भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को अंदाजा नहीं था कि एक अकेली लड़की गुरमेहर कौर भाजपा के लिए इतनी बड़ी चुनौती बन जायेगी। अन्यथा वह विद्यार्थी परिषद वालों को चूं तक नहीं करने देते। लेकिन अब मामला हाथ से बाहर जा चुका है और उनको उत्तर प्रदेश के शहरी मतदाताओं के छिटकने का डर सता रहा है....
दरअसल, भाजपा को लगा था कि पार्टी को उत्तर प्रदेश के पश्चिम में जाटों के विरोध के कारण वोट का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई पूर्वी उत्तर प्रदेश कर देगा। पर 15, 23 और 27 फरवरी के चुनाव में भाजपा कुछ खास नहीं कर पाई। आरएसएस ने कहा है हम सत्ता में नहीं आ रहे।
आखिरी बाजी के तौर पर अध्यक्ष अमित शाह ने 4 और 8 मार्च के चुनाव को माना। इसी के मद्देनजर अमित शाह ने अपना और सहयोगियों का लखनऊ से बोरिया बिस्तर समेटवाकर बनारस पहुंचवा दिया।
पर पार्टी सूत्र बता रहे हैं, अब अमित शाह का सपना पूरा होने का चांस कम लग रहा है। शहरी वोटरों में कारगिल शहीद की बेटी की चर्चा है। दूसरी पार्टियों के समर्थक हर तरफ शहीद की बेटी का माहौल बना रहे हैं। कारगिल शहीद की बेटी होने की वजह से भाजपा प्रचारक मुश्किल में हैं क्योंकि यह शहीद, सेना, शहादत, बॉर्डर इनके लिए हॉट केक होते हैं।
प्रांत की जिम्मेदारी निभा रहे एक आरएसएस से जुड़े जानकार का कहना है, अमित शाह और उत्तर प्रदेश की टीम दिल्ली में फोन पर फोन किये जा रही है कि लड़की के मामले को समेटो। इसी के तहत एबीवीपी ने अपनी ओर से कारगिल शहीद की बेटी को गाली और बलात्कार की धमकी देने वालों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराने की कोशिश की है। पर बवाल और सामूहिक और व्यापक होता जा रहा है। गृहराज्य मंत्री ने उल्टा बोलकर बड़ी मुश्किल खड़ी हो गयी है। यह हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती है।
मैंने उनसे पूछा, आप ऐसा कैसे मान रहे हैं? और बीजेपी ने उल्टा बोला ही क्यों? उन्होंने कहा, 'भाजपा की सामान्य रणनीति चढ़ बैठने की है। जब न संभले फिर नरम होना है। भाजपा ने यह आरएसएस से उधार लिया है। पर आज हमेशा नहीं चल सकता।
उन्होंने आगे कहा, 'आज ही बीएचयू की महिला शाखा बनारस शहर में प्रचार करने गयी थी। लोगों ने कारगिल की बेटी पर सवाल पूछ-पूछ कर मुश्किल कर दिया। बनारस के रविन्द्रपुरी के एक महिला होस्टल से लड़कियों ने भाजपा प्रचारकों को भगा ही दिया।'