एक महिला पुलिसकर्मी मामला दर्ज करवाने आई। वह पीड़िता को एक अंधेरे कमरे में ले गई और उसे चांटे मारकर धमकाया कि यदि बलात्कार का मामला दर्ज करवाया तो तुझे और तेरे मां-बाप को जेल में डाल देंगे...
गुजरात से दलित नेता जिग्नेश मेवानी की प्रेस विज्ञप्ति
गुजरात के बनासकांठा जिले के डिशा तहसील के बुराल गांव की 18 साल की दलित लड़की जब स्वच्छता अभियान के सारे नारों के बावज़ूद घर पर टॉइलेट नहीं होने के चलते खुले में शौच करने गई तब दबंग जाति के एक आदमी ने उसका बलात्कार किया।
10 जून की दोपहर 12 बजे दलित लड़की के साथ यह घटना घटी। पीड़िता ने घर जाकर अपने माँ बाप को यह बात बताई। दोपहर के 2 बजे पीड़िता, उसके माता-पिता और बराल गांव के कुछ लोग डिशा रूरल पुलिस थाने में मामले की एफआईआर दर्ज करवाने गए, तो थाना इंचार्ज मौजूद नहीं थे। डयूटी पर बैठे पुलिस स्टेशन ऑफीसर ने कहा पीड़िता से कहा कि थाना इंचार्ज (पुलिस इंस्पेक्टर) वापस आएंगे तो उसके बाद ही कार्रवाई होगी।
पीड़िता, उसके माता पिता और गांव के लोग पुलिस के सामने मामला दर्ज करने के लिए गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। मजबूरन पीड़िता के माता-पिता ने लोकेल एडवोकेट मघा भाई को थाने बुलाया। वकील ने पुलिस से कहा कि मामला इतना संगीन है, लड़की का बलात्कार हुआ है और आप पुलिस इंस्पेक्टर का इंतजार कर रहे हो, यह कैसे चलेगा? वकील से कहने के बावजूद इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पुलिस स्टेशन ऑफिसर ग़लबा भाई ने कहा कि इंस्पेक्टर साहब आपको धानेरा तहसील के एक चार रास्ते पर मिलेंगे। बलात्कार पीड़िता दलित लड़की अपने मां-बाप और गांव के लोगों के साथ रोती-गिड़गिड़ाती हुई धानेरा हाईवे पर पहुंची और पुलिस इंस्पेक्टर को अपनी आपबीती सुनाई। सुनकर पुलिस इंस्पेक्टर डी. डी. गोहिल ने कहा - बलात्कार हुआ और तू दलित है? तो जाओ जाकर पहले अनुसूचित जाति का सर्टिफिकेट लेकर आओ।
रिपोर्ट दर्ज न किए जाने पर पीड़ित लड़की अपने मां—बाप के साथ 24 किलोमीटर दूर अपने गांव वापस गई और कास्ट सर्टिफिकेट लेकर पुलिस थाने पहुंची। फिर जो हुआ वह और भी भयानक था। बगल के पुलिस थाने की शर्मिला नाम की एक महिला पुलिसकर्मी मामला दर्ज करवाने आई। वह पीड़िता को एक अंधेरे कमरे में ले गई और उसे चांटे मारकर धमकाया कि यदि बलात्कार का मामला दर्ज करवाया तो तुझे और तेरे मां-बाप को जेल में डाल देंगे।
इतना सब होने के बाद भी आईपीसी की धारा 376 (रेप) के बजाय 354 (सेक्सुअल एब्यूस) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। पीड़िता के बार—बार कहने के बावजूद उसकी मेडिकल जांच नहीं करवाई गई।
यानी कुछ भी करके मामले को रफादफा करने की कोशिश की गई। यहाँ उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही बीजेपी के कुछ नेता नालिया सैक्स रैकेट में संलिप्त पाये गए थे। इस मामले से गुजरात पुलिस और बीजेपी के नेताओं का वास्तविक चरित्र उजागर हुआ था। यह भी उल्लेखनीय है कि गुजरात में 2004 में 24 दलित महिलाओं का बलात्कार हुआ था, जो आंकड़ा 2014 में 74 तक पहुंच गया है।
पाटीदार समाज की नेता रेशमा पटेल और चिराग पटेल, बनासकांठा के चेतन सोलंकी समेत दलित संगठनों से जुड़े लोगों और समाजसेवियों ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर कहा कि 25 जून की शाम के 6 बजे तक यदि धारा 376 के तहत मुकदमा दर्ज नहीं किया गया और यदि थाना इंचार्ज के सामने एट्रोसिटी एक्ट की धारा 4 के तहत कार्रवाई नहीं की गई तो 26 जून को सुबह 11 बजे बनासकांठा जिले की बनास नदी के उपर का ब्रिज और हाईवे बंद करवा देंगे।
बलात्कार के मामले में किसी भी लापरवाही को हम सहन नहीं करेंगे। साथ ही ऐलान किया कि गुजरात सरकार तैयारी कर ले हमें रोकने की, हम तैयारी कर लेंगे रास्ता रोकने की।
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