सम्बंधित खबर- उन्होंने जेलों से पत्र भेजा है
जनज्वार ब्यूरो. मानवाधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल)ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती से प्रदेश की जेलों में बंद तारिक कासमी और खालिद की गिरफ्तारी की जांच के लिए बने आरडी निमेष जांच आयोग की रिपोर्ट तत्काल प्रभाव से सार्वजनिक करने की मांग की।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी,फ़ैजाबाद और लखनऊ कचहरी में २७नवम्बर २००७को हुए छह श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों के आरोपी तरीक कासमी और खालिद अंसारी की गिरफ़्तारी के तीन साल से अधिक का समय गुजार चुका है . संगठन के प्रदेश संगठन मंत्री मसीहुद्दीन संजरी,तारिक शफीक और विनोद यादव ने कहा कि कासमी और खालिद पर जो आतंकवादी होने का आरोप लगा है वह झूठा है. मगर धमाकों बंद ये दोनों बेगुनाह इसलिए जेलों से बाहर नहीं हो पा रहे हैं कि आरडी निमेश कमिटी की जाँच रिपोर्ट सार्वजानिक नहीं हुई है.
तारिक कासमी: बाराबंकी जेल में बंद |
पीयुसीएल के सदस्यों के मुताबिक यूपी एसटीएफ को जाँच के बहाने जो विशेष अधिकार दिए गए हैं वो अपने अधिकारों का उल्लंघन कर रही है. एसटीएफ़ जहां राष्ट् के आम नागरिकों को गैर कानूनी तरीके से फंसा रही है तो वहीं गैरकानूनी तरीके से खतरनाक विस्फोटक और असलहे राष्ट् विरोधी तत्वों से प्राप्त कर रही है।
पीयूसीएल के मसीहुद्दीन संजरी, तारिक शफीक, विनोद यादव, अंशु माला सिंह, अब्दुल्ला एडवोकेट, जीतेंद्र हरि पांडे, आफताब, राजेन्द्र यादव,तबरेज अहमद ने मायावती सरकार से मांग की कि आरडी निमेष जांच आयोग की रिपोर्ट तत्काल लायी जाय।
पीयूसीएल के मसीहुद्दीन संजरी, तारिक शफीक, विनोद यादव, अंशु माला सिंह, अब्दुल्ला एडवोकेट, जीतेंद्र हरि पांडे, आफताब, राजेन्द्र यादव,तबरेज अहमद ने मायावती सरकार से मांग की कि आरडी निमेष जांच आयोग की रिपोर्ट तत्काल लायी जाय।
संगठन ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में कहा कि हम आपको याद दिलाना चाहेंगे कि आजगढ़ के तारिक कासमी का 12 दिसंबर 2007 को रानी की सराय चेक पोस्ट पर कुछ असलहाधारियों ने अपहरण कर लिया, जिस पर स्थानीय स्तर पर तमाम राजनीतिक दलों और मानवाधिकार संगठनों ने धरने प्रदर्शन किए और जनपद की स्थानीय पुलिस ने तारिक को खोजने के लिए एक पुलिस टीम का गठन भी किया।
वहीं खालिद को जिला जौनपुर के बाजार मड़ियांहूं से 16 दिसंबर 2007 की शाम चाट की दुकान से कुछ असलहाधारी टाटा सूमों सवार उठा ले गए थे, जिसके मड़ियाहूं बाजार में दर्जनों गवाह हैं। जिस पर भी काफी धरने-प्रदर्शन हुए और मांग की गई कि जल्द से जल्द उसको खोजा जाय। और इसी के बाद 22 दिसंबर 2007 को यूपी एसटीएफ ने दावा किया कि उसने यूपी के लखनऊ, फैजाबाद और वाराणसी कचहरी बम धमाकों के आरोपी तारिक कासमी और खालिद को उसने सुबह बाराबंकी रेलवे स्टेशन से भारी मात्रा में विस्फोटक पदार्थों और असलहों के साथ गिरफ्तार किया।
यूपी एसटीएफ के इस दावे के बाद मानवाधिकार संगठनों के लोगों का यह दावा पुख्ता हो गया कि इन दोनों को यूपी एसटीएफ ने गैर कानूनी तरीके से उठा कर अपने पास गैर कानूनी तरीके से पहले से रखे विस्फोटक पदार्थों को दिखा कर गिरफ्तार किया। जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से इस घटना की जांच के लिए आरडी निमेष जांच आयोग का गठन किया गया. आयोग को छह महीने के भीतर अपनी जांच प्रस्तुत करनी थी।
मगर गिरफ्तारी के तीन साल बीत जाने के बाद भी जांच आयोग की निष्क्रियता के चलते रिपोर्ट नहीं पेश की गई जो मानवाधिकार हनन का गंभीर मसला है। जबकि जांच आयोग को मानवाधिकार संगठनों और राजनीतिक दलों तक ने अपने पास उपलब्ध जानकारियां दी। मड़ियाहूं से गिरफ्तार खालिद की गिरफ्तारी के विषय में स्थानीय मड़ियाहूं कोतवाली तक ने सूचना अधिकार के तहत यह जानकारी दी कि खालिद को 16 दिसंबर 2007 को मड़ियाहूं से गिरफ्तार किया गया था। जो यूपी एसटीएफ के उस दावे की कि उसने उसको बाराबंकी से विस्फोटक के साथ गिरफ्तार किया था, के दावे को खारिज करता है।
ऐसे में महत्वपूर्ण सवाल राष्ट् की सुरक्षा के लिए भी है कि यूपी एसटीएफ के पास कहां से इतनी भारी मात्रा में अवैध विस्फोटक और असलहे आए। साथ ही आरडी निमेष जाँच आयोग की रिपोर्ट आते ही असल गुनहगारों पर शिकंजा कसेगा और बाराबंकी की जेल में बंद बेगुनाहों को न्याय मिलेगा.