Jun 1, 2010

खाप को चुनौती देते गांव


अजय प्रकाश

हरियाणा में ऐसे दर्जनों गांव हैं जहां खाप पंचायतों का न तो कोई अस्तित्व है,न ही उनका खौफ। ऐसे गांवों में नैतिक मानदंड तय करने वालों का कोई गिरोह नहीं बसता बल्कि लोगों के घर बसें इसकी चाहत वाले पड़ोसी रहते हैं। उन्हीं गांवों की कड़ी का एक सिरमौर गांव है ‘चैटाला’। सिरमौर इसलिए कि उस अकेले गांव में दो सौ से अधिक शादियां गांव के भीतर ही हुई हैं और लोग मजे में परिवार चला रहे हैं। यहां न तो पट्टिदारों ने किसी का दानापानी बंद किया है,न पंचायती गुंडों के डर से किसी की जिंदगी में भाममभाग मची और न ही गिरफ्तारी के अंदेशे में छुपना ही प्रेमी जोड़े की जिंदगी का सार बना। खास बात ये है कि हरियाणा के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों और रिश्ते में बाप-बेटे लगने वाले चौधरी देवीलाल और ओम प्रकाश चैटाला का भी यही गांव है।

राकेश और अलका: इनके गाँव में प्रेम विवाह कोई जुर्म नहीं
इस चलन में यह अकेला गांव नहीं है। राज्य के तीन जिलों सिरसा,हिसार और फतेहाबाद के दर्जनों गांव हैं जहां खाप की फरमानशाही नहीं चलती। एक गांव में शादी, बगल के गांव में शादी या प्रेम विवाह कर लेने पर भी, कोई स्वयंभू इज्जत का रखवाला जोड़ों की न तो कत्ल कर सकता है और न ही उनके परिवार की बेदखली। मगर विडंबना यह कि इसी गांव के ओमप्रकाश चैटाला से लेकर उनके पिता,बेटे अजय और अभय चैटाला बर्बर खाप पंचायतों का समर्थन करते रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि खापों के समर्थन में बुजूर्गों की बनायी संस्कृति की दुहाई देने वाले चैटाला परिवार को कभी अपने बुजूर्गों की भी संस्कृति याद आयी,जिसे वोटों के लिए उन्होंने दीयारखे पर रख छोड़ा है।

राजस्थान और पंजाब की सीमा से लगे सिरसा जिले के चैटाला गांव के राकेश कुमार गरूआ और सरोज की 2008 में धूमधाम से शादी हुई। इसी जिले के कालवाना गांव में जाट लड़की से एक हरिजन लड़के का प्रेम विवाह हुआ तो इसी साल फरवरी में भारूखेड़ा गांव में अलका और राकेश का प्रेम विवाह हुआ। अलका और राकेश के घरवालों ने तो बकायदा इस शादी का सामूहिक आयोजन किया जिसमें ग्रामीण भी शामिल हुए थे। गांव के भीतर की शादी,प्रेम विवाह और अंतरजातीय विवाह के ये चंद उदाहरण समझने के लिए काफी हैं कि हरियाणवी सामाजिक संस्कृति को किसी एक चश्में में फिट नहीं किया जा सकता।

ग्रामीण जगदीश घोटिया जिन्होंने अपनी बेटी कृष्णा की शादी 1984में अपने ही गांव के एक युवक से की थी। वे जानना चाहते हैं कि विवाहित जोड़ों की हत्याओं का अपराध उनकी बिरादरी वाले क्यों करते हैं। घोटिया के सवाल पर रिश्ते में उनके भतीजा हरि सिंह कहते हैं कि ‘रोहतक, जिंद, कैथल, झज्जर, करनाल और सोनीपत में जिन जोड़ों को बिरादरी वालों ने मारा है वह सगोत्रिय विवाह करना चाहते थे।’हरि सिंह के इस जवाब पर पार्षद का चुनाव लड़ रहे भारूखेड़ा गांव के प्रहलाद सिंह ऐतराज करते हैं और पूछते हैं कि ‘मनोज-बबली हत्याकांड के अलावा कोई बताये कि दूसरी कौन सी शादी सगोत्रिय रही है।’इस सवाल से जो सच उभरकर आता है उसके बाद हर ग्रामीण एक तरफ से खाप पंचायतों को कोसता है और उसकी जरूरत को सिरे से खारिज करता है।

पति-पत्नी एक ही गाँव के:  किसी चौधरी को कोई हर्ज़ नहीं
मौके पर जुटे ग्रामीणों को यह पता चलते पर आश्चर्य होता है कि हरियाणा के खाप बेल्ट में प्रेमी जोड़ों की हत्या का मुख्य कारण एक ही गांव और गवांड (आसपास के गांव)में शादी करना है। राजस्थान के संगरिया में वर्कशॉप चलाने वाले युवक रिजपॉल कहते हैं, ‘हर जगह यही चर्चा है कि खाप पंचायतें सगोत्रीय विवाह का विरोध कर रही हैं,उसके खिलाफ कानून बनाने की मांग कर रही हैं। इसलिए हमलोग भी मौन समर्थन करते रहे हैं। मगर खाप पंचायतें तो हत्याएं गवांड और गांव में शादी करने की वजह से कर रही हैं। ऐसे किसी पंचायत के दायरे में हमारा गांव आता तो न तो मेरा जन्म होता और न ही मेरे पिता का। मेरे तो दादा, पिता और चाचा की इसी गांव में शादी हुई है।’
गांव की महिलांए खापों की बर्बरता को सुनकर सिहर उठती हैं और बेटियां डर से मांओ को पकड़ लेती हैं। यहां भी औरतों की स्थिति ‘घरवाली से गोबरवाली’की ही है जहां औरतें न तो चैपाल पर दिखती हैं और न ही मर्दों की जमात में। समाज के हर मसले पर राय रखने के एकमात्र प्रवक्ता मर्द हैं-चाहे वह मामला आधी आबादी से ही संबंधित क्यों न हो। बड़ी मुश्किल से हमारी बातचीत राकेश कुमार गरूआ की मां से हो पाई। गुरूआ की मां कहती हैं,‘ऐसी पंचायत को दफ्न कर देना चाहिए। पंच हमारी मदद के लिए होते हैं, मारने-काटने के लिए नहीं। मेरे बेटे, बेटी की शादी इसी गांव की है। इससे पहले ससूर, उनकी बहन और सास की मां की भी शादी यहीं से है।’

मार्क्सवादी  कम्यूनिस्ट पार्टी के राज्य समिति सदस्य अवतार सिंह के मुताबिक,‘हरियाणा के इन तीनों जिलों में सगोत्रिय को छोड़ शादियों को लेकर कोई बंदिश नहीं है। अतंरजातीय विवाह पर हंगामा होता है मगर उसका भी अंत हत्याओं में नहीं होता है।’गौरतलब है कि चैटाला गांव में इतनी शादियां एक ही गांव में इसलिए हुई हैं कि हरियाणा के कुछ बड़े गांवों में से एक है। हालांकि खाप क्षेत्रों में इससे बड़े गांव हैं जहां इससे कम गोत्र नहीं बसते। प्रेमी जोड़े जस्सा उर्फ जसविंदर और सुनिता की जिस बला गांव के खाप सदस्यों ने पिछले वर्ष हत्या कर दी थी वह बकायदा एक कस्बा है। बहरहाल दस हजार वोटों वाले चैटाला गांव में जाटों के दो दर्जन से अधिक गोत्र हैं। गोदारा, बेनीवाल, सहारण, गोठिया, सिहास, पुनिया,बंगडुआ, लोछव, खिच्चड़, कणवासरा, लोमरोण, नेण, पायल, ज्याणी, शिवर, घिंटाणा, फगोड़िया, मोयल, मेहला, भंबू, जाखड़,राव, गरूआ, राड़, हुड्डा, मानजू गोत्र के लोग इस गांव में रहते हैं।

हालांकि खाप पंचायतें और उनके कारिंदे कई बार पश्चिमी हरियाणा के इन गांवों के रिवाज को तोड़ने की कोशिश कर चुके हैं। तीन साल पहले सिरसा में जाट महासभा हुई थी। सभा में जाट प्रतिनिधियों और नेताओं ने एक गांव में शादी करने की परंपरा को बंद करने की मंजूरी चाही। ग्रामीण जगदीश घोटिया बताते हैं कि ‘सभा में ऐसी सोच रखने वालों का जबर्दस्त विरोध हुआ था। फिर किसी खाप या जन प्रतिनिधि की हिम्मत नहीं हुई कि वह ऐसी किसी सोच की पैरोकारी कर सके।’इतना ही नहीं खाप पंचायतों के समर्थन में बोलने वाले क्षेत्र के वर्तमान विधायक और ओमप्रकाश चैटाला के बेटे अजय चैटाला भी कभी गलती से इस क्षेत्र में आकर खापों के समर्थन का जिक्र करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।


(द पब्लिक एजेंडा में खाप पर प्रकाशित आवरण कथा का एक संपादित अंश)