भाजपा की विकास यात्रा पर वरिष्ठ लेखक राजकिशोर ने लिया व्यंग्यात्मक साक्षात्कार
उत्तर : भाजपा कुमारी
प्रश्न : किस की बेटी हो?
उत्तर : आर एस एस पांडे की
प्रश्न : तुम्हारी उम्र?
उत्तर : यही कोई सैंतीस साल।
प्रश्न : उम्र के हिसाब से तो काफी फैल गयी हो।
उत्तर : मत पूछिए। एक बार ऐसी बीमार पड़ी थी कि मेरा वजन बस दो किलो रह गया था।
प्रश्न : उस के बाद सेहत कैसे बनी?
उत्तर : मैं नियमित रूप से वर्जिश करती हूँ। सुबह छह से सात। लाठी भाँजने में कई बार फर्स्ट आ चुकी हूँ। कुछ घरानों से टॉनिक भी आ जाता है।
प्रश्न : फिर भी इतनी जल्दी, इतना विकास?
उत्तर : अंकल, इस में मेरा दोष नहीं है। मेरी फ्रेंड्स सिकुड़ती गयीं और उन की जगह मुझे मिलती गयी। अब तो मैं ही मैं हूँ।
प्रश्न : तब तो तुम्हारी अभिलाषा पूरी हो चुकी होगी।
उत्तर : अभी कहाँ। इतनी उम्र हो गयी, पर शादी नहीं हुई। कुँवारी हूँ।
प्रश्न : क्या किसी खास लड़के का इंतजार कर रही हो?
उत्तर : हाँ, भारत कुमार।
प्रश्न : पर उस के पीछे तो और भी लड़कियाँ पड़ी हैं - रेशमा है, कावेरी है, उज्ज्वला है, ललिता है, गुलनार है, नालंदा है...
उत्तर : यही तो चुनौती है। पर पापा कहते हैं, लगी रहो, एक न एक दिन सफलता जरूर मिलेगी।
प्रश्न : आजकल भारत कुमार बहुत बीमार है। कुपोषित है। उस का पूरा शरीर दर्द करता है। उसका स्वास्थ्य लौटाओगी, तभी तो उसे पाओगी।
उत्तर : जितना होता है, करती ही हूँ। पर मेरा लक्ष्य कुछ और है।
प्रश्न : तुम्हारा लक्ष्य क्या है?
उत्तर : पकड़ुआ विवाह करना। पर और लोग भी इसी फिराक में हैं। किसी के हिस्से में हाथ आते हैं, किसी के हिस्से में पैर। पूरा किसी के हाथ में नहीं आता।
प्रश्न : ऐसे हाथ नहीं आने वाला। उसे सर्वांग सुंदरी चाहिए।
उत्तर : इस समय मुझ से सुंदर कौन है?
प्रश्न : सो तो है। पर तुम्हारी हथेली में यह खून कैसे लगा? कहाँ से आ रही हो?
उत्तर : चुप कीजिए। आप जैसे देशद्रोहियों का जवाब मैं नहीं देती।
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