जनज्वार। देश का पर्यावरण दुरुस्त हो और लोगों को साफ हवा मिले इसकी भरपाई उन हजारों मजदूरों अपना पेट काटकर करनी पड़ रही है जिनकी कंपनियां सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बंद हो गयी हैं।
भारत स्टेज (बीएस 3) मानकों वाले दो और चार पहिया वाहनों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बंद किए जाने के दिए गए आदेश के बाद टाटा मोटर्स की सिर्फ जमशेदपुर युनिट ने करीब अस्थायी 6 हजार मजदूरों को नौकरी से निकाल दिया है। कंपनी का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद से वाहन उत्पादन का काम बंद हो चुका है। हर साल यहां 80 हजार गाड़ियां तैयार होती हैं।
29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा कि 1 अप्रैल से बीएस 3 वाहनों का उत्पादन और बिक्री बंद हो कर दी जाये। पर्यावरणविदों और प्रदुषण नियंत्रक संस्थाओं ने कोर्ट को बताया था कि प्रदुषण का एक बड़ा कारन बीएस ३ वाहनों से निकलने वाला वायु प्रदुषण है. कोर्ट ने आदेश देते हुए टिप्पणी की थी कि कंपनियों के आर्थिक फायदे से ज्यादा जरूरी है लोगों का स्वास्थ्य। गौरतलब है कि बीएस 3 मानकों वाली बाइक और चार पहिया वाहनों में अधिक प्रदुषण निकलता है।
कोर्ट के इस फैसले के बाद बीए 3 मानकों वाली बाइक और चार पहिया बनाने वाली कंपनियों में अफरा—तफरी मच गयी। शो रूम मालिकों के यहां सस्ती गाड़ियां खरीदने वालों की भरमार हो गयी क्योंकि 31 मार्च के बाद बीएस 3 मानकों वाले गाड़ियों को बेचना संभव नहीं था।
इस अफरा—तफरी में शो रूम मालिकों ने रातों—रात करोड़ों का धंधा कर लिया जो वे एक साल में भी नहीं कर पाते। पर इस फैसले की सबसे बड़ी मार मजदूरों पर पड़ी जिसकी कहीं कोई चर्चा नहीं है।
अकेले टाटा मोटर्स की जमशेदपुर युनिट ने अपने यहां काम करने वाले 6 हजार कैजुअल और ठेका मजदूरों को एक झटके में निकाल दिया।
इसके अलावा टाटा का यह निर्णय आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एआईएडीए) में करीब 800 सहायक इकाइयों के भाग्य पर बहुत खराब असल डालेगा और वहां भी छंटनी होगी। ये इकाइयां बड़े पैमाने पर टाटा मोटर्स पर निर्भर हैं।
इतनी बड़ी छंटनी के खिलाफ मजदूर एकजुट न हो जाएं इसको ध्यान में रखते हुए टाटा माटर्स ने परमानेंट कर्मचारियों को 30 मार्च से 3 अप्रैल तक 4 दिन की छुट्टी पर भेज दिया। प्रबंधन ने नोटिस जारी कर कहा कि स्थायी कर्मचारी 4 अप्रैल को ड्यूटी पर आएं।
भारत स्टेज (बीएस 3) मानकों वाले दो और चार पहिया वाहनों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बंद किए जाने के दिए गए आदेश के बाद टाटा मोटर्स की सिर्फ जमशेदपुर युनिट ने करीब अस्थायी 6 हजार मजदूरों को नौकरी से निकाल दिया है। कंपनी का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद से वाहन उत्पादन का काम बंद हो चुका है। हर साल यहां 80 हजार गाड़ियां तैयार होती हैं।
29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा कि 1 अप्रैल से बीएस 3 वाहनों का उत्पादन और बिक्री बंद हो कर दी जाये। पर्यावरणविदों और प्रदुषण नियंत्रक संस्थाओं ने कोर्ट को बताया था कि प्रदुषण का एक बड़ा कारन बीएस ३ वाहनों से निकलने वाला वायु प्रदुषण है. कोर्ट ने आदेश देते हुए टिप्पणी की थी कि कंपनियों के आर्थिक फायदे से ज्यादा जरूरी है लोगों का स्वास्थ्य। गौरतलब है कि बीएस 3 मानकों वाली बाइक और चार पहिया वाहनों में अधिक प्रदुषण निकलता है।
कोर्ट के इस फैसले के बाद बीए 3 मानकों वाली बाइक और चार पहिया बनाने वाली कंपनियों में अफरा—तफरी मच गयी। शो रूम मालिकों के यहां सस्ती गाड़ियां खरीदने वालों की भरमार हो गयी क्योंकि 31 मार्च के बाद बीएस 3 मानकों वाले गाड़ियों को बेचना संभव नहीं था।
इस अफरा—तफरी में शो रूम मालिकों ने रातों—रात करोड़ों का धंधा कर लिया जो वे एक साल में भी नहीं कर पाते। पर इस फैसले की सबसे बड़ी मार मजदूरों पर पड़ी जिसकी कहीं कोई चर्चा नहीं है।
अकेले टाटा मोटर्स की जमशेदपुर युनिट ने अपने यहां काम करने वाले 6 हजार कैजुअल और ठेका मजदूरों को एक झटके में निकाल दिया।
इसके अलावा टाटा का यह निर्णय आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एआईएडीए) में करीब 800 सहायक इकाइयों के भाग्य पर बहुत खराब असल डालेगा और वहां भी छंटनी होगी। ये इकाइयां बड़े पैमाने पर टाटा मोटर्स पर निर्भर हैं।
इतनी बड़ी छंटनी के खिलाफ मजदूर एकजुट न हो जाएं इसको ध्यान में रखते हुए टाटा माटर्स ने परमानेंट कर्मचारियों को 30 मार्च से 3 अप्रैल तक 4 दिन की छुट्टी पर भेज दिया। प्रबंधन ने नोटिस जारी कर कहा कि स्थायी कर्मचारी 4 अप्रैल को ड्यूटी पर आएं।
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