Jun 7, 2011

नेता रामदेव यादव अब बूट योग की बारी है


यानी चुत्तड़ योग से समर्थन योग का रास्ता थाने और कचहरी से होकर गुजरता है. आप राजनीति में नए-नए आये हैं, इसलिए इन  योगों के बारे में जानकारी नहीं है। उम्मीद है क्रमशः आप रमते जायेंगे...
 
सुमन

भारतीय राजनीति में बगैर जाति के नेता की कोई पहचान नहीं है, इसलिए बाबा रामदेव के भविष्य को देखते हुए उन्हें रामदेव यादव कहना श्रेयस्कर होगा. योगी, बाबा, औषधि निर्माता और अब राजनेता- रामदेव यादव का राजनीति के क्षेत्र में व्यापक स्वागत है. स्वागत इसलिए है क्योंकि उन्हें  पुलिस ने अपनी लोकतान्त्रिक व्यवस्था का एक छोटा सा कारनामा दिखाया और वे आदमी से औरत की पोशाक में आ गए। हालाँकि  पुलिस ने नरमी दिखाई और अपना  सम्पूर्ण टेलर नहीं दिखाया। अगर हमारे जिले के इस्पात राज्य मंत्री श्री बेनी प्रसाद वर्मा की दिल्ली में चली होती तो वे आपके और समर्थकों के लिए चुत्तड़  योग (जो बाराबंकी जनपद में तो प्रसिद्ध  है )  का  इस्तेमाल  जरुर करवाये होते।


पिछले लोकसभा चुनाव से पहले थाना राम नगर, जिला बाराबंकी में मंत्री जी ने अपने  एक बडबोले विरोधी नेता पर तत्कालीन थाना अध्यक्ष के जरिये चुत्तड़ योग का प्रयोग कराया था। जब न्यायालय में उक्त नेता जी का चालान आया तो पेट के बल वो लेटाये हुए थे और जब माननीय मंत्री जी का चुनाव आया तो वही  नेताजी उनका चुनाव प्रचार कर रहे थे। यानी चुत्तड़ योग से समर्थन योग का रास्ता थाने और कचहरी से होकर  गुजरता है. आप राजनीति में नए-नए आये हैं, इसलिए के योगों के बारे में जानकारी नहीं है। उम्मीद है क्रमशः आप रमते जायेंगे.  

उत्तर प्रदेश में पुलिस पेट्रोल योग, करंट योग, पट्टा योग आये दिन करती रहती है और इसी कारण से प्रदेश में विपक्षी बडबोले नेता चाहे भाजपा के हों या लोकमंच के नेता अमर सिंह हों या क्षत्रिय शिरोमणि रघुराज प्रताप राजा भैया हों, सबको सरकारी योग से डर लगता है और ये सभी नेतागण निंदा करके अपना काम चला लेते हैं। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में प्रदेश सरकार ने आपके काफिले को रोककर वापस कर दिया। अगर आपने वहां हठ योग किया होता तो आपको उत्तर प्रदेश सरकार भट्ठा-परसोल योग का प्रशिक्षण दे देती। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने आपका पूरा समर्थन किया है और उन्होंने ने कहा है कि रामलीला मैदान में हुई कार्यवाई की उच्चतम न्यायालय जांच कराये क्योंकि अब केंद्र से न्याय की उम्मीद नहीं है। यह अमानवीय और निंदनीय है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में झुलेलाल पार्क में प्रदेश के सभी धरना अनशन प्रदर्शन कार्यों को इकठ्ठा होकर अपनी बात कहने के लिये स्थल नियत किया गया है। 23 मई से नवीन ओखला ओद्योगिक विकास प्राधिकरण के कर्मचारी अपनी नौकरी के नियमतिकरण लिये धरना दिए हुए थे। शुक्रवार की सुबह धरनाकारी धर्मपाल की मृत्यु हो गयी। एसपी ट्रांस गोमती नितिन तिवारी के कुशल नेतृत्व में सी.ओ महानगर, सी.ओ गुड़म्बा सहित कई थानों के थाना प्रभारी अपने-अपने नेम प्लेट उतारकर धरना स्थल पर बैठे हुए कर्मचारियों पर पुलिस, पीएससी के बल पर लाठी चार्ज कर दिया जिसमें आधा दर्जन कर्मचारियों की हालत गंभीर स्थिति में पहुँच गयी। डेढ़ सौ महिलाओं को इन अधिकारियो के नेतृत्व में पुलिस पीएससी ने जमकर पीटा। सारे कानून नियम धरे के धरे रह गए।

अब मैं आपके लिए  उत्तर प्रदेश के सरकारी योग की कुछ झलकियाँ पेश कर रहा हूँ....

लखनऊ में बहुजन समाज पार्टी की सरकार ने हमेशा समाज के हर तबके के ऊपर लाठी चार्ज किया है और किसी भी मामले में जिम्मेदार किसी भी पुलिस अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं की गयी है। धरना स्थल पर धरनाकारी धर्मपाल की मौत के बाद पुलिस प्रशासन ने जिस तरह से धरनाकारी के ऊपर बुरी तरह से लाठीचार्ज किया है, उससे लगता है की उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ लोकतंत्र का शमशान घाट है और विपक्षी दलों की स्थिति  मुर्दों से भी बदतर  न हिल सकते हैं न डुल सकते हैं अन्यथा सरकार की यह हिम्मत ही नहीं हो सकती थी कि वो हर सत्याग्रही के ऊपर लाठीचार्ज कर सके।

लखनऊ में डीआईजी डी.के.ठाकुर ने समाजवादी पार्टी नेता आनंद सिंह भदौरिया को हजरतगंज में लाठियों से पीटकर सड़क पर लातों से रौंदा, जिससे उत्तर प्रदेश सरकार तथा भारत सरकार के पुलिस अधिकारीयों का वास्तविक चेहरा जनता के सामने आया। कहने के लिये हम आप लोकतांत्रिक समाज का हिस्सा हैं लेकिन वास्तव में राज्य का असली स्वरूप जब सामने आता है तो वह बड़ा वीभत्स होता है। इन स्थितियों  के बाद भारत सरकार में दम है कि इस पुलिस अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाई कर सके।

रही बात विदेशों से काला धन लाने की तो नेता जी मेरी एक सलाह है कि अगर आज की तारीख से देश में काला धन बनाने की प्रक्रिया रुक जाए तो भी देश काफी खुशहाल हो जायेगा। जब दो करोड़ रुपये की जमीन कोई खरीदता है तो नंबर एक रुपये में 60-70 लाख रुपये का भुगतान होता है बाकी भुगतान बेनामी होता है और इसी तरह हजारो हजार करोड़ रुपये ब्लैक मनी प्रतिदिन तैयार होती है मुख्य समस्या यह है। नेता जी आपने रामलीला मैदान 5000 लोगों को योग सिखाने के लिये लिया था। अनशन प्रदर्शन करने के लिये नहीं लिया था और वहां योग सिखने वाले लोगों को इस तरह की कार्यवाई की भी उम्मीद नहीं थी.

यदि किसी योग प्रशिक्षणार्थी की मृत्यु भी हो जाती तो उसकी भी जिम्मेदारी आपकी ही होती। आपके समर्थन में संघियों की मुखौटा पार्टी भाजपा पूरी तरीके से है। इसका अध्यक्ष बंगारू लक्षमण भी रहा है जिसका हाल आपने टीवी  पर देखा होगा। अगर आपके केंद्र में कांग्रेस की बजाये भाजपा की सरकार होती तो भाजपा आपको इससे बढ़िया नया योग सिखा चुकी होती। कांग्रेस भ्रष्टाचारियों का एक अड्डा है जिसमें शरद पवार जैसे मंत्रियों से लेकर दयानिधि मारन तक अब तक मंत्री हैं।


हम,  नेता जी आपके राजनीति में आने का स्वागत करते हैं लेकिन ये द्रष्टान्त आपके लिये लिखे हैं जिससे आप इन योगों का भी अभ्यास कर लें। जिससे भविष्य में आपको कोई कुंठा या निराशा न हो। राजनीति में सभी महा योगी होते हैं और आप अभी तक सिर्फ योगी हैं।











हिंदी के चर्चित ब्लॉग लोकसंघर्ष  के मॉडरेटर और पेशे से बाराबंकी में वकील







4 comments:

  1. आपका लिखा तो समझ में आ गया लेकिन आप राज्य दमन का विरोध करते हैं या समर्थन. ये तो बताइये महाराज.

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  2. जहाँ जनता की इतनी भीड़ हो वहां ला एंड आर्डर बनाए रखना मुश्किल है, लेकिन इसकी आड़ लेकर जनता के लोकतान्त्रिक अधिकारों का हनन करना नाजायज एवं खतरनाक प्रवृत्ति है. जो सरकार लोकतंत्र के नाम पर कारसेवकों को अयोध्या में विवादित मस्जिद ढहाने तक की छूट देती है. उसका दिल्ली में इतना चौकन्ना आपरेशन उसके असुरक्षा बोध को ही दर्शाता है. राज्य के दमन का विरोध करने वाले राहुल गाँधी को भट्टा पारसौल ही दिखता है, दिल्ली का रामलीला मैदान नहीं. जहाँ शांतिपूर्वक सोये लोगों को बर्बरतापूर्वक खदेड़ा जाता है. बाबा रामदेव हिन्दू दर्शन (ब्राह्मण वाद/धारा) में आस्था रखने वाले अब्राह्मण योगगुरु हैं न कि महज धर्म-निरपेक्ष शरीर विज्ञानी. सच है कि जनता का गुस्सा बढ़ रहा है लेकिन साम्प्रदायिक/जातिवादी शक्तियों को उसका फायदा उठाने से रोकना होगा. बाबा का राजनीतिक आन्दोलन इंडीपेंडेंट होकर भी संघ के साये से मुक्त नहीं है. सामाजिक रूप से पिछड़े / दलित / किसान वर्ग रामदेव से उम्मीद / सहानुभूति रख सकता है , पर उनकी पूंजीवादी स्टाइल की रामराज्य पार्टी में उनकी दशा हनुमान व शम्बूक जैसी रहने की ही अधिक सम्भावना है. प्रगतिशील व रेडिकल लोगों को चाहिए कि वे जनता की समझदारी को बढाएँ और काले धन व व्यवस्था परिवर्तन में लगी एनर्जी को सही दिशा दें.

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  3. के. एन. राय, लखनऊTuesday, June 07, 2011

    बधाई हो सुमन जी. बहुत ही अच्छे ढंग से चुनौतियों को पेश किया है जो रामदेव के लिए आने वाली हैं. और चुत्तर योग के लिए तो उन्हें हर वक्त तैयार रहना चाहिए क्योंकि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर ही जाता है. मज आ गया पढ़कर.

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  4. विदेशी बैंकों में जमा काले धन की वापसी का मामला सॉलिड मुद्दा है.

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