर फ़र्ज़ी मुकदमे लादकर उत्पीड़ित किया जा रहा है.
सत्ता संरक्षण में मुसलमानों पर हमले हो रहे हैं, कासगंज साम्प्रदायिक हिंसा उसी का उदाहरण है. भाजपा राज में भगवा गुंडे बुलंदशहर से शाहजहांपुर तक मुसलमानों को पीट पीट कर मार रहे हैं।
प्रदेश सरकार मानवाधिकार आयोग की नोटिस को दरकिनार करते हुए प्रदेश में दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों को मुठभेड़ों के नाम दिन दहाड़े हत्या कर रही है. पूर्वांचल में मुकेश राजभर, जयहिंद यादव, अन्नू सोनकर से लेकर नोएडा में जितेंद्र यादव तक फ़र्ज़ी मुठभेड़ों का सिलसिला जारी है। इतना ही नही दमन और उत्पीड़न के लिए यूपीकोका लाया जा रहा है।
भारतीय गणतंत्र को 69 साल पूरे हो गए हैं फिर भी आबादी के एक बड़े हिस्से को न सिर्फ नागरिक मनाने से नकारा जा रहा है बल्कि उनको इंसान होने का भी दर्ज़ा नहीं दिया जा रहा है. जबकि भारतीय संविधान के प्रस्तावना में ही सबके लिए न्याय की बात कही गयी है और संविधान निर्माताओं का सपना भी यही था की भारतीय गणराज्य का हर नागरिक तक इंसाफ की पहुँच हो. आज जब दलितों-पिछड़ों पर हमले बढ़े रहे हैं, मुसलमानों को राजनीति से प्रेरित हिंसक भीड़ उनके पहचान के आधार पर पीट-पीटकर मार रही है. सरकारें दलित उत्पीड़न और साम्प्रदायिकता के खिलाफ बोलने वालों को देशद्रोही करार देकर जेलों में ठूसने पर उतारूं हैं. विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को अपना हक मांगने पर मुक़दमे लादे जा रहे हैं. किसान आत्महत्या को मजबूर हैं. तो हम सब की जरुरत है कि हम कतारबद्ध हो.
शाहिद आज़मी की शहादत की 8 वीं बरसी पर सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत दोस्तों की मुलाकात में आप सभी आमंत्रित हैं ताकि हम एक बेहतर देश और समाज का निर्माण कर सकें.