उत्तर प्रदेश को अपराध, भ्रष्टाचार और माफियाराज के आधार पर बांटें तो मोटे तौर पर प्रदेश के तीन हिस्से होते हैं,जिसके मुख्य खिलाड़ी इस वक्त शराब माफिया पोंटी चड्ढा हैं। पोंटी चड्ढा वह शख्सियत हैं जो सीधे मायावती तक पहुंच रखते हैं और शराब की हर बोतल पर बीस रूपया अधिक वसूलते हैं और प्यार से दुकानदार इस वसूली को मायावती टैक्स नाम देते हैं...
अजय प्रकाश
अलीगढ़ में आयोजित किसान महापंचायत से एक दिन पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के बारे में कहा कि राज्य को दलाल चला रहे हैं। उनके इस तल्ख बयान पर लाजिमी प्रतिक्रिया राज्य की सत्ताधारी पार्टी बसपा की ओर से हुई और बाकी राजनीतिक दायरे में सन्नाटा रहा। सन्नाटा कुछ यूं रहा मानो इस स्थापित सच का विकल्प जनता को किसी राजनीतिक दल में नहीं दिखता हो और सियासी जरूरतों के लिए पार्टियां दोहराव भर करती हों।
विपक्षी पार्टियों के बेअसर दोहराव की ही वजह से प्रदेश में लगातार आपराधिक वारदातें हो रहीं हैं, सत्ताधारी पार्टी के मंत्री से लेकर विधायक तक आकंठ भ्रष्टाचार में डुबे हैं और मुख्य विपक्षी पार्टी सपा बलात्कार प्रदेश का तमगा थमा कर जनता में अपने जिम्मेदारी की इतीश्री कर ले रही है। वहीं कांग्रेसी नेता मीडिया में बयानों से अधिक अपने कार्यभार ही नहीं मान रहे हैं। और बची भाजपा तो वह अभी अपने नेता उमा भारती को महान बनाने में जुटी है।
अगर बीते जून महीने की बात की जाये तो प्रदेश में करीब दर्जन भर मामले महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों के सामने आ चुके हैं,जिनमें सर्वाधिक मामले दलित और पिछड़ी जातियों के परिवारों से हैं। लखनउ में डिप्टी सीएमओ की जेल में संदिग्ध हत्या में प्रदेश सरकार के दो मंत्रियों अनंत मिश्र और बाबूसिंह कुषवाहा पर गहरी साजिश की बात सामने आयी है तो मुख्यमंत्री के चहेते और सर्वाधिक मंत्रालय संभालने वाले नसीमुद्दीन सिद्दकी के संरक्षण में बुंदेलखंड की खानों और बालू ठेकों से करायी जा रही अवैध वसूली किसी से छीपी नहीं है। इन खानों में बड़ी हिस्सेदारी बाबूसिंह कुशवाहा की भी है। तथ्यगत तौर पर यह बात साबित न हो जाये इसके लिए ठेके-पट्टों का जिम्मा इनके रिश्तेदारों और चहेतों के पास सुरक्षित है।
हालत यह है कि अवैध कमाई के लिए सरकार ने परिवार कल्याण मंत्रालय को तोड़कर दो मंत्रालय बनाये और उसमें से कमाई वाले मंत्रालय का जिम्मा बाबूसिंह कुशवाहा को सौंपा,जो अब दो सीएमओ बीपी सिंह व बीपी आर्य और एक डिप्टी सीएमओ की हत्या के बाद उनसे छिन चुका है। लखनउ के पुलिस विभाग में तैनात विजिलेंस के एक अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं,‘जिस सरकार में भ्रष्टाचार को बनाये रखने के लिए मंत्रालय बनाये जाते हों,उस सरकार के पुलिस अधिकारियों की क्या औकात जो सरकार में शामिल अपराधियों का गिरेबान धर दबोचें।’जानकार बताते हैं कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने अपनी काली करतूतों को छुपाने के लिए बांदा से यूपी टाइम्स जदीद नाम के दैनिक अखबार का प्रकाशन शुरू कर दिया है तो उनके साले मुमताज अली बुंदेलखंड उजाला निकाल रहे हैं। इतना ही नहीं चर्चा तो यह भी है कि हाल ही में लखनउ से शुरू हुए एक हिंदी दैनिक अखबार पर बरदहस्त सीधे मुख्यमंत्री का है।
गौरतलब है कि बांदा क्षेत्र में सरकारी निर्माण ठेकों पर कब्जा नसीमुद्दीन के साले की कंपनी मुमताज एंड कंस्ट्रक्सन कंपनी का है,जो एक ही सड़क को साल में तीन बार उखाड़ती-बीछाती है। इसके अलावा मुमताज बुंदेलखंड हथकरघा उद्योग नाम का एनजीओ भी चलाते हैं। बुंदेलखंड में एक प्रमुख हिंदी दैनिक के पत्रकार बताते हैं कि बालू और पत्थर ले जाने वाले ट्राली-ट्रक से हर बैरियर पर 2हजार रूपये वसूले जाते हैं,जिसे लोग बाबूसिंह टैक्स कहते हैं। कहा जाता है कि शीलू बलात्कार कांड में नरैनी के विधायक पुरूशोत्तम नरेश द्विवेदी भी खनन के झगड़े में ही नपे। गौरतलब है कि पुरुषोत्तम भी खनन में दखल रखते हैं और उन्होंने बाबूसिंह को पटखनी देने के लिए अपने किसी चहेते के जरिये उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर करवा दी थी।
उत्तर प्रदेश को अपराध, भ्रष्टाचार और माफियाराज के आधार पर बांटें तो मोटे तौर पर प्रदेश के तीन हिस्से होते हैं,जिसके मुख्य खिलाड़ी इस वक्त शराब माफिया पोंटी चड्ढा हैं। पोंटी चड्ढा वह शख्सियत हैं जो सीधे मायावती तक पहुंच रखते हैं और शराब की हर बोतल पर बीस रूपया अधिक वसूलते हैं और प्यार से दुकानदार इस वसूली को मायावती टैक्स नाम देते हैं। लूट के क्षेत्र का पहला संगठित हिस्सा बुंदेलखंड है, जहां बाबूसिंह कुशवाहा, नसीमुद्दीन का बालू और खनन पर राज है,दूसरा हिस्सा सोनभद्र और मिर्जापुर का है,जहां बनारस जेल में बंद माफिया बृजेष सिंह का दबदबा है और तीसरा हिस्सा पूर्वांचल का है जहां हरिशंकर तिवारी के समानांतर गोरख जायसवाल और रामप्रकाश जायसवाल की भागीदारी है। इसके बाद छुटभैये माफिया हर क्षेत्र में हैं जिनकी गिनती नहीं है।
गोरख, रामप्रकाश के पिता हैं और वे देवरिया से बसपा सांसद हैं, जबकि रामप्रकाश सत्ताधारी पार्टी के बरहज से विधायक हैं। लखनउ जेल में मृत पाये गये डिप्टी सीएमओ सचान के परिजनों ने रामप्रकाश जायसवाल पर भी हत्याकांड में संदेह जाहिर किया है। संदेह इस आधार पर जाहिर किया है कि परिवार कल्याण मंत्रालय के सामानों की आपूर्ति रामप्रकाश की कंपनी ही करती थी और इन तीहरी हत्याओं का कारण कमीषनखोरी को लेकर उपजा विवाद है। गोरखपुर के प्रमुख पत्रकार मनोज सिंह कहते हैं,‘माफियाओं ने बसपा का नीजिकरण कर दिया है और नौकरशाही इनका चम्मच बनने को बेताब है।’
अब अपराधों पर अंकुश लगाने वाले पुलिसकर्मियों की बात करें तो हाल ही में थानों में बलात्कार के जो मामले सामने आये हैं, उससे साफ है कि सब धान बाइस पसेरी हो गया है। ऐसा इसलिए है कि जो पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी साफ सुथरी छवि वाले थे,उन्हें मुख्यमंत्री ने पहले ही किनारे कर दिया है, जहां वे फाइलों से धूल उड़ा रहे हैं। मायावती के आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच में सीबीआई टीम के हिस्सा रहे डीएसपी धीरेंद्र राय को तो मायावती ने आते ही बर्खास्त कर दिया था। ईमानदारी के लिए ख्यात धीरेंद्र राय को बर्खास्त करने की संस्तुति सीधे मायावती ने अपने कलम से की थी,जो किसी निचले अधिकारी के मामले में अपवाद है। वैसे में यह सर्वजन सरकार सर्वत्र भ्रष्टाचार के सिवा गरीबी, भुखमरी, अपराध और माफियाराज पर अंकुश लगाने में कैसे सक्षम हो सकती है।