पिछले दो दशकों से जनसंघर्षों की अगुवाई कर रहे हिमांशु कमार का महत्वपूर्ण हस्तक्षेप
भाजपा बड़ी चालाकी से सारी राजनैतिक बहस को असली मुद्दों से हटा कर गाय, मुसलमान, पाकिस्तान जैसे काल्पनिक मुद्दों पर ले गयी है। इनकी साजिश को पहचानिए, इन्हें असली मुद्दों पर खींच कर लाइए...
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत सरकार ने गरीबों को राशन मिलने के तरीके में कुछ बदलाव किये हैं। अब गरीबों के लिए दो नए नियम बनाये गए हैं।
पहला तो यह की राशन उसी को मिलेगा जिसके पास आधार कार्ड होगा। अब आधार कार्ड तो उसी का बन सकता है जिसके पास पहले से कोई पहचान पत्र हो। लेकिन जो लोग फुटपाथ पर रहते हैं, ट्रांसजेंडर, बेघर और प्रवासी मजदूर हैं इनके पास कोई पहचान पत्र नहीं हैं, इसलिए इनका आधार भी नहीं बनेगा .
और इनका आधारकार्ड नहीं बनेगा तो इन्हें राशन भी नहीं मिलेगा, जबकि सस्ते राशन की ज़रूरत तो सबसे ज्यादा इन्हीं लोगों को है। यानि जिन लोगों को राशन की सबसे ज्यादा ज़रूरत है, उन्हें ही सरकार नें धक्के मार कर बाहर खदेड़ दिया है। इसके अलावा सरकार नें राशन दुकानों में अंगूठे और उँगलियों के निशान के मार्फत ही राशन देने का नियम बना दिया है।
अब जो मजदूर पत्थर ढोने का काम करते हैं या अमीरों के घरों में बर्तन साफ़ करने वाली महिलायें हैं, उनकी उँगलियों के निशान घिस जाते हैं या सर्दियों में उंगलियों की खाल फट जाती हैं। इन हालातों में दूकान पर दी गयी मशीन उँगलियों के निशान नहीं पहचानती, बुढापे में झुर्रियां पड़ने से भी मशीन उँगलियों के निशान नहीं पहचानती।
इसकी वजह से मजदूर, महिलायें और बुजुर्ग लोग कई किलोमीटर पैदल चल कर आते हैं और मशीन के द्वारा उँगलियों के निशान ना पहचाने जाने पर खाली हाथ वापिस चले जाना पड़ता है। कई महीनों तक राशन ना देने के बाद दुकानदार लिख देता है की यह व्यक्ति राशन लेने नहीं आता है। क्योंकि सरकार द्वारा दूकान वालों को यही आदेश दिया गया है, इसके बाद ऐसे लोगों के राशन कार्ड रद्द कर दिए जाते हैं।
जाहिर है लाखों गरीबों का राशन लेने का हक सरकार साजिश करके मार रही है। एक तरफ अंबानी जैसे धनिकों को पैसे के बल पर सारे देश की आबादी की दाल से मुनाफा कमाने और तीन गुना कीमत कर देने की सहूलियत दी जा रही है। वहीं जान—बूझ कर गरीब को राशन की दूकान से भगा कर बाज़ार से सामान खरीदने की साजिश पर काम चालू है ताकि गरीब मजदूर की जेब से भी मुनाफ़ा निकाल कर तिजोरी में डाला जा सके।
हम सरकार को चुनौती देते हैं कि सरकार में दम है तो गरीब जनता से जुड़े मुद्दों पर राजनीति कर के दिखाए। सर्जिकल स्ट्राइक जैसे काल्पनिक मुद्दों पर सारे देश का ध्यान भटकाने की साजिश बंद करी जाय। चुनाव भी देश की गरीब जनता के मुद्दे पर लड़ कर दिखाइये।
देश की गरीब जनता की बात कोई नहीं सुन रहा है। भाजपा बड़ी चालाकी से सारी राजनैतिक बहस को असली मुद्दों से हटा कर गाय, मुसलमान, पाकिस्तान जैसे काल्पनिक मुद्दों पर ले गयी है। इनकी साजिश को पहचानिए, इन्हें असली मुद्दों पर खींच कर लाइए, अगर आप भाजपा के मुद्दों पर बहस में फंसेंगे तो वो आपको अपने मैदान में पीट कर भगा देंगे। इन संघियों को अपने मैदान में घसीट कर लाइए,
ये यहाँ मार खायेंगे कि ये हिन्दुओं की नहीं अमीरों के गुलामों की सरकार है।
भाजपा बड़ी चालाकी से सारी राजनैतिक बहस को असली मुद्दों से हटा कर गाय, मुसलमान, पाकिस्तान जैसे काल्पनिक मुद्दों पर ले गयी है। इनकी साजिश को पहचानिए, इन्हें असली मुद्दों पर खींच कर लाइए...
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत सरकार ने गरीबों को राशन मिलने के तरीके में कुछ बदलाव किये हैं। अब गरीबों के लिए दो नए नियम बनाये गए हैं।
पहला तो यह की राशन उसी को मिलेगा जिसके पास आधार कार्ड होगा। अब आधार कार्ड तो उसी का बन सकता है जिसके पास पहले से कोई पहचान पत्र हो। लेकिन जो लोग फुटपाथ पर रहते हैं, ट्रांसजेंडर, बेघर और प्रवासी मजदूर हैं इनके पास कोई पहचान पत्र नहीं हैं, इसलिए इनका आधार भी नहीं बनेगा .
और इनका आधारकार्ड नहीं बनेगा तो इन्हें राशन भी नहीं मिलेगा, जबकि सस्ते राशन की ज़रूरत तो सबसे ज्यादा इन्हीं लोगों को है। यानि जिन लोगों को राशन की सबसे ज्यादा ज़रूरत है, उन्हें ही सरकार नें धक्के मार कर बाहर खदेड़ दिया है। इसके अलावा सरकार नें राशन दुकानों में अंगूठे और उँगलियों के निशान के मार्फत ही राशन देने का नियम बना दिया है।
अब जो मजदूर पत्थर ढोने का काम करते हैं या अमीरों के घरों में बर्तन साफ़ करने वाली महिलायें हैं, उनकी उँगलियों के निशान घिस जाते हैं या सर्दियों में उंगलियों की खाल फट जाती हैं। इन हालातों में दूकान पर दी गयी मशीन उँगलियों के निशान नहीं पहचानती, बुढापे में झुर्रियां पड़ने से भी मशीन उँगलियों के निशान नहीं पहचानती।
इसकी वजह से मजदूर, महिलायें और बुजुर्ग लोग कई किलोमीटर पैदल चल कर आते हैं और मशीन के द्वारा उँगलियों के निशान ना पहचाने जाने पर खाली हाथ वापिस चले जाना पड़ता है। कई महीनों तक राशन ना देने के बाद दुकानदार लिख देता है की यह व्यक्ति राशन लेने नहीं आता है। क्योंकि सरकार द्वारा दूकान वालों को यही आदेश दिया गया है, इसके बाद ऐसे लोगों के राशन कार्ड रद्द कर दिए जाते हैं।
जाहिर है लाखों गरीबों का राशन लेने का हक सरकार साजिश करके मार रही है। एक तरफ अंबानी जैसे धनिकों को पैसे के बल पर सारे देश की आबादी की दाल से मुनाफा कमाने और तीन गुना कीमत कर देने की सहूलियत दी जा रही है। वहीं जान—बूझ कर गरीब को राशन की दूकान से भगा कर बाज़ार से सामान खरीदने की साजिश पर काम चालू है ताकि गरीब मजदूर की जेब से भी मुनाफ़ा निकाल कर तिजोरी में डाला जा सके।
हम सरकार को चुनौती देते हैं कि सरकार में दम है तो गरीब जनता से जुड़े मुद्दों पर राजनीति कर के दिखाए। सर्जिकल स्ट्राइक जैसे काल्पनिक मुद्दों पर सारे देश का ध्यान भटकाने की साजिश बंद करी जाय। चुनाव भी देश की गरीब जनता के मुद्दे पर लड़ कर दिखाइये।
देश की गरीब जनता की बात कोई नहीं सुन रहा है। भाजपा बड़ी चालाकी से सारी राजनैतिक बहस को असली मुद्दों से हटा कर गाय, मुसलमान, पाकिस्तान जैसे काल्पनिक मुद्दों पर ले गयी है। इनकी साजिश को पहचानिए, इन्हें असली मुद्दों पर खींच कर लाइए, अगर आप भाजपा के मुद्दों पर बहस में फंसेंगे तो वो आपको अपने मैदान में पीट कर भगा देंगे। इन संघियों को अपने मैदान में घसीट कर लाइए,
ये यहाँ मार खायेंगे कि ये हिन्दुओं की नहीं अमीरों के गुलामों की सरकार है।