मई 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुए तब कहा गया कि इस सरकार में विकास दर में तेजी आएगी और अनुमान 8 से 9 प्रतिशत का लगाया गया।
लेकिन अब क्या सीन है? नोटबंदी के बाद विकास दर घट गयी है और अनुमानित 7.6 के विकास दर से 6.6 रह गयी है। आईएमएफ (इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड) ने बीते और अगले वित्तीय वर्ष की भविष्वाणी में भारत के विकास दर को पहले से भी पिछड़ा हुआ अनुमानित किया है और कहा है कि नोटबंदी के कारण न सिर्फ 2016-17 में भारत की विकास दर पीछे रही बल्कि 2017-18 में भी अनुमानित से पीछे ही रहेगी।
सप्ताह भर पहले आल इंडिया मैन्युफैक्चर्स आर्गेनाईजेशन ने जब मार्च 31 तक नोटबंदी के कारण 50 प्रतिशत नौकरियों में कटौती और 60 प्रतिशत राजस्व के घाटे का अनुमान पेश किया तब भक्त पत्रकारों को देशद्रोहियों की साजिश लग रही थी।
अब उम्मीद की जानी चाहिए कि वह आईएमएफ की भविष्यवाणी से उनको कुछ सीख मिलेगी और वह भक्त पत्रकारिता की बजाय 'राष्ट्र पत्रकारिता' की ओर अपना महती कदम उठाएंगे।