Mar 29, 2011

बाग बगीचा दिखे हरियर



वरिष्ठ पत्रकार और रविवार डॉट कॉम के संपादक अलोक पुतुल के जरिये एक प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी गीत हमें सुनने को मिला. अब इसके  ऑडियो को आप भी सुनें...आलोक जी ने हिंदी पाठकों की सुविधा के लिए छत्तीसगढ़ी से अनुवाद कर हमतक कुछ इस तरह से प्रेषित किया था... 



एक थे केदार यादव. छत्तीसगढ़ी में अपनी तरह की आवाज़ वाले केदार यादव ने सैकड़ों गीत गाये. 70 के दशक में गांव-गांव में उनकी धमक थी. आज बहुत दिनों के बाद उनका एक गीत मिला. शायद आप सबको  भी अच्छा लगे.


गीत के बोल हैं-

बाग बगीचा दिखे ल हरियर

दुरूग वाला नई दिखे बदे हव नरियर

मोर झूल तरी

मोर झूल तरी गेंदा इंजन गाड़ी सेमर फूलगे

सेमर फूलगे अगास मन चिटुको घड़ी नरवा मा

नरवा मा अगोर लेबे नयानी


बाग और बगीचे हरे-भरे दिख रहे हैं। पर दुर्ग (छत्तीसगढ़ का एक शहर) वाला नहीं दिख रहा है। मैंने उसके लिए मन्नत मांगी है, नारियल चढ़ाया है। मेरे सर पर कलँगी है, गले में गेंदे का फुल है। हृदय रेल के इंजन की तरह धड़क रहा है। जिस तरह सेमल के ऊँचे ऊँचे पेड़ों में फुल आ गए हैं उसी तरह मेरे होठों पर सेमल फुल सी लाली है। मेरे प्रिय थोड़ी देर के लिए नाले पर मेरी प्रतीक्षा कर लेना।

आगे आप खुद ही सुनें...




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