Nov 8, 2016

यह भाजपा की परिवर्तन रैली का वीडियो है, किसी मुजरे का नहीं

वीडियो देख  सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं कि मोदी जी क्या ठुमकों के सहारे उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाएंगे।  लोग यह भी जानना चाह रहे हैं कि पाकिस्तानी मुजरे वाले डांस स्टाइल से आरएसएस के लोगों को इतना लगाव क्यों है



समाजवादी पार्टी की ओर से 3 नवंबर को जो रथयात्रा शुरू हुई है उसको चुनौती देने के लिए कल से भाजपा अध्यक्ष ​अमित शाह के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश भाजपा ने परिवर्तन यात्रा शुरु की। कल परिवर्तन यात्रा का पहला दिन था। पर यात्रा के पहले ही दिन स्थानीय नेताओं को मनोबल इस कदर गिरा हुआ था कि नेताओं को भीड़ जुटाने के लिए बार डांसरों के ठुमकों का सहारा लेना पड़ा। 

घर में दाना नहीं और आप थाली की पूछते हो

बांदा से आशीष सागर ​दीक्षित की रिपोर्ट  

शोभा देवी : भाजपा जीतने के बाद इन्हें कार देगी !                                              फोटो : आशीष सागर  

शोभा देवी कहती हैं, 'जब घर में अन्न ही नहीं तो थाली—परात का क्या कहूं। हमने सीमेंट के बोरे को ही बर्तन मान लिया है। 10 साल पहले पति की आत्महत्या के बाद बेटियों की शादी के बीच कभी इतना हुआ ही नहीं कि एक परात खरीद सकूं। यह चावल स्कूल वाले दे देते हैं, वह न दें तो हम खाए बिना ही मर जाएं।' 

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के पड़ोई गांव की शोभा देवी के पति किशोरी ने 6 जुलाई 2006 को अवसाद के कारण आत्महत्या कर ली थी। किशोरी साहू की आत्महत्या का कारण तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट नंदन चक्रवती द्वारा किशोरी की बेटी पर बदचलनी का आरोप लगाना था। सिटी मजिस्ट्रेट के इस वाहियात बयान के बाद लोग किशोरी के परिवार पर छींटाकशी करने लगे थे, जिससे वह अवसाद पीड़ित हो गया और निराशा में आत्महत्या कर ली थी।

गांव वाले कहते हैं कि कर्ज और फांकाकशी में मरे किसान किशोरी की हाय ऐसी लगी कि सिटी मजिस्ट्रेट खुद एड्स की बीमारी से मरा। यह अधिकारी किसानों के राहत चेक भी खा जाता था।

शोभा देवी के मुताबिक, 'गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे कई बार कम आते हैं या खाना नहीं खाते हैं। फिर मिड डे मिल में बना खाना बच जाता है तो वे लोग हमें बुला लेते हैं। चावल मेरा परिवार तभी खा पाता है जब मिड डे मिल वाले देते हैं।' 

शोभा के पति किशोरी को मरे दस वर्ष हो चुके हैं पर उनकी पत्नी शोभा की माली हालत में तनिक भी सुधार नहीं आया है. उनकी 6 बेटियां थीं। उनमें से पांच की शादी उन्होंने कर दी है। एक उन्हीं के साथ गांव में ही रहती है।   

उल्लेखनीय है कि बुंदेलखंड में किसान आत्महत्या नई बात नहीं है. ये अंतहीन कहानी अपने स्याह पन्नों से हर रोज एक नया अध्याय लिख रही है. पिछले एक दशक में 5 हजार किसान ख़ुदकुशी कर चुके हैं और ये हालात तब हैं जब सरकारें मुआवजे और पैकेज से बुन्देली किसान को खुशहाल करने का दंभ भरती है. 

12 नवम्बर को लगने वाली लोक अदालत में बैंकों ने लामबंद होकर 13  हजार किसानों को चुनौती देने की रणनीति तैयार कर ली है। अगर इस धमकी आयोजन के बाद कुछ किसान डरके,या  निराश हो के आत्महत्या कर लें तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। इन किसानों पर 22 करोड़ रुपया कर्जा बकाया है।