Aug 3, 2011

आरक्षण’ के विरोध में उतरे आरक्षित

‘गंगाजल, शूल और राजनीति जैसी चर्चित फिल्में बनाने वाले प्रकाश झा ने   'आरक्षण' पर फिल्म बनाकर  मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डाल दिया  है...

आशीष वशिष्ठ

प्रकाश  झा निर्देशित  फिल्म आरक्षण रिलीज होने से पहले ही विवादों में घिर गई है। केंद्रीय अनसूचित जाति आयोग और राजनीतिक दलों ने फिल्म का विरोध कर रहे हैं। सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों को आशंका  है कि फिल्म में आरक्षण को लेकर जो कुछ भी कहा गया है, उससे  देश में अशांति और भेदभाव का माहौल बन सकता है।

आरक्षण फिल्म में दीपिका और अमिताभ बच्चन

केंद्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पीएल पुनिया ने फिल्म निर्देशक प्रकाश  झा को फिल्म रिलिज करने से पूर्व आयोग के समक्ष फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग के लिए कहा है।

प्रकाश झा तमाम आरोपों,आशंकाओं,आलोचनाओं और सवालों के बीच फिल्म के प्रचार-प्रसार और पब्लिसिटी में व्यस्त हैं। अमिताभ बच्चन की प्रमुख भूमिका वाली फिल्म‘आरक्षण’के जारी विरोध को डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर के पोते एवं पूर्व सांसद प्रकाश आंबेडकर ने पब्लिसिटी स्टंट बताया है।

महाराष्ट्र के लोक निर्माण मंत्री छगन भुजबल ने झा को अपनी फिल्म प्रदर्शित करने से पहले कम से कम कुछ बड़े नेताओं को दिखाने की मांग की है। आगामी 12अगस्त को फिल्म देशभर के सिनेमाघरों में दस्तक देगी। गौरतलब है कि आरक्षण का मुद्दा आजादी के समय से ही देश  के लिए गंभीर और संवेदनशील मुद्दा रहा है।

आरक्षण को लेकर एक तरह से पूरा देश आरक्षण और गैर-आरक्षित वर्ग के बीच बंटा हुआ है। संविधान प्रदत्त व्यवस्था के तहत देश के बड़ा तबका सरकारी नौकरियों, प्रमोशन और शिक्षण  संस्थाओं में आरक्षण का लाभ पाता है। ऐसे में जिस वर्ग आरक्षण के दायरे से बाहर है वो अंदर ही अंदर आरक्षण का लाभ पा रही जातियों और वर्ग से मनभेद और मतभेद रखता है।

अभी हाल ही में गुर्जर और जाट संप्रदाय ने आरक्षण कोटा पाने के लिए पाने के लिए उग्र प्रदर्शन   किया,जिससे सरकार और आम आदमी को भारी असुविधा और परेशानी का सामना करना पड़ा था। 1991में तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने आरक्षण के लिए मंडल आयोग की सिफारिशों  का बंडल खोल कर जो नादानी की थी उसका हश्र सारे देश को याद है।

आरक्षण के विरोध में देश भर में आत्मदाह की बाढ़ आ गयी थी। वीपी सिंह की नालायकी ने देश को हिंसा,आगजनी और अनिष्चय की ओर धकेल दिया था। असल में देश के अंदरूनी सामाजिक ढांचे, व्यवस्था,परंपराओं और संविधान की रीति-नीतियों में जमीन आसमान का अंतर है।

संविधान निर्माण के समय देष के वंचितों,पिछड़ों और अनुसूचित जाति-जनजातियों के उत्थान के लिए एक निष्चित अवधि तक आरक्षण की सुविध और व्यवस्था का प्रावधान था। लेकिन आजादी के 64 सालों के बाद भी आरक्षण व्यवस्था बदस्तूर जारी है, और सरकारी नीतियों के चलते आंषिक परिवर्तन और विकास के अलावा कोई खास फर्क आरक्षण का लाभ उठा रहे वर्ग में दिखाई नहीं देता है।
प्रकाश झा सामयिक और सामाजिक  फिल्में बनाने के लिए जाने जाते हैं। गंगाजल,शूल,राजनीति जैसी चर्चित फिल्में बनाने वाले प्रकाश झा  अहम और बेहद नाजुक मसले 'आरक्षण' पर फिल्म बनाकर मानो मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डाला है।हालांकि सेंसर बोर्ड की एक्सपर्ट कमेटी फिल्म को क्लियरेंस दे चुकी है.  

असल में राजनीतिक दलों को इस बात का भी खतरा है कि फिल्म देखकर अगर देष की जनता को आरक्षण का सच और पर्दे के पीछे की राजनीति का पता चल गया तो उनके विरूद्व जनमत तैयार हो सकता है। असल में आरक्षण ने देष की दिशा और दशा बदलने में बड़ी भूमिका निभायी है, लेकिन पिछले कई दशकों से राजनीतिक दल आरक्षण के बल पर वोट बैंक की गंदी और ओछी राजनीति कर रहे हैं वो देश को दो धड़ों में बांट रहा है।

ज्वंलत और सामाजिक मुद्दों पर फिल्म बनाना जितना आसान लगता है, यह काम उतना ही कठिन होता है। सच यह है कि बॉलीवुड में ऐसे गिने चुने ही फिल्मकार हैं,जो सामयिक मुद्दों को सेल्युलाइड पर उतारने की सामर्थ्य रखते हैं। प्रकाश झा ने आरक्षण जैसे मुद्दे पर फिल्म बनाकर बड़ी हिम्मत का काम किया है। सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने से पहले ही विवादों में घिर गई झा निर्देशित फिल्म में अमिताभ बच्चन, सैफ अली खान, दीपिका पादुकोण और मनोज वाजपेयी ने निभायी हैं।



5 comments:

  1. thyatamak tor par galat lekh hai. mai eska javab bhej raha hu.this artical anti reservation artical.

    ReplyDelete
  2. रघुवीर सिंह , सोनीपतWednesday, August 03, 2011

    सवर्णों का चस्मा कितना मोटा होता है इस लेख से पता से चलता है.

    ReplyDelete
  3. "1991में तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने आरक्षण के लिए मंडल आयोग की सिफारिशों का बंडल खोल कर जो नादानी की थी उसका हश्र सारे देश को याद है।

    आरक्षण के विरोध में देश भर में आत्मदाह की बाढ़ आ गयी थी। वीपी सिंह की नालायकी ने देश को हिंसा,आगजनी और अनिष्चय की ओर धकेल दिया"
    janjwar team ko aakhir ho kya gya hai.kya aapki bhi samajh ye hi hai?aapke star me itne girawat ki umeed nahi thi........

    ReplyDelete
  4. bhai bra mjedar equation samajh aaya JHA JI NE FILM BANAYI......VASHISHT JI NE LEKH LIKHA ........AUR ****** JI NE BLOG PE LGAYA.....

    ReplyDelete
  5. जनज्वार में जिस तरह की ख़बरें प्रकाशित हो रही है उससे लगता है कि इसके दिन लद चुके. मुझसे यह देखा नहीं जा रहा. अलविदा जनज्वार

    ReplyDelete