इरोम शर्मिला
तुम मेरे मृत शरीर को
ले जाना
रख देना फादर कूब्रू की धरती पर
आग की लपटों में
अपने मृत शरीर को राख किये जाने
उसे कुल्हाडी और कुदाल से नोचे जाने का ख़याल
मुझे ज़रा भी पसंद नहीं
बाहरी त्वचा का सूख जाना तय है
उसे ज़मीन के नीचे सड़ने देना
ताकि वह अगली पीढियों के किसी काम आये
ताकि वह किसी खदान की कच्ची धातु में बदल सके
वह मेरी जन्मभूमि कांगलेई से
शान्ति की सुगंध बिखेरेगी
और आने वाले युगों में
समूची दुनिया में छा जायेगी
(अनुवाद- मंगलेश डबराल)