जैसे भाजपा के बंगारू लक्ष्मण राजनीतिक परिदृश्य से आज पूरी तरह ओझल हो चुके हैं,संभव है कलमाड़ी भी अब देश की राजनीति के इतिहास का एक दर्दनाक अध्याय बनकर रह जाएं...
निर्मल रानी
भारतीय ओलंपिक संघ के पूर्व अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को सीबीआई ने हिरासत में ले लिया है। दिल्ली स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें 8 दिनों की रिमांड पर सीबीआई के सुपुर्द कर दिया है। हालांकि सीबीआई अर्थात् केंद्रीय गुप्तचर ब्यूरो ने कलमाड़ी के लिए तेरह दिन की रिमांड अदालत से तलब की थी, परंतु अदालत ने तेरह दिन के बजाए आठ दिन की ही रिमांड देना गवारा किया।
गौर करने वाली बात है कि सुरेश कलमाड़ी अपने आप में कितनी बड़ी एवं कितनी शक्तिशाली राजनीतिक शख्सियत थे। वे भारतीय वायुसेना के एक सफल पायलट, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के विशेष कृपापात्र और कई बार सांसद तथा केंद्रीय मंत्री, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल संगठनों से एक दशक से भी लंबे समय तक जुड़े रहे। यहां तक कि कलमाड़ी अपने राजनीतिक कैरियर के सबसे महत्वपूर्र्ण दौर में उस राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के अध्यक्ष बने,जिससे भारत की मान-प्रतिष्ठा जुड़ी हुई थी।
कलमाड़ी को गिरफ्तार कर अदालत ले जाती सीबीआई |
याद कीजिए राष्ट्रमंडल खेल आयोजन से पूर्व तथा इसकी समाप्ति के पश्चात जब-जब सुरेश कलमाड़ी पर खेलों के आयोजन में आर्थिक घोटाला किए जाने का आरोप लगाया जाता अथवा उन पर संदेह किया जाता, उस समय कलमाड़ी साहब संदेहकर्ताओं अथवा मीडियाकर्मियों पर भडक़ उठते थे। एक बार तो कलमाड़ी ने यहां तक कह दिया था कि यदि मैं खेल संबंधी किसी घोटाले में अपराधी साबित हुआ तो मुझे फांसी पर लटका दिया जाए। शीघ्र ही देश की जनता को यह भी पता चल जाएगा कि कलमाड़ी की इस इच्छा को अदालत कुछ कानूनी संशोधनों के पश्चात ही सही, मगर क्या उसे पूरा कर सकती है?
सुरेश कलमाड़ी को फिलहाल सीबीआई ने जिस जुर्म के तहत गिरफ्तार किया है उसके अंतर्गत् उन्होंने स्विटज़रलैंड से टीएसआर मशीनों की अवैध तरीके से खरीद की थी। टीएसआर वे उपकरण होते हैं जो टाईम, स्कोर तथा रिज़ल्ट प्रदर्शित करते हैं। इन उपकरणों की खरीद के लिए पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण तरीका अपनाया गया और 141 करोड़ रुपये का भुगतान टीएसआर मशीनों की आपूर्ति करने वाली स्विस कंपनी को बढ़े हुए मूल्य के साथ कर दिया गया।
इतना ही नहीं, इन उपकरणों की आपूर्ति के लिए अन्य कई कंपनियों द्वारा डाले गए टेंडर को भी अवैध रूप से सिर्फ इसलिए रोका गया, ताकि स्विटज़रलैंड की कंपनी विशेष को व्यक्तिगत् तौर पर लाभ पहुंचाया जा सके। इस मामले के अतिरिक्त सुरेश कलमाड़ी एक दूसरे आरोप में भी फंसते दिखाई दे रहे हैं। सीबीआई शीघ्र ही क्वीन बेटन रिले के आयोजन के समय लंदन में अत्यघिक दामों पर गाड़ियाँ किराए पर लेने के मामले की गहन तहकीक़ात कर रही है।
इस मामले में भी बिना किसी टेंडर अथवा एग्रीमेंट हस्ताक्षर किए हुए एएम फिल्मस तथा एएम कार एंड वैन हायर लिमिटेड को लंदन में आयोजन का काम सौंप दिया गया था। आरोप है कि इस अवैध कांट्रेक्ट में भी जमकर घोर अनियमितताएं बरती गईं तथा क्वींस बेटन रिले आयोजन के लिए अत्यंत मंहगे रेट पर कारों तथा वैन के किराए का भुगतान किया गया।
राष्ट्रमंडल खेल आयोजन से पूर्व ही इस बात की चर्चा ज़ोर पकड़ चुकी थी कि देश में पहली बार आयोजित होने जा रहे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अब तक के इस सबसे बड़े एवं महत्वपूर्ण आयोजन में घोर आर्थिक अनियमितताएं बरती जा रही हैं। मगर अपनी बेवजह की ‘दीदा-दिलेरी’का इस्तेमाल करते हुए सुरेश कलमाड़ी अपने आपको पाक-साफ बताने की लगातार कोशिश करते रहे। सीबीआई के उन पर लगातार शिकंजा कसते जाने के बाद आखिरकार ऐसी स्थिति बनती दिखाई देने लगी कि लाख कोशिशों, सिफारिशों तथा झूठ बोलने के बावजूद अब कलमाड़ी बच नहीं सकेंगे।
भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन के महानिदेशक वीके वर्मा तथा संघ के महासचिव ललित भनोट को सीबीआई पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। आखिरकार सीबीआई के इस कसते शिकंजे के कारण उन्हें खेल मंत्रालय द्वारा भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष पद से हटाना ही पड़ा। यहां एक बात यह भी गौरतलब है कि सुरेश कलमाड़ी अब तक तीन बार सीबीआई के समक्ष पेश हुए। पेशी के दौरान हर बार उन्होंने अपने ऊपर लगने वाले सभी आरोपों को ख़ारिज किया। झूठ का सहारा लेते हुए उन्होंने हर बार सीबीआई को गुमराह करने की कोशिश की, परंतु एक सच को छुपाने के लिए सौ झूठ का सहारा लेना आखिरकार उन्हें महंगा पड़ा।
कांग्रेस कलमाड़ी को पार्टी की सदस्यता से निष्कासित कर चुकी है। साथ ही साथ उन्हें भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष पद से भी हटाया जा चुका है। राष्ट्रमंडल खेल से जुड़े महाघोटाले के संबंध में यह अब तक की सबसे विशिष्ट व्यक्ति की गिरफ्तारी मानी जा रही है। इस बात की पूरी उम्मीद है कि सीबीआई कलमाड़ी की रिमांड के दौरान उनसे की गई पूछताछ के आधार पर देश में और भी कई गिरफ्तारियां कर सकती है तथा कई और बड़े चेहरों के नाम उजागर हो सकते हैं।
कलमाड़ी की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर आम आदमी यह सोचने पर मजबूर हो गया है कि क्या देश के इन तथाकथित कर्णधारों,कानून निर्माताओं तथा उच्च पदों पर बैठे लोगों को देश की मान-प्रतिष्ठा का कोई ध्यान नहीं रह गया है?
कितने अफसोस और शर्म की बात है कि लंदन से लेकर नई दिल्ली तक जो व्यक्ति राष्ट्रमंडल खेलों की मशाल हाथों में लहराता हुआ देश का प्रतिनिधित्व करता दिखाई दे रहा था,जो व्यक्ति कल तक खेलों के मुख्य अतिथि भारतीय राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल,प्रिंस चार्ल्स तथा उनकी पत्नी कैमिला पार्कर के समक्ष भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष के रूप में कार्यक्रम के भव्य एवं रंगारंग उद्घाटन समारोह में अपने जलवे बड़ी बेबाकी के साथ बिखेर रहा था, वही ‘सूरमा’ आज सलाखों के पीछे पहुंच चुका है।
हमारे देश में किसी संगठन के मुखिया के रूप में कलमाड़ी को दूसरे कलंक के रूप में देखा जा सकता है। इसके पूर्व राजनीतिक संगठन भाजपा के एक प्रमुख बंगारू लक्ष्मण को रिश्वत की नोटों के बंडल हाथों में लेते हुए एक स्टिंग ऑपरेशनके दौरान पकड़ा गया था। उम्मीद की जा सकती है कि जिस प्रकार बंगारू लक्ष्मण राजनीतिक परिदृश्य से आज पूरी तरह ओझल हो चुके हैं, उसी प्रकार कलमाड़ी भी अब देश की राजनीति एवं घपलों-घोटालों के इतिहास का एक दर्दनाक अध्याय बनकर रह जाएंगे।
इस पूरे घटनाक्रम में एक बात और भी ध्यान देने योग्य है कि मौजूदा विपक्षी दल विशेषकर भारतीय जनता पार्टी सीबीआई को क्राइम ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन कहने के बजाए कांग्रेस ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेशन के नाम से संबोधित किया करती थी। जब-जब सीबीआई ने किसी भाजपाई नेता पर शिकंजा कसा, तब-तब भाजपाई नेता यही चिल्ल-पौं करते दिखाई दिए कि सीबीआई कांग्रेस पार्टी के संगठन जैसा व्यवहार करती है तथा सरकार के दबाव में रहकर काम करती है आदि। सीबीआई को संदेह की नज़रों से देखने वाले यही विपक्षी नेता यह बात भी अच्छी तरह जानते हैं कि सुरेश कलमाड़ी की राजनीतिक पहुंच कहां तक थी। फिर कलमाड़ी मुद्दे पर सीबीआई सरकार और कांग्रेस के दबाव में आखिर क्योंकर नहीं आई?
बहरहाल,कलमाड़ी की तमाम रक्षात्मक कोशिशों और उपायों के बावजूद उन्हें उनके उस ठिकाने पर पहुंचा दिया गया है जिसके वह वास्तविक अधिकारी थे। अदालत में जाते-जाते आम जनता के क्रोध के प्रतीकस्वरूप उन पर एक उत्साही नवयुवक द्वारा चप्पल फेंककर भी उन्हें तथा देश के सभी घोटालेबाज़ों को यह संदेश दे दिया गया है कि सिंहासन पर कब्ज़ा जमाए बैठे भ्रष्टाचारियो, तुम्हारी जगह दरअसल जेल और हवालात की सीख़चों के पीछे है,न कि पांच सितारा स्तरीय महलों, कार्यालयों अथवा होटलों में।
चप्पल के माध्यम से भी शायद यही संदेश दिया गया है कि 'ऐ देश की गरीब जनता की खून-पसीने की कमाई को बेदर्दी से लूटने वाले ढोंगी समाज सेवियों तथा राजनेतारूपी पाखंडियों तुम पुष्पवर्षा तथा फूलमाला के पात्र नहीं, बल्कि जूते,चप्पल,सड़े टमाटर और सड़े अंडों से स्वागत करने के ही योग्य हो।
आशा की जानी चाहिए कि सुरेश कलमाड़ी जैसे दिग्गज की गिरफ्तारी के बाद शीघ्र ही देश के अन्य कई तथाकथित वीआईपी लोगों के हाथों में भी हथकडिय़ां लगी दिखाई देंगी। चाहे वे राष्ट्रमंडल खेल घोटाले से जुड़े हुए घोटालेबाज़ हों या 2जी स्पेक्ट्रम से संबंधित लुटेरे। हालांकि ऐसी खबरें देश की जनता को विचलित ज़रूर करती हैं, मगर भ्रष्टाचार को देश से जड़ से उखाड़ फेंकने की दिशा में ऐसी गिरफ्तारियों को एक सकारात्मक कदम तथा शुभ संकेत माना जा सकता है।
लेखिका उपभोक्ता मामलों की विशेषज्ञ हैं और सामाजिक-राजनीतिक विषयों पर भी लिखती हैं. इनसे mailto:nirmalrani@gmail.कॉम पर संपर्क किया जा सकता है.