Mar 17, 2017

देवबंद में है सिर्फ 35 फीसदी मुस्लिम वोट, 18 बार जीत चुके हैं हिंदू विधायक

पहली बार नहीं तीसरी बार जीती है भाजपा
अजय प्रकाश 


11 मार्च को जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणामों की घोषणा होने लगी तो एक खबर सिर चढ़कर मीडिया और सोशल मीडिया में छाने लगी। कहा गया कि देवबंद में भाजपा ने जीतकर इतिहास रच दिया है। हर तरफ प्रचारित होने लगा कि देश में भाजपा की जबर्दस्त लहर है और लहर के लपेटे में देवबंद जैसी 'कट्टरपंथी' और मुस्लिम वोटरों के बहुतायत वाली विधानसभा में भी पहली बार कोई हिंदू प्रत्याशी जीता है। गौरतलब है कि देवबंद धार्मिक मुस्लिम शिक्षा का बड़ा केंद्र है और हिंदूवादी जमातों में उसकी पहचान एक कट्टरपंथी शैक्षिक केंद्र के रूप में है।

 
भाजपा प्रत्याशी बृजेश को सहारनपुर जिले की देवबंद विधानसभा से 1 लाख 1 हजार 9 सौ 77 वोट मिलने और 29 हजार 3 सौ 23 वोट से जीतने की खबर कुछ इस रूप में फैली कि वहां 71 फीसदी मुस्लिम आबादी है, वहां आजादी के बाद से सिर्फ मुस्लिम ही जीतते हैं, बावजूद अबकी भाजपा जीत गयी। कुछ जगहों पर देवबंद विधानसभा की मुस्लिम आबादी को 80 प्रतिशत तक ​लिखा गया।

इन दावेदा​रियों का लब्बोलुआब ये रहा कि भाजपा की जीत बगैर मुस्लिम मतदाताओं के वोट के संभव नहीं है और इसको आधार बनाकर यह साबित करने की कोशिश की गयी कि भाजपा की 325विधानसभाओं में जो चमत्कारिक जीत है, वह बगैर मुस्लिम वोटों के संभव नहीं है। यानी अखलाक की हत्या, नोटबंदी से मुश्किलों में पड़ी मुस्लिमों की शिल्पकारी, भाजपा नेताओं की दंगाई मानसिकता और बार—बार मुस्लिमों को देशद्रोही साबित करने की हिंदूवादी प्रवृत्ति को अल्पसंख्यक मतदाता भूल गए और उन्हें मोदी जी के करिश्माई चरित्र ने अपनी ओर खींच लिया।

भाजपा की ऐतिहासिक जीत का खुमार ऐसा है कि तथ्य जांचना भी भाजपा के प्रति पूर्वग्रहित होना समझा जाने लगा है। सवाल करने वाले पत्रकारों और तथ्य के मांग करने वालों को 'वैचारिक लट्ठ' से हुरपेटा जा रहा है। बहुत ही शातिराना तरीके से ​हिंदू मानसिकता के पत्रकारों ने यह स्थापित करने की कोशिश की कि 'तीन तलाक' को खत्म करने के सकारात्मक रुख के कारण मुस्लिम महिलाओं ने बीजेपी को वोट दिया है। दो कदम आगे बढ़कर बाकायदा चुटकुले और फब्तियां शेयर होने लगीं और ज्यादातर संघी मानसिकता के लोगों ने मान लिया कि मुस्लिम मतदाताओं ने भी भाजपा को वोट दिया।

पर जनज्वार की पड़ताल में यह एक बड़ा झूठ निकला। वोट प्रतिशत से लेकर वोटरों की गिनती सबकुछ ​दुष्प्रचार का हिस्सा लगा। पता चला कि यहां न सिर्फ हिंदू—मुस्लिम वोटरों का प्रतिशत 60 'हिंदू'और 40 'मुस्लिम' का है, बल्कि 1951 से लेकर2017 के बीच सिर्फ 2 बार मुस्लिम ​विधायक जीते हैं, जबकि 18 बार हिंदू विधायक जीत चुके हैं।

देवबंद से भाजपा पहली बार नहीं तीसरी बार जीती है, जबकि बसपा दो बार और सपा सिर्फ एक बार जीती है। देवबंद पारंपरिक तौर पर कांग्रेस की सीट है,पर एक बार निर्दलीय और लोकदल के विधायक भी जीत चुके हैं। 2017 से पहले बीजेपी की शशिबाला पुंडीर 1993 में और सुखबीर सिंह पुंडीर 1996 में क्रमश: 68698 और 61807 वोट पाकर विधायक रह चुके हैं।

देवबंद के पत्रकारों, नेताओं, किसानों और सामाजिक कामों में सक्रिय करीब दर्जन भर लोगों से जनज्वार ने बात की। सहारनपुर ईटीवी संवाददाता तसलीम कुरैशी कहते हैं, 'हां, मैंने भी देखा कि मीडिया और सोशल मीडिया पर प्रचारित हो रहा है कि देवबंद में भाजपा से एक हिंदू ने विधायकी जीतकर इतिहास रच दिया है। पर आप यहां कहेंगे तो लोग हंसेंगे। मुझे अफसोस है कि ​दिल्ली में बैठे पत्रकार तथ्यों इस कदर अनभिज्ञ हैं और फेसबुक पर ​बैठ फिजूल की दावेदारियां किए जा रहे हैं। आखिर उन्होंने एक बार चुनाव की साइट की देख ली होती तब भी उनको पता चल जाता कि यहां पारंपरिक विजेता कौन है।'

मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पत्रकार संजीव चौधरी के अनुसार, 'जीत की खुमारी में इलाकों के भूगोल बदलने की तेजी दरअसल उस सांप्रदायिक सोच को दिखाती है जो उन्मादी जमातों के दिल में दशकों से बैठा पड़ा है। जिस देवबंद में ​मुस्लिम वोटरों की आबादी ठीक से 35 प्रतिशत भी नहीं है, उसे 71 से80 बताने की मंशा का गहरा विश्लेषण होना चाहिए अन्यथा झूठ की नींव पर सच स्थापित करने की पत्रकारिता में नई परंपरा चल पड़ेगी।'
आंकड़ों में देवबंद का सच

विधानसभा — देवबंद — संख्या — 5

आबादी  — 8 लाख से अधिक

मतदान केंद्र — 178


वोटर — महिला — 1 लाख 49 हजार 547

      पुरुष —  1 लाख 77 हजार 306

कुल वोटर — 3 लाख 26 हजार 853


देवबंद विधानसभा में हिंदू व दलित वोट — 2 लाख17 हजार 354

देवबंद विधानसभा में मुस्लिम वोट — 1 लाख 9हजार 567

पूरा वोट — 3 लाख 26 हजार 921


प्रतिशत में हिंदू वोट — लगभग 65 प्रतिशत

प्रतिशत में मुस्लिम वोट — 35 प्रतिशत


चुनाव आयोग की संख्या और जाति और धर्म आधारित वोटरों की गिनती में 68 का फर्क है, वह इसलिए है कि उतने वोटरों का नाम वोटर लिस्ट में नहीं था।


इस बार देवबंद में वोट

भाजपा — 101977

बसपा — 72654

सपा — 55278

रालोद — 1129

सभी निर्दलीय प्रत्याशी — 1901

नोटा — 796

कुल वोट जो इस बार पोल हुआ — 2 लाख 33 हजार735

प्रतिशत — 67 प्रतिशत


इसमें से सपा और बसपा को मिले वोट को देखें तो वह 1 लाख 27 हजार 932 होता है, जबकि भाजपा को 1 लाख 1 हजार 77 वोट मिले हैं।

जाहिर वह दावेदारी इन तथ्यों के आगे सिर के बल खड़ी नजर आती है, जो मीडिया और सोशल मीडिया ने बड़े जोर—शोर से प्रचारित किया।

एक तो देवबंद में न तो हिंदुओं से मुसलमान ज्यादा हैं और न ही मुस्लिम या उनकी औरतों ने कोई वोट किया है। बल्कि भाजपा को हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण का फायदा मिला है। अलबत्ता चुनाव परिणामों से साफ है कि हिंदुओं की करीब 40 हजार आबादी ने सपा—बसपा को भी वोट किया है।