प्रोफेसर, वार्डेन, परीक्षा नियंत्रक और सीनियर मिलकर यहाँ मेडिकल छात्राओं को नंबर दिलाने के बदले मोटी कीमत वसूलते हैं और हमबिस्तरी के लिए मजबूर करते हैं.उच्च शिक्षा का सपना लिए आयीं इन छात्राओं को कैरियर के लिए क्या कुछ नहीं झेलना पड़ता है...
चैतन्य भट्ट
मध्य प्रदेश। नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कालेज में पास कराने के नाम पर चल रहे एक सेक्स रेकैट कांड के पर्दाफाश ने जबलपुर के शिक्षा जगत के माथे पर कलंक का एक ऐसा टीका लगा दिया है जिसको मिटाना अब नामुमकिन सा हो चला है। रैकेट में शामिल लोगों और परतों को उधरते देख ऐसा लग रहा है कि यहां डॉक्टर नहीं देह के दलाल रहते हैं।
बाएं से गिरफ्तार राजू खान, राणा और ककोडिया फोटो- सनत सिंह |
इस मामले में संदिग्ध भूमिका निभाने वाली मेडीकल कालेज की वार्डन नेत्र रोग विभाग अध्यक्ष डा0 मीता श्रीवास्तव और उनके पति एनाटामी विभाग के अध्यक्ष डा० एसएस श्रीवास्तव को निलम्बन का आदेश थमा दिया गया है और मामले में उनकी संलिप्तता को देखते हुये उन्हें भी गिरफतार करने के मामले में पुलिस विचार कर रही है। एजुकेशन हब के रूप में मशहूर जबलपुर में हुई इस घटना की अगर ईमानदारी से खोजबीन की जाये तो कई प्रोफेसर, राजनेताओ, अधिकरियों के चेहरो पर पड़ा नकाब उठते देर नहीं लगेगी।
नेताजी सुभाष चंद्र मेडीकल कालेज के कुछ प्राध्यापकों,रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों और इनके बीच दलाल के रूप में काम कर रहे एक पूर्व छात्र नेता की इस कारगुजारी का भंडा अब भी नहीं फूट पाता,यदि एमबीबीएस प्रथम बर्ष की छात्रा संधू आर्य इसके खिलाफ आवाज न उठाती। छात्रावास में रह रही संधू आर्य ने वार्डन डॉ मीता श्रीवास्तव को बताया कि उसकी सीनियर छात्रा प्रेरणा ओटवाल अक्सर उससे झगड़ा करती है और उसके साथ मारपीट भी करती है।
संधू आर्य ने यह भी बताया कि प्रेरणा ओटवाल उससे गंदा काम करने के लिये भी कहती है और धमकी देती है कि यदि उसने उसकी बात नही मानी तो वह परीक्षा में कभी पास नहीं हो पायेगी। छात्रा की इस शिकायत पर डा0 मीता श्रीवास्तव कोई कार्यवाही करतीं, उल्टे उन्होंने संधू को डांटडपट कर चुप करवा दिया। धीरे-धीरे जब संधू आर्य को प्रेरणा अटवाल ने ज्यादा परेशान करना शुरू किया,तब संधू आर्य ने मेडीकल कालेज के डीन डा0केडी बघेल को एक लिखित शिकायत सौंपी जिसमें उसने एक अत्यंन्त सनसनीखेज आरोप लगाया।
संधू आर्य ने अपनी इस शिकायत में कहा कि उसकी सीनियर पे्ररणा ओटवाल उससे किसी राजू खान नामक व्यक्ति के साथ हमबिस्तर होने के लिये दबाव डाल रही हैं। संधू आर्य ने आगे लिखा कि ओटवाल बताती हैं कि अगर मैं राजू खान के साथ हमबिस्तर हुई तो उसे कोई फेल नहीं करा सकता। संधू ने अपनी शिकायत में यह भी कहा कि इसकी शिकायत उसने वार्डन डा0मीता श्रीवास्तव से भी की थी परतु उन्होंने उल्टा उसे ही चुप रहने की हिदायत दे दी.
मामला गंभीर होने के कारण कॉलेज प्रशासन ने इसे पूरी तरह गोपनीय बनाकर रखा। लेकिन अचानक मीडिया में लीक हो जाने से जबलपुर के शिक्षा जगत में भूचाल आ गया.एक छात्रा को परीक्षा में पास कराने के लिये अपना शरीर देने के इस आरोप ने मेडीकल के जूनियर डाक्टरों को उद्धेलित कर दिया। इधर अखिल विद्यार्थी परिषद भी इस मामले में कूद गया तो पता लगा कि जिस राजू खान का संधू आर्य ने अपनी शिकायत में उल्लेख किया था,वह रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय का पूर्व छात्र नेता रह चुका है और वर्तमान में मेडीकल कालेज और रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में ठेकेदारी करता है।
कार्रवाई की मांग करते अवाभिप के छात्र |
मामला अब बेहद गरमा गया था। महिला और छात्र संगठनों के दबाव में डीन डॉ बघेल ने एक जांच समीति बना दी जिसमें उन्होंने डा0 मीता श्रीवास्तव को भी शामिल का दिया,जिसका जम कर विरोध हुआ। तब संभागीय आयुक्त प्रभात पाराशर ने एडीशनल कलेक्टर मनीषा सेतिया की अध्यक्षता में एक दूसरी जांच समीति बनाई जिसमें स्त्री रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ शशि खरे, कैन्सर विभाग की अध्यक्ष डॉ पुष्पा किरार और अस्पतमाल की अधीक्षिका डॉ सविता वर्मा को शामिल किया गया। जिसका असर हुआ कि राजू खान ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया, मगर प्रेरणा अटवाल फारार ही रही.
राजू खान की गिरफ्तारी पुलिस के लिये महत्वपूर्ण थी। पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह ने राजू खान से पूछताछ की तो पता लगा कि यह पुराना रैकेट है, जिसमें वह कई वर्षों से काम कर रहा था। राजू खान ने बताया कि,‘पहले मेडीकल कालेज की छात्राओं को फेल कर दिया जाता था। फिर प्रेरणा ओटवाल के माध्यम से उन फेल छात्राओं को राजू खान से मिलवाया जाता था और ये लोग उसे पास कराने के नाम पर पचास हजार से लेकर एक लाख रूपये वसूल लेते थे। बाद में पुनर्मूल्यांकन का आवदेन लगा कर उन्हें पास कर दिया जाता था। इसमें कई छात्राओं की अस्मत का सौदा भी किया जाता था। यह सारा कुछ मेडिकल छात्राओं के भविष्य से जुड़ा होता था,इसलिये इसकी कभी कोई शिकायत नहीं होती थी।
दूसरी तरफ एमबीबीएस की कांपियां रानी दुर्गावती विश्वविद्याल के के मार्फत ही जंचने के लिये जाती थी, इसलिये परीक्षा और गोपनीय विभाग का संदेह के घेरे में आना लाजमी था। पुलिस ने राजू खान के बयानों के आधार पर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालस के परीक्षा और गोपनीय विभाग में एक साथ छापा मारा और परीक्षा नियंत्रक एसएस राणा और सहायक कुलसचिव रवीन्द्र काकोड़िया को गिरफतार कर लिया। जबलपुर के शिक्षा जगत के इतिहास में यह पहला मौका था जब परीक्षा नियंत्रक और सहायक कुलसचिव स्तर के अधिकरियों को ऐसे मामले में गिरफतार किया गया हो।
इधर बढ़ते दबाव को देखते हुए स्वास्थ मंत्री महेन्द्र हार्डिया ने सेक्स रैकेट में शामिल डॉ मीता श्रीवास्तव और उनके पति डॉ एसएस श्रीवास्तव दोनों को ही निलंबित कर दिया। डॉ एसएस श्रीवास्तव पर आरोप था कि वे छात्राओं की रात में कक्षाएं लगाया करते थे, जिसमें कुछ छात्राओं को सारी सुविधायें मुहैया करवाते थे और कुछ छात्राओं को कोई मदद नहीं दी जाती थी। बहरहाल इस मामले की कई और परतें अभी खुलनी बाकी हैं।