Feb 2, 2011

भाजपा को दलाल चाहिए और ससुर को स्टाम्प


राजनीति का अनुभव नहीं होने से जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं रंजना देवी के ससुर चंदन राम और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को लगा कि वे दलित  महिला को रबर स्टाम्प बनाने में सफल रहेंगे. लेकिन रंजना ने उनके दबाव में काम करने से मना कर दिया तो  तिकड़ी  बिगड़ गयी...

नरेन्द्र देव सिंह

उत्तराखण्ड में दलितों की बढ़ते राजनीतिक प्रतिनिधित्व को वहां की राजनीति के सनातनी कब्जेदार रहे राजपूत और ब्राह्मण  पचा नहीं पा रहे हैं। अपनी राजनीतिक अपच मिटाने के लिए उन्हें जब दलित वर्ग से आये जन प्रतिनिधियों को हटाने का काई उपाय नहीं सूझ रहा तो सवर्णी एकता का मुकम्मिल सहारा ले रहे हैं,जिसमें सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी कांग्रेस दोनों में लंगोटिया यारी निभ रही है। उसी यारी को बरकरार रखते हुए कांग्रेस और भापजा ने पिथौरागढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष रंजना कुमारी को 19जनवरी को अविश्वास प्रस्ताव के जरिये हटाया है,जिसकी साजिश रंजना के ससुर ने रची है.

रंजना देवी :    नहीं बनी मोहरा

पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रंजना देवी राजनीति में आने से पहले ग्रामीण परिवेश की घरेलू महिला थीं। उनको राजनीति का कोई अनुभव नहीं था। रंजना देवी के ससुर चन्दन राम भाजपा के कार्यकर्ता हैं व उनके पूर्व पंचायती राज्य मंत्री और भाजपा नेता बिशन सिंह चुफाल से अच्छे सम्बन्ध हैं। बिशन सिंह चुफाल वर्तमान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष है। चंदन राम ने अक्टूबर 2008में बिशन सिंह चुफाल के कहने पर रंजना देवी को जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए राजी कर लिया। इससे पहले रंजना देवी को आरक्षित सीट से जिला पंचायत सदस्य बनवा दिया था।

काफी ना-नुकर के बाद रंजना देवी जिला पंचायत अध्यक्ष बन गयी। आरम्भ में उन्हें न तो राजनीति का अनुभव था और ना ही सरकारी कामों का। चंदन राम रंजना देवी को रबर स्टाम्प बनाना चाहते थे। इसमें चंदन राम को भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का भी आशीर्वाद था। शुरू में तो रंजना देवी ने अपने ससुर व भाजपा नेताओं के दबाव में काम किया। परन्तु धीरे-धीरे जब उन्हें अनुभव होने लगा तो उन्होंने उनके दबाव में काम करने से मना कर दिया। बस यहीं से कहानी बिगड़ गयी.

नियम के मुताबिक किसी जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ दो साल से पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। इसलिए जैसे ही दो साल बीते रंजना देवी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया गया। असल में, चन्दन राम,किशन सिंह भंडारी (पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष) व बिशन सिंह चुफाल मिलकर जिला पंचायत को आवंटित पैसों की बंदरबांट करना चाहते थे। और इसके लिए रंजना देवी को मोहरा बनाना चाहते थे।

रंजना देवी ने बताया कि एक बार जब उनके ससुर से उनका झगड़ा हुआ तो उन्होंने यह बात बिशन सिंह चुफाल तक पहुंचायी। इस पर बिशन सिंह चुफाल ने उनसे कहा कि तुम अपने ससुर को प्रत्येक माह दस हजार रुपये दिया करो। तब रंजना देवी ने कहा कि मैं प्रत्येक माह दस हजार रुपया कहां से लाऊं जब कि मुझे साढ़े चार हजार माहवार ही मानदेय मिलता है। इस पर बिशन सिंह चुफाल ने कहा ‘यह तुम्हारा काम है‘  रंजना देवी पर उनके ससुर, किशन सिंह भंडारी आदि लोगों का दबाव बढ़ता जा रहा था। आरम्भ में अकुशल राजनीतिज्ञ होने के कारण तो सब ठीक था परन्तु जब वह काम सीख गयी तो उन्हें प्रताड़ित किया जाने लगा।

चुफाल की चाल: हो गयी कामयाब

पिथौरागढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं रंजना कुमारी दलित हैं और उत्तराखंड में 2008 में संपन्न हुए जिला पंचायत चुनाव में भाजपा समर्थित प्रत्याशी के तौर पर पहली बार चुनाव लड़ीं और जीतीं.उत्तराखंड के इतिहास में ऐसा पहली बार है कि किसी जिला पंचायत अध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव के जरिये हटाया गया है। इससे पहले पिछले महीने रामनगर जिला के क्यारी ग्राम पंचायत में एक दलित ग्राम प्रधान को अविश्वास प्रस्ताव के जरिये हटाने के साजिश रची गयी थी,पर वह असफल रही। दलित ग्राम प्रधान को अविश्वास प्रस्ताव के जरिये हटाने की कोशिश भी उत्तराखंड में पहली बार हुई थी। इस खबर को जनज्वार के लिए सलीम मल्लिक ने लिखा था,जिसे सवर्णों को मंजूर नहीं एक दलित शीर्षक से प्रकाशित  किया गया था। 

पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष किशन सिंह भंडारी ने एक बार रंजना देवी को जातिसूचक शब्दों के साथ उल्टा-सीधा कहा। रंजना देवी ने इसकी शिकायत भी बिशन सिंह चुफाल से की तब उन्होंने कहा कि ‘‘इसका सबूत लाओ।‘‘ रंजना देवी कहती हैं कि ‘‘प्रदेश में किसी महिला का शोषण होगा और यह लोग बस सबूत मांगेंगे।‘‘ रंजना देवी के ससुर ने एक बार उन्हें अपनी लाइसेंसी बंदूक का डर दिखाते हुए जान से मारने तक की धमकी दे दी थी। इस पर भी चुफाल ने सबूत मांगा।

रंजना के ससुर स्वयं सरकारी पैसों के गबन में लिप्त रहे। चंदन राम ठेकेदारी का काम करते हैं और उन्हें भाजपा नेताओं से पैसा मिलता है। रंजना देवी ने बताया ‘‘एक बार मेरे ससुर को मंदिर बनवाने के लिए नेताओं से पैसा मिला तो उसका गबन करके उन्होंने अपना मकान बना लिया।‘‘जब चंदन राम ने देखा कि बहू कठपुतली बनने से इंकार कर रही है तो उन्होंने रंजना देवी पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने शुरू कर दिए। यह आरोप इतने गिरे हुए थे जिन्हें लिखा भी नहीं जा सकता।

इस पूरी कहानी में भाजपा नेता बिशन सिंह चुफाल व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष किशन सिंह भंडारी ने जब देखा कि उनके स्वार्थ रंजना देवी के सहारे पूरे नहीं हो रहे हैं तो रंजना देवी को निशाना बनाना शुरू कर दिया। इस काम में किशन सिंह भंडारी ने बिशन सिंह चुफाल की मंशा को पूरा करने का जिम्मा लिया। किशन सिंह भंडारी ने रंजना देवी के ससुर के साथ मिलकर जिला पंचायत सदस्यों को अपने साथ मिलाना शुरू किया।

इसके बाद रंजना देवी पर तमाम आरोप लगाये। जैसे कि रंजना देवी सरकारी गाड़ी का दुरुपयोग करती हैं,जिला पंचायत की आवश्यक बैठकों को नहीं करतीं,धनराशि का दुरुपयोग करती हैं व जिला पंचायत अध्यक्ष भाई-भतीजावाद को बढ़ावा दे रही है। रंजना देवी सोचती रही कि बिशन सिंह चुफाल बड़े नेता हैं और उनके साथ इंसाफ करेंगे लेकिन बिशन सिंह चुफाल ने अविश्वास प्रस्ताव से कुछ दिनों पूर्व रंजना देवी को झूठा आश्वासन दिया कि वह पद पर बने रहेंगी। 16 जनवरी को संदेश भिजवा दिया कि इस्तीफा दे दो। रंजना देवी प्रदेश अध्यक्ष के इस रवैये से सकते में आ गयी।

आज रंजना देवी के साथ भाजपा का कोई भी नेता नहीं है। उनका साथ देने कोई भी जिला पंचायत सदस्य नहीं आया। सबको सत्ता का डर सता रहा है। रंजना देवी के दो बच्चे हैं। आज उनके पति व अन्य ससुराल वालों ने उनका साथ छोड़ दिया है। ऐसे में रंजना देवी अपने अकेले दम पर इन सब लोगों से मोर्चा ले रही हैं  और अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ लड़ रही हैं.


  लेखक पत्रकार हैं, उनसे  narendravagish@gmail.com  पर संपर्क किया जा सकता है.