गोरे अंग्रेजों ने भगत सिंह को देशद्रोही कहा, काले अंग्रेज कन्हैया को कह रहे- कन्हैया के पिता
कन्हैया के गांव बीहट से लौटकर पुष्पराज की रिपोर्ट
भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह जवाहरलाल नेहरू विश्चविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया को देश के लिए खतरा मान रहे हैं। एक तथाकथित देशद्रोही की पृष्ठभूमि को जानने के लिए मैं बेगूसराय के बीहट गांव में खड़ा हूँ।
बेगूसराय मीडिया डाॅट काॅम के संपादक प्रवीण कुमार इस समय मेरे मार्गदर्शक हैं। प्रवीण हमें बताते हैं कि यह बीहट का मसनदपुर मुहल्ला है। बिहार के पहले मुख्यमंत्री डाॅ. श्रीकृष्ण सिंह के मंत्रालय में सबसे विश्वस्त मंत्री रहे रामचरित्र सिंह के पुत्र चन्द्रशेखर सिंह ने पिता से बगावत कर कम्युनिस्ट पार्टी का झंडा उठाया था। कामरेड चन्द्रशेखर को बिहार का लाल सितारा कहा गया। कन्हैया का घर काॅमरेड चन्द्रशेखर के घर के पास ही है। कन्हैया काॅमरेड चन्द्रशेखर के गोतिया यानी पड़ोसी हैं।
कन्हैया के माता-पिता फोटो - पुष्पराज |
सप्ताह का सबसे चर्चित युवा
पिछले एक सप्ताह में दुनिया का सबसे चर्चित युवा बन चुके कन्हैया के घर पर स्थानीय मीडिया और समर्थकों का आना-जाना लगा है। बुजुर्ग काॅमरेड राजेन्द्र सिंह ने बताया कि आधे घंटे पहले पूर्व विधायक राजेन्द्र राजन कन्हैया के परिवारजन से मिलकर गये हैं। पूर्व सांसद शत्रुघ्न सिंह कल आये थे। आज जदयू के जिलाध्यक्ष भूमिपाल राय घर आये थे। उन्होंने जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह से कन्हैया के पिता जयशंकर सिंह से फोन से बात करायी है। वशिष्ट नारायण सिंह ने कहा कि ‘आप चिंता ना करें, कन्हैया के साथ पूरा देष है।’
ईंट की दीवार और खपड़ैल की छत वाले चमत्कार विहीन घर को सब गौर से देख रहे हैं। सर गणेशदत्त महाविद्यालय, बेगूसराय में रसायन शास्त्र के अवकाश प्राप्त प्राध्यापक प्रो. परमानंद सिंह जानना चाहते हैं कि पुलिस ने एफआईआर में कौन सी धारायें लगायी हैं। घर के लोगों को कुछ भी नहीं पता कि कन्हैया के विरूद्ध पुलिस और कानून क्या कर रही है? देश की मीडिया जो कुछ बता रही हैं, पड़ोसी देखकर-सुनकर बता रहे हैं।
अभी दुआरे 'दरवाजे' के सामने 25 से ज्यादा लोग बैठे हैं। कुर्सियां कम पड़ रही हैं तो लोग खड़े हैं। गांव और आस-पड़ोस के लोग टीवी पर नजर रख रहे हैं। लोगों जानना चाहते हैं कि कोर्ट क्या फैसला देती है। दिल्ली के पटियाला हाउस में कन्हैया के मामले में सुनवाई होनी है लेकिन भाजपा के विधायक ओपी शर्मा और संघ के स्वयंसेवकों ने पत्रकारों और जेएनयू के शिक्षक-छात्रों पर हमला कर दिया है।
मीडिया को नहीं दी एफआइआर की कॉपी
सब लोग दुखी हैं कि आज कन्हैया को अदालत से जमानत नहीं मिली। पटियाला हाउस में क्या हो गया। कितना सही है कितना झूठ? दिल्ली की मीडिया पर गांव के लोगों को भरोसा नहीं। मैंने एनडीटीवी के कार्यकारी संपादक मनोरंजन भारती से फोन कर पटियाला हाउस में क्या हुआ इसकी जानकारी ली। मनोरंजन भारती ने जब कहा कि पुलिस राष्ट्रद्रोह के आरोप की पड़ताल कर रही है। पर पुलिस ने अबतक किसी एफआईआर की काॅपी मीडिया को नहीं दी है। संभव है कि अभी तक एफआईआर दर्ज ही नहीं हुआ। घर के लोग डरे हैं कि क्या एफआईआर पुलिस की बजाय गृृहमंत्री खुद ही तैयार करेंगे?
पिछले एक सप्ताह में दुनिया का सबसे चर्चित युवा बन चुके कन्हैया के घर पर स्थानीय मीडिया और समर्थकों का आना-जाना लगा है। बुजुर्ग काॅमरेड राजेन्द्र सिंह ने बताया कि आधे घंटे पहले पूर्व विधायक राजेन्द्र राजन कन्हैया के परिवारजन से मिलकर गये हैं। पूर्व सांसद शत्रुघ्न सिंह कल आये थे। आज जदयू के जिलाध्यक्ष भूमिपाल राय घर आये थे। उन्होंने जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह से कन्हैया के पिता जयशंकर सिंह से फोन से बात करायी है। वशिष्ट नारायण सिंह ने कहा कि ‘आप चिंता ना करें, कन्हैया के साथ पूरा देष है।’
ईंट की दीवार और खपड़ैल की छत वाले चमत्कार विहीन घर को सब गौर से देख रहे हैं। सर गणेशदत्त महाविद्यालय, बेगूसराय में रसायन शास्त्र के अवकाश प्राप्त प्राध्यापक प्रो. परमानंद सिंह जानना चाहते हैं कि पुलिस ने एफआईआर में कौन सी धारायें लगायी हैं। घर के लोगों को कुछ भी नहीं पता कि कन्हैया के विरूद्ध पुलिस और कानून क्या कर रही है? देश की मीडिया जो कुछ बता रही हैं, पड़ोसी देखकर-सुनकर बता रहे हैं।
अभी दुआरे 'दरवाजे' के सामने 25 से ज्यादा लोग बैठे हैं। कुर्सियां कम पड़ रही हैं तो लोग खड़े हैं। गांव और आस-पड़ोस के लोग टीवी पर नजर रख रहे हैं। लोगों जानना चाहते हैं कि कोर्ट क्या फैसला देती है। दिल्ली के पटियाला हाउस में कन्हैया के मामले में सुनवाई होनी है लेकिन भाजपा के विधायक ओपी शर्मा और संघ के स्वयंसेवकों ने पत्रकारों और जेएनयू के शिक्षक-छात्रों पर हमला कर दिया है।
मीडिया को नहीं दी एफआइआर की कॉपी
सब लोग दुखी हैं कि आज कन्हैया को अदालत से जमानत नहीं मिली। पटियाला हाउस में क्या हो गया। कितना सही है कितना झूठ? दिल्ली की मीडिया पर गांव के लोगों को भरोसा नहीं। मैंने एनडीटीवी के कार्यकारी संपादक मनोरंजन भारती से फोन कर पटियाला हाउस में क्या हुआ इसकी जानकारी ली। मनोरंजन भारती ने जब कहा कि पुलिस राष्ट्रद्रोह के आरोप की पड़ताल कर रही है। पर पुलिस ने अबतक किसी एफआईआर की काॅपी मीडिया को नहीं दी है। संभव है कि अभी तक एफआईआर दर्ज ही नहीं हुआ। घर के लोग डरे हैं कि क्या एफआईआर पुलिस की बजाय गृृहमंत्री खुद ही तैयार करेंगे?
क्रांतिकारियों की जननी बीहट
बीहट नगर परिषद् की आबादी 70 हजार से ज्यादा है। जब बेगूसराय जिला के सभी विधानसभा क्षेत्रों पर कम्युनिस्ट पार्टी का लाल पताका लहराता था तो बेगूसराय को राष्ट्रीय मीडिया ने ‘लेनिनग्राद’ और बीहट को ‘मिनी मास्को’ की संज्ञा दी थी। कांग्रेस पार्टी की केन्द्रीय सत्ता ने बेगूसराय से कम्युनिस्ट पार्टी के सफाये के लिए बेगूसराय के ही एक तस्कर को राजनीतिक संरक्षण देकर कम्युनिस्टों पर हमला शुरू करवाया था।
राज्यपोषित अंतर्राष्ट्रीय तस्कर के हमलों का जवाब देने के लिए कम्युनिस्टों ने हथियार बंद संघर्ष किया था। उस सशस्त्र संघर्ष में सबसे बड़ी शहादत बीहट के लेागों ने दी थी। बीहट के 30 से ज्यादा क्रांतिकारी कम्युनिस्ट संघर्ष में शहीद हुए। अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने कभी बीहट को ‘क्रांतिकारियों की विधवाओं का गांव’ भी कहा था। आज भी शहीदों के स्मारक अतीत की याद दिलाते हैं। तब बीहट को ‘बारदोली’ कहा गया था। लेनिनग्राद के मिनी मास्को-बारदोली का बेटा कन्हैया क्या देशद्रोही हो सकता है?
बीहट नगर परिषद् की आबादी 70 हजार से ज्यादा है। जब बेगूसराय जिला के सभी विधानसभा क्षेत्रों पर कम्युनिस्ट पार्टी का लाल पताका लहराता था तो बेगूसराय को राष्ट्रीय मीडिया ने ‘लेनिनग्राद’ और बीहट को ‘मिनी मास्को’ की संज्ञा दी थी। कांग्रेस पार्टी की केन्द्रीय सत्ता ने बेगूसराय से कम्युनिस्ट पार्टी के सफाये के लिए बेगूसराय के ही एक तस्कर को राजनीतिक संरक्षण देकर कम्युनिस्टों पर हमला शुरू करवाया था।
राज्यपोषित अंतर्राष्ट्रीय तस्कर के हमलों का जवाब देने के लिए कम्युनिस्टों ने हथियार बंद संघर्ष किया था। उस सशस्त्र संघर्ष में सबसे बड़ी शहादत बीहट के लेागों ने दी थी। बीहट के 30 से ज्यादा क्रांतिकारी कम्युनिस्ट संघर्ष में शहीद हुए। अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने कभी बीहट को ‘क्रांतिकारियों की विधवाओं का गांव’ भी कहा था। आज भी शहीदों के स्मारक अतीत की याद दिलाते हैं। तब बीहट को ‘बारदोली’ कहा गया था। लेनिनग्राद के मिनी मास्को-बारदोली का बेटा कन्हैया क्या देशद्रोही हो सकता है?
मजदूरी करते रहे कन्हैया के पिता
कन्हैया के दादा मंगल सिंह काॅमरेड चन्द्रशेखर के बाल-सखा थे। मंगल सिंह बरौनी खाद कारखाना में फोरमेन थे। हम जिस ईंट-खरपैल घर में कन्हैया के परिवारजन से मिल रहे हैं उसे मंगल सिंह ने 6 दशक पहले बनाया था। इसी घर में जयशंकर सिंह दो भाईयों के संयुक्त परिवार के साथ निवास करते हैं। कन्हैया के पिता जयशंकर सिंह जीरोमाइल में गिट्टी-बालू ढोने की मजदूरी करते थे तो कभी जीप की ड्राइवरी भी करते थे। भूमिहीन मजदूर जयशंकर सिंह ने गरीबी की वजह से हायर सेकेण्डरी से आगे की पढ़ाई नहीं की।
जयशंकर सिंह कठोर श्रम करने वाले एक मेहनतकश थे। मजदूर अगर ज्यादा पैसे कमाने के लिए 8 घंटे से ज्यादा श्रम करे तो अतिश्रम से मजदूर अपनी मानवीय शक्ति का दोहन ही करेगा। जयशंकर सिंह को 2009 में लकवा मार गया। लकवे के मरीज को बेहतरीन इलाज और बेहतरीन पोषण चाहिए। गरीबी और जेहालत में ऐसा मुमकिन नहीं था। जयशंकर सिंह अपने पांव से चल नहीं सकते हैं इसलिए अंधेरे भरे कमरे में ही इनसे मिलना अच्छा?
मैंने पूछा क्या लकवा की कोई दवा इस समय ले रहे हैं? नहीं, भरपेट भोजन और परहेज ही दवा है। हंसते हुए कहा-दवा के लिए नाजायज पैसे कहां से आयेंगे। मैं जीवन में पहली बार ऐसे इंसान से मिल रहा हूँ जो अपने लिए जरूरी दवा को नाजायज मान रहा है। संभव है कि दवा और सही पोषण से जयशंकर सिंह स्वस्थ हो जायें लेकिन दवा के लिए नाजायज पैसा कहां से आये? पत्नी मीणा देवी आंगनबाड़ी सेविका हैं तो 3 हजार रुपये मासिक हर माह घर आते हैं। एक बेटा, कन्हैया का बड़ा भाई मणिकांत असम के बोगाई गांव में एक कारखाने में 6 हजार रुपये मासिक की कमाई करता है।
हम कम्युनिस्ट हैं यही पाप हो गया
कन्हैया के दादा मंगल सिंह काॅमरेड चन्द्रशेखर के बाल-सखा थे। मंगल सिंह बरौनी खाद कारखाना में फोरमेन थे। हम जिस ईंट-खरपैल घर में कन्हैया के परिवारजन से मिल रहे हैं उसे मंगल सिंह ने 6 दशक पहले बनाया था। इसी घर में जयशंकर सिंह दो भाईयों के संयुक्त परिवार के साथ निवास करते हैं। कन्हैया के पिता जयशंकर सिंह जीरोमाइल में गिट्टी-बालू ढोने की मजदूरी करते थे तो कभी जीप की ड्राइवरी भी करते थे। भूमिहीन मजदूर जयशंकर सिंह ने गरीबी की वजह से हायर सेकेण्डरी से आगे की पढ़ाई नहीं की।
जयशंकर सिंह कठोर श्रम करने वाले एक मेहनतकश थे। मजदूर अगर ज्यादा पैसे कमाने के लिए 8 घंटे से ज्यादा श्रम करे तो अतिश्रम से मजदूर अपनी मानवीय शक्ति का दोहन ही करेगा। जयशंकर सिंह को 2009 में लकवा मार गया। लकवे के मरीज को बेहतरीन इलाज और बेहतरीन पोषण चाहिए। गरीबी और जेहालत में ऐसा मुमकिन नहीं था। जयशंकर सिंह अपने पांव से चल नहीं सकते हैं इसलिए अंधेरे भरे कमरे में ही इनसे मिलना अच्छा?
मैंने पूछा क्या लकवा की कोई दवा इस समय ले रहे हैं? नहीं, भरपेट भोजन और परहेज ही दवा है। हंसते हुए कहा-दवा के लिए नाजायज पैसे कहां से आयेंगे। मैं जीवन में पहली बार ऐसे इंसान से मिल रहा हूँ जो अपने लिए जरूरी दवा को नाजायज मान रहा है। संभव है कि दवा और सही पोषण से जयशंकर सिंह स्वस्थ हो जायें लेकिन दवा के लिए नाजायज पैसा कहां से आये? पत्नी मीणा देवी आंगनबाड़ी सेविका हैं तो 3 हजार रुपये मासिक हर माह घर आते हैं। एक बेटा, कन्हैया का बड़ा भाई मणिकांत असम के बोगाई गांव में एक कारखाने में 6 हजार रुपये मासिक की कमाई करता है।
हम कम्युनिस्ट हैं यही पाप हो गया
पिता जयशंकर सिंह किशोर उम्र से कम्युनिस्ट पार्टी के मेंबर हैं। अभी भी कार्ड होल्डर हैं। माता मीणा देवी भी समर्पित काॅमरेड हैं। कन्हैया के पिता मुझसे पूछते हैं, हम कम्युनिस्ट खानदान से हैं क्या यही पाप हो गया? दूसरे लोग इन्हें मना करते हैं, नहीं ऐसी बात नहीं सोचिए। भगत सिंह को अंग्रेजों ने राष्ट्रद्रोही कहकर ही फांसी पर लटका दिया था। आज आजाद भारत की सरकार मेरे बेटे को राष्ट्रद्रोही कह रही है। हंसते हुए कहते हैं-मेरे बेटे ने जेएनयू पर एबीवीपी को कब्जा नहीं करने दिया तो अब एबीवीपी बदला सधा रही हैं। मैं अपनी कमाई से जीवन में एक ईंट नहीं जोड़ पाया पर आज गर्व है कि मैं भगत सिंह के रास्ते पर खड़े कन्हैया का पिता हूँ।
कन्हैया के पिता को गर्व है कि हम खानदानी कम्युनिस्ट हैं। मेरा बेटा अगर कम्युनिस्ट नहीं होता तो उसे राष्ट्रद्रोही नहीं कहा जाता। दिल्ली से पुलिस कमिश्नर का फोन आया कि आपके बेटे को राष्ट्रद्रोह में जेल भेजा जा रहा है। मैंने कहा-‘आप गलत कर रहे हैं, मेरा बेटा किसी कीमत पर राष्ट्रद्रोही नहीं हो सकता है।’ मां मीणा देवी कहती हैं, मेरी आत्मा बेटे के साथ जेल में बंद है। हमारी इच्छा होती है कि हम उड़कर बेटे को देखने चले जायें लेकिन मेरी टांग पर ही बीमार पति की जिंदगी है। आजू-बाजू के लोग चर्चा कर रहे हैं कि बिहार में विपक्ष के नेता चन्द्रशेखर को गांधी मैदान की हजारों की सभा में कांग्रेस के मुख्यमंत्री के. बी. सहाय ने गुंडों से पीटवाकर अधमरा कर अस्पताल भेज दिया था। अगर चन्द्रषेखर कम्युनिस्ट पार्टी छोड़कर कांग्रेस में चले गये होते तो वे बिहार के मुख्यमंत्री होते। कम्युनिस्ट राजनीति करोगे तो मार खाओगे, राष्ट्रद्रोही कहलाओगे। कन्हैया के घर पर जुटे कन्हैया को चाहनेवाले कहते हैं-बीहट का यह लाल सितारा लाल किले पर झंडा फहरायेगा।
यह भूमिहीन भूमिहार का परिवार है...
प्रिंस कुमार कन्हैया से 2 वर्ष छोटे हैं। पैसों का जुगाड़ न हो पाने की वजह से पिंस ने पत्राचार पाठ्यक्रम से एम काॅम की पढ़ाई की है। प्रिंस बताते हैं कि कन्हैया हर हाल में पढ़ना चाहता था इसलिए वह हर तरह की तकलीफ झेलता हुआ जेएनयू पहुंच गया। प्रिंस सरकारी नौकरियों की तलाश में प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में लगे हैं पर ये सोचते हैं कि हमारे पूरे परिवार की पहली प्राथमिकता कन्हैया की पढ़ाई ही हैं। मैंने जानना चाहा कि परिवार में जमीन-जायदाद कुल कितनी है। प्रिंस ने बताया कि हमारे परिवार में कभी इतनी जमीन नहीं रही कि बेच सकें या पैदावार से चूल्हा चल सके।
कुछ बीघे जमीन थी, जो गड़हरा यार्ड और फर्टिलाइजर के लिए 1955-1960 में ही अधिग्रहित हो गयी। काॅमरेड राजेन्द्र सिंह कहते हैं-भूमिहीन-मजदूर भूमिहार को सवर्ण मानकर जिस तरह बर्ताव किया जाता है, उससे बेहतर है कि ऐसे दीनहीन भूमिहारों को दलित कहा जाये। गांव के लोग इसलिए भी एकजुट हैं कि बजरंग दल और विहिप ने धमकी दी है कि कन्हैया के घर के सामने कन्हैया का पुतला जलाया जायेगा। पुलिस की नाकेबंदी की वजह से कल वे बीहट नहीं घुस पाये तो जीरोमाइल पर कन्हैया का पुतला जलाकर लौट गये। लोगबाग दुखी हैं कि बीहट के रत्न का पुतला जलानेवाले कितने सिरफिरे हैं। एक काॅमरेड कहते हैं-मार्क्स ने कहा था-धर्म अफीम है। धर्म के आधार पर मुल्क को बांटने वाली नरेन्द्र मोदी की राज्यसत्ता क्या अफीम खाकर देष के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष को राष्ट्रद्रोही कह रही है।
हमारी ताकत मुख्यमंत्री
कन्हैया के घर से छूटते हुए पड़ोसी स्त्रियां टीवी देखकर कन्हैया के घर कर्णप्रिय संदेशा लेकर आयी हैं। मुझसे कन्हैया की माता मीणा देवी बताती है कि बिहार के मुख्यमंत्री मेरे साथ हैं तो मुझे ताकत मिली है। मुख्यमंत्री मेरे साथ हैं, यह गरीब के लिए खुषी और गर्व की बात है। मुझे पक्का भरोसा है कि अब मेरा बेटा जेल से बाहर आ जायेगा और राष्ट्रद्रोह के मुकदमे से मुक्त हो जायेगा। मैं उन सबको धन्यवाद देती हूँ, जो मेरे बेटे के साथ खड़े हैं।
कन्हैया के पिता को गर्व है कि हम खानदानी कम्युनिस्ट हैं। मेरा बेटा अगर कम्युनिस्ट नहीं होता तो उसे राष्ट्रद्रोही नहीं कहा जाता। दिल्ली से पुलिस कमिश्नर का फोन आया कि आपके बेटे को राष्ट्रद्रोह में जेल भेजा जा रहा है। मैंने कहा-‘आप गलत कर रहे हैं, मेरा बेटा किसी कीमत पर राष्ट्रद्रोही नहीं हो सकता है।’ मां मीणा देवी कहती हैं, मेरी आत्मा बेटे के साथ जेल में बंद है। हमारी इच्छा होती है कि हम उड़कर बेटे को देखने चले जायें लेकिन मेरी टांग पर ही बीमार पति की जिंदगी है। आजू-बाजू के लोग चर्चा कर रहे हैं कि बिहार में विपक्ष के नेता चन्द्रशेखर को गांधी मैदान की हजारों की सभा में कांग्रेस के मुख्यमंत्री के. बी. सहाय ने गुंडों से पीटवाकर अधमरा कर अस्पताल भेज दिया था। अगर चन्द्रषेखर कम्युनिस्ट पार्टी छोड़कर कांग्रेस में चले गये होते तो वे बिहार के मुख्यमंत्री होते। कम्युनिस्ट राजनीति करोगे तो मार खाओगे, राष्ट्रद्रोही कहलाओगे। कन्हैया के घर पर जुटे कन्हैया को चाहनेवाले कहते हैं-बीहट का यह लाल सितारा लाल किले पर झंडा फहरायेगा।
यह भूमिहीन भूमिहार का परिवार है...
कन्हैया का घर : एक क्रन्तिकारी विरासत फोटो - पुष्पराज |
कुछ बीघे जमीन थी, जो गड़हरा यार्ड और फर्टिलाइजर के लिए 1955-1960 में ही अधिग्रहित हो गयी। काॅमरेड राजेन्द्र सिंह कहते हैं-भूमिहीन-मजदूर भूमिहार को सवर्ण मानकर जिस तरह बर्ताव किया जाता है, उससे बेहतर है कि ऐसे दीनहीन भूमिहारों को दलित कहा जाये। गांव के लोग इसलिए भी एकजुट हैं कि बजरंग दल और विहिप ने धमकी दी है कि कन्हैया के घर के सामने कन्हैया का पुतला जलाया जायेगा। पुलिस की नाकेबंदी की वजह से कल वे बीहट नहीं घुस पाये तो जीरोमाइल पर कन्हैया का पुतला जलाकर लौट गये। लोगबाग दुखी हैं कि बीहट के रत्न का पुतला जलानेवाले कितने सिरफिरे हैं। एक काॅमरेड कहते हैं-मार्क्स ने कहा था-धर्म अफीम है। धर्म के आधार पर मुल्क को बांटने वाली नरेन्द्र मोदी की राज्यसत्ता क्या अफीम खाकर देष के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष को राष्ट्रद्रोही कह रही है।
हमारी ताकत मुख्यमंत्री
कन्हैया के घर से छूटते हुए पड़ोसी स्त्रियां टीवी देखकर कन्हैया के घर कर्णप्रिय संदेशा लेकर आयी हैं। मुझसे कन्हैया की माता मीणा देवी बताती है कि बिहार के मुख्यमंत्री मेरे साथ हैं तो मुझे ताकत मिली है। मुख्यमंत्री मेरे साथ हैं, यह गरीब के लिए खुषी और गर्व की बात है। मुझे पक्का भरोसा है कि अब मेरा बेटा जेल से बाहर आ जायेगा और राष्ट्रद्रोह के मुकदमे से मुक्त हो जायेगा। मैं उन सबको धन्यवाद देती हूँ, जो मेरे बेटे के साथ खड़े हैं।
मुल्क के गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी आप गरीब के आंसू की कीमत नहीं जानते हैं। गरीब के आंसू पानी नहीं तेजाब होते हैं। आप एक भूमिहीन, लकवाग्रस्त, मजदूर-गरीब के बेटे को देशद्रोही कहते हैं। आप झूठ बोलते हैं तो आपकी जीभ नहीं कटती है, हम झूठ लिखेंगे तो हमारे हाथ कट जायेंगे।
कन्हैया कुमार के साथ पूरा देश है |
ReplyDeleteकन्हैया कुमार के साथ पूरा देश है |
ReplyDeletevery good and decorative reporting,too much work leads to paralysis is a clear message.secondly ABVP being scared of this great soul is trying to fix him in a false and baseless charges with the help of GOI and its home minister coz Modi jee is having nightmares these days but I have my doubts abot who will unfurl the tricolor in 2019 from lal quila,Hardik Patel,Kanahia dilli ka thag, Nitish jee or MSY,RG list is endless and most exciting fact is all are divided into bits and pieces not only in number but also ideologically..
ReplyDeletevery good and decorative reporting,too much work leads to paralysis is a clear message.secondly ABVP being scared of this great soul is trying to fix him in a false and baseless charges with the help of GOI and its home minister coz Modi jee is having nightmares these days but I have my doubts abot who will unfurl the tricolor in 2019 from lal quila,Hardik Patel,Kanahia dilli ka thag, Nitish jee or MSY,RG list is endless and most exciting fact is all are divided into bits and pieces not only in number but also ideologically..
ReplyDeleteWe Support Kanahia...
ReplyDeleteInformative power boosting Article
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Savse pahle aaaaaaaaaap jaise pratkar KA bahut bahut dhanayabad jo real news janta ke samne rakhte h.aur BIHAT ka beta. Bihat ke khoooon ki Desh bhakti ko praksit karte h.bahut bahut dhanayabad
ReplyDeleteHamara bhai desh drohi nahi Ho sakta..
ReplyDeleteThe person who can't take stand for his father and family , that person will be Prime minister. Don't play emotional card. This is utter nonsense. An emotional melodrama. Realise that this generation have learnt to handle their family's emotional blackmailing , here you are trying to insinuate them in socially emotional drama. Nobody is going yo listen. Kanhaiya is a traitor, although uunfortunately our brother
ReplyDeleteKya..Hindustan murdabad Sahi hai....
ReplyDeleteअपना नाम क्यों नहीं लिखा ? डर लगा। तो लिखा ही क्यों?
Deleteअपना नाम क्यों नहीं लिखा ? डर लगा। तो लिखा ही क्यों?
Deleteभारतीय राजनीति गलत धारा में बह रही थी बह रही हैं बैचारा कऩहैया JNU में पढ़ने गया था जिसका अर्थ था माँ पिता भाई बहन को आर्थिक कठिनाई दूर करें नारे बाजी में शरीक होना कुछ पच नहीं रहा है नेतागिरी या पढाई चुनना तो कऩहैया को ही
Deleteकन्हैया जल्द रिहा होगा और गलत इल्जाम लगाने वाले पर सभी लोग थूकेंगे।
ReplyDeleteरिपोर्टिंग बहुत अच्छी हुई है। पुष्पराज जी को धन्यवाद।
जानदार रिपोर्टिंग।
ReplyDeleteकन्हैया जैसे युवकों को दक्षिण और वाम दलों के नेतृत्व में संचालित विश्वविद्यालयीन अतिवादी छात्र राजनीति से कुछ साल अलग रहकर जे.एन.यू. के माहौल और पुस्तकालय का लाभ उठाते हुए अच्छी पढ़ाई-लिखाई करके अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के बाद ही यदि बहुत रूचि हो तो सक्रिय राजनीति में आना चाहिए.उनके पिता का स्वास्थ्य,परिवार के सदस्यों की मन:स्थिति और आर्थिक बदहाली के मद्देनज़र यदि जे.एन.यू.के शिक्षकों, शिक्षकेतर कर्मचारियों एवं छात्रों में अपने एक दिन का वेतन और छात्रवृत्ति उनके परिवार के लिए देने के लिए आपस में सहमति बन सके और शिक्षकों एवं छात्रों का दल उनके माता-पिता से मिलकर उन्हें यह रक़म और ढाढ़स दे सके तो यह एक बड़ी बात होगी.
ReplyDeleteकनहैया पर झूठे आरोप हैं यह सामने आ रहा है, हमा तुम्हारे साथ हैं साथी
ReplyDeleteरूला गई कन्हैया के परिवार से मुलाकात....पूरा देश कन्हैया के साथ है सिवाय कुछ राज्यपोषित गुंडागर्दों के।
ReplyDeleteकन्हैया के परिवार से मिलने जाने वाले किस दम्भ और विचारधारा से ग्रस्त हैं मैं नही जानता लेकिन हाँ एक प्रश्न जरूर है इन तथाकथित पत्रकारों को उन शहीदों के घर जाने की फुर्सत न मिली जो 10 अभी सियाचिन से आये हैं... मुझे समझ नही आता आपके इस कार्य का सम्मान किन शब्दों में करूँ खैर आप एक बात बताइये क्या आप उन्ही में से एक है जिन्होंने याकूब का समर्थन किया था या फिर इशरत के लिए खूब विधवा विलाप किये थे.. आदरणीय हिन्दुस्तान को तोड़ने की मंशा रखने वाला हर कोई राष्ट्रद्रोही है.. और यहाँ ये जो 21 बेवकूफ कलाकार हैं उनको अदालत तक जाना और न्याय होना आवश्यक है.. और अगर आप लोग देश में कानून के खिलाफ माहौल बना रहे हैं तो मुझे ये कहने में कोई आपत्ति नही कि देश को आप जैसे पत्रकारों से भी खतरा है... और हाँ ये शाब्दिक जादूगरी से जनता को गुमराह करना बन्द करिये
ReplyDeleteएक छोटा सा आलेख पढियेगा
जे एन यू ने एक चिंगारी भड़काई है जिसे कुचला जाना बहुत ही आवश्यक है और इसमें विलम्ब देश के लिए घातक सिद्ध होता है, जब सम्पूर्ण राष्ट्र वीर बहादुर हनुमंथप्पा के लिए दुआएं कर रहा था तो कुछ तथाकथित भारतीय छात्र देश की राजधानी के बीचो बीच पकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे, जिस तरह कल जे एन यू के बाद आज प्रेस क्लब में अफजल गुरू अमर रहे के नारे लगे उसे देखकर लगता है कि हनुमंथप्पा क्यों लौटकर आते मौत के मुंह से... मैं भी एक सैनिक हूँ और मुझे अफ़सोस है कि मैं इन लोगो के लिए लड़ता हूँ... बाढ़ में फंसे इन्हें क्यों निकाल कर लाता हूँ? खुद की जान जोखिम में डाल कर भूकंप के मलबे से क्यों इन्हें जिन्दा बचाने के लिए जी जान लगा देता हूँ.. नलकूपों में फंसे हुए प्रिंस जो शायद आगे चलकर जे एन यू के इन छात्रो से हो जाए उनके लिए भूगर्भ में क्यों जाता हूँ?? जिन हालातों की सोच मात्र से इनकी सात पुश्तें तक थरथराती हैं उनमे हंसकर जीता हूँ.. हाँ मानता हूँ पापी पेट का सवाल है लेकिन आपको बता दूँ रास्ते और भी थे.. लेकिन हमे तो प्रेम है अपनी जन्मभूमि से और तुम भी कपूत ही सही मेरी भारत माँ के लाल हो.. पथभ्रष्ट हो और वो भी इसलिए क्यों कि तुम्हे हिन्दुस्तान में जन्म मिला.. आपको बता दूँ साहब सीरिया जाइए और नजर दौड़ाइए प्रोटेस्ट कीजिये सब इंसानियत के सूत्र एक ही दिन में नजर आ जायेंगे.. तुम्हारे शहीद अफजल गुरु का कोई सगा वाल जब कनपटी पर बन्दूक की नली रखेगा तब घंटा समझ नही आएगा प्रोटेस्ट.. कॉकरोच देख कर आह और आउच करने वाले तुम क्या जानो देशभक्ति क्या होती है?? सिगरेट के धुएं के छल्ले उड़ाओ.. खुले आम अंतरंग सम्बन्ध बनाओ.. शराब पियो.. और अफजल को अपना आदर्श बनाओ.. तुम हमारे अपने थे ही नही कभी.. तुम बोझ हो एक ऐसे मूक बधिर मानसिक दिवालिया हस्त पाद विहीन बेटे की तरह जिसे उनकी माँ बहुत प्रेम करती है.. तुम्हारे पकिस्तान जिंदाबाद कहने से न पकिस्तान जिन्दाबाद हो जाएगा न अफजल गुरु शहीद.. हमारे शहीद तो वो बहादुर जवान है जिन्होंने लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा के लिए अफजल गुरु की गोलियों को सीने पर खाया और उसे नरकवासी बनाने में अपना योगदान दे गए... तुम क्या जानो क्या होता है देशप्रेम.. तुम्हारे प्रोटेस्ट की निंदा करना तो बाद की बात हम जिक्र तक नही करना चाहते.. लेकिन तुम्हे कुचलेंगे शीघ्र ही जहाँ हमें दिख गए तुम वही रौंद देंगे.. क्योंकि तुम कुछ एक तथाकथित आधुनिकता से प्रेरित मानसिक दिवालियों का जीवित रहना हमारी भारत माँ के लिए घातक है...