Jul 31, 2011

'खाप' का आईना देख बौखलाए चौधरी


अजय सिन्हा ने साहस करके खाप पंचायतों के क्रूर चेहरे और ऑनर किलिंग के ज्वलंत मुद्दे पर फिल्म बनाकर साहस का काम किय है। सिनेमा के व्याप्क प्रचार, प्रसार और असर से घबराई खाप पंचायते ये कभी नहीं चाहेंगी कि उनकी असलियत दुनिया के सामने आये...

आशीष वशिष्ठ

अजय सिन्हा निर्देशित फिल्म ‘खाप-ए स्टोरी ऑफ ऑनर किलिंग’ ने पिछले हफ्ते देश भर के सिनेमाघरों में दस्तक दी है। लेकिन हरियाणा में इस फिल्म को लेकर खासा विरोध चल रहा है। हरियाणा से भड़की विरोध की चिंगारी पष्चिमी उत्तर प्रदेश  के कई जिलों तक फैल चुकी है। अजय सिन्हा ने सिने दर्शकों के लिए एक मनोरंजन फिल्म बनायी है जिसमें, डांस है, ड्रामा है, रोमांस है, एक्शन है। इसमें  हर हिंदी फिल्म की तरह एक लवस्टोरी को दिखाया गया है जिसे समाज की स्वीकृति नहीं मिलती है और उस स्टोरी का दर्दनाक अंत हो जाता है।

ये तो हर प्रेम कहानी  में होता है। पिछले कई दशकों से ये ही होता आ रहा है लेकिन अजय सिन्हा की फिल्म में ऐसा क्या है जिससे हरियाणा और पष्चिमी उत्तर प्रदेश की खाप पंचायत एक दम से उखड़ गयी है। और वो इस फिल्म का विरोध और  फिल्म के षो रूकवाने पर उतारू है। लेकिन इस लो बजट की फिल्म के विरोध ने देश भर के सिनेमाघरों की सीटों को जरूर पहले शो के लिए हाउसफुल कर दिया है। फिल्म की पृष्ठभूमि दिल्ली व आसपास के इलाके पर आधारित है।

ऑनर किलिंग के विषय पर आधारित फिल्म खाप रुढ़िवादी पीढ़ियों द्वारा बनाई गयी एक प्रथा का विरोध करती है। फिल्म में दो प्रेमी दिखाये गये हैं। कहानी रिया (युविका चौधरी) ओर कुश(सरताज) के इर्द-गिर्द धूमती है जो एक-दूसरे से प्यार करते हैं। रिया के पिता मधुर (मुनीश बहल) ने 16 साल पहले अपने दोस्त के ऑनर किलिंग के नाम पर की गई हत्या के बाद गांव छोड़ दिया था। वही दूसरी तरफ खाप पंचायत का मुखिया (ओम पुरी) रिया के दादा हैं और ओम पुरी इस बात से अनजान है।

कहानी में ट्वीस्ट तब आता है जब गांव में फिर ऑनर किलिंग के नाम पर एक प्रेमी जोड़े की हत्या हो जाती है और प्रशासन इसकी जांच के लिए रिया के पिता मधुर को ही गांव भेजता है। रिया की शादी कुश से हो जाती है लेकिन दोनों ही इस बात से अनजान होते हैं कि वे एक ही खाप से संबंध रखते हैं। यहां से उनके और परिवार वालों के लिए मुश्किलें शुरू हो जाती हैं। ढ़ी भला खाप पंचायत की बातों को क्यों माने? लेकिन इस बीच ऑनर किलिंग की भयावह घटनाएं दोनों को सहमा देती हैं। खैर, फिल्म का अंत सकारात्मक है। आखिर में जीत कुश और रिया की ही होती है।

फिल्म खाप में ऑनर किलिंग जैसे मुद्दे को केंद्र में जरूर रखा गया है, परंतु इसकी अहमियत एक मसाला फिल्म जितनी ही है। फिल्म में बहुत कुछ कहने की कोशिश की गई है, लेकिन फिल्म के कथ्य के सरलीकृत स्वरूप ने दिक्कत पैदा कर दी है। हां खाप पंचायत के बारे में बहुत सारी जानकारी इससे मिल सकती है। हरियाणा, यूपी व अन्य राज्यों के गांवों में परंपरा और इज्जत के नाम पर होने वाली जघन्य हत्याओं की कहानी है फिल्म खाप। फिल्म ने गांवों में सदियों पुरानी परंपरा के नाम पर होने वाली ऑनर किलिंग को दिखाया गया है।


जिस तरह हरियाणा और पष्चिमी उत्तर प्रदेष में फिल्क का व्याप्क तौर पर विरोध हो रहा है उससे  ये संकेत मिलते हैं कि खाप को भी इस बात का अंदेशा है कि उसके फैसले कहीं ना कहीं गलत होते हैं। उसके तुगलकी फरमान से लोग को काफी तकलीफ होती है। हरियाणा की खाप पंचायत ने फिल्म की रिलीज को रूकवाने के लिए एड़ी चोटी का दम लगाया था, लेकिन लाख कोषिषों के फिल्म रिलीज हो गई।

असल में खाप पंचायतों को कहीं ना कहीं ये डर सता रहा था क कि खाप फिल्म से उसका वो घिनौना सच लोगों के सामने ना आ जाये जिसे खाप पंचायत सही मानती है। और कहीं ऐसा न हो कि फिल्म देखने के बाद लोग खाप पंचायतों के विद्रोह पर उतर आयें। गौरतलब है कि पिछले साल के रिकार्ड के मुताबिक हरियाणा में सबसे ज्यादा ऑनर किलिंग के मामले सामने आये है। जिसके लिए काफी हद तक खाप पंचायत के तुगलकी फरमान जिम्मेदार है। लेकिन खाप पर इन बातों का कोई असर नहीं होता है।

अजय  सिन्हा ने साहस करके खाप पंचायतों के क्रूर चेहरे और ऑनर किलिंग के ज्वलंत मुद्दे पर फिल्म बनाकर साहस का काम किय है। सिनेमा के व्याप्क प्रचार, प्रसार और असर से घबराई खाप पंचायते ये कभी नहीं चाहेंगी कि उनकी असलियत दुनिया के सामने आए, ऐसे में आने वाले दिनों में ‘खाप’ का विरोध तेज होगा, आखिरकर सच का सामना करने की हिम्मत हर एक में नहीं होती है। खाप पंचायते अपनी सच्चाई सिल्वर स्क्रीन के बड़े पर्दे पर देखकर हैरान, परेशान और घबराई हुई है ।

 


1 comment:

  1. जनार्दन कुमारSunday, July 31, 2011

    अब वे पोस्टर फाड़ें या खम्भा नोंचे समाज जाग गया है और उनके दिन लड़ गाये हैं.

    ReplyDelete