Jun 22, 2017

एक क्लिक में जानिए आपके गांव में किस वर्ष किस मद में कितना हुआ खर्च

गौहत्या, दंगा—फसाद, हिंदू—मुसलमान, जाति—धर्म की नकारात्मक खबरों के बीच मोदी सरकार की इस महत्वपूर्ण पहल की की जानी चाहिए तारीफ, लेकिन कई ग्राम पंचायतों का डाटा अभी पूरी तरह नहीं है अपलोड.....


हर सरकार अपनी तमाम खामियों के बीच कुछ महत्वपूर्ण कर जाती है। पिछली मनमोहन सिंह की सरकार ने भी आरटीआई, खाद्य सुरक्षा और नरेगा जैसे कई महत्वपूर्ण काम किये थे। उसी कड़ी में मोदी सरकार ने भी विकास का पैसे का हिसाब जन-जन को देकर बहुत ही महत्वपूर्ण काम किया है। इसे आरटीआई का एक्सटेंशन भी कहा जा सकता है, क्योंकि एक आरटीआई से जानकारी लेने में महीनों से वर्षों लग जाते हैं, जबकि अब आप एक क्लिक से अपने गांव या ग्राम पंचायतों के खर्चों को आसानी से देख सकते हैं।
कहा जा रहा है कि भारत सरकार यह वेबसाइट http://www.planningonline.gov.in/ReportData.do?ReportMethod=getAnnualPlanReport भारत के हर नागरिक को अधिकार सम्पन्न बनाने का काम करेगी। इससे हर वोटर जान सकेगा कि उसके गांव में नाली, खड़ंजा, नल, सफाई, अस्पताल, स्कूल, बीमारी आदि जैसे किसी भी मद में कितना पैसा आया है। वह वेबसाइट क्लिक कर एक-एक डिटेल देख सकता है। अनुभव के लिए आप भी एक बार क्लिक कीजिए, आपको अद्भुत अनुभव होगा।
इस लिंक पर जाकर पहले आप योजना का साल और राज्य का नाम टाइप करें, फिर ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायत में से किसी एक को क्लिक करें। अगर आप ग्राम पंचायत को क्लिक करेंगे तो, उसके बाद जिले पर क्लिक करें, जिला क्लिक करने के बाद, अपने ब्लॉक और ब्लॉक में अपने गांव का नाम देख क्लिक करेंगे तो आपको फिर ब्लॉक या विकास पंचायत और फिर अपने गांव पर क्लिक करके सरकार द्वारा कराये जा रहे विकास कार्यों के मद में मिले बजट को देख सकते हैं।
आपको लगेगा कि जिस अधिकार के लिए भारत की जनता 70 साल से संघर्षरत थी वह पहली बार जाकर हासिल हुआ है।
माना जा रहा है कि मोदी सरकार की यह पहल भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के काम आएगी और लोकतंत्र को मजबूत करेगी। यह जानकारी जनता के हाथ में वह हथियार है, जिसको सामने रख वोटर पूछ और मौके पर सबूत के तौर पर वेबसाइट के आंकड़े दिख सकेगा कि जो यह पैसा आया है, वह कहां खर्च हुआ है।

पतंजलि के 6 उत्पादों पर लगा प्रतिबंध, रामदेव नहीं कर पाए मीडिया मैनेज

मेडिकल जांच में फेल होने पर लगा प्रतिबंध, पहले भी 4 दवाएं हो चुकी हैं प्रतिबंधित। सवाल यह कि जो दवा नेपाल के लोगों के लिए नुकसानदायक, वह भारत में लाभदायक कैसे...

काठमांडू, जनज्वार। नेपाल सरकार ने मेडिकल जांच में गडबड़ी पाए जाने पर बाबा रामदेव और योगी बालकृष्ण के मालिकाने वाले पतंजलि के 6 उत्पादों को 21 जून से नेपाल में प्रतिबंधित कर दिया है। नेपाल के मीडिया के मुताबिक इससे पहले पतंजलि के 4 और उत्पाद माइक्रोबॉलॉजिकल जांच में असफल पाए जाने पर प्रतिबंधित हो चुके हैं।


ये सभी उत्पाद पतंजलि आयूर्वेद लिमिटेड और आयूर्वेदिक मेडिसिन कंपनी द्वारा नेपाल में उपलब्ध कराए जा रहे थे। पतंजलि के जिन उत्पादों को सरकार ने प्रतिबंधित किया है, वे हैं आमला चूर्ण, दिव्य गशर चूर्ण, बकूची चूर्ण, त्रिफला चूर्ण, अश्वंगंधा चूर्ण और अदिवा चूर्ण।

नेपाल सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए जांच में अधिकारियों ने पाया कि दवा के तौर प्रचारित ये उत्पाद तय मानकों से बहुत अलग हैं और इनके इस्तेमाल से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। ये सभी उत्पाद माइक्रोबॉयलॉजिकल टेस्ट में फेल हुए हैं।

इसी के मद्देजनर कल 21 जून को प्रतिबंधित किए जाने बाद विभाग ने तत्काल उत्पादों को बाजार से वापस मंगाने का आदेश संबंधित अधिकारियों को दे दिया है।

पतंजलि के खिलाफ नेपाल सरकार ने यह कार्यवाही '1978 ड्रग एक्ट की धारा 14' के तहत किया है।

वहीं भारत में इन दवाओं की धूम मची हुई है। रामदेव इन दवाओं के प्रचार पर हर महीने करोड़ों रुपए विज्ञापन पर खर्च कर रहे हैं। मीडिया का बड़ा हिस्सा इनके सही—गलत दावों को खूब प्रचारित कर रहा है, क्योंकि विज्ञापन का दबाव है।

यही कारण है कि रामदेव के अपनी कंपनी के उत्पादों से संबंधित तमाम अविश्वनीय दावों पर भी मीडिया समवेत स्वर में कोई सवाल नहीं उठा पाता। भारत में वह मीडिया मैनेज कर लेते हैं।

भारत में हाल ही सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी से पता चला है कि आयूर्वेद के 40 फीसदी उत्पाद मानकों से नीचे हैं, जिसमें पतंजलि के उत्पाद भी है।

भारत में वर्ष 2013 से 2016 के बीच 82 आयूर्वेदिक उत्पादों की जांच हुई, जिसमें मानकों की जांच में 32 फेल हुए। फेल होने वालों में पतंजलि दिव्य आंवला जूस और शिवलिंगी बीज दोनों ही शामिल थे।

पर भारत में असल समस्या सरकार की है। सरकार योग गुरु रामदेव की अंधसमर्थन करती है। वह उनका इस्तेमाल वोट बैंक के रूप में करती है, जबकि रामदेव अपने सही—गलत दावों पर सरकार का इस्तेमाल उसकी चुप्पी के रूप में करते हैं। खुद प्रधानमंत्री मोदी और पूरा मंत्रिमंडल रामदेव के योग, दवाओं और उनके आर्थिक उभार के आगे नमस्तक है।

ऐसे में सवाल ये है कि जो दवा नेपाल के लोगों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है, वह भारत के लोगों को स्वास्थ्य लाभ कैसे दे सकती है।

एक बार जांच की मांग तो की ही जानी चाहिए क्योंकि मुनाफे की हवस न किसी सरकार की वफादार होती है न जनता की।

मध्य प्रदेश के 15 मुस्लिम युवाओं पर दर्ज देशद्रोह का मुकदमा वापस

18 जून को लंदन में आईसीसी चैंपियंस ट्राॅफी में भारत की हार के बाद मोहद के निवासियों ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि कुछ लोगों ने भारत की हार का जश्न मनाया है...

विष्णु शर्मा की रिपोर्ट 

मध्य प्रदेश के मोहद में पुलिस ने तीन दिन पहले पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने के आरोप में जिन 15 मुस्लिम युवाओं को गिरफ्तार किया था उन पर से राजद्रोह का मामला वापस ले लिय है। बुरहानपुर जिले के एसपी आरआर परिहार ने मीडिया को बताया कि गिरफ्तार किए गए युवाओं पर राजद्रोह का आरोप साबित करना मुश्किल है।


आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में भारत की हार पर मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में आतिशबाजी कर पाकिस्तान के समर्थन और भारत के खिलाफ नारे लगाने के आरोप में 15 युवकों को गिरफ्तार किया गया था. सभी के खिलाफ देशद्रोह का प्रकरण भी दर्ज किया गया था.

गौरतलब है कि एक आरोपी के पिता ने राष्ट्रपति, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एवं राष्ट्रीय और राज्य अल्पसंख्यक आयोगों को पत्र लिख कर इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था, जिसके बाद पुलिस ने राजद्रोह की धाराएं हटा लीं।

18 जून को लंदन में आईसीसी चैंपियंस ट्राॅफी में भारत की हार के बाद मोहद के निवासियों ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि कुछ लोगों ने भारत की हार का जश्न मनाया है। रिपोर्ट पर कार्रवाही करते हुए पुलिस ने इन युवाओं को गिरफ्तार किया था।

मध्य प्रदेश में पिछले तीन सालों में साम्प्रदायिक सदभाव कम हुआ है और टकराव की घटनाएं बढ़ी हैं। इसका कारण है कि लगातार तीन बार प्रदेश में सरकार बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी को आगामी चुनोवों में अपने प्रदर्शन को लेकर संशय होने लगा है। और इसलिए उसे साम्प्रदायिक तानव का सहारा लेना पड़ रहा है। 

पिछले साल अक्टूबर में राजधानी भोपल के समीप एक जेल से कथित तौर पर फरार होने की कोशिश करने वाले 8 कथित सीमा कार्यकर्ताओं की इंकाउण्टर की पुलिसिया कहानी पर भी सवाल उठे थे। इनकाउंटर के बाद ऐसे वीडियों सामने आए थे जो पुलिस की कहानी पर सवाल उठाते थे। 

आमतौर पर साम्प्रदायिक सदभाव वाली छवि रखने वाले प्रदेश के ‘मामा’ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर जैसे से संकट के बादल घिरते जा रहे हैं उनके चहरे पर से भी ‘मामियत’ का नकाब उठता जा रहा है। 2014 के बाद, शिवराज सिंह चौहान खुद को पार्टी में लगातार अकेला पा रहे हैं। मध्य प्रदेश भाजपा में उनकी पकड़ लगातार कमजोर होती गई है। 

पिछले आम चुनाव के बाद पार्टी का नरेन्द्र मोदी विरोधी खेमा यह आशा कर रहा था कि मोदी-शाह के कमजोर पड़ते ही शिवराज सिंह चौहान एक विकल्प के रूप में उभरेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ और मोदी-शाह खेमे ने राष्ट्रीय राजनीति को पूरी तरह से अपने कब्जे में कर लिया। और तो और, व्यापमं घोटाले की सीबीआई जांच ने शिवराज की डोर इसी जोड़ी के हाथों में थमा दी है। 

लोग बताते हैं कि हाल के किसान आंदोलन के दौरान भी मुख्यमंत्री की कार्य क्षमता पर पार्टी के अंदर ढेरों सवाल उठाए गए। इन तमाम वजहों से शिवराज को अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता सताते लगी है। आगामी विधानसभा चुनाव तक वे ऐसा कुछ नहीं करना चाहते जिससे प्रदेश की राजनीति में उनकी दावेदारी कमजोर हो और उनके विरोधियों का स्वर मुखर हो। 

लगता यह भी है कि वे भी सुषमा स्वराज और अन्य नेताओं की तरह ही मोदी-शाह मानकों पर आगे चलने को राजी हो गए हैं। उनके भविष्य का तो पता नहीं लेकिन प्रदेश की राजनीति के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है।

आप पंजाब के विधायकों की विधानसभा में मार्शल्स से झड़प

दो महिला विधायकों को चोट आई, एक विधायक की पगड़ी गिरी

अकाली और आप के विधायक हुए एकजुट, पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल पहुंचे देखने, आम आदमी पार्टी ने ट्वीटर पर जताया ऐतराज

चंडीगढ़। आज पंजाब विधानसभा में जोरदार हंगामा हो गया जब आप के विधायक सुखपाल खैरा ओर लोक इंसाफ पार्टी के विधायक सिमरनजीत सिंह बैंस विधानसभा में घुसने की कोशिश कर रहे थे। ये दोनों विधायक विधानसभा के इस सत्र से सस्पेन्ड कर दिए गए हैं। फिर भी ये विधानसभा में घुसने की कोशिश कर रहे थे।



पुलिस ने इन दोनों को रोकने की कोशिश की। किसी कंफयूजन के चलते विधानसभा के भीतर इन दोनों विधायकों के निलंबन को वापस लेने को लेकर हंगामा हो गया। आप के विधायक वेल तक पहुॅंच गए। इसके बाद मार्शलों ने विधायकों को बाहर निकालने की कोशिश की। जिसमें धक्कामुक्की में आप की दो महिला विधायकों को चोट लग गई और आप के एक विधायक की पगड़ी गिर गई।

शोर बढ़ता देख अकाली दल के विधायकों ने भी आप का समर्थन करते हुए विधानसभा सत्र का बायकाट कर दिया और वो भी विधानसभा से बाहर आ गए।

आप की दो महिला विधायकों को अस्पताल ले जाया गया। जंहा पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल ने आकर उनसे मुलाकात की। उन्होंने आज का दिन लोकतंत्र के लिए काला इतिहास बताया।