कभी अरविंद की आत्मा हुआ करते थे विश्वास, लेकिन अब वह आहत मन से बस एक ही धुन गुनगुना रहे हैं....कौन सुनेगा किसको सुनाएं इसलिए चुप रहते हैं...
जनज्वार। लंबे समय से आम आदमी पार्टी में हाशिए पर पड़े कुमार विश्वास का ट्वीट ही इन दिनों उनका भरोसेमंद साथी साबित हो रहा है। पार्टी में उनकी कोई पूछ नहीं दिख रही। पंजाब चुनाव इसका सबसे माकूल उदाहरण है जहां उनको पार्टी द्वारा पूछा ही नहीं गया। और दिल्ली के एमसीडी चुनाव में उनकी राजनीतिक हैसियत इस कदर प्रभावहीन हो गयी है कि टिकट चाहने वाले भी उनके दरवाजे की ओर रुख नहीं कर रहे।
ऐसे में विश्वास कभी खुद की, कभी उधार की तो कभी किसी और की गजलें—नज्में ट्वीट कर अपना दुख जगसाया कर रहे हैं। पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तवज्जो पाने की हर कोशिश को कुछ यों इनकार कर रहे हैं मानो उनका विश्वास को लेकर स्थायी भाव बन गया हो कि तुम रहो या जाओ हमें क्या, तुम सुनो और सुनाओ हमें क्या?
27 मार्च को कुमार विश्वास ने एक ट्वीट किया,
'वो जिनके पास हुकुमत भी है, हुजूम भी है,
वो इस फकीर से क्यों पूछें रास्ता क्या है।'
कुमार विश्वास के इस ट्वीट पर हमेशा की तरह पाठकों की प्रतिकियाएं आईं। कुछ ने समझा, कुछ समझकर आप के राजनीतिक गलियारों में संदेश लेकर पहुंचे और कुछ ने सीधे विश्वास से मोर्चा लिया।
दिलचस्प यह था कि इस बार मोर्चा किसी और ने नहीं अरविंद केजरीवाल के बहुत नजदीकी और पीएस वैभव ने लिया। बिना किसी लाग—लपेट और छिपाव के वैभव ने सीधे अपने ट्वीट में लिखा,
पिछले चार चुनावों ने सिखाया:
जब—जब जीते वो पहले फ्रेम में दिखे 'क्रेडिट लेते'
हारते ही फकीर बन गए, शायद बड़े कलाकार ऐसे ही होते हैं।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बहुत खास माने जाने वाले वैभव के इस ट्वीट के बाद पार्टी के बहुत से कार्यकर्ता कुमार विश्वास के खिलाफ पिल पड़े। 'आम आदमी सेना' के सोशल मीडिया पेज पर विश्वास के खिलाफ तेजी से लिखा जाने लगा।
देखते ही देखते गालियों, फब्तियों और कुमार विश्वास की आत्मा 'भाजपाई' होने के दावे आम आदमी सेना के पेज पर होने लगे। लोग कहने लगे इतने रोते क्यों हो, जहां आंसू पोछे जाएँ वहां चले जाओ।
वहीं कुमार विश्वास के भी ट्ववीट पर पाठकों ने खूब कहा—सुना। कुछ ने दुख में दुख जताया तो कुछ ने चुटकियां लीं। कई पाठकों ने कुछ इस भाव में कहा कि अरविंद केजरीवाल नहीं पूछ रहे तो यहां कविता लिखने से कुछ न होगा। कुछ ने सुझाव दिया गलत रास्ता चुनोगे तो यही होगा।
खैर, बात बढ़े और मीडिया की खबर बने उससे पहले ही समझदारी दिखाते हुए अरविंद केजरीवाल के खास और उनके पीएस की भूमिका निभाने वाले विभव ने अपना ट्वीट हटा दिया। अब उनका ट्वीटर अकाउंट 'ट्वीट्स आर प्रोटेक्टेड' श्रेणी में डाल दिया गया है। जो कुछ इस तरह दिख रहा है,
पर कुमार विश्वास को अरविंद केजरीवाल और पार्टी का यह रवैया लगातार दुखित किए हुए है। राज्यसभा की कुल तीन सीटें दिल्ली से आम आदमी पार्टी के हिस्से हैं। एक समय में विश्वास को एक सीट का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, पर ऐसा अब हो पाएगा इस पर खुद विश्वास भी विश्वास नहीं करते।
ऐसे में देखना यह है कि विश्वास का ट्ववीटर आंदोलन कितना साथ दे पाता है, खासकर तब जबकि कार्यकर्ताओं और समर्थकों में उनकी छवि कभी खुद के कारण तो कभी साजिशों के कारण लगातार क्षरित हुई है।
बहरहाल, विश्वास का एक नया ट्वीट -
Nice analysis
ReplyDeleteGood catch.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
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