Mar 8, 2011

विनम्र मुस्कान के साथ एक लंबी प्रतिबद्ध यात्रा



नई दिल्ली। एक सादा-सच्चा इंसान,एक विनम्र मुस्कान के साथ एक लंबी प्रतिबद्ध यात्रा...। यही थे अनिल सिन्हा। शालीन, स्वाभिमानी,मार्क्सवाद में गहरी आस्था रखने वाले एक सच्चे कामरेड। आचार और विचार में कोई फर्क नहीं,जीवन विचारों का ही प्रतिबिम्ब और विचारों से ही रचा-बुना जीवन। ऐसे ही थे जाने-माने लेखक और पत्रकार अनिल सिन्हा।

अनिल सिन्हा की याद में दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में गुरुवार को हुई सभा-संगोष्ठी में अनिल जी का यही रूप,यही छवि उभर-निखर कर आई। इस स्मृति सभा का आयोजन किया था जन संस्कृति मंच की दिल्ली इकाई ने। अनिल सिन्हा का निधन बीती 25फरवरी को पटना के मगध अस्पताल में हो गया था।

वे 22 फरवरी को दिल्ली से पटना जा रहे थे कि रास्ते में ट्रेन में ही उन्हें ब्रेन स्ट्रोक पड़ा और तीन दिन कोमा में रहने के बाद उन्होंने 25 फरवरी को दिन के करीब 12बजे आख़िरी सांस ली। अनिल सिन्हा  निधन से साहित्य और संस्कृति जगत में गहरा शोक है। उन्हीं की यादों को साझा करने, उनके लेखन पर चर्चा करने के लिए जसम की ओर से आयोजित इस सभा में अनिल जी के नए-पुरानेसंगी-साथी,लेखक,पत्रकारऔर संस्कृतिकर्मी इकट्ठा हुए।

इस मौके पर वरिष्ठ कवि,आलोचक और अनुवादक सुरेश सलिल ने कहा कि अनिल माओ की उदासी से आगे जाकर बहुत चीज़ें समेटे हैं। अपनी मित्रता और दुख को उन्होंने अपनी कविता “अब जो ख़बरें आनी हैं ”में बड़े ही मार्मिक ढंग से व्यक्त किया-
...और अब तुम भी (!) /सिन्-हा- /अनिल / हा!
हो गए सिनीने-माज़िया/ यानी कि बीते हुए बरस
मगर…/ मगर फिर भी/ अलविदा कैसे कहूं
जिंदगी जाविदानी है/ औ’ मेरी आत्मा के जासूस

वरिष्ठ कवि मंगलेश डबराल ने कहा कि अनिल का जीवन उनके विचारों का प्रतिबिम्ब था। शराफत, शालीनता,स्वाभिमानी। एक सच्चा साथी जो अपने विचारों से डिगा नहीं। एक सच्चा कामरेड था अनिल।

भाकपा (माले)के वरिष्ठ सदस्य राजाराम ने कहा कि अनिल जी हमेशा देश और जनता के प्रति चिंतनशील रहे। उनके लेखन,उनकी सोच को व्यवस्थित ढंग से सामने लाना अब हम सबकी जिम्मेदारी है। सभा में सभी ने इसका समर्थन किया। उनसे पहले और उनके बाद भी यही बात कई वक्ताओं ने दोहराई कि अनिल जी का लेखन समग्र और व्यवस्थित ढंग से सामने लाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

कथाकार और समयांतर पत्रिका के संपादक पंकज बिष्ट ने भी अनिल सिन्हा की विनम्रता का जिक्र किया। कवि इब्बार रब्बी ने भी उन्हे याद करते हुए उनकी शालीनता और सहृदयता की बात की।

वरिष्ठ आलोचक और जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष मैनेजर पाण्डेय ने कहा कि अनिल  की विचारों पर बहुत दृढ़ता थी। वे सहनशील थे मगर ये बर्दाश्त नहीं कर सकते थे कि किसी भी साथी या संगठन के काम से मार्क्सवाद बदनाम हो। उन्होंने कहा कि मार्क्सवाद से जुड़ने के कारण अनिल में जो इंसानियत थी, इंसानियत के कारण जो अपार विनम्रता थी, वो सीखने वाली चीज़ है।

कवि कुबेरदत्त ने कहा कि अनिल  कि जनप्रियता इतनी बड़ी थी कि जो उनसे असहमत भी थे वो भी उनके प्रशंसक हो जाते थे। उनके लेखन में तार्किकता,मार्मिकता और विश्वसनीयता थी। जो उन्हें जनप्रिय बनाती थी।

कवि मदन कश्यप ने कहा कि अनिल एक बड़ी रोशनी की तरह थे..उनके आचार और विचार में कोई अंतर नहीं था। कथाकार और चित्रकार अशोक भौमिक ने अनिल जी के कला के प्रति गहरे लगाव और उनकी पैनी दृष्टि की चर्चा की।

आलोचक और जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय महासचिव प्रणय कृष्ण ने अनिल सिन्हा को याद करते हुए कहा कि कला और संस्कृति में जो अंतरसंबंध है, वे उसी मूल प्रतिज्ञा को अंत तक निभाते रहे। उन्होंने बताया कि 23मार्च से गोरखपुर में होने वाला छठा गोरखपुर फिल्म फेस्टीवल उन्ही को ही समर्पित किया जा रहा है। कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि विष्णु खरे की ओर से भेजे गए श्रद्धांजलि पत्र को भी शामिल किया गया।

इससे पूर्व सभा की शुरुआत में कार्यक्रम का संचालन कर रहीं जन संस्कृति मंच, दिल्ली की सचिव और कवि-पत्रकार भाषा सिंह ने अनिल सिन्हा का संक्षिप्त जीवन परिचय प्रस्तुत किया। वरिष्ठ पत्रकार और तीसरी दुनिया पत्रिका के संपादक आनंद स्वरूप वर्मा ने उनके अमेरिका प्रवास को लेकर लिखे संस्मरण को पढ़कर सुनाया।

कवि और अलाव पत्रिका के संपादक रामकुमार कृषक ने अनिल सिन्हा  के नागार्जुन के गद्य पर लिखी समीक्षा को प्रस्तुत किया। कवि नीलाभ ने उनकी  सन् 70में निकाली गई पत्रिका विनिमय का जिक्र करते हुए उस समय लिखी गई उनकी एक उपन्यास समीक्षा को पेश किया। नीलाभ ने उनके  के एक लंबे पत्र के अंश भी पढ़कर सुनाए जो उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर उन्हे (नीलाभ को)लिखा था।

कवि-पत्रकार मुकुल सरल ने अनिल सिन्हा के लिखे कहानी संग्रह 'मठ'से एक कहानी के अंश पढ़कर  सुनाए। शिक्षक और संस्कृतिकर्मी उमा गुप्ता ने अनिल जी की कला समीक्षा को प्रस्तुत किया। कुल मिलाकर इस स्मृति सभा में अनिल सिन्हा के व्यक्तित्व और कृतित्तव के सभी रूपों और पहलुओं पर चर्चा की गई। अंत में सबने दो मिनट का मौन रखकर अनिल जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।  




भ्रष्टाचारियों के बीच बाबा रामदेव


अभी कांग्रेस की दुश्मन भाजपा को दोस्त मानकर, किसी भ्रष्टाचारमुक्त समाज की कल्पना की जा रही है तो ज़रा एक बार जय प्रकाश नारायण  के प्रयोग को भी याद कर लें,जिसमें उन्होंने इंदिरा गांधी को सत्ता से हटाने को ही क्रांति मान लिया था...

हिमांशु कुमार

'हेलो! हिमांशु जी बोल रहे हैं?' मेरे हाँ कहने पर उधर से आवाज़ आयी, 'हम भारत स्वाभिमान मंच से बोल रहे हैं.हमने आपकी स्पीच तहेलका की साईट पर देखी है,बाबाजी चाहते हैं आप भारत स्वाभिमान मंच से जुड़ें.'

मैं उन दिनों साईकिल यात्रा पर था और उस दिन राजस्थान के झूंझनू में था. मैंने कहा 'बाबा रामदेव जी छत्तीसगढ़ आते हैं, पर रायपुर से ही मुख्यमंत्री से पैर छुआ कर वापिस चले जाते हैं, अगर बाबा दंतेवाडा आकर आदिवासियों से मिलते हैं तो हम मानेंगे की बाबा को देश के कमज़ोर लोगों की परवाह है.इसके बाद ही बात कुछ आगे बढ़ेगी.'
अब उठाएंगे देश का भार  
इसके बाद इस तरह के फोन दो बार और आये.बातचीत में मैंने अपनी मन की शंकाएं बताई और मुझे आग्रह्कर्ता कभी भी संतुष्ट नहीं कर पाए.इसके बाद ऐसे फोन आने बंद हो गए. मुझे अभी बाबा रामदेव के साथ इस देश के बड़े-बड़े क्रांतदर्शी लोगों के चले जाने पर बड़ी बेचैनी हो रही है,क्योंकि  बाबा जिस परिवर्तन की और नई समाज रचना की बातें कर रहे हैं, उसकी एक भी ईंट उनके पास नहीं है.

पहला खतरा तो यह है कि बाबा के चारों तरफ भाजपा के लोगों का जमावड़ा है. भाजपा भ्रष्टाचार के मामले में कहीं से भी कांग्रेस से कमतर है,देश में ऐसा कोई भी नहीं मानता.यहाँ तक कि सार्वजनिक रूप से ऐसा कहने की हिम्मत तो बाबा भी नहीं कर सकते.

राजनीति में दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है.इस नाते अगर अभी कांग्रेस की दुश्मन भाजपा को दोस्त मानकर किसी भ्रष्टाचारमुक्त समाज बनाने की कल्पना की जा रही है तो ज़रा एक बार जेपी के प्रयोग को भी याद कर लें, जिसमें उन्होंने इंदिरा गांधी को सत्ता से हटाने को ही क्रांति मान लिया
था और आरएसएस को साथ लेकर एक वैकल्पिक राजनीति की कल्पना कर डाली थी.

सारे देश ने देखा की मात्र सरकार बदलने से कुछ भी नहीं बदला.कांग्रेस फिर सत्ता में आ गयी और जेपी के नज़दीकी लोग जानते हैं अंतिम समय में जेपी कितने निराश थे. खैर,बाबा तो राजनीतिक रूप से जेपी जितने परिपक्व भी नहीं हैं,परन्तु वे अपनी बातचीत से ऐसा खाखा खीँच रहे हैं जैसे उनके पास इस देश के भ्रष्टाचार को समाप्त करने का कोई नुस्खा आ गया है.जबकि सच्चाई कुछ और है.
भाजपा के तीन मुख्यमंत्री: कौन है बेदाग

बाबा स्विस बैंकों के पैसे को वापिस देश में लाने पर सबसे ज्यादा जोर दे रहे हैं परन्तु काले धन की खान पर बैठे हुए अरबों रुपया बना रहे भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ बाबा की गलबहियां हैं.

 भ्रष्टाचार का सबसे घृणित रूप कर्नाटक के भाजपा राज में मंत्री बने हुए बेल्लारी बंधू की खुलेआम लूटपाट और दादागिरी,गुजरात में आदिवासियों की ज़मीने कॉर्पोरेट को देना और वन भूमि अधिनियम का पालन न करना और उस पर सर्वोच्च न्यायालय की फटकार,छत्तीसगढ़ में पैसा खाकर हजारों आदिवासियों की हत्या और उनका विस्थापन बाबा की नज़र में भ्रष्टाचार है ही नहीं.

अगर बाबा और इनके पीछे खड़े देश के समझदार लोग सचमुच ऐसा मान रहे हैं कि   पूंजीपतियों का   ये भ्रष्ट व्यवसाय ऐसे ही चलता रहे,शहरी मध्यम वर्ग के आर्थिक हितों के लिए ग्रामीण भारत का खून चूसना भी चलता रहे और कुछ वर्त्तमान नेताओं को बदल देने से क्रांति हो जायेगी, तो भाई ऐसा तो  फिल्मों में होता है सचमुच की ज़िंदगी में नहीं.





दंतेवाडा स्थित वनवासी चेतना आश्रम के प्रमुख और सामाजिक कार्यकर्त्ता हिमांशु कुमार का संघर्ष,बदलाव और सुधार की गुंजाईश चाहने वालों के लिए एक मिसाल है.उनसे vcadantewada@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.



क्या मीडिया को अगली आत्महत्या का इंतजार है?



पंजाब के नवाशहर जिले के पोजेवाल कस्बे में आइआइटीटी इंजीनियरिंग कॉलेज में बीटेक प्रथम वर्ष के छात्र योगेश रंजन पांडेय की आत्महत्या का मामला गंभीर शक्ल लेता जा रहा है .योगेश की आत्महत्या के बाद छात्रों द्वारा मुआवजे की मांग की जा रही है जिससे बचने के लिए प्रबंधन ने कॉलेज को अगले पंद्रह दिनों के लिए बंद करने की घोषणा कर दी है और पुलिस ने धारा 144 लगा दिया  है.  

प्रबंधन के इस कदम से हॉस्टल में रहने वाले छात्रों की मुश्किलें बढ़ गयीं हैं क्योंकि मेस में खाने-पीने की चीजें भरपूर मात्रा में नहीं है। दूसरी तरफ बिहार के नवादा जिले के बहादुरपुर गांव में रह रहा योगेश का परिवार इस मामले को हत्या मान रहा है और दुबारा जांच की मांग की है। वहीं कॉलेज के सिनीयर छात्र और उसके साथी योगेश के मरने के लिए कॉलेज प्रबंधन को जिम्मेदार मान रहे हैं।

गौरतलब है कि 4 मार्च को प्रथम सेमेस्टर के पांच में से चार विषयों में फेल होने की सूचना पाने के तीन घंटे बाद योगेश की आत्महत्या की सूचना छात्रों में फैली थी। फेल होने वालों में अकेले योगेश ही नहीं था,बल्कि प्रथम सेमेस्टर के करीब 98फीसदी छात्र किसी न किसी विषय में फेल हैं।


ऐसे में उच्च शिक्षा के नाम पर दुकानदारी कर रहे संस्थानों की अगर देश में कभी गिनती हुई तो पंजाब के पोजेवाल शहर का आइआइटीटी कॉलेज पहले स्थान पर गिना जायेगा। जहां तानाशाही है, चुप कराने के लिए स्थानीय पुलिस है और सबसे बढ़कर मीडिया की इस मामले को लेकर बेकद्री है। छात्रों के मुताबिक,‘स्थानीय मीडिया इस मसले को क्रिकेट वल्र्ड कप खत्म होने के बाद उठाने की बात कह रही है।’

इस बार कॉलेज के भुक्तभोगी छात्र खुद ही अपनी पीड़ा बयान कर रहे हैं कि कैसे वहां की स्थितियां आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाली हैं। लाखों रूपया संस्थान में फंसे होने के कारण उन्होंने दिल के बातें नामों से नहीं आआइटीटी स्टुडेंट और एनोनिमस के नाम से जनज्वार तक पहुंचायीं हैं, जिसे यहां हू-ब-हू प्रस्तुत किया जा रहा है...मॉडरेटर
बड़े लोग ऊँचा धंधा : कौन डाले हाथ


iitt student said...

sir,

we are the students of this college and we can't say you what is been happening with us. even the polce officials are threatening us. we have talked to the electronic media but they are not giving their response properly even some channels are saying to do it after the cricket world cup.


sir please help.


Monday, March 07, 2011

iitt student said.....

it is said that what happens is not as important as how we react to what happens unfortunately things have happened but there r no reactions from anywhere niether media nor ministry nor the government.

This issue is one of the biggest ever in an engineering college but the conditions write now in this college is worst a student can expect from an educational institution.when we peacfully want to protest against this managgment a local official mr jaswindar singh sodhi is giving an open challenge as if he is chief executive of this place and inforcing us to quit our protest.

He has earlier also spent a lot of money in heating up the pockets of the local police and even big officials like that of aicte who earlier visted this college. this man sodhi is so corrupt that he openly says that there is no one in this whole district who can change him. its an request to all the media and respected government officals through this blog that plz bring your attention towards us otherwise either we will start commiting sucide or we will end someones........

Monday, March 07, 2011

iitt student said...

I am the student of this college and the enviorment is so wrong here that i have even tried to end my life but thanks to my frinds who made me choose the right path. after after somedays its so unfortunate that our friend ranjan pandey had to choose that step. no any medis person is trying to help us even the policemen are firing their lathis on us. we have been beaten by the police so brutually and not even the girls are left out of this by them. no any media and highe authority are helping us.

so through my comment i request the media person to please have an attention to help us.

iitt student said.....

I am student of iitt and also a close friend of yogesh.it is very shocking for all of us that yogesh is no more.about this i only want to say why the college owner don't mrs rama shina not take any action about the college management mainly sodhi and k.k goel. And why rama shina is not in college when all the matter is hapining.

Monday, March 07, 2011