जनज्वार, लखनऊ। आपातकाल के 42 साल पूरे होने के मौके कल 25 जून को देश के कई हिस्सों में जब बहुतेरे राजनीतिज्ञ आपातकाल के काले दिनों को याद कर रहे थे, तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ के आम महोत्सव में अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज करा रहे थे।
लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में लगे आम महोत्सव का दर्शन लाभ लेते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि हमारे राज्य में अच्छे आमों की उत्पादकता और बढ़ाई जानी चाहिए। उन्होंने यूपी से आमों के कम निर्यात पर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने कई मंत्रियों की गरिमामयी उपस्थिति के बीच महाराष्ट्र के अल्फांसो आम का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे आमों का अभी निर्यात बढ़ाना यानी बहुराष्ट्रीयकरण होना बाकि है।
योगी ने इसी बीच किसानों के प्रति सरोकार जाहिर करते हुए कहा कि गन्ने की कीमत बढ़ाने से मिल मालिकों की कमर टूट जाती है, इसलिए सरकार गन्ने की कीमत बढ़ाने की बजाय किसानों के फसल की उत्पादकता 3 से 4 गुना बढ़ाने पर जोर देगी। योगी के मुताबिक गन्ने की कीमतें बढ़ाना समस्या का समाधान नहीं है।
हालांकि योगी ने अपनी बातों में यह नहीं बताया कि उत्पादकता में 3 से 4 गुना बढ़ोतरी का रहस्य कैसे पूरा होगा? कौन सा बीज, खाद, पानी और नस्लें यह राष्ट्रवादी सरकार किसानों को उपलब्ध कराएगी जिससे किसान एकाएक उत्पादन बढ़ा लेंगे।
गन्ना का कटोरा कहे जाने वाले लखीमपुर खीरी के सपा उपाध्यक्ष क्रांति कुमार सिंह कहते हैं, 'योगी सरकार मिल मालिकों की गोद में बैठकर किसानों को पुचकारने का नाटक कर रही है। सरकार केवल गन्ना के बदले निकलने वाली चीनी की कीमत के आधार पर मिल मालिकों का मुनाफा देखती है पर उससे निकलने वाला सीरा जिससे शराब बनती है, चेपुआ जिससे कागज और बिजनी बनती है, अगर इस मुनाफे को जोड़ दिया जाए तो पता चलेगा कि किसकी कमर टूट रही है और किसका पेट खाली रह जा रहा है।'
अलबत्ता योगी यह बताना नहीं भूले कि प्रदेश सरकार का खजाना खाली होने के बावजूद उनकी सरकार ने किसानों के लिए 36 हजार करोड़ रुपए कि कर्जमाफी की घोषणा की, जिसको मीडिया ने इस रूप में प्रचारित किया था कि किसानों की कर्जमाफी हो गयी है।
जबकि असलियत खुद मुख्यमंत्री जानते हैं कि किसानों की कर्जमाफी की घोषणा के 3 महीने बाद भी बजट का 1 रुपया सरकार ने बैंकों को जारी नहीं किया है और न ही अब तक किसी किसान का एक टका भी माफ हुआ है।
रही बात गन्ना किसानों की चिंता की तो चुनाव में ही भाजपा ने वादा किया था कि किसानों का बकाया 14 दिनों में दे दिया जाएगा, जबकि अभी 30 फीसदी किसानों को सरकार भुगतान नहीं करा सकी है। इसके अलावा सपा सरकार में भाजपा ने कहा था, हमारी सरकार आएगी तब हम गन्ना से कीमत 306 और 315 की बजाए कम से कम 350 कर देंगे।
पर अब सरकार बनने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ किसानों को समृद्धि और विकास की नयी परिभाषा समझाने लगे हैं। उन्हें अब किसानों के पेट की नहीं पूंजीपतियों की कमर की चिंता सताने लगी है।
और योगी ने आम महोत्सव में दशहरी का स्वाद लेते हुए दो टूक गन्ना किसानों को बता दिया है कि वह गन्ना की कीमतों को नहीं बढ़ाने वाले हैं।
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