Jun 9, 2011

हुसैन को श्रद्धांजलि


लखनऊ, 10 जून। हमें यह दुखद खबर मिली है कि प्रसिद्ध चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन नहीं रहे। लन्दन में कल सुबह उनका निधन हुआ। हुसैन हमारे पिकासो थे, कला के लिए पूरी तरह समर्पित। उनके चित्रों को लेकर साम्प्रदायिक ताकतों ने उन्हें निशाना बनाया, सैकड़ों की संख्या में उनके ऊपर मुकदमें दायर किये और हमारे इस कलाकार को मजबूर कर दिया कि वे देश छोड़कर चला जाय।

उन्होंने कतर की नागरिकता ली। लेकिन कतर की नागरिकता लेने के बावजूद वे कहते रहे कि भले मैं हिन्दुस्तान के लिए प्रवासी हो गया हूँ लेकिन मेरी यही पहचान रहेगी कि मैं हिन्दुस्तान का पेन्टर हूँ, यहाँ जन्मा कलाकार हूँ। अर्थात हुसैन के कलाकार की जड़े यहीं है और अपने जड़ो से कटने का जो दर्द होता है, वह हुसैन के अन्दर काफी गहरे था। कलाकार स्वतंत्रता चाहता है। वह प्रतिबन्धों, असुरक्षा में नहीं जीना चाहता है। पर व्यवस्था ऐसी है जो कलाकार को न्यूनतम सुरक्षा की गारण्टी नहीं दे सकती।

फिदा हुसैन नहीं रहे, पर इस व्यवस्था पर सवाल छोड़ गये। हम शायद अपने को माफ न कर पायें। जब भी कलाकार की स्वतंत्रता की बात होगी, हुसैन की बात होगी - यह चीज कहीं न कही हमें टिसती रहेगी। अपने इस कलाकार के जाने का हमें गम है। जन संस्कृति मंच की ओर से अपने इस अजीज कलाकार को इस संकल्प के साथ याद करते हैं और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं कि फिर कोई हुसैन न बने।

1 comment:

  1. कृष्ण भट्टाराई,भोपालFriday, June 10, 2011

    इसमें कोई शक नहीं है की मकबूल फ़िदा हुसैन प्रसिद्ध चित्रकार थे,वैसे भी जिस चित्रकार के चित्र १-१ करोड़े में बिकते हो तो प्रसिद्ध होना जरुरी है.अगर कला का मतलब पैसा है तो हुसैन बहुत बड़े कलाकार थे.

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