जनज्वार ने 15 अप्रैल को छपी सुनील कुमार की रिपोर्ट के जरिए सवाल उठाया था कि 'कश्मीरियों की जान ले सकती हैं बंदूकें पर उनका दिल नहीं जीत सकतीं' और यह वीडियो उसी चिंता की गवाही दे रहा है...
रिपोर्ट में सेना की जीप के बोनट पर बंधे एक कश्मीरी युवक को भी चस्पां किया गया था और सरकार से सवाल किया गया था कि सरकार खुद अपने खिलाफ बगावत के सुर क्यों तेज करवा रही है? क्यों ऐसा हो रहा है कि सेना कार्यवाही, पत्थरबाजी और हिंसा लगातार बढ़ती जा रही है और आम कश्मीरियों की लोकतंत्र और चुनाव पर से भरोसा खत्म होता जा रहा है।
हमारी चिंता यह रही है कि 2013 आते—आते जो कश्मीर लगातार शांति की ओर बढ़ रहा था, आतंकवाद हाशिए पर था, पर्यटन तेजी से बढ़ रहा था, स्कूलों में बच्चे दाखिले लेने लगे थे, वहां पिछले तीन वर्षों में ऐसा क्या हुआ कि 13 से 18 वर्ष के नौेजवान भारत के खिलाफ बगावती होते जा रहे हैं?
पर आज जनज्वार तक जो वीडियो पहुंचा है, उससे साफ हो रहा है कि सेना किस तरह कश्मीरी युवाओंं में देशप्रेम पैदा करने की कोशिश कर कर रही है?
सवाल यह भी है कि क्या ऐसे मारपीट, हत्या और हिंसा कर देशप्रेम पैदा किया जा सकता है या फिर सेना व सरकार को बातचीत और भरोसे का माहौल बनाकर कश्मीर में स्थिति सामान्य करने की कोशिश करनी चाहिए।
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