Jun 4, 2011

बाबा रामदेव पर भ्रष्टाचार का नवग्रह

भ्रष्टाचार के खिलाफ बाबा रामदेव के जंग -ए- ऐलान ने सरकार को बैकफुट  पर ला दिया है. दिल्ली एअरपोर्ट पर बाबा को मनाने  के लिए  प्रणब मुखर्जी समेत चार - चार मंत्रियों का पहुंचना इसका प्रमाण है. लेकिन असलियत यह है कि  बाबा अपने आश्रम में मजदूरों के शोषण, दवाओं में मिलावट और रेवेन्यु चोरी से गुजरते हुए देश में भर्ष्टाचार के सबसे बुलंद आवाज के रूप में उभरते हैं, हतप्रभ करता है.... अंतिम किस्त

आकाश नागर


बाबा पर लगे भ्रष्टाचार के  आरोपों में से  नौ को यहाँ  प्रस्तुत किया जा रहा है....

1. हरिद्वार कोतवाली में हुआ मामला दर्ज-  यह वर्ष 2002-2003 की बात है जब स्वामी रामदेव का हरिद्वार के अधिवक्ता से विवाद हो गया था। यह विवाद शंकर देव आश्रम में कब्जे को लेकर हुआ था। जिसमें स्वामी रामदेव ने बाली नामक एक अधिवक्ता के सर पर भारी प्रहार कर दिया था। बाद में लहूलुहान अधिवक्ता ने कोतवाली हरिद्वार में स्वामी रामदेव पर जान से मारने की नीयत से हमला करने का मामला दर्ज कराया।

2. श्रमिकों का शोषण -हरिद्वार स्थित दिव्य योग ट्रस्ट जिसके सर्वेसर्वा स्वामी रामदेव हैं, उन दिनों चर्चा में आई जब दिव्य योग फार्मेसी में श्रमिकों को बाहर का रास्ता दिखाया गया । इस प्रकरण की शुरूआत 5 मई 2005 में जब हुई तब स्वामी रामदेव के भाई राम भारत ने दिव्य फार्मेसी के उन 90 श्रमिकों को सेवामुक्त कर दिया जो न्यूनतम वेतन की मांग कर रहे थे। मजदूरों का 16 दिन तक हरिद्वार स्थित कलक्ट्रेट परिसर में धरना प्रदर्शन चला। 21 मई 2005 को श्रमिकों से समझौता कर धरना खत्म करवा दिया गया। समझौते के तहत फार्मेसी में 5 मई 2005 से पूर्व की स्थिति बहाल कर दी जायेगी। साथ ही किसी भी कर्माचरी के खिलाफ बदले की भावना के अंतर्गत कोई कार्रवाही नहीं की जायेगी। लेकिन मजदूर तब सकते में आ गए जब अगले ही दिन उन्होंने फार्मेसी के गेट पर ताला जड़ा देखा। इसके बाद वर्षों तक कई बार मजदूरों ने आंदोलन किया लेकिन उन्हें आज तक दिव्य योग फार्मेसी में नौकरी पर बहाल नहीं किया गया। कई मजदूरों की हालत बेहद खस्ता हाल हो गई और वे सड़कों पर आ गए। अपने जीवनयापन के लिए वे सब्जी की ठेलियां लगाने पर मजबूर हुए।

3. सुधीर के परिवार का उत्पीड़न -मजदूर हितों की बात करने वाले तथा आश्रम संबंधी सच को कहने वाले सुधीर के विरुद्ध झूठे आरोप लगाकर उसे तथा उसके परिवार को उत्पीड़ित किया गया। सुधीर का कसूर यह भी था कि वह दिव्य योग ट्रस्ट के संस्थापकों में से एक रहे आचार्य करमवीर का रिश्तेदार था। जिसका खामियाजा उसे झूठे मुकदमे और पुलिस तथा गुण्डों के खौफ से भुगतना पड़ा। दिव्य योग  फार्मेसी के मैनेजर पद पर रहे सुधीर पर स्वामी रामदेव की हत्या का षड्यंत्र जैसे संगीन आरोप लगाए गए जो बाद में सिद्ध नहीं हो सके। स्वामी रामदेव पर आरोप हैं कि उन्होंने गुंडों को  पुलिसवर्दी में सुधीर के घर तोड़फोड़ करने के लिए भेजा। भयभीत सुधीर और उसके परिजनों को घर छोड़कर भागना पड़ा था।

4. दवाओं में मानव खोपड़ी का इस्तेमाल -स्वामी रामदेव की दिव्य योग फार्मेसी में कई सनसनीखेज खुलासे हुए। जिनमें मिर्गी के इलाज के लिये तैयार होने वाली कुल्या भस्म में मानव खोपड़ी के चूर्ण के इस्तेमाल सहित वन्य जीव उदबिलाव के अण्डकोष को यौन शक्ति बढ़ाने वाली दवाई यॉवनावृत वटी में मिलाया जाता था। इसके अलावा दमा की बीमारी में काम आने वाली  शृंगभस्म में हिरण और बारहसिंगा के सींग का चूर्ण मिलाए जाने की भी चर्चा रही। दिव्य योग  फार्मेसी के मजदूरों ने केवल इसका खुलास किया बल्कि उन्होंने फार्मेसी से हिरण के सींग और  उदबिलाव के अण्डकोष तक मीडिया के समक्ष प्रस्तुत किए। बाद में इस मुद्दे को लेकर वन्य जीव प्रेमी मेनका गांधी और माकपा सांसद वृंदा करात सामने आई। लेकिन वोट बैंक की राजनीति के बाद में दोनों इस मामले के प्रति उदासीन हो गई।

 5. भाई-भतीजावाद  -हरिद्वार में दिव्य योग ट्रस्ट के तत्कालीन उपाध्यक्ष आचार्य करमवीर ने जब दिव्य योग  फार्मेसी में हो रही अवैध गतिविधियों और परिवारवाद के खिलाफ आवाज उठाई तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। 28 मार्च 2005 को जारी एलआईयू हरिद्वार की एक रिपोर्ट में बाकायदा इसका खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार ‘स्वामी रामदेव ने अपने भाई रामभारत को फार्मेसी प्रमुख बनाया तथा बहनोई डॉ  यशदेव शास्त्री को ऋषि आफसेट प्रिंटिंग प्रेस बनाकर दी। रामदेव अपने परिजनों को दिव्य योग फार्मेसी तथा अन्य संस्थानों में लाकर स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं। इससे आश्रम के अन्य लोगों खासकर आचार्य करमवीर में खासा रोष है।’

6. ‘दि संडे पोस्ट’ पर मुकदमा - आश्रम संबंधी सच सामने लाने से नाराज होकर दिव्य योग ट्रस्ट की तरफ से वर्ष 2005 में ‘दि संडे पोस्ट’ के खिलाफ भारतीय प्रेस परिषद में मामला दर्ज कराया गया था। इसके चलते 14 सितंबर 2005 को भारतीय प्रेस परिषद की सचिव विभा भार्गव ने दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट बनाम ‘दि संडे पोस्ट’ का नोटिस भिजवाया। जिसमें समाचार पत्र पर आरोप लगाए गए कि स्वामी रामदेव और दिव्य योग  फार्मेसी से संबंधित खबरें तथ्य विहीन तथा प्रेस काउंसिल एक्ट 1978 एवं प्रेस काउंसिल रेगुलेशन 1979 में निहित नियमों और उद्देश्यों के विपरीत हैं। इसके जवाब में बताया गया कि समाचार पत्र में जो खबरें  प्रकाशित की गई वे पूरी खोजबीन एवं आश्रम में कार्यरत मजदूरों के बयानों तथा तथ्यों पर आधारित थी। बाद में भारतीय प्रेस परिषद ने इस मामले पर ‘दि संडे पोस्ट’ का पक्ष लिया।

7. सुरक्षा लेने के मामले में - मई 2006 में हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में स्वामी रामदेव के साथ हेलिकॉप्टर में सवार होकर पहुंचे  गौरव  अग्रवाल से क्या वाकई स्वामी रामदेव की जान को खतरा था या जेड प्लस की सुरक्षा पाने के लिए किया गया एक और ड्रामा। इस ड्रामे में अब तक सुधीर कुमार, दीपु भट्ट और आंदोलनरत श्रमिकों के अलावा ई-मेल के धमकी भरे पत्रों को इस्तेमाल करने की असफल कोशिश की गई। भले ही रामदेव यह ऐलान कर चुके कि उन्होंने जेड श्रेणी की सुरक्षा के लिए सरकार से मांग नहीं की। मगर वास्तविकता यह है कि वे पहले भी यह मांग कर चुके हैं और इसके लिए साजिश रचने की बातें भी सामने आई हैं। इस संबंध में गृह मंत्रालय ने उत्तराखण्ड सरकार से जवाब तलब किया कि क्या वाकई स्वामी रामदेव को जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा की जरूरत  है। इसके तहत सरकार ने हरिद्वार की एलआईयू को जांच करने के आदेश दिए। एलआईयू की 17/05, 28 मार्च 2005 को जारी की गई जिसमें स्पष्ट कहा गया कि स्वामी रामदेव को परोक्ष रूप से कोई भय होना ज्ञात नहीं हुआ है उन्होंने बहुराष्ट्रीय कंपनियों से कथित प्रतिस्पर्धा के चलते एवं अपने निजी कार्यों से जीवन भय की आशंका प्रकट की थी।

 8. शंकर देव का रहस्य - स्वामी शंकर देव महाराज वह साधु थे जिन्होंने स्वामी रामदेव को न केवल अपने आश्रम में आश्रय दिया बल्कि आश्रम की संपत्ति भी उनके ट्रस्ट के नाम कर दी। लेकिन बाद में शंकर देव की स्थिति ऐसी हो गई कि उनके दुखों तक को स्वामी रामदेव को देखने की फुर्सत नहीं मिली। यह चौंकाने वाली बात है कि एक तरफ श्ंकर देव महाराज की देन आश्रम को करोड़ों की दवाइयों का कारोबार हो रहा था वहीं दूसरी तरफ वे इलाज के लिए तरसते रहे और लोगों से उधार लेकर काम चलाते रहे। दो साल पूर्व आहत होकर उन्होंने आचार्य करमवीर से स्वामी रामदेव की शिकायत की थी। तब करमवीर ने उनका इलाज कराया। इसके बाद शंकर देव का कोई अता-पता नहीं है। शंकर देव कहां गए? इस संबंध में हरिद्वार के कई साधु संतों ने स्वामी रामदेव पर आरोप लगाए कि उन्होंने संपत्ति के लालच में उनकी हत्या करा दी।

 9. रेवन्यू चोरी - एक तरफ तो वे देश के धन्नासेठों द्वारा कर चोरी करके अरबों रुपये का काला धन विदेशी बैंकों में जमा कराने की बात करते हैं वहीं दूसरी तरफ उनके पंतजलि योगपीठ के खिलाफ भी रेवन्यू चोरी के मामले दर्ज हैं। इस बाबत राजस्व विभाग ने पतंजलि योगपीठ और आचार्य बालकृष्ण पर मामले दर्ज किए हैं। राजस्व विभाग का कहना है कि बाबा और उसके सहयोगी बालकृष्ण ने रेवन्यू चोरी करके करीब 60 लाख का चूना सरकार को लगाया है।




खोजी पत्रकारिता कर कई महत्वपूर्ण मामले उजागर करने वाले आकाश नागर इस समय द  सन्डे पोस्ट के रोमिंग असोसिएट एडिटर हैं. यह लेख वहीँ  से साभार प्रकाशित किया जा रहा है.




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