‘जनचेतना’से जुड़े करीब दर्जन भर लोगों ने छात्रनेता चक्रपाणि पर यह हमला तब किया है जब देश के सभी जनवादी संगठनों के लिए चिंता का विषय पीयूसीएल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनायक सेन को सुनाई गयी आजीवन कारावास के खिलाफ व्यापक एकता बनाना है...
धर्मेंद्र कुमार, गोरखपुर
देश की तकदरी बदलने के बहाने पैसा वसूली करने वाली किताब की दुकान ‘जनचेतना’ और इसकी सहयोगी संस्था 'दिशा छात्र संगठन' से जुड़े लोगों ने अबकी बार गोरखपुर के एक छात्रनेता चक्रपाणि पर घात लगाकर हमला किया है,जिसमें उनको अंदरूनी चोटें आयी हैं। साम्यवादी राजनीति में परिवारवादी परंपरा को क्रांतिकारी रणनीति मानने वाले इस कुनबे ने छात्र नेता पर यह हमला क्रांतिकारी राजनीति का हिस्सा मानकर किया है और उन्होंने धमकी दी है कि "आगे भी ऐसे हमले के लिए विरोधी तैयार रहें क्योंकि पहले भी ऐसे हमले हम करते रहे हैं।"
वहीं गोरखपुर के बुद्धिजीवियों और संगठनों ने नेतृत्व के इशारे पर ‘दिशा छात्र संगठन’ और जनचेतना द्वारा किये गये इस कुकृत्य को गुंडई कहा है और दिशा छात्र संगठन से सभी तरह के सामाजिक-राजनीतिक संबंध समाप्त करने का निर्णय लिया। सनद रहे कि यह वही छात्र संगठन है जो गोरखपुर में बजरंग दल, विद्यार्थी परिषद् ,हिन्दू युवा वाहिनी जैसे संगठनों से माफी मांगता रहा है। इसी संगठन ने वर्ष 2000में गोरखपुर साइकिल स्टैंड के गुंडों से हाथ जोड़कर कर माफी मांगी थी कि आइंदा से हमारे कार्यकर्ता साइकिल स्टैंड में साइकिल नहीं रखेंगे। जिसके सालभर बाद तक स्टैंड पर साइकिलें खड़ी नहीं की गयीं।
पहली बैठक का प्रस्ताव : सिलसिला जारी |
गौरतलब है कि यह कायराना करतब क्रांति की दुकान ‘जनचेतना’ के उन लोगों ने किया है जो गोरखपुर में ‘दिशा छात्र संगठन’ नाम से दुकान के लिए पैसा वसूली करते हैं। कभी-कभार खुद के क्रांतिकारी भ्रम को ढंकने के लिए दीवार रंगने, फेरी लगाने और पोस्टर चिपकाने का काम भी कर लेते हैं,जिससे अगले वसूली का साहस उनमें बरकरार रहे। पीडीएफ़आइ के राष्ट्रीय संयोजक अर्जुन प्रसाद सिंह ने कहा कि 'छात्र नेता चक्रपाणिपर किया गया हमला निंदनीय है
.समाज बदलने के जोश में जुड़े युवाओं को यह संगठन कायर
बना रहा है और बिरादराना संगठनों पर हर तरह के हमले कर रहा है.यही वह संगठन है जिसने शासक वर्ग के कहने से पहले ही माओवादियों को आतंकवादी कहा था.'
घटना के अनुसार गोरखपुर के चार फाटक इलाके में 5दिसंबर की रात आठ बजे परिवर्तनकामी छात्रसभा के नेता चक्रपाणि को दिशा से जुड़े मुकेश नाम के एक लड़के ने फोन कर बातचीत के बहाने बुलाया। चक्रपाणि के वहां पहुंचते ही ट्रक के पीछे छिपे 15-20 लोगों ने चक्रपाणि पर यह कहते हुए हमला बोल दिया कि तुमने हमारे नारे के ऊपर नारा कैसे लिखवाया। इस मारपीट में मुकेश भी शामिल था। चक्रपाणि ने बताया कि ‘मारपीट देख वहां लोग जुटने लगे तो कायरों की ‘दिशा’ हीन टीम वहां से यह कहते हुए हवा हो गयी कि यह तो हमारी पहली क्रांतिकारी कार्यवाही है। अब आगे भी हम लोग ऐसी कार्यवाहियां करते रहेंगे।’
हिंदी कवयित्री कात्यायिनी और उनके कुनबे के मालिकाने में चल रहे ‘जनचेतना’,'राहुल फाउंडेशन', 'परिकल्पना प्रकाशन', 'अनुराग बाल ट्रस्ट', 'बिगुल मजदूर दस्ता', 'दिशा छात्र संगठन' की आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक बेइमानियों,धूर्तताओं और चालबाजियों को लेकर कुछ महीने पहले इसी वेबसाइट पर एक लंबी और सारगर्भित चर्चा हुई थी। उस चर्चा के दौरान मुझे एक बार लगा था कि यह क्यों किया जा रहा है। क्या ये लोग इतने बेईमान हैं कि सच में क्रांति की दुकान चला रहे हैं और जनता और कार्यकर्ताओं का खून चूस रहे हैं।
मगर अब जबकि यह कायराना हरकत सबके सामने आ चुकी है तो उनके सरोकारों को समझना अब किसी के लिए मुश्किल नहीं रह गया है। इस बावत सामाजिक कार्यकर्ता जेपी नरेला ने कहा कि 'यह किसी संगठन के पतित होने का चरम बिंदु है जब वह बिरादराना संगठनों पर घात लगाये.एक नारे के ऊपर दूसरा नारा लिखा जाना ऐसी कौन सी बात हो गयी जिसके लिए गुंडों जैसी हरकत करनी पड़ी.'
हिंदी कवयित्री कात्यायिनी,उनके पति शशिप्रकाश और बेटे अभिनव समेत करीब आधा दर्जन से अधिक उनके पारिवारिक सदस्यों के मालिकाने में चल रही किताबों की दुकान ‘जनचेतना’से जुड़े करीब दर्जन भर लोगों ने परिवर्तनकामी छात्रसभा के नेता चक्रपाणि को लेकर यह कायराना हरकत तब की है जब देश के सभी जनवादी संगठनों के लिए चिंता का विषय पीयूसीएल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनायक सेन को सुनाई गयी आजीवन कारावास के खिलाफ व्यापक एकता बनाना है।
सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता और स्वतंत्र पत्रकार अंजनी कुमार की राय में 'यह संगठन राजनीति में नहीं कायरता में महारत हासिल किये हुए है.यह संगठन जिस तरह के कामों को क्रांतिकारी रणनीति बनाये हुए है अगर उसी रणनीति को दूसरे संगठन बस दो-चार दिन व्यवहार में उतार दें तो पता चल जायेगा कि कुनबे की असल राजनीति क्या है.'
मारपीट के शिकार हुए छात्र नेता चक्रपाणि ने 'जनज्वार'से हुई बातचीत में बताया कि ‘मुकेश जिसका मोबाइल नंबर 07275050105है उसने मुझे कई दफा फोन किया कि मैं आपसे मिलकर कुछ बात करना चाहता हूं। मुकेश के विश्वविद्यालय का छात्र होने के नाते मुझे बातचीत करने में कोई हिचक नहीं हुई और मैं उसकी बुलाई हुई जगह पर पहुंचा। पहले मैं गोरखपुर चार फाटक के पास विश्वविद्यालय वाली साइड में खड़ा था तो उसने मुझे फोन कर बुलाया कि आप दूसरी तरफ चले आइये। उसकी सुविधा को देखते हुए मैं उस पार पहुंच गया। पहुंचने के एक-दो मिनट तक वह हालचाल पूछता रहा और उसके बाद वह लोग मुझे पीटने लगे।’हालांकि वारदात के बाद से ही मुकेश का मोबाइल बंद है.
चक्रपाणि के मुताबिक ‘यह हमला 'दिशा' में पिछले कुछ वर्षों से सक्रिय कार्यकर्ता प्रमोद, प्रशांत, अपूर्व और तपीश ने कराया है। मगर मारने वालों में जिनको मैं पहचान सका हूं उनमें राजू,विरेश और मुकेश मुझे मार और गालियां दे रहे थे। अंधेरा होने की वजह से मैं बाकियों को नहीं पहचान सका। यह हमला क्यों किया गया?के बारे में पता चला कि ‘परिवर्तनकामी छात्रसभा’ का सातवाँ राष्ट्रीय सम्मेलन 4-5 दिसंबर को देहरादून में होने वाला था।
सम्मेलन के लिए दीवार पर प्रचार के लिए लिखते वक्त दिशा के लिखे गये किसी एक नारे पर ओवरराइटिंग हो गयी,जिसका बदला उन्होंने कायरों की तरह पीटकर लिया है।’चक्रपाणि से यह पूछने पर कि इस मामले में आपने मुकदमा क्यों नहीं दर्ज कराया तो उनका जवाब था,' हमलोग उनकी इस गुंडई में जो राजनीतिक विचलन देखते हैं उसका जवाब राज्य के थानों में नहीं है.हाँ मगर जवाब जरूर देंगे , इतना तो तय है.'
कात्यायनी के कुनबे की इस कायराना हरकत के खिलाफ गोरखपुर में लगातार बैठकों का सिलसिला जारी है। हमले के अगले दिन हुई बैठक में गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के शिक्षक अनिल राय ने कहा कि ‘दिशा कार्यकर्ताओं की इस गुंडई की जितनी भी निंदा की जाये, वह कम है।' अनिल राय ने दिशा कार्यकर्ताओं के इस कायराने हमले पर यह भी कहा कि'इस संगठन को कायराना हरकत परंपरा विरासत में मिली है। इसलिए दिशा की गुंडई के खिलाफ शहर के समस्त न्यायप्रिय लोगों एकजुट होना चाहिए।'दिशा में सक्रिय रहे गोरखपुर के पूर्व कार्यकर्ता और शिक्षक संतोष सिंह ने बताया कि ‘यह संगठन हमेशा ही समाज के साथ बेइमानियों की शिक्षा देता है और कात्यायिनी के परिवार को लाभ पहुंचाने की हर कोशिश को क्रांति कहता है।’
पीयूएचआर के गोरखपुर मंडल अध्यक्ष चतुरानन ओझा ने कहा कि 'दिशा कार्यकर्ता परिवर्तनकामी छात्रसभा की बढ़ती साख से परेशान थे। इसी के चलते दिशा कार्यकर्ता अब गुंडई पर उतर रहे हैं। मगर उनकी यह गुंडई बर्दाश्त नहीं की जा सकती है और उनके इस कायराने हमले का प्रतिकार सही समय पर अवश्य होना चाहिए।' हास्यास्पद है कि वारदात के पांच दिन बाद भी जनचेतना और दिशा छात्र संगठन की ओर से कोई लिखित बयान या माफीनामा नहीं आया है. सूत्रों के मुताबिक वारदात के दो दिन बाद तक जनचेतना से जुड़े लोग यह कहते रहे कि दिशा ने कायराना हरकत नहीं की है,पर अब मौखिक तौर पर स्वीकार करना शुरू किया है.
गोरखपुर के पत्रकार मनोज सिंह ने कहा कि 'जिस तरह से बातचीत के बहाने बुलाकर छात्र नेता की सुनियोजित पिटाई की गयी है, उसके बाद तो दिशा वालों की बुलाई जगह पर जाने में लोग डरेंगे. जिस विवाद का निपटारा बातचीत से हो सकता था उसके लिए ऐसा कर उन्होंने अपनी राजनीतिक समझ को ही उजागर किया है. '
'पहल' साहित्यिक मंच के रामू सिद्धार्थ के मुताबिक दिशा कार्यकर्ताओं द्वारा पूर्व में भी जनवादी-क्रांतिकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं पर हमला बोला जा चुका है। अब उनकी गुंडई इतनी बढ़ गयी है तो समाज को जागृत कर इस संगठन का व्यापक स्तर पर पर्दाफाश किया जाना चाहिए।' गोरखपुर,नोएडा और दिल्ली में कात्यायनी और उनके पति शशिप्रकाश के संगठन पहले भी लोगों को बातचीत के बहाने अकेले में बुलाकर मारपीट करते रहे हैं। नोएडा पुलिस चौकी में तो इनके खिलाफ इस मामले में मुकदमा भी दर्ज है।
'न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव' के स्वदेश सिन्हा ने घटना की घोर निंदा करते हुए कहा कि ‘ऐसी घटिया और ओछी हरकत की जितनी निंदा की जाये,कम है। परिवर्तनकामी छात्रसभा छात्रों के बुनियादी अधिकारों के लिए लड़ने वाला संगठन है। उसके खिलाफ खड़े होने वाले किसी भी ताकत का पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए और मुंहतोड़ जवाब दिया जाना चाहिए।'
इस घटना के खिलाफ गोरखपुर में हुई बैठक में राजाराम चौधरी, पीयूएचआर के वैजनाथ मिश्र, श्याम मिलन, सामाजिक कार्यकर्ता विकास दिवेदी, सुरेंद्र, 'पहल' के आनंद पांडेय आदि लोगों ने भी इस घटना की निंदा की। इसके साथ ही डॉक्टर संध्या पांडेय, पीयूसीएल के जिलाध्यक्ष फतेहबहादुर सिंह, भाकपा माले के सचिव राजेश साहनी, उत्तराखंड के सामाजिक कार्यकर्ता मुकुल,सुनील चौधरी आदि ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है और 'दिशा'से कोई संबंध न रखने की बात कही।
चक्रपाणि पर हुए हमले का मैं सख्त शब्दों में विरोध करता हूँ और मांग करता हूँ कि कात्यायिनी सार्वजानिक माफ़ी मांगे.
ReplyDeleteइस पूरे प्रकरण में पत्रकार मनोज सिंह की चिंता सबसे वाजिब है. अगर ये कहीं बातचीत के लिए बुलाएँ तो जाने लायक ही नहीं है. पता नहीं किस मारपीट को कब ये क्रांतिकारी करवाई कह डालें. जय हो कात्यायिनी देवी और सुर संग्रामी बेटे अभिनव की जो परिवार घोषित दिशा छात्र संगठन का अध्यक्ष है. वह क्यों नहीं मुंह खोलता. क्या उसके कहे बगैर ही ठुकाई योजना दिशा वालों ने बना ली थी जिन बेचारों ने डर के मारे मोबाइल नंबर तक बंद कर रखा है. बेचारा मुकेश बलि का बकरा बनेगा और शशि प्रकाश का बेटा क्रांतिवीर अभिनव गिटार की आभा में मम्मी कात्यायिनी के दिए कंप्यूटर से दुनिया को परखता रहेगा और तरकीब से भगत सिंह के सपने पर भाषण देगा. उधार बेचारे किसान घरों से आये युवा क्रांति के लिए पढाई महत्वपूर्ण दो -चार साल गुजार के अफ़सोस में जीवन गुजारेंगे.
ReplyDeleteजनचेतना की यही राजनीती है अतीत में भी ये लोग यही करते रहें है आन्दोलन में ऐसी फजीहत के बाद भी तुछ्ताओं से पीछे हटने वाले नहीं है उनके लिए यही वर्ग संघर्ष है अपने कार्यकर्ताओं को गोल बंद करेने का उनका यही तरीका है क्योकि राजनीती तो वहा बहुत पहले से गायब है
ReplyDeletepramod
दिशा छात्र संगठन के लोग पहले साफ़ मना कर दिए कि उनके सिखाये कार्यकर्ताओं ने चक्रपाणि पर हमला किया था. बाद में हर तरफ से थू- थू होने से सावधान हुए शशिप्रकाश ने तत्काल कहा स्वीकार करो, तभी कल्याण होगा. नहीं तो सब अब दौड़ा के पीटेंगे और भागकर सबको दिल्ली आना होगा. अगर भाग कर सभी आ गए तो महानगरों की मध्यवर्गीय बीमारी लग जाएगी, जिसके खिलाफ मैं महानगरों में डेरा लगाके निष्प्रभावी किये जाने के तरीके खोज रहा हूँ.
ReplyDeleteचेले से सहमत. खैर कात्यायिनी जी तो इस बार ओउत्लूक में चाई हुई हैं. कोई नहीं क्रांति में कुछ नहीं कर पा रहीं तो साहित्य के सफ़र में बढ़ रही हैं. बधाई कात्यायिनी जी. इन आलोचनों से घबराइये नहीं, आप बस दुकान पर ध्यान दीजिये. एक दिन ये आलोचक भी दुकान में छपने आयेंगे. अच्छा आपको बुरा न लगे तो एक बात कहूँ मैंने कविता लिखी है. आप अपने प्रकाशन से छपवा देंगी तो मेहरबानी होगी. मेरा परिचय है कि मैं एक क्रांतिधर्मी कवि हूँ और आपके यहाँ छपकर धन्य होना चाहता हूँ.
ReplyDeleteबड़ा ही लतखोर संगठन है. हमेशा पिटता ही रहता है...
ReplyDeleteyaro ek bohot acha idea hai......kuch mat kro kisi din hum bhi chalen haan khayal rhe koi maar peet na ho bus janchetna ki sari kitaben janta me mooft baant dete hain.
ReplyDeleteydi kitaben chapna kranti hai to hum ise muft me baan kar prti kranti kren.
vichar pasand aaye to samay or din tay kren.
chandu se sahmat. magar yaad rahe agar aapne chanchetna se kitaben nahhin to khud hi lut jayenge aur apradhi aapko karar diya jayega. chandu ke paksh men mera pahla vot
ReplyDeleteaap sabki baaton se sahmat hua ja sakta hai lekin janchetna se nikalne ke baad bharat ke kis ilake mein parcham lahraya hau koi patrakar hai to koi blog karanti kar raha hai
ReplyDeleteraha sawal chakrapandi ji ka to wo abvp joun kar lein fayede mein rahenge