Feb 28, 2017

गुरमेहर कौर से डरने लगे हैं अमित शाह

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को अंदाजा नहीं था कि एक अकेली लड़की गुरमेहर कौर भाजपा के लिए इतनी बड़ी चुनौती बन जायेगी। अन्यथा वह विद्यार्थी परिषद वालों को चूं तक नहीं करने देते। लेकिन अब मामला हाथ से बाहर जा चुका है और उनको उत्तर प्रदेश के शहरी मतदाताओं के छिटकने का डर सता रहा है....


दरअसल, भाजपा को लगा था कि पार्टी को उत्तर प्रदेश के पश्चिम में जाटों के विरोध के कारण वोट का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई पूर्वी उत्तर प्रदेश कर देगा। पर 15, 23 और 27 फरवरी के चुनाव में भाजपा कुछ खास नहीं कर पाई। आरएसएस ने कहा है हम सत्ता में नहीं आ रहे।

आखिरी बाजी के तौर पर अध्यक्ष अमित शाह ने 4 और 8 मार्च के चुनाव को माना। इसी के मद्देनजर अमित शाह ने अपना और सहयोगियों का लखनऊ से बोरिया बिस्तर समेटवाकर बनारस पहुंचवा दिया।

पर पार्टी सूत्र बता रहे हैं, अब अमित शाह का सपना पूरा होने का चांस कम लग रहा है। शहरी वोटरों में कारगिल शहीद की बेटी की चर्चा है। दूसरी पार्टियों के समर्थक हर तरफ शहीद की बेटी का माहौल बना रहे हैं। कारगिल शहीद की बेटी होने की वजह से भाजपा प्रचारक मुश्किल में हैं क्योंकि यह शहीद, सेना, शहादत, बॉर्डर इनके लिए हॉट केक होते हैं।

प्रांत की जिम्मेदारी निभा रहे एक आरएसएस से जुड़े जानकार का कहना है, अमित शाह और उत्तर प्रदेश की टीम दिल्ली में फोन पर फोन किये जा रही है कि लड़की के मामले को समेटो। इसी के तहत एबीवीपी ने अपनी ओर से कारगिल शहीद की बेटी को गाली और बलात्कार की धमकी देने वालों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराने की कोशिश की है। पर बवाल और सामूहिक और व्यापक होता जा रहा है। गृहराज्य मंत्री ने उल्टा बोलकर बड़ी मुश्किल खड़ी हो गयी है। यह हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती है।

मैंने उनसे पूछा, आप ऐसा कैसे मान रहे हैं? और बीजेपी ने उल्टा बोला ही क्यों? उन्होंने कहा, 'भाजपा की सामान्य रणनीति चढ़ बैठने की है। जब न संभले फिर नरम होना है। भाजपा ने यह आरएसएस से उधार लिया है। पर आज हमेशा नहीं चल सकता।

उन्होंने आगे कहा, 'आज ही बीएचयू की महिला शाखा बनारस शहर में प्रचार करने गयी थी। लोगों ने कारगिल की बेटी पर सवाल पूछ-पूछ कर मुश्किल कर दिया। बनारस के रविन्द्रपुरी के एक महिला होस्टल से लड़कियों ने भाजपा प्रचारकों को भगा ही दिया।'

जवानों के हक में

तैश पोठवारी की कविता 

कोई तरंग नहीं दौड़ी थी उसके मन में
देशभक्ति की
इससे पहले उसका बाप उसे गालियां निकाले
उसके निक्कमेपन पर
वो निकल जाता था दौड़ लगाने
खेतों के पास वाली सड़क पर
इस तरह वो फ़ौज में दाखिल हुआ
दो रोटी के टुकड़े और कुछ कमा सकने की एवज में
उसने खाई देशभक्ति की कसम
जहां उससे उसका दिमाग लेकर
उसके हाथ में पकड़ा दी गई बन्दूक
ट्रेनिंग में वह मां बहन की गालियां खाता रहा
अफसर के घर झाड़ू लगाता रहा
अपने परिवार के साथ दो पल बिता सकने की ख्वाहिश को दिल में दफ़न कर
वो खाता रहा धक्के
अपने बिस्तरबंद के साथ
जम्मू, इलाहाबाद, अम्बाला, गुवाहाटी, बंगलौर
जहां भी गया
देशभक्ति के लिए नहीं
अपने और बीवी बच्चों के पेट की खातिर
एक दिन उसे खड़ा कर दिया गया सीमा पर
अपनी ही तरह दिखने वाले
बलि के बकरों के आगे
कसाई के जयकारे लगाना जिनकी मज़बूरी थी
वह मारा गया
अपने घर परिवार से बहुत दूर
मक्कार कसाई की गंदी राजनीति को जिन्दा रखने के लिए
कल 26 जनवरी के दिन
उसकी विधवा जाएगी दिल्ली
बूचड़खाने के मालिक के हाथों
शहीदी का प्रमाणपत्र लाएगी
और सारी उम्र पेंशन के लिए
बैंक की लाइन में धक्के खाएगी