इलाहाबाद की पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता व पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टिज (पीयूसीएल) की राज्य कार्यकारिणी सदस्य व संगठन मंत्री सीमा आजाद, उनके पति पूर्व छात्रनेता विश्वविजय व साथी आशा को शनिवार को पुलिस ने इलाहाबाद जंकशन रेलवे स्टेशन से बिना कोई कारण बताए उठा लिया है। ये दोनों मानवाधिकार कार्यकर्ता नई दिल्ली से विश्व पुस्तक मेले में भाग लेकर रीवांचल एक्सप्रेस से इलाहाबाद लौट रहे थे। पुलिस का कहना है की ये लोग नक्सली हैं.
पिछले दिनों इलाहाबाद व कौशाम्बी के कछारी इलाकों में बालू खनन मजदूरों पर पुलिस-बाहुबलियों के दमन के खिलाफ पीयूसीएल ने लगातार आवाज उठाई। इलाहाबाद के डीआईजी ने बाहुबलियों व राजनेताओं के दबाव में मजदूर आंदोलन के नेताओं पर कई फर्जी मुकदमें लादे हैं। डीआईजी ने यहां मजदूरों के ‘लाल सलाम’ सम्बोधन को राष्ट्रविरोधी मानते हुए, ‘लाल सलाम’ को प्रतिबंधित करार दिया था। पीयूसीएल ने लाल सलाम को कम्युनिस्ट पार्टियों का स्वाभाविक सम्बोधन बताते हुए इसे प्रतिबंधित करने की मांग की निंदा की थी। पीयूसीएल का मानना है कि 'लाल सलाम' पूरी दुनिया में मजदूरों का एक आम नारा है और ऐसे सम्बोधन पर किसी तरह का प्रतिबंध अनुचित है। इलाहाबाद-कौशाम्बी के कछारी क्षेत्र में अवैध वसूली व बालू खनन के खिलाफ संघर्षरत मजदूरों के दमन पर सवाल उठाते हुए, पिछले दिनों पीयूसीएल की संगठन मंत्री सीमा आजाद व केके राय ने कौशाम्बी के नंदा का पुरा गांव में वहां मानवाधिकार हनन पर एक रिपोर्ट जारी की थी.
नंदा के पूरा गांव में पिछले एक माह में दो बार पुलिस व पीएसी के जवानों ने ग्रामीणों पर बर्बर लाठीचार्ज किया। इसमें सैकड़ों मजदूर घायल हुए। पुलिस ने नंदा का पूरा गांव में भाकपा माले न्यू डेमोक्रेसी के स्थानीय कार्यालय को आग लगा दी. उनके नेताओं को फर्जी मुकदमों में गिरफ्तार कर कई दिनों तक जेल में रखा। इस सब के खिलाफ आवाज उठाना इलाहाबाद के डीआईजी व पुलिस को नागवार गुजर रहा था। पुलिस कत्तई नहीं चाहती की उसके क्रियाकलापों पर कोई संगठन आवाज उठाए। सीमा आजाद, उनके पति विश्वविजय व एक अन्य साथी आशा की गिरफ्तारी पुलिस ने बदले की कार्रवाई के रूप में किया है।
सीमा आजाद 'दस्तक' नाम की मासिक पत्रिका की संपादक भी हैं। उन्होंने पूर्वी उत्तर प्रदेश में मानवाधिकारों की स्थिति, मजदूर आंदोलन, सेज, मुसहर जाति की स्थिति व इन्सेफेलाइटिस बीमारी जैसे कई मसलों पर गंभीर रिपोर्टें बनाई है. सीमा आजाद के पति विश्वविजय व उनकी साथी आशा भी पिछले लम्बे समय तक इलाहाबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय में छात्रनेता के रूप में सक्रिय रहे हैं। इन्होंने 'इंकलाबी छात्र मोर्चा' के बैनर तले छात्र-छात्राओं की आम समस्याओं को प्रमुखता से उठाया है। पुलिस जिन्हें नक्सली बता रही है, वो पिछले काफी समय से छात्र और मजदूरों के बीच काम कर रहे है।
उत्तर प्रदेश पुलिस पहले भी पीयूसीएल के नेताओं को मानवाधिकारों की आवाज उठाने पर धमकी दे चुकी है। 9 नवम्बर को चंदौली में कमलेश चौधरी की पुलिस मुठभेड़ में हत्या के बाद पीयूसीएल ने इस पर सवाल उठाए थे। जिसके बाद 11 नवम्बर, 09 को खुद डीजीपी बृजलाल ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि "पीयूसीएल के नेताओं पर भी कार्रवाई की जाएगी" (देखें 12 नवम्बर, 09 का दैनिक हिंदुस्तान ). इलाहाबाद से सीमा आजाद की गिरफ्तारी पुलिस की उसी बदले की कार्रवाई की एक कड़ी है।
पीयूसीएल मांग कर रही है कि मामले पर त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिसिया उत्पीड़न पर रोक लगायी जाये और सीमा आजाद तथा उनके साथिओं को तुरंत मुक्त किया जाए.