Mar 29, 2011

देह दलाली का मेडिकल कॉलेज


प्रोफेसर, वार्डेन, परीक्षा नियंत्रक और सीनियर मिलकर यहाँ मेडिकल छात्राओं को नंबर दिलाने के बदले मोटी कीमत वसूलते हैं और  हमबिस्तरी के लिए मजबूर करते हैं.उच्च शिक्षा का सपना लिए आयीं इन छात्राओं को कैरियर के लिए क्या कुछ नहीं झेलना पड़ता  है...

चैतन्य भट्ट

मध्य प्रदेश। नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल  कालेज में पास कराने के नाम पर चल रहे एक सेक्स रेकैट कांड के पर्दाफाश ने जबलपुर के शिक्षा जगत के माथे पर कलंक का एक ऐसा टीका लगा दिया है जिसको मिटाना अब नामुमकिन सा हो चला है। रैकेट में शामिल लोगों और परतों को उधरते देख ऐसा लग रहा है कि यहां डॉक्टर नहीं देह के दलाल रहते हैं।

बाएं  से गिरफ्तार राजू खान,  राणा और ककोडिया                        फोटो- सनत सिंह
अपनी जूनियर छात्रा को परीक्षा में पास कराने के नाम पर एक दलाल के साथ हम बिस्तर होने के लिये पे्ररित करने वाली उसकी सीनियर छात्रा ही इस रेकैट की मुख्य पात्र थी। हालांकि उसकी अबतक गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। वहीं इस सेक्स रेकेट के पर्दाफाश होने के बाद कांड के मुख्य आरोपी राजू खान,रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक एसएस राणा और सहायक कुलसचिव रवीन्द्र काकोड़िया सलाखों के पीछे पहुंच गये है।

इस मामले में संदिग्ध भूमिका निभाने वाली मेडीकल कालेज की वार्डन नेत्र रोग विभाग अध्यक्ष डा0 मीता श्रीवास्तव और उनके पति एनाटामी विभाग के अध्यक्ष डा० एसएस श्रीवास्तव को निलम्बन का आदेश थमा दिया गया है और मामले में उनकी संलिप्तता को देखते हुये उन्हें भी गिरफतार करने के मामले में पुलिस विचार कर रही है। एजुकेशन हब के रूप में मशहूर जबलपुर में हुई इस घटना की अगर ईमानदारी से खोजबीन की जाये तो कई प्रोफेसर, राजनेताओ, अधिकरियों के चेहरो पर पड़ा नकाब उठते देर नहीं लगेगी।

नेताजी सुभाष चंद्र मेडीकल कालेज के कुछ प्राध्यापकों,रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों और इनके बीच दलाल के रूप में  काम कर रहे एक पूर्व छात्र नेता की इस कारगुजारी का भंडा अब भी नहीं फूट पाता,यदि एमबीबीएस प्रथम बर्ष की छात्रा संधू आर्य इसके खिलाफ आवाज न उठाती। छात्रावास में रह रही संधू आर्य ने वार्डन डॉ मीता श्रीवास्तव को बताया कि उसकी सीनियर छात्रा प्रेरणा ओटवाल अक्सर उससे झगड़ा करती है और उसके साथ मारपीट भी करती है।

संधू आर्य ने यह भी बताया कि प्रेरणा ओटवाल उससे गंदा काम करने के लिये भी कहती है और धमकी देती है कि यदि उसने उसकी बात नही मानी तो वह परीक्षा में कभी पास नहीं हो पायेगी। छात्रा की इस शिकायत पर डा0 मीता श्रीवास्तव कोई कार्यवाही करतीं, उल्टे उन्होंने संधू को डांटडपट कर चुप करवा दिया। धीरे-धीरे जब संधू आर्य को प्रेरणा अटवाल ने ज्यादा परेशान करना शुरू किया,तब संधू आर्य ने मेडीकल कालेज के डीन डा0केडी बघेल को एक लिखित शिकायत सौंपी जिसमें उसने एक अत्यंन्त सनसनीखेज आरोप लगाया।

संधू आर्य ने अपनी इस शिकायत में कहा कि उसकी सीनियर पे्ररणा ओटवाल उससे किसी राजू खान नामक व्यक्ति के साथ हमबिस्तर होने के लिये दबाव डाल रही हैं। संधू आर्य ने आगे लिखा कि ओटवाल बताती हैं कि अगर मैं राजू खान के साथ हमबिस्तर हुई तो उसे कोई फेल नहीं करा सकता। संधू ने अपनी शिकायत में यह भी कहा कि इसकी शिकायत उसने वार्डन डा0मीता श्रीवास्तव से भी की थी परतु उन्होंने उल्टा उसे ही चुप रहने की हिदायत दे दी.

कार्रवाई की मांग करते अवाभिप के छात्र
 मामला गंभीर होने के कारण कॉलेज प्रशासन ने इसे पूरी तरह गोपनीय बनाकर रखा। लेकिन अचानक मीडिया में लीक हो जाने से जबलपुर के शिक्षा जगत में भूचाल आ गया.एक छात्रा को परीक्षा में पास कराने के लिये अपना शरीर देने के इस आरोप ने मेडीकल के जूनियर डाक्टरों को उद्धेलित कर दिया। इधर अखिल विद्यार्थी परिषद भी इस मामले में कूद गया तो पता लगा कि जिस राजू खान का संधू आर्य ने अपनी शिकायत में उल्लेख किया था,वह रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय का पूर्व छात्र नेता रह चुका है और वर्तमान में मेडीकल कालेज और रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में ठेकेदारी करता है।

मामला अब बेहद गरमा गया था। महिला और छात्र संगठनों के दबाव में डीन डॉ बघेल ने एक जांच समीति बना दी जिसमें उन्होंने डा0 मीता श्रीवास्तव को भी शामिल का दिया,जिसका जम कर विरोध हुआ। तब संभागीय आयुक्त प्रभात पाराशर ने एडीशनल कलेक्टर मनीषा सेतिया की अध्यक्षता में एक दूसरी जांच समीति बनाई जिसमें स्त्री रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ शशि खरे, कैन्सर विभाग की अध्यक्ष डॉ पुष्पा किरार और अस्पतमाल की अधीक्षिका डॉ सविता वर्मा को शामिल किया गया। जिसका असर हुआ कि राजू खान ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया, मगर प्रेरणा अटवाल फारार ही रही.

राजू खान की गिरफ्तारी पुलिस के लिये महत्वपूर्ण थी। पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह ने राजू खान से पूछताछ की तो पता लगा कि यह पुराना रैकेट है, जिसमें वह कई वर्षों से काम कर रहा था। राजू खान ने बताया कि,‘पहले मेडीकल कालेज की छात्राओं को फेल कर दिया जाता था। फिर प्रेरणा ओटवाल के माध्यम से उन फेल छात्राओं को राजू खान से मिलवाया जाता था और ये लोग उसे पास कराने के नाम पर पचास हजार से लेकर एक लाख रूपये वसूल लेते थे। बाद में पुनर्मूल्यांकन का आवदेन लगा कर उन्हें पास कर दिया जाता था। इसमें कई छात्राओं की अस्मत का सौदा भी किया जाता था। यह सारा कुछ मेडिकल छात्राओं के भविष्य से जुड़ा होता था,इसलिये इसकी कभी कोई शिकायत नहीं होती थी।

दूसरी तरफ एमबीबीएस की कांपियां रानी दुर्गावती विश्वविद्याल के के मार्फत ही जंचने के लिये जाती थी, इसलिये परीक्षा और गोपनीय विभाग का संदेह के घेरे में आना लाजमी था। पुलिस ने राजू खान के बयानों के आधार पर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालस के परीक्षा और गोपनीय विभाग में एक साथ छापा मारा और परीक्षा नियंत्रक एसएस राणा और सहायक कुलसचिव रवीन्द्र काकोड़िया को गिरफतार कर लिया। जबलपुर के शिक्षा जगत के इतिहास में यह पहला मौका था जब परीक्षा नियंत्रक और सहायक कुलसचिव स्तर के अधिकरियों को ऐसे मामले में गिरफतार किया गया हो।

इधर बढ़ते दबाव को देखते हुए स्वास्थ मंत्री महेन्द्र हार्डिया ने सेक्स रैकेट में शामिल डॉ मीता श्रीवास्तव और उनके पति डॉ एसएस श्रीवास्तव दोनों को ही निलंबित कर दिया। डॉ एसएस श्रीवास्तव पर आरोप था कि वे छात्राओं की रात में कक्षाएं  लगाया करते थे, जिसमें कुछ छात्राओं को सारी सुविधायें मुहैया करवाते थे और कुछ छात्राओं को कोई मदद नहीं दी जाती थी। बहरहाल इस मामले की कई और परतें अभी खुलनी बाकी हैं।



राज एक्सप्रेस और पीपुल्स समाचार में संपादक रह चुके चैतन्य भट्ट फिलहाल स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम कर रहे हैं। वे तीस बरसों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।







रमन सिंह की जानकारी में हुआ हमला - अग्निवेश


जनज्वार.छत्तीसगढ़ के दंतेवाडा  इलाके में सलवा जुडूम कार्यकर्ताओं और सुरक्षा बलों द्वारा 11 से 14 मार्च के बीच आदिवासियों के गांवों को फूंक दिये जाने के बाद राहत सामग्री ले जा रहे लोगों पर जानलेवा हमले हुए हैं। राहत सामग्री ले जाने वालों में सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश भी थे,जिन पर स्थानीय पुलिस के इशारे पर जानलेवा हमला किया गया।

आदिवासियों के जलाये गए घर : अभी सबूत चाहिए
 वहां से बाल-बाल बचकर आये स्वामी अग्निवेश ने दिल्ली में 26मार्च को आयोजित एक प्रेस वार्ता में कहा कि,‘मैं किसी तरह जान बचाकर भागा हूं,नहीं तो बलवाईयों की कोशिश हमें गाड़ी में ही जिंदा फूंकने की थी।’ हालांकि जाने से पहले अग्निवेश   ने छत्तीसगढ़ के डीजीपी विश्वरंजन से इस बावत बात की तो उन्होंने इसे माओवादी पत्रकारों का हौवा बताया था और कहा कि पत्रकारिता   में माओवादियों के एजेंट भरे हैं।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के  ताड़मेटला इलाके में 14मार्च को सलवा जुडूम के बलवाईयों ने आदिवासियों के 300सौ घरों को जलाकर खाक कर दिया था। यह वही इलाका है जहां पिछले वर्ष 6 अप्रैल को सुरक्षा बलों के 76 जवानों को माओवादियों ने एक हमले में मार डाला था। ऐसे में माना जा रहा है कि हमले के दोषी माओवादियों को पकड़ पाने में असमर्थ पुलिस ने सलवा-जुडूम कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर उन गांवों को बदले की कार्यवाही में जला डाला है जिन गांवों की सीमा से माओवादियों ने कार्यवाई की थी।

बहरहाल, 14 मार्च के इस हमले का जिन आदिवासियों ने विरोध किया उन आदिवासियों को जान से मार दिया गया और 3महिलाओं से सामूहिक बलात्कार किया गया। घटना के तकरीबन 7 दिन बाद यह सूचना पहली बार अखबारों में तब आयी जब वनवासी चेतना आश्रम के हिमांशु कमार ने दिल्ली के पत्रकारों को मोबाइल के जरिये सूचित किया। इसी सूचना को पढ़कर 25 मार्च को राहत सामग्री लेकर पहुंची स्वामी अग्निवेश की टीम ताड़मेटला के उन जलाये गये गावों में पहुंच पाती उससे पहले सलवा जुडूम के लोगों ने वहां के एससएसपी कल्लूरी के इशारे पर हमला जानलेवा हमला किया और राहत सामग्री पहुंचाये बगैर वहां से स्वामी अग्निवेश का जान बचाकर भागना पड़ा।

सरकार कहती है : कुछ नहीं हुआ  
स्वामी अग्निवेश के मुताबिक वे अपने साथियों के साथ राहत सामग्री लेकर मोरपल्ली जाना चाहते थे। ये उन गांवों का इलाका था जहां 14 मार्च को आदिवासियों के घर जलाये गये थे, हत्याएं हुईं थीं और महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ था। यह कृकत्य सरकारी सुरक्षा बल कोबरा फोर्स और कोया कमांडों ने किया था। अग्निवेश आगे कहते हैं कि,‘उस इलाके में हमें न सिर्फ जाने से रोका गया बल्कि सुनियोजित योजना के तहत मुझपर और साथ गये लोगों पर जानलेवा हमला किया गया।

 इन सबके पीछे दंतेवाड़ा के एसएसपी एसआरपी कल्लूरी का हाथ था। गाड़ियों के शीशे  तोड़े,अंडे और पत्थर फेंककर प्राणघातक हमले किये। वह तो ईश्वर की कृपा है कि दिल्ली वापस आ गया हूं अन्यथा वहां हमें मार दिया जाता या फिर हमें गाड़ी समेत जिंदा जला दिया जाता।’  यह पूछने पर कि, क्या यह हमला मुख्यमंत्री रमन  सिंह की  जानकारी  के बगैर हुआ होगा, तो अग्निवेश ने कहा कि, 'ऐसा नहीं है. इन सभी वारदातों से मुख्यमंत्री पूरी तरह परिचित होंगे और उनकी जानकारी में हुआ होगा.'
इस जघन्य वारदात को अंजाम देने वाले कल्लुरी को सिर्फ दंतेवाड़ा से सरगुजा जिले में तबादला कर मुख्यमंत्री रमन सिंह अपने कर्तव्य की इती श्री कर ली है। जबकि कल्लूरी पर पहले से कई आपराधिक मामले हैं। इसी के मद्देजनर 7 जंतर-मंतर रोड दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में अग्निवेश ने कहा कि, ‘कल्लूरी जैसे अपराधी को तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए और एफआइआर दर्ज होनी चाहिए। लेकिन कल्लूरी को पिछले कई वर्षों से आखिर किन मजबूरियों में रमन सिंह की सरकार सह दे रही है। दूसरा जिसके खिलाफ एफआइआर दर्ज कर जेल में डाला जाना चाहिए उसे सरकार सरगुजा का डीआइजी बनाकर भेज दी है।’

जाहिर यह सब करके कल्लूरी अपने काले कारनामों का ही छुपाने की कोशिश कर रहे थे,जिसमें वह अबतक सफल भी हैं। क्योंकि जलाये गये आदिवासियों के गांवों से जो सूचनाएं आ रही हैं वह सच कितना प्रतिशत हैं कहना मुश्किल है। एक जानकारी के मुताबिक वहां 14 मार्च के बाद पांच से अधिक लोग भूख से मर चूके हैं और दो आदिवासी किसानों ने आत्महत्या कर ली है।


डीजीपी कहते हैं, माओवादी पत्रकारों का हौवा  है

दूसरा जिला प्रशासन की कल्लूरी के आगे क्या औकात है उसका अंदाजा यहां तक कि पत्रकारों को रोक रहे थे। हमारे साथ गये पत्रकारों को पीटा और उनके कैमरे तोड़ दिये। इससे जाहिर है कि रमन सिंह कल्लूरी के प्रति नरमदिल हैं और उनको बचाये रखने की लगातार जुगत में है।

मैं मांग करता हूं कि मुख्यमंत्री इस पूरे घटनाक्रम की नैतिक जिम्मेदारी लें और उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत न्यायधीश से जांच करायें। उससे पहले वह अपने हेलीकाप्टरों से जलाये और तबाह किये गये गांवों में राहत सामग्री पहुंचाये जाने की गारंटी भी करें। खबर आ रही है कि उन गांवों में 5लोग भूख से मर चुके हैं और दो और लोगों ने आत्महत्या कर ली है। यह सब कुछ ठीक से हो इसके लिए जरूरी है कि कल्लूरी जैसे अपराधी अधिकारी को तत्काल निलंबित कर मुख्यमंत्री दंडित करें।

फोटो- यशवंत रामटेके

बाग बगीचा दिखे हरियर



वरिष्ठ पत्रकार और रविवार डॉट कॉम के संपादक अलोक पुतुल के जरिये एक प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी गीत हमें सुनने को मिला. अब इसके  ऑडियो को आप भी सुनें...आलोक जी ने हिंदी पाठकों की सुविधा के लिए छत्तीसगढ़ी से अनुवाद कर हमतक कुछ इस तरह से प्रेषित किया था... 



एक थे केदार यादव. छत्तीसगढ़ी में अपनी तरह की आवाज़ वाले केदार यादव ने सैकड़ों गीत गाये. 70 के दशक में गांव-गांव में उनकी धमक थी. आज बहुत दिनों के बाद उनका एक गीत मिला. शायद आप सबको  भी अच्छा लगे.


गीत के बोल हैं-

बाग बगीचा दिखे ल हरियर

दुरूग वाला नई दिखे बदे हव नरियर

मोर झूल तरी

मोर झूल तरी गेंदा इंजन गाड़ी सेमर फूलगे

सेमर फूलगे अगास मन चिटुको घड़ी नरवा मा

नरवा मा अगोर लेबे नयानी


बाग और बगीचे हरे-भरे दिख रहे हैं। पर दुर्ग (छत्तीसगढ़ का एक शहर) वाला नहीं दिख रहा है। मैंने उसके लिए मन्नत मांगी है, नारियल चढ़ाया है। मेरे सर पर कलँगी है, गले में गेंदे का फुल है। हृदय रेल के इंजन की तरह धड़क रहा है। जिस तरह सेमल के ऊँचे ऊँचे पेड़ों में फुल आ गए हैं उसी तरह मेरे होठों पर सेमल फुल सी लाली है। मेरे प्रिय थोड़ी देर के लिए नाले पर मेरी प्रतीक्षा कर लेना।

आगे आप खुद ही सुनें...