ख़ामोशी तोड़ो दलितो, यह चुप्पी भयानक है...
आखिर राजस्थान में दो दलित छात्राओं से बलात्कार व आत्महत्या की नृशंस घटना पर इस देश में कोई मोमबत्ती क्यों नहीं जली....
भंवर मेघवंशी
राजस्थान के सीकर जिले के नीम का थाना क्षेत्र के भगेगा गाँव के एक दलित बलाई परिवार की बीए प्रथम वर्ष में पढ़ने वाली दो सगी बहनों के साथ तीन सवर्ण युवाओं बजरंग सिंह, पिंकू सिंह और एक अन्य ने घर में घुसकर बलात्कार किया। बजरंग सिंह और पिंकू सिंह जहां जाति के राजपूत हैं, वहीं तीसरा बलात्कारी ब्राह्मण जाति से ताल्लुक रखता है।
पुलिस कर रही मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार
पीड़िताओं के छोटे भाई के आ जाने के बाद बलात्कारी घटनास्थल से भाग गए। 17 व 18 साल की इन दोनों दलित छात्राओं ने घटना के एक घंटे के बाद पास के रेलवे लाइन पर रेवाड़ी से फुलैया जाने वाली ट्रेन के सामने दिन में 11:30 बजे कूदकर जान दे दी। इस मामले में पुलिस अब तक किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। नीमथाना के डीवाईएसपी कुशाल सिंह का कहना है कि पुलिस आरोपियों को तब तक गिरफ्तार नहीं करेगी, जब तक पीड़िताओं की मेडिकल रिपोर्ट जयपुर से आ नहीं जाती।
ये दर्दनाक और शर्मनाक घटना 5 अप्रैल, 2017 को दिन में 11 बजे घटी। घर में उस वक्त इन दो बहनों के अलावा कोई नहीं था। बड़ी बहन एमए की परीक्षा देने शहर गई थी, जबकि मां खेती के काम से बाहर गई थी और पिता लालचंद वर्मा भट्टे पर मजदूरी करने। छोटा भाई भी घर पर नहीं था।
सामाजिक कार्यकर्ता और एनएपीएम से जुड़े कैलाश मीणा के मुताबिक बड़ी जोर—जबर्दस्ती और प्रयासों के बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ वारदात के लगभग 30 घंटे बाद 6 अप्रैल की शाम 5 बजे मुकदमा दर्ज किया।
मामला बलात्कार, दलित अत्याचार,नाबालिग के लैंगिक शोषण का होने के बावजूद भी जान-बूझकर सिर्फ आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण की धारा 306 में दर्ज किया गया। इस मामले में डीवाईएसपी कुशाल सिंह खुद जाति से राजपूत हैं और परिजनों का मानना है कि उनके रहते जांच सही दिशा में आगे नहीं बढ़ सकती। इतना ही नहीं इलाके के सरपंच और विधायक भी आरोपियों की जाति के हैं।
इस मामले में महिला दलित तथा मानव अधिकार संगठनों का संयुक्त दल भगेगा पहुंचा तथा पीड़ित परिवार, जाँच अधिकारी तथा ग्रामीणों से मुलाकात कर मामले की जानकारी ली। यह दल 15 अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट जारी करेगा।
पुलिस कर रही मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार
पीड़िताओं के छोटे भाई के आ जाने के बाद बलात्कारी घटनास्थल से भाग गए। 17 व 18 साल की इन दोनों दलित छात्राओं ने घटना के एक घंटे के बाद पास के रेलवे लाइन पर रेवाड़ी से फुलैया जाने वाली ट्रेन के सामने दिन में 11:30 बजे कूदकर जान दे दी। इस मामले में पुलिस अब तक किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। नीमथाना के डीवाईएसपी कुशाल सिंह का कहना है कि पुलिस आरोपियों को तब तक गिरफ्तार नहीं करेगी, जब तक पीड़िताओं की मेडिकल रिपोर्ट जयपुर से आ नहीं जाती।
ये दर्दनाक और शर्मनाक घटना 5 अप्रैल, 2017 को दिन में 11 बजे घटी। घर में उस वक्त इन दो बहनों के अलावा कोई नहीं था। बड़ी बहन एमए की परीक्षा देने शहर गई थी, जबकि मां खेती के काम से बाहर गई थी और पिता लालचंद वर्मा भट्टे पर मजदूरी करने। छोटा भाई भी घर पर नहीं था।
सामाजिक कार्यकर्ता और एनएपीएम से जुड़े कैलाश मीणा के मुताबिक बड़ी जोर—जबर्दस्ती और प्रयासों के बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ वारदात के लगभग 30 घंटे बाद 6 अप्रैल की शाम 5 बजे मुकदमा दर्ज किया।
मामला बलात्कार, दलित अत्याचार,नाबालिग के लैंगिक शोषण का होने के बावजूद भी जान-बूझकर सिर्फ आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण की धारा 306 में दर्ज किया गया। इस मामले में डीवाईएसपी कुशाल सिंह खुद जाति से राजपूत हैं और परिजनों का मानना है कि उनके रहते जांच सही दिशा में आगे नहीं बढ़ सकती। इतना ही नहीं इलाके के सरपंच और विधायक भी आरोपियों की जाति के हैं।
इस मामले में महिला दलित तथा मानव अधिकार संगठनों का संयुक्त दल भगेगा पहुंचा तथा पीड़ित परिवार, जाँच अधिकारी तथा ग्रामीणों से मुलाकात कर मामले की जानकारी ली। यह दल 15 अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट जारी करेगा।