Jul 9, 2011

नीतीश की कृपा से जेल से बाहर आया रणवीर सेना का मुखिया

बिहार में तीन सौ दलितों और पिछड़ों के नरसंहार के लिए जिम्मेदार रणवीर सेना प्रमुख ब्रम्हेश्वर मुखिया को कल जहानाबाद की एक अदालत ने 22 में से 16 मामलों में  बरी कर दिया और शेष में जमानत दे दी. 2002 में पटना से गिरफ्तार हुआ मुखिया आरा जेल में बंद था, जहाँ रिहाई के समय उसका भव्य स्वागत किया गया...

नवल किशोर कुमार

ब्रम्हेश्वर मुखिया ने 1994से लेकर 2000तक जिन तीन सौ दलितों और पिछड़ों की हत्याओं को अंजाम दिलवाया था,वह किसी एक आवेग में नहीं बल्कि रणवीर सेना का गठन करके 22 बार हमला करके अंजाम दी गयी  थीं.ब्रम्हेश्वर के इशारे पर दलितों और पिछड़ों की बच्चियों के साथ बलात्कार किया गया। सैंकड़ों मासूमों का गर्दन एक झटके में उड़ा दिया गया.रणवीर सेना का मास्टरमाइंड ब्रम्हेश्वर मुखिया खुलेआम कहता था कि दलितों और पिछड़ों के बच्चों को मारकर उसने और उसके साथियों ने कोई गलती नहीं की,आखिर बड़े होने पर वे नक्सली ही बनते।

महिलाओं का बलात्कार कर उन्हें जान से मार देने वाले इस दरिंदे का कहना था कि ये महिलायें नक्सलियों को जन्म देतीं,इसलिये इनका मारा जाना अनिवार्य है। सच कहा जाये तो आदमी के रुप में यह जिंदा शैतान जेल की सलाखों से बाहर आ चुका है। अदालत ने इस दरिंदे को 22में से 16मामलों में पहले ही बरी कर दिया था और पांच मामलों में इसे जमानत मिल चुकी थी। कल इस दरिंदे को अदालत ने एक और मामले में जमानत दे दी। इस प्रकार ब्रम्हेश्वर मुखिया को जेल से बाहर आने की अनुमति मिल गई।

ब्रम्हेश्वर मुखिया : नरसंहारों का मास्टरमाइंड

ब्रहमेश्वर  के खिलाफ़ सबूत नही

यह कानून का मजाक नहीं तो और क्या है?जिस दरिंदे ने 300लोगों की हत्या कर दी और जिसने बाथे नरसंहार जैसी निंदनीय घटनाओं को अंजाम दिया,उसके खिलाफ़ सरकार को कोई सबूत नहीं मिला। कानून के कई जानकार यह बताते हैं कि सरकार ने अपनी ओर से ब्रहमेश्वर मुखिया के खिलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की। वर्ष 2006 से वह बिहार के विभिन्न जेलों में सरकारी मेहमान के रुप में रह रहा था। दलितों और पिछड़ों का खून पीने वाले इस खूनी भेड़िये को बिहार सरकार की ओर से वह हर सुविधा हासिल थी,जो एक राजनीतिक कैदी को मिलता है। यानी बिहार सरकार की नजर में वह दलितों और पिछड़ों का कातिल नहीं, बल्कि एक राजनीतिक कार्यकर्ता था.

नीतीश ने निभाई वफ़ादारी

अपने मूल स्वभाव के अनुसार नीतीश कुमार ने अपनी वफ़ादारी साबित करते हुए ब्रह्मेश्वर मुखिया के खिलाफ़ कोई सबूत न पेशकर अपनी स्वामी भक्ति साबित कर दी। हालांकि यह दूसरा अवसर था, जब नीतीश कुमार ने ब्रह्मेश्वर मुखिया और इनके खूनी सेना यानी रणवीर सेना अर्थात भूमिहार सेना के प्रति अपनी प्रतिबद्धता साबित करते हुए जनवरी 2006में ही अमीरदास आयोग को भंग कर दिया। अमीरदास आयोग का गठन तत्कालीन राजद सरकार ने रणवीर सेना के कारनामों को जगजाहिर करने के लिये किया था। जस्टिस अमीरदास भी मानते हैं कि उनकी ओर से सारी कार्रवाई पूरी हो चुकी थी,केवल रिपोर्ट देना ही शेष रह गया था। लेकिन इससे पहले कि मौत के दरिंदे और इसकी खूनी सेना का काला सच लोगों के सामने आ पाता, नीतीश कुमार ने उस आयोग को ही भंग कर दिया।

ब्रम्हेश्वर मुखिया और रणवीर सेना का काला इतिहास

बिहार में ब्रहमेश्वर मुखिया ने वर्ष 1994के अंत रणवीर सेना यानि भूमिहार सेना का गठन किया था। इस सेना के गठन का एकमात्र उद्देश्य था- दलितों और पिछड़ों की आवाज को कुंद करना। खूनी दरिंदों की इस सेना ने दिनांक 29 अप्रैल 1995 को भोजपुर जिले के संदेश प्रखंड के खोपिरा में पहली बार कहर बरपाया। इस दिन ब्रहमेश्वर मुखिया की मौजूदगी में उसके इशारे पर रणवीर सेना के राक्षसों ने 5 दलितों की हत्या कर दी। इसके बाद करीब 3 महीने बाद रणवीर सेना ने भोजपुर जिले के ही उदवंतनगर प्रखंड सरथुआं गांव में दिनांक 25 जुलाई 1995 को 6 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी।

इस घटना को अंजाम देने के ठीक 10 दिन बाद ही रणवीर सेना ने दिनांक 5 अगस्त 1995 को भोजपुर के बड़हरा प्रखंड के नूरपुर गांव में हमला कर 6लोगों की हत्या कर दी। इस घटना को अंजाम देने के बाद रणवीर सेना के दरिंदों ने गांव से 4महिलाओं का अपहरण कर लिया था और सभी महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार करने के बाद उनका कत्ल कर दिया गया था। मारी गई इन महिलाओं में एक 13साल की बच्ची भी शामिल थी। पुलिसिया रिकार्ड में यह आज भी दर्ज है कि इस बच्ची का बलात्कार किसी और ने नहीं,बल्कि ब्रह्मेश्वर मुखिया ने ही की थी और अपना मुंह काला करने के बाद इसी दरिंदे ने उसके जननांग में गोली मारकर उसकी हत्या कर दी थी।

दिनांक 7 फ़रवरी 1996 को रणवीर सेना के दरिंदों ने एक बार फ़िर भोजपुर जिले के चरपोखरी प्रखंड के चांदी गांव में हमला कर 4 लोगों की हत्या कर दी। इसके बाद दिनांक 9 मार्च 1996 को भोजपुर के सहार प्रखंड के पतलपुरा में 3, दिनांक 22 अप्रैल 1996 को सहार प्रखंड के ही नोनउर नामक गांव में रणवीर सेना ने 5लोगों की हत्या कर दी। सहार में रणवीर सेना का खूनी तांडव रुका नहीं। दिनांक 5 मई 1996 को नाढी नामक गांव में 3 लोगों की हत्या करने के बाद रणवीर सेना ने दिनांक 19 मई यानि ठीक 14वें दिन एकबार फ़िर नाढी गांव पर कहर बरपाया और 3 और लोगों की हत्या कर दी। दिनांक 25 मई 1996 को रणवीर सेना ने उदवंतनगर के मोरथ नामक गांव में 3 लोगों की हत्या कर दी। यानी दिनांक 29 अप्रील 1995 से लेकर 25 मई 1996 तक के बीच रणवीर सेना ने कुल 38 लोगों की हत्या कर दी।

इसके बाद दिनांक 11जुलाई 1996के दिन पूरा बिहार कांप उठा था। वजह यह था कि आज के नीतीश कुमार के भगवान यानि ब्रहमेश्वर मुखिया के नेतृत्व में रणवीर सेना ने भोजपुर जिले के सहार प्रखंड के ही बथानी टोला नामक दलितों और पिछड़ों की बस्ती पर हमला बोलकर 21 लोगों की गर्दन रेतकर हत्या कर दी। इस घटना को अंजाम देने के बाद रणवीर सेना ने दिनांक 25 नवंबर 1996 को सहार के पुरहारा में 4, दिनांक 12 दिसंबर 1996 को संदेश प्रखंड के खनेऊ में 5, दिनांक 24 दिसंबर 1996 को सहार के एकवारी गांव में 6, और दिनांक 10 जनवरी 1997 को तरारी प्रखंड के बागर नामक गांव में 3 लोगों की हत्या कर दी गई। इस प्रकार बिहार में मौत का नंगा नाच नाचने वाले रणवीर सेना ने केवल भोजपुर जिले में कुल 77 लोगों की निर्मम हत्या की थी।

वर्ष 1997 में रणवीर सेना ने भोजपुर जिले के बाहर कदम रखा और 31 जनवरी 1997 को जहानाबाद के मखदूमपुर प्रखंड के माछिल गांव में 4 दलितों की हत्या कर दी। इस घटना को अंजाम देने के बाद रणवीर सेना का हौसला इस कदर बढा कि उसने पटना जिले के बिक्रम प्रखंड् के हैबसपुर नामक गांव में 10 लोगों की हत्या कर दी। इस घटना को रणवीर सेना ने दिनांक 26 मार्च 1997 को अंजाम दिया। इसके बाद दिनांक 28 मार्च 1997 को ही जहानाबाद के अरवल प्रखंड(वर्तमान में अरवल जिला बन चुका है) के आकोपुर में 3, भोजपुर के सहार प्रखंड के एकवारी गांव में दिनांक 10 अप्रैल 1997 को 9 और भोजपुर जिले के चरपोखरी प्रखंड के नगरी गांव में दिनांक 11 मई 1997 को 10 लोगों की हत्या रणवीर सेना ने कर दी।

निजी सेनाओं का बिहार : हत्याएं ही संघर्ष

दिनांक 2 सितंबर 1997 को रणवीर सेना के दरिंदों ने जहानाबाद के करपी प्रखंड के खडासिन नामक गांव में 8 और दिनांक 23 नवंबर 1997 को इसी प्रखंड के कटेसर नाला गांव में 6 लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई। इसके बाद दिनांक 31 दिसंबर 1997 को ब्रहमेश्वर मुखिया की उपस्थिति में रणवीर सेना ने जहानाबाद के लक्ष्मणपुर-बाथे नामक गांव में एक साथ 59लोगों की निर्मम हत्या कर दी। यह बिहार में हुए अबतक का सबसे बड़ा सामूहिक नरसंहार है। पाठकों को बता दें कि इस नरसंहार के मामले में कुल 18लोगों को आजीवन उम्रकैद की सजा दी गई है। जबकि मुख्य अभियुक्त ब्रहमेश्वर मुखिया को इस मामले में बरी कर दिया गया और इसका श्रेय भी रणवीर सेना के दलाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही जाता है।

खैर,दिनांक 25 जुलाई 1998 को जहानाबाद के करपी प्रखंड के रामपुर गांव में एक बार फ़िर रणवीर के दरिंदों ने मौत का खेल खेला और 3 लोगों की जान ले ली। दिनांक 25 जनवरी 1999 को रणवीर सेना ने जहानाबाद में एक और बड़े नरसंहार को अंजाम दिया। जहानाबाद के अरवल प्रखंड के शंकरबिगहा नामक गांव में 23 लोगों की हत्या कर दी गई। इसके बाद दिनांक 10 फ़रवरी 1999 को जहानाबाद के नारायणपुर में 12, दिनांक 21 अप्रैल 1999 को गया जिले के बेलागंज प्रखंड के सिंदानी नामक गांव में 12, दिनांक 28 मार्च 2000 को भोजपुर के सोनबरसा में 3, नोखा प्रखंड के पंचपोखरी में 3 और दिनांक 16 जून 2000 को रणवीर सेना ने औरंगाबाद जिले के गोह प्रखंड के मियांपुर गांव में 33 लोगों की सामूहिक हत्या कर दी।
(नवल किशोर 'अपना बिहार' वेबसाइट के मॉडरेटर हैं. यह लेख वहीं से साभार प्रकाशित किया जा रहा है.)