Feb 16, 2016

'कन्हैया की मां कहती हैं, मेरी आत्मा बेटे के साथ जेल में बंद है'

गोरे अंग्रेजों ने भगत सिंह को देशद्रोही कहा, काले अंग्रेज कन्हैया को कह रहे- कन्हैया के पिता 

कन्हैया के गांव बीहट से लौटकर पुष्पराज की रिपोर्ट

भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह जवाहरलाल नेहरू विश्चविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया को देश के लिए खतरा मान रहे हैं। एक तथाकथित देशद्रोही की पृष्ठभूमि को जानने के लिए मैं बेगूसराय के बीहट गांव में खड़ा हूँ।

बेगूसराय मीडिया डाॅट काॅम के संपादक प्रवीण कुमार इस समय मेरे मार्गदर्शक हैं। प्रवीण हमें बताते हैं कि यह बीहट का मसनदपुर मुहल्ला है। बिहार के पहले मुख्यमंत्री डाॅ. श्रीकृष्ण सिंह के मंत्रालय में सबसे विश्वस्त मंत्री रहे रामचरित्र सिंह के पुत्र चन्द्रशेखर सिंह ने पिता से बगावत कर कम्युनिस्ट पार्टी का झंडा उठाया था। कामरेड चन्द्रशेखर को बिहार का लाल सितारा कहा गया। कन्हैया का घर काॅमरेड चन्द्रशेखर के घर के पास ही है। कन्हैया काॅमरेड चन्द्रशेखर के गोतिया यानी पड़ोसी हैं।
कन्हैया के माता-पिता                                                                       फोटो - पुष्पराज      
सप्ताह का सबसे चर्चित युवा
पिछले एक सप्ताह में दुनिया का सबसे चर्चित युवा बन चुके कन्हैया के घर पर स्थानीय मीडिया और समर्थकों का आना-जाना लगा है। बुजुर्ग काॅमरेड राजेन्द्र सिंह ने बताया कि आधे घंटे पहले पूर्व विधायक राजेन्द्र राजन कन्हैया के परिवारजन से मिलकर गये हैं। पूर्व सांसद शत्रुघ्न सिंह कल आये थे। आज जदयू के जिलाध्यक्ष भूमिपाल राय घर आये थे। उन्होंने जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह से कन्हैया के पिता जयशंकर सिंह से फोन से बात करायी है। वशिष्ट नारायण सिंह ने कहा कि ‘आप चिंता ना करें, कन्हैया के साथ पूरा देष है।’

ईंट की दीवार और खपड़ैल की छत वाले चमत्कार विहीन घर को सब गौर से देख रहे हैं। सर गणेशदत्त महाविद्यालय, बेगूसराय में रसायन शास्त्र के अवकाश प्राप्त प्राध्यापक प्रो. परमानंद सिंह जानना चाहते हैं कि पुलिस ने एफआईआर में कौन सी धारायें लगायी हैं। घर के लोगों को कुछ भी नहीं पता कि कन्हैया के विरूद्ध पुलिस और कानून क्या कर रही है? देश की मीडिया जो कुछ बता रही हैं, पड़ोसी देखकर-सुनकर बता रहे हैं।

अभी दुआरे 'दरवाजे' के सामने 25 से ज्यादा लोग बैठे हैं। कुर्सियां कम पड़ रही हैं तो लोग खड़े हैं। गांव और आस-पड़ोस के लोग टीवी पर नजर रख रहे हैं। लोगों जानना चाहते हैं कि कोर्ट क्या फैसला देती है। दिल्ली के पटियाला हाउस में कन्हैया के मामले में सुनवाई होनी है लेकिन भाजपा के विधायक ओपी शर्मा और संघ के स्वयंसेवकों ने पत्रकारों और जेएनयू के शिक्षक-छात्रों पर हमला कर दिया है।

मीडिया को नहीं दी एफआइआर की कॉपी
सब लोग दुखी हैं कि आज कन्हैया को अदालत से जमानत नहीं मिली। पटियाला हाउस में क्या हो गया। कितना सही है कितना झूठ? दिल्ली की मीडिया पर गांव के लोगों को भरोसा नहीं। मैंने एनडीटीवी के कार्यकारी संपादक मनोरंजन भारती से फोन कर पटियाला हाउस में क्या हुआ इसकी जानकारी ली। मनोरंजन भारती ने जब कहा कि पुलिस राष्ट्रद्रोह के आरोप की पड़ताल कर रही है। पर पुलिस ने अबतक किसी एफआईआर की काॅपी मीडिया को नहीं दी है। संभव है कि अभी तक एफआईआर दर्ज ही नहीं हुआ। घर के लोग डरे हैं कि क्या एफआईआर पुलिस की बजाय गृृहमंत्री खुद ही तैयार करेंगे?
क्रांतिकारियों की जननी बीहट    
बीहट नगर परिषद् की आबादी 70 हजार से ज्यादा है। जब बेगूसराय जिला के सभी विधानसभा क्षेत्रों पर कम्युनिस्ट पार्टी का लाल पताका लहराता था तो बेगूसराय को राष्ट्रीय मीडिया ने ‘लेनिनग्राद’ और बीहट को ‘मिनी मास्को’ की संज्ञा दी थी। कांग्रेस पार्टी की केन्द्रीय सत्ता ने बेगूसराय से कम्युनिस्ट पार्टी के सफाये के लिए बेगूसराय के ही एक तस्कर को राजनीतिक संरक्षण देकर कम्युनिस्टों पर हमला शुरू करवाया था।

राज्यपोषित अंतर्राष्ट्रीय तस्कर के हमलों का जवाब देने के लिए कम्युनिस्टों ने हथियार बंद संघर्ष किया था। उस सशस्त्र संघर्ष में सबसे बड़ी शहादत बीहट के लेागों ने दी थी। बीहट के 30 से ज्यादा क्रांतिकारी कम्युनिस्ट संघर्ष में शहीद हुए। अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने कभी बीहट को ‘क्रांतिकारियों की विधवाओं का गांव’ भी कहा था। आज भी शहीदों के स्मारक अतीत की याद दिलाते हैं। तब बीहट को ‘बारदोली’ कहा गया था। लेनिनग्राद के मिनी मास्को-बारदोली का बेटा कन्हैया क्या देशद्रोही हो सकता है?
    
मजदूरी करते  रहे कन्हैया के पिता
कन्हैया के दादा मंगल सिंह काॅमरेड चन्द्रशेखर के बाल-सखा थे। मंगल सिंह बरौनी खाद कारखाना में फोरमेन थे। हम जिस ईंट-खरपैल घर में कन्हैया के परिवारजन से मिल रहे हैं उसे मंगल सिंह ने 6 दशक पहले बनाया था। इसी घर में जयशंकर सिंह दो भाईयों के संयुक्त परिवार के साथ निवास करते हैं। कन्हैया के पिता जयशंकर सिंह जीरोमाइल में गिट्टी-बालू ढोने की मजदूरी करते थे तो कभी जीप की ड्राइवरी भी करते थे। भूमिहीन मजदूर जयशंकर सिंह ने गरीबी की वजह से हायर सेकेण्डरी से आगे की पढ़ाई नहीं की।

जयशंकर सिंह कठोर श्रम करने वाले एक मेहनतकश थे। मजदूर अगर ज्यादा पैसे कमाने के लिए 8 घंटे से ज्यादा श्रम करे तो अतिश्रम से मजदूर अपनी मानवीय शक्ति का दोहन ही करेगा। जयशंकर सिंह को 2009 में लकवा मार गया। लकवे के मरीज को बेहतरीन इलाज और बेहतरीन पोषण चाहिए। गरीबी और जेहालत में ऐसा मुमकिन नहीं था। जयशंकर सिंह अपने पांव से चल नहीं सकते हैं इसलिए अंधेरे भरे कमरे में ही इनसे मिलना अच्छा?

मैंने पूछा क्या लकवा की कोई दवा इस समय ले रहे हैं? नहीं, भरपेट भोजन और परहेज ही दवा है। हंसते हुए कहा-दवा के लिए नाजायज पैसे कहां से आयेंगे। मैं जीवन में पहली बार ऐसे इंसान से मिल रहा हूँ जो अपने लिए जरूरी दवा को नाजायज मान रहा है। संभव है कि दवा और सही पोषण से जयशंकर सिंह स्वस्थ हो जायें लेकिन दवा के लिए नाजायज पैसा कहां से आये? पत्नी मीणा देवी आंगनबाड़ी सेविका हैं तो 3 हजार रुपये मासिक हर माह घर आते हैं। एक बेटा, कन्हैया का बड़ा भाई मणिकांत असम के बोगाई गांव में एक कारखाने में 6 हजार रुपये मासिक की कमाई करता है।

हम कम्युनिस्ट हैं यही पाप हो गया 
पिता जयशंकर सिंह​ किशोर उम्र से कम्युनिस्ट पार्टी के मेंबर हैं। अभी भी कार्ड होल्डर हैं। माता मीणा देवी भी समर्पित काॅमरेड हैं। कन्हैया के पिता मुझसे पूछते हैं, हम कम्युनिस्ट खानदान से हैं क्या यही पाप हो गया? दूसरे लोग इन्हें मना करते हैं, नहीं ऐसी बात नहीं सोचिए। भगत सिंह को अंग्रेजों ने राष्ट्रद्रोही कहकर ही फांसी पर लटका दिया था। आज आजाद भारत की सरकार मेरे बेटे को राष्ट्रद्रोही कह रही है। हंसते हुए कहते हैं-मेरे बेटे ने जेएनयू पर एबीवीपी को कब्जा नहीं करने दिया तो अब एबीवीपी बदला सधा रही हैं। मैं अपनी कमाई से जीवन में एक ईंट नहीं जोड़ पाया पर आज गर्व है कि मैं भगत सिंह के रास्ते पर खड़े कन्हैया का पिता हूँ।

 कन्हैया के पिता को गर्व है कि हम खानदानी कम्युनिस्ट हैं। मेरा बेटा अगर कम्युनिस्ट नहीं होता तो उसे राष्ट्रद्रोही नहीं कहा जाता। दिल्ली से पुलिस कमिश्नर का फोन आया कि आपके बेटे को राष्ट्रद्रोह में जेल भेजा जा रहा है। मैंने कहा-‘आप गलत कर रहे हैं, मेरा बेटा किसी कीमत पर राष्ट्रद्रोही नहीं हो सकता है।’ मां मीणा देवी कहती हैं, मेरी आत्मा बेटे के साथ जेल में बंद है। हमारी इच्छा होती है कि हम उड़कर बेटे को देखने चले जायें लेकिन मेरी टांग पर ही बीमार पति की जिंदगी है। आजू-बाजू के लोग चर्चा कर रहे हैं कि बिहार में विपक्ष के नेता चन्द्रशेखर को गांधी मैदान की हजारों की सभा में कांग्रेस के मुख्यमंत्री के. बी. सहाय ने गुंडों से पीटवाकर अधमरा कर अस्पताल भेज दिया था। अगर चन्द्रषेखर कम्युनिस्ट पार्टी छोड़कर कांग्रेस में चले गये होते तो वे बिहार के मुख्यमंत्री होते। कम्युनिस्ट राजनीति करोगे तो मार खाओगे, राष्ट्रद्रोही कहलाओगे। कन्हैया के घर पर जुटे कन्हैया को चाहनेवाले कहते हैं-बीहट का यह लाल सितारा लाल किले पर झंडा फहरायेगा।

यह भूमिहीन भूमिहार का परिवार है...
कन्हैया का घर : एक क्रन्तिकारी विरासत                                    फोटो - पुष्पराज
प्रिंस कुमार कन्हैया से 2 वर्ष छोटे हैं। पैसों का जुगाड़ न हो पाने की वजह से पिंस ने पत्राचार पाठ्यक्रम से एम काॅम की पढ़ाई की है। प्रिंस बताते हैं कि कन्हैया हर हाल में पढ़ना चाहता था इसलिए वह हर तरह की तकलीफ झेलता हुआ जेएनयू पहुंच गया। प्रिंस सरकारी नौकरियों की तलाश में प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में लगे हैं पर ये सोचते हैं कि हमारे पूरे परिवार की पहली प्राथमिकता कन्हैया की पढ़ाई ही हैं। मैंने जानना चाहा कि परिवार में जमीन-जायदाद कुल कितनी है। प्रिंस ने बताया कि हमारे परिवार में कभी इतनी जमीन नहीं रही कि बेच सकें या पैदावार से चूल्हा चल सके।

कुछ बीघे जमीन थी, जो गड़हरा यार्ड और फर्टिलाइजर के लिए 1955-1960 में ही अधिग्रहित हो गयी। काॅमरेड राजेन्द्र सिंह कहते हैं-भूमिहीन-मजदूर भूमिहार को सवर्ण मानकर जिस तरह बर्ताव किया जाता है, उससे बेहतर है कि ऐसे दीनहीन भूमिहारों को दलित कहा जाये। गांव के लोग इसलिए भी एकजुट हैं कि बजरंग दल और विहिप ने धमकी दी है कि कन्हैया के घर के सामने कन्हैया का पुतला जलाया जायेगा। पुलिस की नाकेबंदी की वजह से कल वे बीहट नहीं घुस पाये तो जीरोमाइल पर कन्हैया का पुतला जलाकर लौट गये। लोगबाग दुखी हैं कि बीहट के रत्न का पुतला जलानेवाले कितने सिरफिरे हैं। एक काॅमरेड कहते हैं-मार्क्स ने कहा था-धर्म अफीम है। धर्म के आधार पर मुल्क को बांटने वाली नरेन्द्र मोदी की राज्यसत्ता क्या अफीम खाकर देष के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष को राष्ट्रद्रोही कह रही है।

हमारी ताकत मुख्यमंत्री
कन्हैया के घर से छूटते हुए पड़ोसी स्त्रियां टीवी देखकर कन्हैया के घर कर्णप्रिय संदेशा लेकर आयी हैं। मुझसे कन्हैया की माता मीणा देवी बताती है कि बिहार के मुख्यमंत्री मेरे साथ हैं तो मुझे ताकत मिली है। मुख्यमंत्री मेरे साथ हैं, यह गरीब के लिए खुषी और गर्व की बात है। मुझे पक्का भरोसा है कि अब मेरा बेटा जेल से बाहर आ जायेगा और राष्ट्रद्रोह के मुकदमे से मुक्त हो जायेगा। मैं उन सबको धन्यवाद देती हूँ, जो मेरे बेटे के साथ खड़े हैं।
मुल्क के गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी आप गरीब के आंसू की कीमत नहीं जानते हैं। गरीब के आंसू पानी नहीं तेजाब होते हैं। आप एक भूमिहीन, लकवाग्रस्त, मजदूर-गरीब के बेटे को देशद्रोही कहते हैं। आप झूठ बोलते हैं तो आपकी जीभ नहीं कटती है, हम झूठ लिखेंगे तो हमारे हाथ कट जायेंगे।